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Breaking News 24 July 2025

1 )  ट्रंप ने शेयर किया ओबामा की गिरफ्तारी का वीडियो ! क्या ये A.I है? 

बराक ओबामा... अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति... हथकड़ी में... घुटनों पर बैठे हुए... और सामने FBI एजेंट्स! अब सांस थामकर पढ़िए ये सब असलियत में नहीं हुआ। लेकिन फिर भी लाखों लोगों ने इसे अपनी आंखों से देखा है। क्योंकि ये कोई आम वीडियो नहीं था... ये था AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) द्वारा बनाया गया एक “Deepfake” वीडियो, जिसे खुद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल प्लेटफॉर्म Truth Social पर पोस्ट किया है।

तो वीडियो में क्या दिखाया गया? वीडियो की शुरुआत होती है ओवल ऑफिस से, जहां ट्रंप और ओबामा मौजूद हैं। अचानक FBI के एजेंट कमरे में घुसते हैं, ओबामा को घुटनों पर बैठाते हैं। कैमरा पास आता है और हमें दिखता है  हथकड़ी! अगला सीन: ओबामा जेल की सलाखों के पीछे, नारंगी जेल ड्रेस में। ट्रंप मुस्कुरा रहे हैं, जैसे कोई जीत मिल गई हो। बैकग्राउंड में आवाज़ आती है “No one is above the law” यानी “कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।  पहली नज़र में वीडियो इतना असली लगता है कि सच और झूठ में फर्क करना नामुमकिन सा हो जाता है। AI से अब तक हमने क्या देखा?ai से मरे हुए लोगों को “ज़िंदा” होते देखा । शादी, बर्थडे और फॅमिली इमोशंस से भरे वीडियो देखे  पुराने फोटो को एनिमेट होते देखा लेकिन अब AI राजनीति का हथियार बन रहा है। इस वीडियो को ऐसे समय पर पोस्ट किया गया है, जब हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने बयान दिया था कि  “2016 में ट्रंप की जीत में रूस की भूमिका के दावों को लेकर ओबामा प्रशासन पर केस चलाया जाना चाहिए।” और उसी बयान के चंद दिन बाद  AI ने बना डाली ये कल्पना की गिरफ्तारी। इस वीडियो ने AI को एक नया चेहरा दे दिया है “फेक रियलिटी जनरेटर”। अब सवाल सिर्फ इतना नहीं रह गया कि  “ये वीडियो असली है या फर्जी?” अब सवाल बन गया है “जब झूठ इतनी सफाई से सच लगेगा, तो क्या लोकतंत्र बचेगा?” AI अब सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं रहा,
ये बन चुका है भ्रम की फैक्ट्री।  पहचानना हो रहा है मुश्किल...
सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने इसे लेकर कहा:  “ये वीडियो देख कर रोंगटे खड़े हो गए... कुछ सेकेंड्स तक तो मैं भी धोखा खा गया।  “AI की ताकत डराने लगी है अब... इस पर नियंत्रण ज़रूरी है।  “अगर ओबामा जैसा चेहरा नकली लग सकता है, तो आम आदमी का क्या होगा?” आज ये वीडियो एक झटका है, कल को यही हथियार बन जाएगा इलेक्शन में, कोर्ट में, मीडिया में, हमारे दिमाग में।

 

2.) Supreme Court vs Bombay High Court: 2006 Blast Case में किसका फैसला चलेगा?"

मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट, साल 2006। देश की आर्थिक राजधानी की नसों में दौड़ती लोकल ट्रेनों को 7 जगह निशाना बनाया गया। सिर्फ 11 मिनट में 7 धमाके। 189 लोग मारे गए, 800 से ज्यादा घायल। और अब, 19 साल बाद इस मामले में आए एक फैसले ने देश को चौंका दिया है।

 क्या है पूरा मामला?

21 जुलाई 2025 को Bombay High Court ने अपने फैसले में 12 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा"Prosecution इस बात को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा कि जिन 12 लोगों को पकड़ा गया था, वो असली गुनहगार थे।" कोर्ट ने ये भी जोड़ा कि सबूतों की कड़ी बेहद कमजोर थी, गवाहों के बयान विरोधाभासी थे, और Investigation flawed था। बकायदा आदेश दिया गया कि अगर ये आरोपी किसी और केस में वॉन्टेड नहीं हैं, तो इन्हें रिहा किया जाए। उसी शाम, नागपुर सेंट्रल जेल से दो आरोपियों को छोड़ा भी गया। महाराष्ट्र सरकार को यह फैसला गले नहीं उतरा। Solicitor General Tushar Mehta ने सीधे Supreme Court का दरवाजा खटखटाया। कहा, "मामला गंभीर है, इसमें नेशनल सिक्योरिटी का मसला जुड़ा हुआ है, कुछ आरोपी Pakistani nationals भी हैं।" फिर इस मामले में आज सुनवाई हुई, और सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया कि Bombay High Court के फैसले पर फिलहाल रोक लगाई जाती है। सभी 12 आरोपियों को Notice जारी कर जवाब मांगा गया है चार हफ्ते के भीतर। कोर्ट ने साफ कर दिया कि High Court का फैसला कोई कानूनी मिसाल नहीं माना जाएगा।जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन.के. सिंह की बेंच ने कहा  “मैंने फाइल पढ़ी है, कुछ आरोपी पाकिस्तानी नागरिक हैं। यह सिर्फ कानूनी नहीं, सीमा पार का मामला भी बनता है।”  तो जो आरोपी जेल से बाहर आ चुके, क्या उन्हें दोबारा गिरफ्तार किया जाएगा? जवाब है नहीं। Solicitor General ने साफ किया कि सरकार की मंशा फिलहाल उन्हें फिर से जेल भेजने की नहीं है। लेकिन चिंता इस बात की है कि इस तरह के फैसले बाकी मामलों पर असर डाल सकते हैं, खासकर मकोका और UAPA जैसे गंभीर कानूनों के तहत चल रहे केसों पर। Solicitor General ने यह भी कहा कि जांच एजेंसियों को इस फैसले से झटका लग सकता है, और आतंकवाद के मामलों में उठाए गए कानूनी कदम कमजोर पड़ सकते हैं।

 High Court ने बरी क्यों किया था?

Bombay High Court का फैसला बेहद कड़ा और सीधा था
Prosecution accused के खिलाफ कोई मजबूत chain of evidence नहीं दे सका। Confessional statements पर निर्भरता अधिक थी, जबकि वो coercion के तहत दिए जा सकते हैं। और कई गवाहों के बयान आपस में मेल नहीं खाते थे। Forensic, Digital footprint आदि या तो नाकाफी थे या विवादित। कोर्ट ने कहा कि "अगर आरोप साबित नहीं हो पाए हैं, तो हम इन लोगों को सजा नहीं दे सकते। कानून के मुताबिक, संदेह का लाभ आरोपी को ही दिया जाएगा।"

अब आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने मामला अपने हाथ में ले लिया है। चार हफ्ते में सभी आरोपियों को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। तब तक के लिए मामला Status Quo पर रहेगा यानी जो जेल में हैं, वो वहीं रहेंगे, और जो बाहर हैं, उन्हें दोबारा जेल में नहीं भेजा जाएगा। High Court का फैसला किसी और केस में बतौर उदाहरण कोट नहीं किया जा सकेगा।  एक सवाल अब भी ज़िंदा है…
अगर ये 12 लोग दोषी नहीं हैं, तो फिर वो कौन हैं जिन्होंने 189 जानें लीं? क्या अब जांच फिर से शुरू होगी? क्या हमें कभी मिलेगा 7 जुलाई 2006 के उन धमाकों का सच? या फिर देश की सबसे बड़ी आतंकी वारदातों में से एक का सच भी अदालतों के गलियारों में कहीं दम तोड़ देगा? Bombay High Court का फैसला एक मिसाल हो सकता था  एक लोकतंत्र में, जहां आरोपी को दोषी साबित करने की जिम्मेदारी Prosecution की होती है। लेकिन जब मामला आतंकवाद, बॉर्डर क्रॉसिंग और नेशनल सिक्योरिटी से जुड़ा हो, तो कानून और न्याय के बीच की रेखा बेहद पतली हो जाती है। Supreme Court अब तय करेगा कि ये फैसला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया है या एक बड़ी चूक।

 

3 ) PM मोदी ने साइन कर दी एक अहम डील... अब बदलने वाला है बहुत कुछ!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त यूनाइटेड किंगडम के आधिकारिक दौरे पर हैं. गुरुवार को उन्होंने 10 डाउनिंग स्ट्रीट में ब्रिटिश प्रधानमंत्री Keir Starmer से मुलाकात की. कैमरों की चकाचौंध के बीच दोनों नेताओं ने हाथ मिलाए और फिर जो हुआ, वो दोनों देशों के रिश्तों में मील का पत्थर साबित हो सकता है. दोनों प्रधानमंत्रियों ने India-UK Free Trade Agreement (FTA) पर साइन कर दिए. ये समझौता न सिर्फ दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार के रास्ते खोलता है, बल्कि एक साझा भविष्य का रोडमैप भी बनाता है. पीएम मोदी ने FTA को महज़ "Economic Pact" नहीं, बल्कि "Shared Prosperity Framework" बताया. उनके शब्दों में—"ये समझौता भारत और ब्रिटेन के बीच ट्रेड से कहीं आगे का रिश्ता तय करता है. ये डील किसान, मछुआरे, छोटे कारोबारी, युवा प्रोफेशनल्स और टेक इंडस्ट्री तक को एक नया प्लेइंग फील्ड देगी." इस समझौते के तहत भारत से ब्रिटेन जाने वाले Textiles, Footwear, Gems & Jewellery, Marine Products और Engineering Goods को सीधा फायदा मिलेगा. ब्रिटेन की मार्केट में इन प्रोडक्ट्स की Market Entry अब आसान होगी, क्योंकि कई उत्पादों पर Import Duties या तो खत्म कर दी गई हैं या बेहद कम कर दी जाएंगी. उदाहरण के लिए, जो सामान पहले 15% टैक्स पर ब्रिटेन भेजा जाता था, उस पर अब सिर्फ 3% Duty लगेगी. मतलब—अब Indian Products वहां सस्ते मिलेंगे, ज्यादा बिकेंगे, और भारत के Exporters को बड़ा फायदा मिलेगा. यह डील भारत के MSME Sector के लिए एक बड़ा मौका है. छोटे और मध्यम उद्योगों को अब इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म मिलेगा, वो भी simplified compliance norms के साथ. वहीं, भारतीय किसानों को अपने Agri-Produce और Processed Food Products के लिए एक नया बाजार मिलेगा. मछुआरों के लिए भी Marine Exports में नई संभावनाएं खुलेंगी. वहीं भारतीय युवाओं के लिए यह समझौता Employment Generation और International Exposure का नया रास्ता खोलेगा. इस डील के बाद भारत में विदेशी कंपनियों का निवेश भी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे Job Creation को सीधा फायदा होगा.

ब्रिटेन को मिलेगा भारतीय बाजार तक बिना रुकावट एक्सेस

जैसे भारत को ब्रिटेन का बाजार खुला मिलेगा, वैसे ही UK के प्रोडक्ट्स को इंडिया में ज्यादा सस्ता और सुलभ रास्ता मिलेगा. British Soft Drinks, Cosmetics, Automobiles और Medical Devices जैसे प्रोडक्ट्स भारत में अब ज्यादा सस्ते मिलेंगे, क्योंकि इन पर लगने वाला टैक्स काफी कम कर दिया जाएगा. ब्रिटेन का कहना है कि इससे भारत में उनकी Product Penetration और Brand Reach कई गुना बढ़ेगी. ब्रिटिश पीएम Keir Starmer ने इस डील को ब्रिटेन की Post-Brexit Trade Strategy की सबसे बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा, “India के साथ हमारे ऐतिहासिक रिश्ते हैं, और ये FTA उस रिश्ते को नई ऊर्जा देगा. इससे हमारे देश में हज़ारों नौकरियां पैदा होंगी, छोटे और मझोले व्यापारों को नई जान मिलेगी और पूरे देश में आर्थिक तरक्की होगी." इस समझौते की सबसे बड़ी बात ये है कि ये सिर्फ एक ट्रेड डील नहीं है, बल्कि एक व्यापक रणनीतिक समझौता है. इसमें दोनों देशों ने 2035 तक एक Joint Vision Document पर काम शुरू कर दिया है. इसमें Climate Cooperation, Technological Innovation, Higher Education Exchange और Defence Collaboration शामिल हैं. इसके तहत एक नया Defence Industrial Roadmap भी लॉन्च किया जाएगा. भारत और ब्रिटेन अब डिफेंस टेक्नोलॉजी को साझा करेंगे, Co-development और Co-production के ज़रिए दोनों सेनाओं को मजबूत बनाएंगे. पीएम मोदी ने ब्रिटेन में बसे Indian-origin citizens को 'Living Bridge' कहा. उन्होंने कहा, “ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने सिर्फ करी नहीं दी, उन्होंने Creativity, Commitment और Character से इस देश को समृद्ध किया है. उनका योगदान सिर्फ इकोनॉमी में नहीं, बल्कि ब्रिटिश संस्कृति, खेल और पब्लिक सर्विस में भी दिखता है.” मोदी ने अहमदाबाद में हुए हादसे में मारे गए लोगों को लेकर संवेदना प्रकट की. उन्होंने कहा कि इस दुखद हादसे में कुछ ब्रिटिश नागरिक भी शामिल थे. Starmer ने भी इस पर गहरी संवेदना व्यक्त की ।India-UK FTA एक सिंपल डील नहीं, बल्कि दो सभ्यताओं की साझी सोच है. इसमें एक तरफ भारत की मेहंदी है, तो दूसरी तरफ ब्रिटेन का ब्लैक टी. ये सिर्फ ट्रेड नहीं, ट्रस्ट का कागज़ है. अब देखना ये है कि ग्राउंड लेवल पर इस डील का असर कितनी जल्दी दिखता है. लेकिन इतना तो तय है—ये समझौता दो देशों की भविष्य की साझेदारी की मजबूत नींव रख चुका है।