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Breaking News 24 October 2025

1 ): Viral Modi–Putin Assassination News: सच या साजिश?

इन दिनों सोशल मीडिया, खासकर ‘X’ पर एक चौंकाने वाली खबर हलचल मचा दी है। दावा किया जा रहा है कि एक अमेरिकी नागरिक, जिसकी बांग्लादेश में अगस्त में मौत हुई, असल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के मिशन पर था। यह दावा सुनने में भले किसी थ्रिलर फिल्म जैसा लगे, लेकिन सोशल मीडिया पर इस बात को हज़ारों लोग सच शेयर कर रहे हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...31 अगस्त को ढाका के प्रतिष्ठित वेस्टिन होटल के कमरा नंबर 808 में अमेरिकी नागरिक टेरेंस आर्वेले जैक्सन का शव मिला। जैक्सन कोई साधारण व्यक्ति नहीं था रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह यूएस आर्मी की 1st Special Forces Command (Airborne) में कमांड इंस्पेक्टर जनरल के पद पर था। उसकी मौत की खबर सामने आते ही इंटरनेट पर तरह-तरह की कन्सपिरेसी थ्योरीज़ फैलने लगीं। कुछ पोस्ट्स का दावा था कि भारतीय खुफिया एजेंसियों ने रूस की सूचना पर कार्रवाई करते हुए जैक्सन को “खत्म” किया, क्योंकि वह पीएम मोदी की हत्या की साजिश में शामिल था। वायरल थ्योरी का एक और रोचक पहलू है  उसी समय, यानी 31 अगस्त और 1 सितंबर को पीएम मोदी चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल थे। दावा यह है कि बैठक के बाद जब मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक ही कार में जा रहे थे, तब पुतिन ने मोदी को कथित तौर पर चेताया कि “आप पर एक विदेशी साजिश रची जा रही है।” कहा यह भी गया कि उसी बातचीत के बाद मोदी ने R&AW को इस जानकारी की जांच का आदेश दिया, और एजेंसी ने पता लगाया कि टेरेंस जैक्सन बांग्लादेश में एक सीक्रेट मिशन पर था, जिसका लक्ष्य मोदी थे। हालांकि, इन दावों की पुष्टि किसी भी आधिकारिक स्रोत ने नहीं की है।

 जैक्सन कौन था और बांग्लादेश में क्या कर रहा था?

उपलब्ध जानकारी के अनुसार, जैक्सन ने अमेरिकी सेना में दो दशकों से अधिक सेवा दी थी। उसकी LinkedIn प्रोफ़ाइल बताती है कि वह एक स्पेशल फोर्सेज ऑफिसर था। कहा जाता है कि वह अप्रैल 2024 में “बिज़नेस ट्रिप” पर बांग्लादेश आया था और “सरकारी कार्य” के सिलसिले में यात्रा कर रहा था। यहीं से सोशल मीडिया ने “सरकारी कार्य” को “गुप्त मिशन” में बदल दिया और कहानी को साजिश का रंग दे दिया। 1 सितंबर को 1st Special Forces Command के प्रवक्ता ने इस खबर को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा “जिस अधिकारी की बात की जा रही है, वह जीवित है और वर्तमान में अमेरिका में तैनात है।” इसके बाद 4 सितंबर को लेफ्टिनेंट कर्नल ऐली स्कॉट ने भी बयान जारी किया 
“यह पूरी कहानी फर्जी है। हमारे सभी अधिकारी अपनी पोस्ट पर हैं और ढाका में अमेरिकी सेना का कोई ऑपरेशन नहीं चल रहा।” यानि, अमेरिकी सेना ने इन सभी वायरल दावों को “पूरी तरह मनगढ़ंत” करार दिया।


तो आखिर असल सच्चाई क्या है?

अब तक इस घटना को लेकर भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही किसी स्वतंत्र जांच ने इन वायरल दावों की पुष्टि की है। फिलहाल, अमेरिकी सेना का बयान ही एकमात्र पुष्ट जानकारी है, जिसने इन खबरों को फेक न्यूज़ बताया है। यह पूरा मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि इंटरनेट पर “थ्रिलर” फैलाना आसान है, पर सत्य की पुष्टि कठिन। एक रहस्यमयी मौत को “ग्लोबल साजिश” में बदलने में बस कुछ ट्वीट्स और एडिटेड स्क्रीनशॉट्स ही काफी होते हैं। इसलिए, ज़रूरत है कि हर नागरिक संदेह के साथ विवेक भी रखे किसी भी सनसनीखेज दावे को शेयर करने से पहले तथ्यों की जांच ज़रूर करे। subscribe करें ग्रेट पोस्ट न्यूज.