हमलावर की चाकूबाजी से तीन की मौत
पश्चिमी जर्मनी के शहर जोलिंगन में चाकूबाजी की एक वारदात में तीन लोगों की मौत हो गई है और चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। खबरों के अनुसार हादसे की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर इमरजेंसी क्रू पहुंच गए, जहां क्रू के सदस्यों ने घायलों का इलाज किया। फेस्टिवल के आयोजकों में से एक फिलिप मुलर ने कहा कि कई इमरजेंसी क्रू गंभीर रूप से घायल लोगों की जान बचाने की कोशिश में लगे हैं। हमला सिटी सेंटर में रात दस बजे हुआ और हमलावर अब भी फरार बताया जा रहा है। एक स्थानीय वेबसाइट के मुताबिक हमलावर ने राह चलते लोगों पर जहां-तहां हमले किए। पुलिस ने हमलावर की तलाश में बड़ा अभियान शुरू किया है, संदिग्ध हमलावर की तलाश में पुलिस ने 40 टैक्टिकल व्हीकल तैनात किए हैं। बता दे, इस अभियान को स्पेशल टास्क फोर्स के अफसर के निर्देश में किया जा रहा है। पुलिस ने घटनास्थल की घेरेबंदी की है और फ्रॉनहॉफ बाजार के इलाके को खाली करने के आदेश दिए है। सड़कों की नाकाबंदी कर दी गई है और पुलिस के तलाशी अभियान को देखते हुए लोगों को घरों के अंदर रहने के लिए कहा गया है।
फेस्टिवल में कई हजार लोगों की मौजूदगी थी
खबर के अनुसार समारोह तीन दिन तक चलना था और शहर में हर रात 25 हजारों लोगों के आने की उम्मीद थी। उन्होंने बताया कि शहर लोगों से भरा हुआ था। इवेंट के लिए कई हजार लोग जमा थे, पर अब इस जानलेवा हादसे के बाद ये उत्सव रोक दिया गया है। बता दें, जोलिंगन जर्मनी का राइनलैंड-वेस्टफेलिया स्थित शहर है और ये शहर अपने इस्पात उद्योग के लिए जाना जाता है। शहर की आबादी करीब 1,60,000 के आस-पास है।
युद्ध के बीच कैसे निपटेगा देश इस महामारी से?
युद्धग्रस्त गजा में पिछले 25 साल बाद पोलियो का मामला सामने आया है और अब इसकी पुष्टि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने भी की है। अधिकारियों ने बताया है कि पोलियो की चपेट में आने से 10 महीने का एक बच्चा आंशिक तौर पर लकवाग्रस्त हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक गजा के 10 महीने के बच्चे को पोलियो का टीका नहीं लगाया गया था और पोलियो वायरस का फैलाव अक्सर सीवेज और गंदे पानी के चलते होता है, जिससे कि लकवा होने का खतरा भी होता है। गजा में जून के महीने के दौरान लिए गए पानी के नमूनों में टाइप 2 पोलियो वायरस मिला था। बता दें, यह वायरस ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर हमला करता है।
WHO शुरू करेगा टीकाकरण कार्यक्रम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयासस ने इस मामले को लेकर कहा कि वे गंभीर रूप से चिंतित हैं और संगठन की तरफ से आने वाले हफ्तों में टीकाकरण कार्यक्रम को शुरू करने की कोशिशें जारी हैं। मानवाधिकार संस्थाओं ने गजा में पोलियो के फैलाव को लेकर युद्ध की वजह से टीकाकरण कार्यक्रमों में आ रही रुकावट को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र 10 साल से कम आयु के करीब छह लाख से भी ज्यादा बच्चों को टीका लगाने के लिए एक हफ्ते के युद्ध विराम का दबाव भी बना रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का कहना है कि गजा में लाखों बच्चे जोखिम में हैं, ऐसे में टीकाकरण अभियान की कामयाबी के लिए गजा में स्वाथ कर्मियों का होना जरूरी है। WHO ने गजा में टीके की 1.6 मिलियन डोज जारी करने की मंजूरी भी दे दी है।
विवाद का कारण बना डंबूर बांध
भारत का पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा बीते तीन दशकों के बाद आने वाली सबसे भयावह बाढ़ से जूझ रहा है, जिसकी जानकारी राज्य सरकार ने जानकारी दी है। त्रिपुरा सरकार के एक मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगस्त महीने के दौरान अब तक सामान्य से 151 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है। राज्य प्रशासन ने जानकारी देते हुए बताया है कि इस बाढ़ से अब तक कम से कम 24 लोगों की मौत हो चुकी है और दो लोग लापता भी बताए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने बताया है कि राज्य में बीते चार दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है, जिसकी वजह से विभिन्न इलाकों में करीब 17 लाख लोग बाढ़ की चपेट में आएं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ गोमती जिले में ही इस महीने के दौरान 656.6 मिमी बारिश हो चुकी है और यह स्वाभाविक बारिश (196.5 मिमी) के मुकाबले 234 प्रतिशत ज्यादा है। गोमती पनबिजली केंद्र के तहत दम्बुर बैराज इसी जिले में है।
बाढ़ के बीच सड़क पर दिखे मुख्यमंत्री माणिक साहा
राजधानी अगरतला समेत राज्य के ज्यादातर इलाके पानी में डूबे हैं और इसके साथ ही हावड़ा, खोवाईस मुहूरी और ढालाई समेत राज्य की तमाम नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। भारतीय मौसम विभाग ने राज्य के तीन जिलों में रेड अलर्ट और बाकी में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक साहा ने राजधानी अगरतला में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का द्वारा करने के बाद पत्रकारों को बताया कि राज्य प्रशासन युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुट है। राज्य के राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में खोले गए 450 राहत शिविरों में फिलहाल 65 हजार से ज्यादा लोग रह रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि बचाव कार्य के लिए दो हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन की कई अतिरिक्त टीमें भी राज्य में पहुंच गई हैं। इसके अलावा राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें, असम राइफल्स और त्रिपुरा स्टेट राइफल्स के जवान भी राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।
मौसम विभाग ने भारी बारिश और वज्रपात की भविष्यवाणी की
विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बांग्लादेश के उत्तरी इलाके में पैदा होने वाले हवा के निम्न दबाव की वजह से त्रिपुरा और मिजोरम के कुछ इलाकों में अति भारी बारिश हो सकती है और कुछ जगहों पर वज्रपात के साथ बारिश की भविष्यवाणी की है। इसकी वजह से पूर्वोत्तर के कई राज्यों में फ्लैश फ्लड (अचानक आने वाली बाढ़) की भी आशंका बनी हुई है। विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बांग्लादेश के उत्तरी इलाके में पैदा होने वाले हवा के निम्न दबाव इसका कारण है। वहीं, बांग्लादेश के अखबारों में छपी खबरों में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल से सटे पर्वतीय राज्य सिक्किम से निकलने वाली तीस्ता नदी का जलस्तर भी खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।
डंबूर बांध को लेकर क्या है विवाद?
कई बांग्लादेशी संगठन अपने देश में आई बाढ़ के पीछे भारत को जिम्मेदार मानते है। इन संगठनों का दावा है कि त्रिपुरा के दम्बुर जलविद्युत परियोजना के बांध को खोल दिया गया, इस कारण बांग्लादेश में बाढ़ आई है। बांग्लादेश के इस दावे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है, जिसमें मंत्रालय ने कहा है कि बांग्लादेश में बाढ़ की मौजूदा स्थिति पर यह चिंता जताई गई है कि यह त्रिपुरा में गुमती नदी पर बने दम्बुर बांध के खोलने से पैदा हुई है, जबकी यह पूरी तरह से सही नहीं है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत और बांग्लादेश से होकर बहने वाली गुमती नदी के तटीय इलाकों में इस साल भारी बारिश हुई है और इन इलाकों से नीचे की ओर जाने वाले पानी की वजह से ही बाढ़ आई है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि त्रिपुरा दम्बुर बांध बांग्लादेश की सीमा से 120 किलोमीटर दूर है और यह एक छोटी ऊंचाई वाला बांध है जो बांग्लादेश को भी 40 मेगावॉट की बिजली सप्लाई करता है।
भारत के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन ने शनिवार को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट से संन्यास का एलान कर दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट के सभी फॉर्म से रिटायरमेंट लेने का एलान किया है। आपको बता दें, धवन ने आखिरी बार भारत के लिए 2022 में वनडे सीरीज खेला था। लेकिन बाद में वो शुभमन गिल और दूसरे युवा बल्लेबाजों के प्रदर्शन के कारण टीम में अपनी जगह गंवा बैठे। धवन ने अपने कर्रिएर में भारत के लिए 34 टेस्ट, 167 वनडे और 68 टी-20 मैच खेले हैं। 50 ओवरों के वनडे मैच में उन्होंने अब तक 6793 रन बनाए हैं और जिसमें उनका औसत 44.11 रन का रहा है। उन्होंने टेस्ट मैचों में 40.61 रन के औसत से 2315 रन बनाए हैं।
रिटायरमेंट के एलान पर धवन ने क्या कहा?
धवन ने सोशल मीडिया पर अपने संन्यास का एलान किया। उन्होंने कहा, आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा हूं जहां से पीछे देखने पर सिर्फ यादें ही दिखती हैं और आगे देखने पर पूरी दुनिया। मेरी हमेशा से एक ही मंजिल थी, इंडिया के लिए खेलना और वो हुआ भी, जिसके लिए मैं कई लोगों को शुक्रगुजार हूँ। उन्होंने आगे कहा, लेकिन कहते हैं ना कहानी में आगे बढ़ने के लिए पन्ने पलटना ज़रूरी है, तो बस, मैं भी ऐसा ही करना जा रहा हूं। मैं अंतरराष्ट्रीय और डोमेस्टिक क्रिकेट से अपनी रिटायरमेंट का एलान कर रहा हूँ। शिखर धवन ने कहा, आज जब मैं अपनी क्रिकेट जर्नी को अलविदा कह रहा हूं तो मेरे दिल में एक सुकून है कि मैं अपने देश के लिए बहुत खेला। मैं बहुत शुक्रगुजार हूँ BCCI और DDCA का, जिन्होंने मुझे मौका दिया और मेरे सारे फैन्स का, जिन्होंने मुझे इतना प्यार दिया।
पंजाब किंग्स ने धवन की पारियों को याद किया
उनके रिटायरमेंट के एलान के बाद पंजाब किंग्स ने उनकी पारियों को याद करते हुए लिखा- रन, ट्रॉफियां और अनगिनत यादें, हैप्पी रिटायरमेंट गब्बर। अपनी जिंदगी की अगली पारी में धमाकेदार शुरुआत का बेसब्री से इंतजार है। आपको बता दें, इस साल आईपीएल 2024 के दौरान धवन पंजाब किंग्स की कप्तानी करते दिखे थे। धवन ने भारत के लिए 269 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले, जिसमें उनके नाम 24 शतक हैं और टीम के साथी खिलाड़ी उन्हें 'गब्बर' नाम से पुकारते रहे हैं। रोहित शर्मा के साथ उनकी सलामी बल्लेबाज के तौर पर जोड़ी बनी। सचिन तेंदुलकर और सौरभ गांगुली के बाद ये भारत की सबसे सफल सलामी बल्लेबाज़ जोड़ी साबित हुई। सलामी बल्लेबाज की जोड़ी के तौर पर उन्होंने वनडे क्रिकेट की चौथी सबसे अच्छी पारी खेली थी।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए भाद्रपद के महीने में जन्माष्टमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। अगर आप इस शुभ अवसर पर लड्डू गोपाल का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो पूजा के दौरान जन्माष्टमी व्रत कथा का पाठ जरूर करें, इससे साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
क्या है जन्माष्टमी व्रत की कथा?
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा में कंस नाम का राजा अधिक अत्याचारी शासन किया करता था, इससे ब्रजवासी परेशान हो गए थे। राजा अपनी बहन को अधिक प्यार किया करता था। कंस ने अपनी बहन की शादी वासुदेव से कराई, जिस समय वो अपनी बहन देवकी और वासुदेव को अपने रथ पर उनके राज्य लेकर जा रहा था, तो उस दौरान एक आकाशवाणी हुई- 'हे कंस! तू अपनी बहन को ससुराल छोड़ने के लिए जा रहा है, उसके गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान ही तेरी मौत की वजह बनेगी। आकाशवाणी सुनकर कंस को क्रोध आया और वो वसुदेव को मारने बढ़ा। ऐसे में देवकी ने अपने पति को बचाने के लिए कंस से कहा कि जो भी संतान जन्म लेगी, मैं उसे आपको सौंप दूंगी। इसके बाद कंस ने दोनों को बंधक बनाकर कारागार में डाल दिया।
भगवान विष्णु ने कारागार में कृष्ण अवतार में जन्म लिया
कारागार में ही रह कर देवकी ने एक-एक करके सात बच्चों को जन्म दिया, परंतु कंस ने सभी संतान को मार दिया। योगमाया ने सातवीं संतान को संकर्षित कर माता रोहिणी के गर्भ में पहुंचा दिया था। इसके पश्चात माता देवकी ने आठवीं संतान को जन्म दिया। आठवीं संतान के रूप में भगवान विष्णु कृष्णावतार के रूप में अवतरित हुए। उसी दौरान रोहिणी की बहन माँ यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया। इस बीच देवकी के कारागार में प्रकाश हुआ और जगत के पालनहार भगवान विष्णु अवतरित हुए। श्रीहरि ने वासुदेव से कहा कि इस संतान को आप नंद जी के घर ले जाओ और और वहां से उनकी कन्या को यहां लाओ।
जब कंस ने कन्या को मारने का किया प्रयास?
वासुदेव ने प्रभु के आदेश का पालन किया। नंद जी के यहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आ गए। जब देवकी के भाई कंस को आठवीं संतान होने की खबर मिली, तो वह तुरंत कारागार पहुंचा और देवकी से कन्या को छीनकर नीचे पटकना चाहा, परंतु वह कन्या उसके हाथ में से निकलकर आसमान की ओर चली गई। इस दौरान कन्या ने कहा कि 'हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है। अब तुझे तेरे को पापों की सजा अवश्य मिलेगी। वह कन्या कोई और नहीं, स्वयं योग माया थीं और इस तरह जेल में हुआ नंदलाला भगवन श्री कृष्ण का जन्म।