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Breaking News 26 June 2025

1 )  भटहट बना देश का फोकस पॉइंट – राष्ट्रपति खुद आकर करेंगी उद्घाटन!

पूर्वांचल की धरती एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। विकास के नए आयामों से खुद को गर्वित महसूस कर रहे गोरखपुर में सात वर्षों के भीतर चौथी बार देश के राष्ट्रपति का आगमन होने जा रहा है। यह सिर्फ एक औपचारिक दौरा नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विकास प्राथमिकताओं और पूर्वांचल को राष्ट्रीय फलक पर स्थापित करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। 30 जून और 1 जुलाई को होने वाले इस दौरे में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु एम्स गोरखपुर के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी, वहीं प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय जो गोरखपुर के भट्ट में है उसका भी लोकार्पण करेंगी। इससे पहले तीन बार पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का गोरखपुर आना इस बात की पुष्टि करता है कि मुख्यमंत्री योगी के कार्यकाल में यह जिला किसी राष्ट्रीय आयोजन का परिदृश्य भर नहीं, बल्कि प्राथमिक केंद्र बना है।

गोरखपुर की राष्ट्र प्रमुखों के साथ लगातार समीपता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह चौथा मौका होगा जब देश के राष्ट्रपति गोरखपुर की धरती पर कदम रखेंगे। इससे पहले रामनाथ कोविंद 10 दिसंबर 2018 को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के कार्यक्रम, 28 अगस्त 2021 को आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास और गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लोकार्पण, तथा 4 जून 2022 को गीता प्रेस के शताब्दी समारोह में शिरकत कर चुके हैं। अब पहली बार गोरखपुर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का आगमन होने जा रहा है, जो न सिर्फ एक राजनैतिक उपलब्धि है, बल्कि गोरखपुर के लिए गौरव और पहचान की बात भी है। 30 जून को राष्ट्रपति एम्स गोरखपुर के प्रथम दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगी। वह मेधावी छात्रों को मेडल प्रदान करेंगी और अपने प्रेरणादायक शब्दों से भविष्य की पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगी। इसके बाद 1 जुलाई को वह भटहट के पिपरी गांव में बने राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय—महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय—का भव्य लोकार्पण करेंगी। इसी दिन राष्ट्रपति महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय में नवनिर्मित ऑडिटोरियम, अकादमिक भवन, पंचकर्म केंद्र का उद्घाटन और गर्ल्स हॉस्टल का शिलान्यास भी करेंगी। अपने दौरे के दौरान राष्ट्रपति मुर्मु गोरखनाथ मंदिर जाकर दर्शन-पूजन भी करेंगी, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आध्यात्मिक विरासत और उनकी प्रशासनिक भूमिका का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगा। इस ऐतिहासिक क्षण को भव्यता देने के लिए जर्मन हैंगर पंडाल की स्थापना शुरू हो चुकी है। 510 फीट लंबा और 100 फीट चौड़ा मुख्य टेंट, उसके दोनों ओर 300-300 फीट लंबे और 50-50 फीट चौड़े दो अतिरिक्त टेंट लगाए जाएंगे। समारोह में करीब 5000 लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है, जबकि 1500 विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रण भेजा जा रहा है, जिनमें नेपाल से भी मेहमान शामिल होंगे।

डीएम का निर्देश

जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने मौके पर पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया और स्पष्ट निर्देश दिया कि सभी अधूरे कार्य अगले तीन दिनों में हर हाल में पूरे हों। उन्होंने विश्वविद्यालय की ओपीडी, लेक्चर हॉल, एडमिन ब्लॉक से लेकर पंचकर्म कुटिया तक का निरीक्षण किया और गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता न करने की चेतावनी दी। गोरखपुर अब सिर्फ एक धार्मिक और सांस्कृतिक शहर नहीं रहा, बल्कि शिक्षा, चिकित्सा और आयुष चिकित्सा के क्षेत्र में राष्ट्रीय मानचित्र पर एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह दौरा केवल एक शिष्टाचार नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है—कि अब दिल्ली की दूरियां गोरखपुर से घट रही हैं, और पूर्वांचल की उपेक्षा का दौर पीछे छूट चुका है।

 

2 ) 41 साल बाद फिर अंतरिक्ष में गूंजा भारत का नाम : शुभांशु शुक्ला

भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और ऐतिहासिक छलांग लगाई है। भारतीय वायुसेना के Group Captain शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को Axiom Space के वाणिज्यिक मिशन Axiom-4 के तहत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ International Space Station (ISS) की ओर उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। यह गौरवशाली पल तब आया जब अमेरिका के Kennedy Space Center से SpaceX द्वारा विकसित Dragon spacecraft ने दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर आसमान की ओर रुख किया। अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रवेश के महज 10 मिनट बाद ही शुभांशु शुक्ला ने देशवासियों को संबोधित करते हुए एक भावनात्मक संदेश भेजा “41 साल बाद हम फिर अंतरिक्ष में पहुंचे हैं। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधों पर तिरंगा है, जो मुझे अहसास कराता है कि मैं अकेला नहीं हूं। यह सिर्फ मेरी यात्रा की शुरुआत नहीं है, बल्कि भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान के एक नए युग की शुरुआत है।”

Axiom-4 मिशन में शुभांशु शुक्ला के साथ NASA की अनुभवी astronaut और पूर्व ISS कमांडर Peggy Whitson, हंगरी के अंतरिक्ष यात्री Tibor Kapu और पोलैंड के Slawosz Uznanski-Wisniewski भी शामिल हैं। यह मिशन कई बार मौसम और तकनीकी कारणों से टला, लेकिन इस बार जब लॉन्च हुआ, तो दुनियाभर की निगाहें इस उड़ान पर टिकी थीं। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपने बढ़ते क़दमों की ताकत को फिर साबित कर दिया है।

लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला की प्रारंभिक शिक्षा City Montessori School में हुई थी। जब उनका अंतरिक्ष में जाना तय हुआ, तब लखनऊ के इस स्कूल में उनके माता-पिता सहित सभी छात्र-शिक्षक मौजूद रहे और जैसे ही Dragon spacecraft ने उड़ान भरी, पूरा शहर गर्व और उत्साह से भर गया। एक सामान्य भारतीय परिवार से आए बेटे को अंतरिक्ष में देखकर लोगों की आंखें नम हो उठीं, मगर उन आंसुओं में गर्व, विश्वास और प्रेरणा थी।

भारतीय वायुसेना ने इस ऐतिहासिक पल को सम्मानित करते हुए एक बयान में कहा— “From conquering the skies to reaching the stars — a journey inspired by the indomitable spirit of an IAF warrior.” शुभांशु शुक्ला का यह मिशन सिर्फ एक व्यक्ति की उड़ान नहीं, बल्कि पूरे देश के आत्मविश्वास और तकनीकी सामर्थ्य की उड़ान है। यह वही देश है जिसने 1984 में Squadron Leader राकेश शर्मा को Soyuz T-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष में भेजा था, और 41 वर्षों बाद, शुभांशु शुक्ला ने उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारत को फिर से तारों के बीच पहुँचाया है।

Axiom-4 की यह उड़ान न केवल भारत के Gaganyaan मिशन की पृष्ठभूमि को और मज़बूती देती है, बल्कि भारत को यह दर्जा भी देती है कि अब वह केवल अंतरिक्ष तकनीक का उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि उसका निर्माता और दिशा-निर्देशक बनता जा रहा है। यह मिशन विज्ञान, राष्ट्रभक्ति और अंतरिक्ष रणनीति का संगम है जो आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर अग्रणी देशों की कतार में खड़ा कर सकता है।

 

3 ) उत्तराखंड में मौत का सफर! हादसे से पहले चीखते रहे यात्री...

उत्तराखंड की शांत वादियों में उस समय चीखों की गूंज उठी, जब रुद्रप्रयाग-बद्रीनाथ हाईवे पर घोलतीर के निकट एक 31 सीटर टेंपो ट्रैवलर अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरा और सीधे अलकनंदा नदी में समा गया। वाहन में 20 से अधिक लोग सवार थे, जिनमें से कुछ की किस्मत उन्हें दुर्घटना से पहले ही बाहर फेंक लाई, लेकिन बाकी यात्री लहरों की गहराइयों में खो गए।

ये हादसा उस जगह हुआ जिसे स्थानीय लोग "स्टेट बैंक मोड़" के नाम से जानते हैं—एक तीखा मोड़, जहां एक पल की चूक ज़िंदगी छीन सकती है। टेंपो ट्रैवलर (UK08 PA 7444) जैसे ही मोड़ पर पहुँचा, चालक नियंत्रण खो बैठा और वाहन गहरी खाई में गिरते हुए नदी की तेज़ धारा में समा गया।

कुछ यात्री हादसे से ठीक पहले ही सड़क से नीचे गिरते वक्त वाहन से छिटक कर बाहर आ गए थे। स्थानीय ग्रामीणों की सजगता और साहस के कारण इन्हें समय रहते सड़क तक लाया गया और तुरंत रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं नदी में गिरे बाकी यात्रियों को खोजने का काम अब भी जारी है। अब तक प्रशासन की पुष्टि के अनुसार, इस हादसे में 3 यात्रियों की मौत हो चुकी है, जबकि 7 लोग घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। लेकिन सबसे भयावह पहलू यह है कि 9 लोग अब भी लापता हैं। इस हादसे ने सिर्फ जानें नहीं लीं, बल्कि कई परिवारों की उम्मीदें, सपने और आने वाले त्योहारों की खुशियां भी बहा दीं। घटनास्थल पर पुलिस, एसडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें चौबीसों घंटे बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे और आईजी नीलेश आनंद भरणे सहित वरिष्ठ अधिकारी पूरे ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। आईजी नीलेश भरणे ने बताया, “यह टेंपो ट्रैवलर रुद्रप्रयाग से ऊपर की ओर जा रहा था। ड्राइवर सहित इसमें कुल 20 लोग सवार थे। वाहन जैसे ही मोड़ पर पहुंचा, वह नियंत्रण से बाहर हो गया और सीधे अलकनंदा नदी में जा गिरा।”

प्रशासन की अपील और अफवाहों से बचने की चेतावनी

पुलिस और प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाह या अपुष्ट जानकारी पर विश्वास न करें। सोशल मीडिया पर फैल रही ग़लत जानकारी न केवल भ्रम पैदा करती है, बल्कि राहत और बचाव कार्यों को भी प्रभावित कर सकती है। जनपद पुलिस ने धैर्य रखने की अपील करते हुए कहा है कि पूरी प्रक्रिया वरिष्ठ अफसरों की देखरेख में चल रही है।