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Breaking News 24 May 2025

1.) The Indigo 6E-2142 Crisis.......

11 किलोमीटर की ऊंचाई पर हवा में लहराते एक विमान में बैठे 200 से अधिक लोगों को क्या मालूम था कि उनका यह सफर न सिर्फ भौगोलिक सीमाओं को छूने वाला है, बल्कि कूटनीतिक और सैन्य उलझनों की दीवार से भी टकराएगा। बुधवार को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E-2142 जब मौसम के रौद्र रूप में फँसी, तब उसकी ज़िंदगी की डोर न सिर्फ एक प्रशिक्षित पायलट के हाथ में थी, बल्कि एक देश की रणनीतिक सूझबूझ और सैन्य तत्परता पर भी टिकी थी।

आसमानी आफ़त: जब उड़ान बनी उथल-पुथल का मैदान

घटना की शुरुआत तब हुई जब विमान ने दिल्ली से नियमित उड़ान भरी। लेकिन जैसे ही फ्लाइट जम्मू-कश्मीर की वायुसीमा के नजदीक पहुंची, बादलों के बीच बिजली की गर्जना, अचानक तेज़ ओलावृष्टि और खतरनाक टर्बुलेंस ने पायलटों को चौंका दिया। यात्रियों के चेहरों पर डर साफ झलक रहा था—आशंका, बेचैनी और दहशत ने 30,000 फीट की ऊँचाई को एक अनिश्चित मौत की छाया में बदल दिया था। पायलटों को जल्द ही ये समझ आ गया कि विमान इस तूफान से सीधे नहीं लड़ सकता। उन्हें रास्ता बदलना ही होगा। लेकिन इस बार रास्ता कोई आम वैकल्पिक रूट नहीं था—यह रास्ता भारत-पाक संबंधों के सबसे संवेदनशील पहलुओं से जुड़ा था। इंडिगो के पायलटों ने मौसम से बचाव के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र में कुछ मिनटों के लिए प्रवेश की अनुमति मांगी। यह कोई युद्धक विमान नहीं था, यह एक आम नागरिक फ्लाइट थी, जिसमें महिलाएं, बच्चे, बुज़ुर्ग—हर वर्ग के लोग थे। लेकिन लाहौर एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने साफ शब्दों में इस अनुरोध को ठुकरा दिया। कारण था—11 मई से पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर रखा है। वजह? कश्मीर घाटी में हुए पहुलगाम आतंकी हमला और भारत की तरफ से शुरू किया गया 'ऑपरेशन सिंदूर', जिसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव चरम पर है।

भारतीय वायुसेना का हस्तक्षेप

विमान के पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश से मना होने के बाद पायलटों ने तुरंत दिल्ली स्थित फ्लाइट इंफॉर्मेशन क्लीयरेंस (FIC) से संपर्क किया, और उन्होंने भारतीय वायुसेना की उत्तरी कमान से मदद मांगी। वायुसेना ने किसी औपचारिक अनुमति का इंतज़ार नहीं किया, उन्होंने पायलटों को तूफान से बाहर निकलने में हर संभव मदद दी। पायलटों को तेजी से एक वैकल्पिक मार्ग सुझाया गया, जिससे वे श्रीनगर की ओर बढ़ सके। इस बीच भारतीय वायुसेना के कंट्रोल रूम ने दिल्ली एटीसी के साथ मिलकर हर सेकंड समन्वय किया। यह सिर्फ एक विमान को लैंड कराने की कोशिश नहीं थी, यह समय और संवेदनशीलता की परीक्षा थी।
एक समय ऐसा भी आया जब पायलटों ने सोचा कि फ्लाइट को वापस दिल्ली ले जाना ही बेहतर विकल्प होगा। लेकिन तब तक तूफान का दायरा इतना बढ़ चुका था कि दिल्ली लौटना खुद को खतरे में डालने जैसा होता। ऐसे में पायलटों ने श्रीनगर की ओर जाने का निर्णय लिया। ये सिर्फ एक निर्णय नहीं था, यह उस हौसले और विवेक का परिणाम था जो हजारों घंटे की ट्रेनिंग और संकट में लिए गए सेकंडों के फैसलों से बनता है। अंततः फ्लाइट ने श्रीनगर एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंडिंग की। यह सिर्फ एक विमान की लैंडिंग नहीं थी, यह 200 से ज्यादा जिंदगियों की वापसी थी। लैंडिंग के बाद जब फ्लाइट की जांच की गई, तो उसके अगले हिस्से में गंभीर नुकसान पाया गया। मगर राहत की बात यह रही कि किसी भी यात्री या चालक दल के सदस्य को कोई शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचा। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने तुरंत घटना की जांच शुरू कर दी है। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) की बारीकी से जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि पायलटों ने किस तरह से तूफान में नेविगेट किया, किस बिंदु पर पाकिस्तान से संपर्क किया गया और किस समय भारतीय वायुसेना ने नियंत्रण अपने हाथ में लिया। इस पूरी घटना ने एक गंभीर और नैतिक प्रश्न खड़ा किया है—क्या एक नागरिक विमान, जिसमें निर्दोष नागरिक सवार हों, उसे भी सैन्य तनाव का शिकार होना पड़ेगा? क्या संकट के समय भी राजनीतिक सीमाओं को प्राथमिकता दी जाएगी? क्या एक पड़ोसी देश मानवीय संवेदना को नजरअंदाज़ कर सकता है?

 

2.)  IPL 2025 में अब तक का सबसे बड़ा तमाशा

बैंगलोर और हैदराबाद की भिड़ंत में नतीजा सिर्फ स्कोरबोर्ड तक सीमित नहीं रहा... जुर्मानों की आंधी भी चली, और इस तूफान में सबसे बड़ा झटका झेला RCB के कार्यवाहक कप्तान रजत पाटीदार ने! IPL जैसे हाई-टेंशन टूर्नामेंट में जहां हर रन, हर बॉल और हर सेकंड का हिसाब होता है, वहीं टाइमिंग की एक मामूली सी चूक अब करोड़ों में खेल रही टीमों पर भारी पड़ रही है। रविवार की शाम जब बैंगलोर और हैदराबाद आमने-सामने थे, मैदान पर रोमांच अपने चरम पर था। हाई स्कोरिंग मुकाबला, चौकों-छक्कों की बहार, और फिर अचानक—IPL की आचार संहिता ने खींच दी टीमों के खिलाफ कार्रवाई की लकीर।सनराइजर्स हैदराबाद के कप्तान पैट कमिंस पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। वजह साफ थी – ओवर रेट की लापरवाही। ये इस सीज़न में SRH की पहली गलती थी, इसलिए IPL कोड ऑफ कंडक्ट की धारा 2.22 के तहत सिर्फ चेतावनीनुमा जुर्माना लगा। लेकिन ये साफ संकेत है कि अगली बार यह गलती कमिंस के करियर चार्ट पर एक दाग भी बन सकती है। अब आइए असली कहानी पर—रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की। पहले ही खिताबी दौड़ से बाहर हो चुकी टीम जब मैदान पर उतरी, तो उनके लिए यह मैच सिर्फ प्रतिष्ठा का नहीं था, बल्कि सिस्टम को दिखाने का था कि वे अभी भी संघर्ष करना जानते हैं। लेकिन मैदान पर जो हुआ, उसने क्रिकेट की रणनीति को भी शर्मिंदा कर दिया। इशान किशन की 94 रनों की विस्फोटक पारी ने RCB की रणनीति को ध्वस्त कर दिया। 231 रनों के विशाल लक्ष्य के जवाब में RCB ने जोरदार शुरुआत की, लेकिन अचानक उनका बैटिंग ऑर्डर बिखर गया। पूरी टीम 189 रन पर सिमट गई और मुकाबला 42 रन से हैदराबाद के नाम हो गया। इतना ही नहीं, इम्पैक्ट प्लेयर सहित प्लेइंग इलेवन के हर सदस्य पर या तो 6 लाख रुपये या फिर उनकी मैच फीस का 25 प्रतिशत (जो भी कम हो) का जुर्माना लगाया गया। बॉल दर बॉल सटीक प्लानिंग की बात करने वाली टीमों की हालत ये है कि टाइम ही नहीं पकड़ पा रहीं। क्या अब IPL में जीतने के लिए टाइम मैनेजमेंट सबसे बड़ी स्किल बन गई है? सूत्रों के अनुसार, यह ओवर रेट की गलती असल में टीम के प्लानिंग यूनिट की थी, जिसमें मैच के दौरान सही टाइम मैनजमेंट नहीं हुआ। लेकिन इसकी सजा सीधे कप्तान को मिली—यानी रजत पाटीदार, जो इस सीजन में पहली बार नेतृत्व संभाल रहे थे। कप्तानी का ये ‘डेब्यू जुर्माना’ इतना भारी पड़ा कि अब पाटीदार के लिए कप्तानी से ज्यादा टाइमर की टिक-टिक अहम हो गई है।

 

3.) कोरोना केस फिर क्यों बढ़ रहे हैं?

2020 से 2022 तक जिसने पूरी दुनिया को थमा दिया था, वही कोरोना वायरस एक बार फिर भारत के दरवाज़े पर दस्तक दे चुका है—इस बार नए रूप और अंदाज़ में। JN.1, NB.1.8.1 और LF.7 जैसे नए वैरिएंट्स अब चिंता की नई इबारत लिख रहे हैं। दिल्ली से लेकर केरल, बेंगलुरु से गाजियाबाद, और मुंबई से अहमदाबाद तक—भारत एक बार फिर संक्रमण के चक्रव्यूह में घिरता दिख रहा है।

अलर्ट मोड में राजधानी

राजधानी दिल्ली में अब तक 23 सक्रिय केस सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने खुद स्थिति की समीक्षा की और अस्पतालों को सतर्क रहने का निर्देश दिया। यह मामले निजी लैब से रिपोर्ट हुए हैं, जो एक बार फिर जांच की पारदर्शिता और व्यापकता पर सवाल खड़े करता है। कर्नाटक की राजधानी में एक 9 महीने की बच्ची कोविड पॉजिटिव पाई गई है। वाणी विलास अस्पताल में भर्ती यह बच्ची, होसकोटे की निवासी है। इस अकेली घटना ने बता दिया है कि वायरस अब केवल बुजुर्गों या बीमारों तक सीमित नहीं है। केरल में अब तक 273 नए मामले, जिनमें सबसे ज्यादा कोट्टायम से (82), सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने सभी जिलों में निगरानी बढ़ाने का आदेश दिया है। दक्षिण-पूर्व एशिया में मामलों में वृद्धि के बाद केरल ने पहले से ही चौकसी बढ़ा दी है। जनवरी से अब तक 6,819 सैंपल की जांच में 210 पॉजिटिव केस, जिनमें से 183 अकेले मुंबई से हैं। 23 मई को एक ही दिन में 45 नए केस सामने आए। मुंबई जैसे व्यस्त महानगर में यह संख्या खतरे की घंटी है।
गाजियाबाद में 4 नए मामले, जिनमें एक 18 वर्षीय युवती और एक बुज़ुर्ग दंपत्ति शामिल हैं। सारे केस ट्रांस-हिंडन क्षेत्र से सामने आए हैं। स्थिति पर नज़र रखी जा रही है, लेकिन यह स्पष्ट है कि संक्रमण अब फिर से स्थानीय स्तर पर फैल रहा है हरियाणा में 4 सक्रिय मामले हैं और सभी मरीज पहले से टीकाकृत हैं। वहीं गुजरात में 15 नए केस, जिनमें 13 अहमदाबाद शहर से हैं, JN.1 वैरिएंट से जुड़े हैं। अधिकारियों के अनुसार, वैरिएंट ओमिक्रॉन परिवार से है और कम घातक है, लेकिन इसकी संक्रामकता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। पिछली बार जब वायरस आया था, उसने जानें लीं, रोजगार छीना और जीवन की गति को रोक दिया। अब फिर वही दुहराव दिख रहा है, लेकिन इस बार समाज लापरवाह है। मास्क गायब हैं, सोशल डिस्टेंसिंग बीते दिनों की बात हो चुकी है और टीकाकरण की बूस्टर डोज़ की चर्चा कहीं खो चुकी है।

 

4.) Elon Musk’s Satellite Gamble in India: Opportunity Meets Challenge 

दुनियाभर में इंटरनेट कनेक्टिविटी की तस्वीर बदल देने वाली एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा Starlink अब भारत में धमाकेदार एंट्री की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो कंपनी भारत जैसे बड़े और तेजी से डिजिटल हो रहे बाजार में $10 यानी लगभग ₹840 प्रति माह की शुरुआती कीमत पर अनलिमिटेड डेटा प्लान लॉन्च कर सकती है। यह पेशकश खासतौर पर ग्रामीण और दूर-दराज़ क्षेत्रों को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही है, जहां आज भी ब्रॉडबैंड पहुंच एक सपना बनी हुई है।

कम कीमत, बड़ा दांव

विश्लेषकों का कहना है कि Starlink समेत अन्य सैटकॉम कंपनियां भारत में उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए प्रोमोशनल स्कीम के तहत बेहद सस्ती दरों पर सेवाएं दे सकती हैं। Analysys Mason के पार्टनर अश्विंदर सेठी के मुताबिक, “भले ही स्पेक्ट्रम और लाइसेंस फीस ऊंची हो, लेकिन कंपनियां अपने फिक्स्ड कॉस्ट को बड़े कस्टमर बेस के जरिए रिकवर करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। इसलिए शुरुआती कीमतें बेहद आकर्षक होंगी।” हालांकि Starlink को भारत में कदम जमाने के लिए कई नियामकीय बाधाओं से गुजरना होगा। TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) ने शहरी यूजर्स से ₹500 अतिरिक्त मासिक शुल्क लेने की बात कही है। इसके अलावा, सैटकॉम कंपनियों को अपने AGR (समायोजित सकल राजस्व) का 4%, और ₹3,500 प्रति MHz की दर से न्यूनतम वार्षिक शुल्क देना होगा। इतना ही नहीं, सेवाओं पर 8% लाइसेंस फीस भी लागू होगी। हालांकि इन प्रस्तावों को अभी सरकार की अंतिम मंजूरी मिलनी बाकी है।

तकनीकी सीमाएं भी बन सकती हैं दीवार

Starlink के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसकी मौजूदा सैटेलाइट क्षमता है। वर्तमान में Starlink के पास करीब 7,000 सैटेलाइट्स हैं, जो वैश्विक स्तर पर लगभग 40 लाख यूजर्स को सेवा दे रहे हैं। IIFL Research के अनुसार, अगर कंपनी भविष्य में 18,000 सैटेलाइट्स तक पहुंच भी जाए, तो 2030 तक भारत में सिर्फ 15 लाख यूजर्स को ही जोड़ पाएगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या Starlink भारत जैसे विशाल और घनी आबादी वाले देश की इंटरनेट भूख को पूरा कर पाएगा? इन तमाम चुनौतियों के बावजूद Starlink की एंट्री से उम्मीदें बड़ी हैं। भारत के टियर-2, टियर-3 शहरों और गांवों में, जहां आज भी इंटरनेट की स्पीड धीमी है या कनेक्टिविटी ही नहीं है, वहां Starlink ब्रॉडबैंड क्रांति ला सकता है। खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य और ई-गवर्नेंस जैसे क्षेत्रों में यह गेमचेंजर साबित हो सकता है।
एलन मस्क की Starlink भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखती है। लेकिन सफलता की राह में रेगुलेटरी बंधन, उच्च लागत, और तकनीकी सीमाएं जैसे रोड़े जरूर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या Starlink इन चुनौतियों को पार कर भारत के हर कोने तक इंटरनेट की रोशनी पहुंचा पाएगी, या फिर यह सपना फिलहाल कुछ चुनिंदा यूजर्स तक ही सीमित रह जाएगा।