देशभर के करोड़ों किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के भागलपुर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 19वीं किस्त जारी कर दी। इस दौरान डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से 9.8 करोड़ किसानों के खातों में 22 हजार करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की गई। किसानों के लिए यह एक बड़ी सौगात है, जिससे उन्हें खेती-बाड़ी में राहत मिलेगी और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। पिछले साल 5 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की 18वीं किस्त जारी की थी। तब से किसान अगली किस्त का इंतजार कर रहे थे, जो अब खत्म हो चुका है। केंद्र सरकार की इस पहल से किसानों की आमदनी बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। यह योजना छोटे और मध्यम किसानों को राहत देने के लिए चलाई जा रही है, जिससे उन्हें खाद-बीज खरीदने से लेकर अन्य कृषि जरूरतों को पूरा करने में आर्थिक सहयोग मिलता है। हालांकि, कई किसान ऐसे भी हैं जिनके खातों में अभी तक 19वीं किस्त के पैसे नहीं पहुंचे। इसकी सबसे बड़ी वजह ई-केवाईसी (e-KYC) और भूलेख सत्यापन (land records verification) न कराना है। यदि आपने अब तक यह प्रक्रियाएं पूरी नहीं की हैं, तो आपके खाते में पैसा नहीं आएगा। सरकार ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि बिना ई-केवाईसी और भूमि रिकॉर्ड अपडेट किए बिना किस्त जारी नहीं होगी। इसलिए जिन किसानों के खाते में पैसे नहीं आए हैं, वे जल्द से जल्द इन आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करें, ताकि अगली किस्त का लाभ उठा सकें। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मौके पर बताया कि सरकार अब तक पीएम किसान योजना के तहत कुल ₹3.46 लाख करोड़ रुपये वितरित कर चुकी है। 19वीं किस्त जारी होने के बाद यह राशि बढ़कर ₹3.68 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगी। यह दर्शाता है कि सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत फरवरी 2019 में हुई थी, और तब इसका लाभ केवल छोटे और सीमांत किसानों को ही मिलता था। उस समय, वे किसान ही पात्र थे जिनके पास अधिकतम 2 हेक्टेयर तक की कृषि भूमि थी। लेकिन जून 2019 में इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया, और अब लगभग सभी योग्य किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है।
हालांकि, इस योजना से कुछ वर्गों को बाहर रखा गया है। इन लोगों को पीएम किसान योजना का लाभ नहीं मिल सकता। संस्थागत भूमि धारक (जिनके पास कृषि भूमि का मालिकाना हक नहीं है)। संवैधानिक पदों पर बैठे किसान परिवार (जैसे सांसद, विधायक, मंत्री, मेयर आदि)। राज्य या केंद्र सरकार के सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी एवं कर्मचारी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सरकारी स्वायत्त निकायों और स्थानीय निकायों के अधिकारी-कर्मचारी। डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट और आर्किटेक्ट जैसे प्रोफेशनल्स। जो लोग इनकम टैक्स भरते हैं, वे इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं।
दिल्ली की आबकारी नीति एक बार फिर विवादों में है। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ताजा रिपोर्ट में इस नीति की खामियों को उजागर किया गया है, जिससे दिल्ली सरकार को ₹2,026.91 करोड़ का भारी नुकसान हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, नीति में पारदर्शिता की कमी थी, फैसले मनमाने तरीके से लिए गए, और प्रशासनिक लापरवाही साफ दिखी। इससे शराब कारोबारियों को तो फायदा हुआ, लेकिन सरकार का खजाना खाली होता चला गया।
CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब नीति में कई गलत फैसले लिए गए, जो सीधे तौर पर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाले थे। ₹941 करोड़ का नुकसान: कई इलाकों में खुदरा शराब की दुकानें नहीं खोली गईं। ₹890 करोड़ का घाटा: सरकार सरेंडर किए गए लाइसेंसों की दोबारा नीलामी नहीं कर पाई। ₹144 करोड़ की छूट: कोविड-19 का बहाना बनाकर शराब कारोबारियों को राहत दी गई। ₹27 करोड़ का नुकसान: शराब कारोबारियों से जरूरी सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लिया गया। CAG ने पाया कि आबकारी विभाग ने शराब के लाइसेंस जारी करने में भी नियमों को तोड़ा। दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के मुताबिक, एक ही व्यक्ति या कंपनी को एक साथ थोक, खुदरा और होटल-रेस्तरां लाइसेंस नहीं दिया जा सकता। लेकिन जांच में सामने आया कि कुछ कंपनियों को ये सारे लाइसेंस दिए गए, जिससे शराब कारोबारियों को मनमानी करने का पूरा मौका मिल गया। कई मामलों में सरकार ने बिना किसी सही जांच के लाइसेंस जारी कर दिए न तो कंपनियों की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी चेक की गई, न ही उनके पिछले रिकॉर्ड और टैक्स डेटा का एनालिसिस हुआ। यहां तक कि कुछ कंपनियों ने शराब कारोबार में अपनी हिस्सेदारी छुपाने के लिए 'प्रॉक्सी ओनरशिप' तक का सहारा लिया। CAG रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि थोक विक्रेताओं को शराब की फैक्ट्री से निकलने वाली कीमतें खुद तय करने की छूट दी गई थी। इससे कुछ कंपनियों ने दिल्ली में शराब की कीमतें बढ़ा दीं, जबकि वही ब्रांड दूसरे राज्यों में सस्ते दाम पर बेचा गया। नियमों के मुताबिक, हर थोक विक्रेता को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार टेस्ट रिपोर्ट देनी होती है। लेकिन 51% मामलों में या तो टेस्ट रिपोर्ट एक साल से पुरानी थी या फिर उपलब्ध ही नहीं थी। कई रिपोर्ट्स उन लैब्स से जारी की गई थीं, जो नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेट्रीज (NABL) से मान्यता प्राप्त नहीं थीं।
नई आबकारी नीति 2021-22 में भी कई गड़बड़ियां थीं। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने बिना कैबिनेट की मंजूरी के निजी कंपनियों को थोक व्यापार के लाइसेंस देने का फैसला किया, जिससे सरकारी कंपनियों को बाहर कर दिया गया। इसका सीधा असर सरकारी राजस्व पर पड़ा और ₹2,002 करोड़ का नुकसान हुआ। कई कंपनियों ने अपने लाइसेंस बीच में ही सरेंडर कर दिए, जिससे ₹890 करोड़ की संभावित इनकम चली गई। सरकार ने जोनल लाइसेंस धारकों को ₹941 करोड़ की छूट दी, जो नीति के खिलाफ था। CAG रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि आबकारी विभाग अवैध शराब कारोबार पर लगाम लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ। 65% जब्त की गई शराब देसी थी, यानी लोकल ब्रूअरी से बनी हुई थी, जो यह दिखाता है कि अवैध सप्लाई बड़े पैमाने पर हो रही थी।
मध्य प्रदेश के सागर जिले में आयोजित होने वाले 251 कन्या विवाह महोत्सव की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। यह आयोजन न केवल सामूहिक विवाह संस्कार बल्कि सामाजिक समरसता और सेवा-भावना का भी प्रतीक बनने जा रहा है। इस भव्य महोत्सव में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विशेष उपस्थिति इसे और ऐतिहासिक बना रही है। प्रशासन उनकी सुरक्षा, यातायात प्रबंधन और अतिथियों के स्वागत के लिए विशेष योजनाएं बना रहा है। इस महोत्सव में 251 आर्थिक रूप से कमजोर कन्याओं का विवाह विधि-विधान से संपन्न कराया जाएगा, जिससे जरूरतमंद परिवारों को एक बड़ी सहायता मिलेगी। इसके अलावा, देशभर से साधु-संत और प्रतिष्ठित हस्तियां इस पावन अवसर पर शामिल होंगी, जिससे यह आयोजन और भी भव्य हो जाएगा। इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य समाज के हर वर्ग को जोड़ना, सेवा-भावना को बढ़ावा देना और सामूहिक विवाह संस्कार की परंपरा को आगे ले जाना है।
इस आयोजन में बागेश्वर धाम की महत्वपूर्ण भूमिका है। बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मार्गदर्शन में उनके शिष्य मंडल इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित है। बागेश्वर धाम के शिष्य दिन-रात सेवा कार्यों में जुटे हुए हैं ताकि यह आयोजन सफल और यादगार बन सके। प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। यातायात प्रबंधन, स्वागत समारोह, विशेष अतिथियों के लिए मंच, भव्य पंडाल निर्माण और अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। राष्ट्रपति के आगमन के कारण सुरक्षा के उच्च स्तर के मानक अपनाए गए हैं, जिससे कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में बागेश्वर धाम पहुंचे, जहां उन्होंने बालाजी मंदिर में दर्शन-पूजन किया और कैंसर हॉस्पिटल की आधारशिला रखी। पीएम मोदी के इस दौरे ने बागेश्वर धाम को और अधिक सुर्खियों में ला दिया। इस दौरान एक दिलचस्प किस्सा भी सामने आया, जब पीएम मोदी ने धीरेंद्र शास्त्री की माताजी की "पर्ची" खोल दी। मंच से बाबा शास्त्री ने बताया कि पीएम मोदी ने मजाक में कहा कि उनकी माताजी के मन में यह चल रहा है कि उनके बेटे का विवाह हो जाए। यह सुनते ही पंडाल में मौजूद हजारों लोगों ने जोरदार ठहाके लगाए और पूरा माहौल हंसी-खुशी से भर गया। इस पर बाबा शास्त्री ने भी मजाक में पीएम मोदी से कहा, "हम जानते हैं कि आप हमारी शादी में नहीं आ सकते, लेकिन इस हॉस्पिटल के उद्घाटन पर जरूर आइएगा।