दिल्ली में रात गहरी थी और वॉशिंगटन में सुबह तेज़। सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चार बार बात करने की कोशिश की। लेकिन इधर से फोन नहीं उठाया गया। हालांकि जबसे भारत ने रूस से कच्चे तेल और व्यापारिक रिश्तों को गहराया है, तभी से अमेरिका और भारत के बीच खिंचाव साफ़ दिखने लगा है। इसे कोई रणनीतिक चुप्पी माने या नाराज़गी का संकेत, इतना तय है कि रिश्तों में तनाव बढ़ चुका है। और इसी खामोशी के बीच, आज 27 अगस्त 2025 को अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर अपना सबसे बड़ा व्यापारिक दांव खेला 50% टैरिफ़, जिसका सीधा असर करीब 48 अरब डॉलर के निर्यात पर पड़ेगा। आज की सुबह से भारतीय निर्यातकों के लिए झटका तय था। अमेरिका ने पहले से मौजूद 25% शुल्क पर और 25% जोड़ दिया । यह टैरिफ़ खासकर उन सेक्टरों को सीधे प्रभावित करेगा जहाँ भारत की ताक़त है टेक्सटाइल्स, जेम्स-ज्वैलरी, सीफ़ूड, लेदर और मशीनरी। अनुमान है कि लगभग 48 अरब डॉलर के निर्यात पर इसका सीधा असर पड़ेगा। फ़ार्मा और आईटी सर्विसेज़ जैसे सेक्टर इस बार की लिस्ट से लगभग बाहर हैं, जबकि स्मार्टफोन और सेमीकंडक्टर्स जैसी श्रेणियों को आंशिक राहत मिली है।
दिल्ली ने अब तक कोई प्रतिशोधी 50% टैरिफ़ लागू नहीं किया है। सरकार फिलहाल तीन स्तरों पर काम कर रही है पहला, एक्सपोर्टर्स को राहत पैकेज और टैक्स इंसेंटिव देना दूसरा, नए बाज़ारों की खोज, खासकर अफ्रीका और यूरोप; और तीसरा, पर्दे के पीछे अमेरिकी अधिकारियों से कूटनीतिक बातचीत जारी रखना। वाणिज्य मंत्रालय की चिंताओं का केंद्र स्पष्ट है: अगर 50% टैरिफ़ लंबे समय तक जारी रहा तो भारत को 25 से 55 अरब डॉलर सालाना का झटका लग सकता है। और यह झटका सिर्फ ट्रेड बैलेंस शीट पर नहीं होगा बल्कि लाखों मज़दूरों, कारीगरों और छोटे उद्योगों के लिए रोज़गार का संकट बन सकता है। ट्रेड एनालिस्ट्स इसे “साइलेंट प्रोटेस्ट” की शक्ल में देखते हैं, जबकि राजनीतिक हलकों में इसे “मैसेज विदाउट वर्ड्स” कहा जा रहा है। किसी भी हालत में, यह घटनाक्रम टैरिफ़ युद्ध को और भी राजनीतिक रंग दे रहा है। हालांकि भारत–अमेरिका व्यापार टकराव नया नहीं। 2018–19 में अमेरिका ने स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ़ लगाए, तो भारत ने सेब, बादाम और मसूर जैसी वस्तुओं पर जवाबी ड्यूटी ठोकी। 2019 में ट्रंप प्रशासन ने भारत को GSP स्कीम से बाहर कर दिया, जिससे भारतीय निर्यातकों को ड्यूटी-फ्री प्रवेश बंद हो गया। जून 2023 में हालात सुधरते दिखे। WTO विवाद खत्म किए गए, कई अतिरिक्त ड्यूटी हटाई गईं। दोनों देशों ने रिश्ते पटरी पर लाने की कोशिश की। लेकिन 2025 का यह अध्याय बता रहा है कि रिश्ते कितनी जल्दी फिर तनाव में बदल सकते हैं। अब आगे की राह में तीन संभावनाएँ है ।
1. सीधा पलटवार भारत भी 50% टैरिफ़ लगाए और यह रिश्ता खुले व्यापार युद्ध में बदल जाए।
2. सॉफ्ट सपोर्ट – एक्सपोर्टर्स को राहत और नए बाज़ारों पर ध्यान देकर असर कम किया जाए।
3. बैक-चैनल डील – कूटनीतिक बातचीत के ज़रिये कुछ सेक्टरों को छूट दिलाई जाए और तनाव धीरे-धीरे कम हो। कौन सा रास्ता चुना जाएगा, यह आने वाले हफ्तों में तय होगा। बाकी चैनल तो आपको वही दिखाएंगे जो सब जगह मिलेगा… लेकिन यहां मिलेगा आपको वो जो कहीं और नहीं। तो, अगर भीड़ से हटकर सोचना है तो चैनल सब्सक्राइब कर डालिए और जुड़े रहिए हमसे