Latest News

Breaking News 25 November 2025

1.)  उत्तर भारत में हवा हुई काली राख, शहर में हड़कंप! फ्लाइट्स कैंसल

पूर्वी अफ्रीका के अफार क्षेत्र में मौजूद हैली गुब्बी ज्वालामुखी जो हजारों साल से शांत माना जाता था अचानक विस्फोट के साथ सक्रिय हुआ और उसकी राख अब भारत के आसमान तक दर्ज की जा रही है। 45,000 फीट तक उठी यह राख लाल सागर और अरब प्रायद्वीप को पार करते हुए ऊपरी हवाओं के साथ अरब सागर से उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ी और इसके अंश गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-NCR की ऊँची वायुमंडलीय परतों में पहुंच गए। डेटा IMD, DGCA और अंतरराष्ट्रीय VAAC सिस्टम्स द्वारा कन्फर्म किया गया है यानी यह घटना किसी अफवाह का हिस्सा नहीं, बल्कि एक रियल-टाइम ग्लोबल एटमॉस्फेरिक मूवमेंट है।

हालाँकि राख जमीन तक नहीं उतरी है, लेकिन इसका सबसे बड़ा असर एविएशन सेक्टर पर पड़ा। DGCA ने तुरंत एडवाइजरी जारी करते हुए एयरलाइंस को प्रभावित रूट्स से बचने, ऊँचाई बदलने और वैकल्पिक मार्ग अपनाने के निर्देश दिए। नतीजतन कई फ्लाइट्स खासतौर पर मिडिल ईस्ट और यूरोप की ओर जाने वाली या तो रीरूट हुईं, या देरी हुई, या सुरक्षा कारणों से रद्द करनी पड़ीं। एयर इंडिया, इंडिगो, अकासा और KLM जैसी प्रमुख एयरलाइंस ने अपने ऑपरेशंस में बदलाव किया, क्योंकि ज्वालामुखीय राख जेट इंजनों और एयरक्राफ्ट सिस्टम्स के लिए हाई-रिस्क मानी जाती है।

दूसरी तरफ, दिल्ली-NCR और उत्तर भारत के नागरिकों के लिए राहत यही है कि राख की यह परत 10–14 किलोमीटर की ऊँचाई पर है यानी यह न सांस लेने वाली हवा में मौजूद है और न ही ज़मीनी प्रदूषण को बढ़ाने वाली है। कुछ स्थानों पर थोड़े समय के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के रंगों में हल्का बदलाव दिख सकता है, लेकिन यह सिर्फ ऑप्टिकल इफेक्ट है, कोई हेल्थ थ्रेट नहीं।

मौसम मॉडल्स दिखा रहे हैं कि यह राख भारत पर लंबे समय तक रहने वाली नहीं है। तेज़ ऊपरी हवाओं के साथ यह परत जल्द ही पूर्व की ओर चीन की दिशा में आगे बढ़ जाएगी। फिलहाल eruption शांत हो चुका है, पर भारतीय एजेंसियाँ और वैश्विक मॉनिटरिंग सेंटर राख की ट्रैकिंग को लगातार अपडेट कर रहे हैं।

यह पूरा घटनाक्रम एक बार फिर याद दिलाता है कि आज की दुनिया में प्राकृतिक घटनाएँ सीमाओं में बंधी नहीं रहतीं àअफ्रीका का एक ज्वालामुखी भारत की फ्लाइट रूटिंग को प्रभावित कर सकता है। और यह भी कि भारत की मॉनिटरिंग सिस्टम्स, डेटा-ड्रिवन तैयारियाँ और एविएशन सेफ्टी प्रोटोकॉल वैश्विक संकटों के बीच भी तेज़ी से प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं। अभी स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन मॉनिटरिंग जारी है।

 

2.)  श्री राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा 2022 में हुई… तो ध्वजारोहण में तीन साल क्यों लगे?

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्वजारोहण किया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब प्राण-प्रतिष्ठा 2022 में हो चुकी थी, तो ध्वजारोहण में तीन साल का इंतज़ार क्यों? क्या वजहें थीं? क्या अड़चनें आईं? और इन तीन सालों में ऐसा क्या बदला कि 2025 में जाकर आधिकारिक ध्वजारोहण किया गया? आइए इसे सरल तरीके से समझते हैं 2022 में गर्भगृह के पूर्ण होने के बाद प्राण-प्रतिष्ठा भले ही संपन्न हो गई थी, लेकिन मंदिर का बाहरी ढांचा उस समय अधूरा था शिखर, मंडप, परिक्रमा पथ, सहायक भवन, परिसर की सुरक्षा संरचनाएँ और भारी धातु वाले ध्वजदंड की तकनीकी व्यवस्था अपनी प्रक्रिया में थीं। धार्मिक तौर पर प्राण-प्रतिष्ठा को शुभ मुहूर्त के कारण टाला नहीं जा सकता था, इसलिए भगवान की मूर्ति को स्थापित कर दिया गया, लेकिन ध्वजारोहण को मंदिर की संपूर्णता से जोड़ा गया, जो निर्माण की दृष्टि से अभी दूर थी। 2023 और 2024 इस परियोजना के सबसे चुनौतीपूर्ण साल साबित हुए, जब विशाल पत्थरों की फिटिंग, भार-संतुलन वाले शिखर का निर्माण, मंदिर परिसर की विस्तृत परिक्रमा और दर्शन मार्ग जैसे काम चरणबद्ध तरीके से पूरे किए गए। ध्वजदंड का इंस्टॉलेशन अपने आप में एक जटिल इंजीनियरिंग कार्य था इसे मंदिर के भार-वितरण के अनुरूप शिखर पर फिट करने के लिए पूरी संरचना का स्थिर, मजबूत और अंतिम रूप में होना जरूरी था, जो 2024 के अंत में जाकर संभव हुआ। इसी अवधि में अयोध्या को आधुनिक सुरक्षा व्यवस्थाओं से लैस किया गया, Z+ सुरक्षा मॉडल, ड्रोन डिफेंस, स्मार्ट निगरानी प्रणाली, हाई-डेन्सिटी भीड़ नियंत्रण व्यवस्था और मंदिर परिसर में टेक्नोलॉजी-इंटीग्रेटेड सुरक्षा सर्किट तैयार किए गए। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पार्किंग ज़ोन, रेलवे-रोड कनेक्टिविटी, वैकल्पिक मार्ग, आपातकालीन चिकित्सा केंद्र, फायर-सेफ़्टी यूनिट और डिजास्टर-रिस्पॉन्स सिस्टम को 2025 की शुरुआत में पूरी तरह सक्रिय किया गया। इन तैयारियों के साथ 2025 वह वर्ष बन गया जिसमें मंदिर केवल आध्यात्मिक रूप से नहीं, बल्कि संरचनात्मक, सुरक्षा और प्रशासनिक रूप से भी पूर्ण घोषित किया जा सकता था। धार्मिक पहलू भी इसे मजबूत करता है ध्वजारोहण उस क्षण का प्रतीक है जब मंदिर को ‘पूर्ण रूप से कार्यशील’ और जनता के लिए समर्पित माना जाता है, जबकि प्राण-प्रतिष्ठा भगवान की उपस्थिति का आह्वान थी। इसलिए यह तीन वर्ष किसी देरी का संकेत नहीं, बल्कि मंदिर की परंपरा, आधुनिक इंजीनियरिंग, राष्ट्रीय सुरक्षा और श्रद्धालुओं की सुविधा को संतुलित करते हुए लिया गया एक सुनियोजित अंतराल था। 2022 में जिस दिन भगवान राम को उनके गर्भगृह में स्थापित किया गया, उसी दिन मंदिर का आध्यात्मिक हृदय धड़कने लगा था और 2025 वह दिन बना जब उसी मंदिर का पूर्ण शरीर दुनिया के सामने औपचारिक रूप से खड़ा किया गया, जिसके प्रतीक के रूप में शिखर पर भगवा ध्वज फहरा दिया गया।

 

3.) अयोध्या में ध्वजारोहण के बाद अब क्या-क्या होने वाला है?  

अयोध्या में धर्म-ध्वज के ध्वजारोहण के बाद शहर में आने वाले महीनों के कार्यक्रम और विकास कार्यों की रफ्तार तेज होने वाली है। मंदिर परिसर में अब नियमित रूप से विशेष पूजा क्रम, शोभायात्राएँ, और भव्य दीपोत्सव जैसी सांस्कृतिक गतिविधियाँ कैलेंडर में जोड़ी जा रही हैं। दिसंबर से फरवरी तक भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने फूल सज्जा समारोह, रामलला महाअभिषेक, और विशेष आरती कार्यक्रमों का शेड्यूल पहले ही तैयार कर लिया है। आने वाले दिनों में विवाह पंचमी, रामोत्सव और मंदिर परिसर में महाअन्नदान जैसे आयोजन भी होने की संभावना है।

इसके अलावा, ध्वजारोहण के बाद शहर में विकास परियोजनाओं की गति और तेज होगी। अयोध्या मास्टर प्लान 2031 के तहत राम पथ, भक्तिपथ, और जनमहेत मार्ग के विस्तार का काम जारी है, जिसे इस सीज़न में प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा। घाटों के पुनर्विकास की दूसरी फेज़ में सरयू नदी के किनारे नए व्यूपॉइंट, गंगा घाट-स्टाइल प्रकाश व्यवस्था, और सुरक्षा प्रबंधन को अपग्रेड करने का प्लान तय हुआ है।

अयोध्या में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए आने वाला चरण सिटी-फॉरेस्ट प्रोजेक्ट, मल्टी-लेवल पार्किंग, और क्यू मैनेजमेंट सिस्टम के विस्तार पर केंद्रित रहेगा। इसी के साथ होटल और धर्मशाला ज़ोन को बड़े पैमाने पर तैयार किया जा रहा है, जहाँ कई बड़ी हॉस्पिटैलिटी कंपनियों के प्रोजेक्ट पहले ही मंज़ूर हो चुके हैं।

इसके बाद अगले महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक कॉन्फ्रेंस, धार्मिक पर्यटन एक्सपो, और रामायण सर्किट प्रोजेक्ट के तहत कई देशों से जुड़ी गतिविधियाँ भी आयोजित की जाएँगी। मंदिर प्रशासन और अयोध्या विकास प्राधिकरण दोनों ने संकेत दिए हैं कि शहर को धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र के साथ-साथ एक ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने के लिए लगातार इवेंट-आधारित गतिविधियाँ चलती रहेंगी।