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Breaking News 26 May 2025

1.)लालू  यादव ने अपने बेटे को घर और पार्टी से किया बेदखल

भारतीय राजनीति में यह दृश्य विरल है—जब एक पिता, राजनीति का धुरंधर खिलाड़ी, अपने ही बेटे को न सिर्फ पार्टी से निकालता है बल्कि सार्वजनिक रूप से पारिवारिक रिश्ता भी समाप्त करता है। बात हो रही है राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक और सामाजिक न्याय के प्रतीक माने जाने वाले लालू प्रसाद यादव की, जिन्होंने रविवार को अपने ज्येष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव के खिलाफ ऐसा फैसला लिया, जो न सिर्फ सियासी गलियारों में बल्कि सामाजिक विमर्श में भी गूंज रहा है।

लालू यादव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा—  "निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है... अतः तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर करता हूं। पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है..." ये शब्द सिर्फ एक पिता का नहीं, बल्कि एक संघर्षशील विचारधारा के नेता का थे, जिसे उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की धुरी बनाया।

क्या है विवाद का आधार?

तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से बीते शनिवार को एक तस्वीर साझा की गई थी, जिसमें वे एक युवती के साथ नज़र आ रहे थे। पोस्ट में दावा किया गया कि वे अनुष्का यादव नाम की युवती के साथ 12 साल से रिश्ते में हैं। हालांकि, कुछ ही घंटों में पोस्ट डिलीट कर दिया गया और तेज प्रताप ने स्पष्टीकरण देते हुए ट्वीट किया कि उनका अकाउंट हैक हो गया था और वायरल तस्वीर AI से बनाई गई थी। लेकिन तब तक आग फैल चुकी थीलालू यादव जैसे नेता, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में परिवार को हमेशा प्राथमिकता दी, उनके लिए ये कदम आसान नहीं रहा होगा। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि “लोकलाज” और “सार्वजनिक मर्यादा” से कोई ऊपर नहीं। इस फैसले के पीछे दो संदेश हैं—एक, राजनीति में पारिवारिक रिश्तों से बढ़कर विचारधारा होती है। और दूसरा, जनता अब निजी जीवन और सार्वजनिक छवि में अंतर नहीं मानती। सोशल मीडिया पर इस फैसले की व्यापक चर्चा हो रही है। एक यूजर ने लिखा, “ऐसे ही नहीं लोग लालू जी को मसीहा कहते हैं।" दूसरी ओर, कुछ लोग इसे देर से उठाया गया कदम भी बता रहे हैं। एक अन्य यूजर ने सवाल उठाया—“क्या सिर्फ निष्कासन से बात खत्म हो जाती है? क्या तेज प्रताप जैसे पूर्व मंत्री के व्यक्तिगत आचरण का जवाब सिर्फ पार्टी से निकालना है?”तेज प्रताप यादव की राजनीतिक सक्रियता पहले भी कई बार विवादों में रही है—कभी अपने बयानबाज़ी को लेकर, कभी सोशल मीडिया गतिविधियों के कारण। लेकिन इस बार मामला निजी होते हुए भी सार्वजनिक छवि पर चोट कर गया, और शायद लालू यही समझते हैं कि राजनीति में अब ‘सांकेतिक कार्रवाई’ से काम नहीं चलेगा।

क्या यह RJD की आत्मशुद्धि है?

यह कार्रवाई सिर्फ एक पारिवारिक संकट नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत भी है—RJD अब अपनी छवि को लेकर ज़्यादा सजग है, और भावनाओं से ज़्यादा संस्थागत मूल्यों को महत्व दे रही है। सवाल यही है कि क्या यह केवल एक प्रतीकात्मक कदम है या पार्टी वाकई अपने भीतर नैतिक अनुशासन की एक नई लकीर खींच रही है? आने वाला समय बताएगा कि तेज प्रताप का राजनीतिक भविष्य किस दिशा में जाएगा, लेकिन लालू यादव ने जो लकीर खींच दी है, उसे मिटाना अब आसान नहीं होगा।

 

2.) प्रधानमंत्री मोदी के 11 साल: विकास, फैसले और विश्वास की कहानी


26 मई 2014… देश की राजनीति में एक निर्णायक मोड़। ठीक 11 साल पहले नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। आज, जब वही तारीख फिर से कैलेंडर पर लौटी है, प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के आदिवासी बहुल जिले दाहोद से देश को याद दिला रहे थे कि ये सिर्फ तारीख नहीं, एक परिवर्तन की शुरुआत थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दाहोद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अपने 11 वर्षों की यात्रा का भावनात्मक लेखा-जोखा दिया। उन्होंने कहा— “आज 26 मई है। 2014 में आज ही के दिन मैंने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। आपके आशीर्वाद की शक्ति से मैं दिन-रात देशवासियों की सेवा में जुटा रहा। इन वर्षों में भारत ने वो फैसले लिए, जो कभी अकल्पनीय और अभूतपूर्व माने जाते थे।”

बेड़ियों को तोड़ा, सपनों को आकार दिया
पीएम मोदी ने कहा कि इन 11 वर्षों में भारत ने दशकों पुरानी बेड़ियों को तोड़ा है। निराशा के अंधकार से बाहर आकर विश्वास के उजाले में देश ने नया तिरंगा फहराया है। 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का भारत अब "विकसित भारत" की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है।

मेक इन इंडिया से मैन्युफैक्चरिंग पॉवर हाउस तक
अपने भाषण में पीएम मोदी ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भारत की नई ताकत बताया। उन्होंने कहा कि अब वक्त है कि जो कुछ भी भारत की तरक्की के लिए जरूरी है, वो भारत में ही बने। "भारत आज तेज गति से मैन्युफैक्चरिंग की दुनिया में आगे बढ़ रहा है," उन्होंने कहा।

दाहोद की लोकोमोटिव फैक्ट्री बनी प्रतीक
कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। उन्होंने खास तौर पर दाहोद में बनी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री का जिक्र किया। तीन साल पहले जिस फैक्ट्री का उन्होंने शिलान्यास किया था, वहां अब पहला इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव बनकर तैयार हो गया है।

तीसरी बार सत्ता, विकास की नई रफ्तार
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी इस समय लगातार तीसरी बार देश की सत्ता में हैं। 26 मई 2014 को उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। तब से अब तक की ये यात्रा सिर्फ एक नेता की नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की कहानी बन चुकी है।

दाहोद की धरती से निकली मोदी की यह हुंकार सिर्फ चुनावी लय नहीं, बल्कि 11 वर्षों की उस राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की पुनरावृत्ति है, जिसे आज "न्यू इंडिया" कहा जाता है। 26 मई अब सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वासी युग की शुरुआत का प्रतीक बन चुका है।