65 साल पुरानी 'सिंधु जल संधि' अब इतिहास बन चुकी है। भारत सरकार ने पाकिस्तान को एक आधिकारिक पत्र सौंपते हुए साफ़ कर दिया है अब सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी नदियों का पानी यूँ ही बहकर सरहद पार नहीं जाएगा। आतंक का रास्ता पानी से होकर नहीं गुजरेगा। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा को भेजे गए पत्र में स्पष्ट शब्दों में लिखा है अब सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है। पत्र में दो टूक कहा गया “किसी भी संधि का मूल आधार होता है विश्वास। लेकिन पाकिस्तान ने इस विश्वास का बार-बार मज़ाक उड़ाया है। सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देकर, जम्मू-कश्मीर को बार-बार निशाना बनाकर और बातचीत से इनकार करके, पाकिस्तान ने खुद इस संधि की नींव को खोखला किया है।” भारत ने यह भी कहा कि उसने कई बार औपचारिक बातचीत का प्रयास किया, लेकिन पाकिस्तान ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई। और अब, जब हालात नासूर बन चुके हैं, तो कोई भी संधि सिर्फ काग़ज़ का टुकड़ा रह जाती है। कूटनीति से आगे बढ़कर भारत ने दिखा दिया कि ‘पानी-पानी’ की बात अब सिर्फ कहावत नहीं रही। इस पत्र के ज़रिए भारत ने संधि के अनुच्छेद XII(3) के तहत इसकी समीक्षा और संशोधन की मांग भी की है। भारत का कहना है कि 1960 में जब यह संधि हुई थी, तब देश की जनसंख्या, संसाधन और ज़रूरतें कुछ और थीं। लेकिन आज देश की परिस्थितियां बदल चुकी हैं, और पाकिस्तान के रवैये ने इस संधि को अप्रासंगिक बना दिया है। इधर भारत ने पानी रोका, उधर पाकिस्तान में बौखलाहट का सैलाब आ गया। 24 अप्रैल को इस्लामाबाद में नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NCS) की आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें सिंधु जल संधि को रोकने के फैसले को “Act of War” यानी "युद्ध की घोषणा" करार दिया गया। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि अगर भारत ने पानी रोका, तो वह हर संभव जवाब देगा। भारत की तरफ से संदेश साफ है "जब तक सीमा पार आतंकवाद जारी रहेगा, तब तक पानी भी सरहद पार नहीं जाएगा।" ये केवल एक रणनीतिक निर्णय नहीं है, यह भारत की बदली हुई विदेश नीति का प्रतिबिंब है। 1960 की संधि के तहत सतलुज, रावी और ब्यास की नदियाँ भारत को दी गई थीं, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान के हिस्से में गईं। भारत इन पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग कर सकता था, लेकिन अब यह सीमाएं फिर से खींची जाएंगी। अब ये सिर्फ़ पानी की लड़ाई नहीं, ये सिद्धांतों की लड़ाई है। अब हर बूँद का हिसाब होगा। अब पाकिस्तान को तय करना होगा उसे खून की नदियाँ चाहिए या ज़िंदा रहने के लिए बहता पानी।
धर्म के नाम पर मौत बांटने वालों को अब उनका अंजाम मिलना शुरू हो गया है। जिस आदिल शाह ने हिंदू श्रद्धालुओं पर गोलियां बरसाईं, आज उसी के घर पर बुलडोजर गरजा। जम्मू-कश्मीर पुलिस और भारतीय सेना के संयुक्त ऑपरेशन में दो आतंकियों – आदिल और आसिफ के घरों को नेस्तनाबूद कर दिया गया है।
सुरक्षाबलों की एक टीम जैसे ही आदिल के घर की तलाशी लेकर बाहर निकली, तभी जोरदार धमाका हुआ। गनीमत रही कि सुरक्षाकर्मी पहले ही बाहर आ चुके थे। जानकारी के मुताबिक, घर के भीतर भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री छुपाई गई थी।
इसी तरह त्राल में आतंकी आसिफ के घर में छापेमारी के दौरान विस्फोटक जखीरा बरामद हुआ। सेना ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए दोनों के घरों को ध्वस्त कर दिया। यही नहीं, आसपास के गांवों में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद कड़े शब्दों में कहा था कि "दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा" और अब वही वादा जमीनी कार्रवाई में तब्दील हो गया है। आतंकियों की पहचान होते ही एनआईए, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना ने व्यापक अभियान छेड़ दिया। अब तक 2000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और कई को हिरासत में लिया गया है। सुरक्षाबलों की जांच में साफ हो गया है कि आदिल और आसिफ लश्कर-ए-तैयबा के सक्रिय सदस्य थे। पहलगाम हमले के कुछ घंटे बाद जो वीडियो वायरल हुआ था, उसमें यही दोनों सुरक्षा बलों को चुनौती देते नजर आए थे। भारत अब उस चुनौती का जवाब दे रहा है बुलडोजर से, बम से और बंदूक से। हमले में इनमें से 25 हिंदू श्रद्धालु थे, जो अमरनाथ यात्रा की तैयारी में थे। गुरुवार को देशभर में उन शहीदों को अंतिम विदाई दी गई, सेना, एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस का मानना है कि हमले में शामिल बचे हुए आतंकी अब भी आसपास के जंगलों में छिपे हो सकते हैं। ड्रोन, स्निफर डॉग्स और खुफिया टीमों के साथ ऑपरेशन जारी है। इस बार कोई सुराग नहीं बचेगा, कोई आतंकी नहीं बचेगा।