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Breaking News 24 January 2025

1.) प्रयागराज-काशी का जल्द होगा कायाकल्‍प  

बुधवार, 22 जनवरी को महाकुंभ 2025 में योगी कैबिनेट की एक बैठक हुई, इसमें उत्तर प्रदेश के विकास पर खास चर्चा हुई। बैठक के बाद सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश के विकास का खाका जनता के सामने रखा। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों को विकसित करने के लिए, हम एक विकास क्षेत्र बनाएंगे। साथ ही बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए गंगा एक्सप्रेसवे का विस्तार किया जाएगा। बता दें, इसके तहत गंगा एक्सप्रेसवे को प्रयागराज से मिर्जापुर, भदोही से काशी, चंदौली तक ले जाया जाएगा और ये गाजीपुर में जाकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा। कैबिनेट की इस महत्वपूर्ण बैठक में क्षेत्र में स्वास्थ व्यवस्था, उच्य स्तरीय मेडिकल शिक्षा और रोजगार को ध्यान में रखते हुए तीन नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने को लेकर भी हरी झंडी दिया गया। बता दें, कैबिनेट की इस बैठक के बाद सभी मंत्री संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे। सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के साथ दिखाई दिए। इसके अलावा कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह, बेबी रानी मौर्य, जयवीर सिंह, लक्ष्मी नारायण चौधरी, धर्मपाल, नंदगोपाल नंदी और अनिल राजभर सहित सभी 21 मंत्री और बाकी स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री सहित कुल 54 मंत्रियों ने महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाया।

महाकुंभ से लिए गए कई बड़े फैसले

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साल 2019 में आयोजित कुंभ मेले में भी अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ स्नान कर चुके हैं और इस बार भी कैबिनेट मीटिंग के बाद सीएम योगी और पूरे मंत्रिमंडल ने एक साथ संगम में पवित्र डुबकी लगाया। बता दें, महाकुंभ में कैबिनेट बैठक में शामिल होने के लिए यूपी सरकार के सभी 54 मंत्रियों को बुलाया गया था। कैबिनेट की इस बैठक में फैसला लिया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के आधार पर प्रयागराज का विकास होगा, जिसके तहत प्रयागराज के पूरे क्षेत्र का समावेशी विकास किया जाएगा। प्रयागराज और चित्रकूट को मिलाकर एक डिवेलपमेंट रीजन तैयार किया जाएगा। जैसे लखनऊ और उसके आसपास के जनपदों को मिलाकर 'स्टेट कैपिटल रीजन' के जरिए विकास का प्लान बनाया गया है, उसी तर्ज पर प्रयागराज का विकास होगा। प्रयागराज की तर्ज पर ही वाराणसी-बिंद डेवलपमेंट रीजन बनाया जाएगा, जिसे लेकर नीति आयोग के साथ बातचीत जारी है। बलरामपुर में अटल बिहारी वाजपेयी में अस्पताल को मेडिकल कॉलेज में बदलने का प्रस्ताव पास हुआ, साथ ही बागपत, कासगंज समेत 3 शहरों में मेडिकल कॉलेज बनाने पर भी बैठक में सहमति बनी। इसके अलावा प्रयागराज, आगरा और वाराणसी नगर निगम के लिए बांड जारी किए जाएंगे।

 

2.)  नोएडा का FIITJEE बंद ? हुआ हंगामा ! 

 

नोएडा सेक्टर-62 में FIITJEE के कोचिंग सेंटर का ताला सिर्फ दरवाजे पर नहीं लगा, बल्कि हजारों बच्चों के सपनों पर भी लगा दिया गया। कभी इंजीनियरिंग और मेडिकल के सपनों का ‘फिटनेस सेंटर’ कहे जाने वाले इस संस्थान ने ऐसा गेम खेला कि बच्चों का भविष्य और अभिभावकों का भरोसा, दोनों मर्ज होकर गायब हो गए। अब इस पूरे मामले में 200 करोड़ की ठगी की बात सामने आ रही है। FIITJEE का खेल सीधा और सिंपल था। पहले बच्चों को IIT और मेडिकल के बड़े-बड़े सपने दिखाए, फिर फीस के नाम पर लाखों रुपये वसूले। किसी ने 3.5 लाख रुपये दिए, तो किसी ने पूरे 5 लाख रुपये। लेकिन जब कोचिंग की असली परीक्षा देने का वक्त आया, तब सेंटर पर ताले लटक गए। हालांकि इसके बाद अभिभावकों को एक मेल मिला “डियर पैरंट्स, परेशान न हों। हमने आपके बच्चे का भविष्य अब दूसरे कोचिंग सेंटर में शिफ्ट कर दिया है।" मेल पढ़कर पैरंट्स के होश उड़े और गुस्सा आसमान पर चढ़ गया। अभी का समय बोर्ड एग्जाम, नीट और जेईई की तैयारी का है। ऐसे में कोचिंग सेंटर का अचानक बंद होना बच्चों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं। बच्चे सोच रहे हैं कि अब तैयारी कैसे होगी, और पैरंट्स सोच रहे हैं कि लाखों रुपये फिर से कहां से लाएं। FIITJEE की ये घटना प्रशासन के लिए भी सवाल खड़े करती है। यूपी कोचिंग रेगुलेशन एक्ट, 2002 के तहत बिना रजिस्ट्रेशन कोचिंग सेंटर चलाना गैर-कानूनी है। लेकिन FIITJEE जैसे बड़े संस्थान पर कार्रवाई तब की गई, जब वो ताले लगाकर गायब हो गया। जिला विद्यालय निरीक्षक ने अब कोचिंग और स्कूलों की रजिस्ट्रेशन की जांच के लिए टीम बनाई है। पर सवाल ये है कि ये कदम पहले क्यों नहीं उठाया गया?

पुलिस बनाम पैरंट्स की कक्षा

गुरुवार सुबह नोएडा सेक्टर-58 का थाना एक कोचिंग क्लास की तरह लग रहा था। एक तरफ पैरंट्स थे, जो पुलिस से एफआईआर दर्ज कराने की मांग कर रहे थे, और दूसरी तरफ पुलिस थी, जो हर सवाल पर “जांच करेंगे” जवाब दे रही थी। एक पैरेंट जिनकी बेटी 11वीं में पढ़ती है, बोले "हमने बेटी को डॉक्टर बनाने का सपना देखा था। चार लाख रुपये एडवांस फीस दी थी। अब लगता है कि बेटी को डॉक्टर बनाने के चक्कर में खुद को डॉक्टर दिखाने जाना पड़ेगा।" वहीँ नोएडा के एक पैरेंट ने कहा "बेटा पढ़ने में तेज़ है। IIT जाने का सपना देखा था। उसकी खुशियों के लिए मैंने 3.58 लाख रुपये किसी तरह जुटाए। अब ये सब सुनकर ऐसा लगता है कि मेहनत भी धोखा खा गई और सपना भी।" पैरंट्स का दर्द ऐसा था कि थाने का माहौल बोर्ड एग्जाम के तनाव वाले क्लासरूम जैसा लग रहा था सभी परेशान, और किसी को पता नहीं कि अब आगे क्या होगा।

पुलिस की जांच 

थाने में एसीपी शैव्या गोयल भी मौजूद थीं। उन्होंने पैरंट्स को समझाने की कोशिश की। चार घंटे लंबी बैठक चली, जिसमें पैरंट्स ने कोचिंग सेंटर से जुड़े दो टीचरों से भी बात की। ये दोनों टीचर अब किसी दूसरे कोचिंग सेंटर में काम कर रहे हैं। उनका कहना था कि बच्चे को नए सेंटर में पढ़ने भेज दें। लेकिन पैरंट्स का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उनका सवाल था "जब पैसा FIITJEE को दिया था, तो बच्चा किसी दूसरे सेंटर में क्यों जाएगा? पैसे वापस करो।" पुलिस ने बताया कि शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच की जा रही है। हालांकि, इस "जांच" शब्द का मतलब सब जानते हैं पहले ये देखा जाएगा कि सोशल मीडिया पर मामला कितना ट्रेंड करता है।

 

3.) दिल्ली में धूप के तेवर और सर्दी की बेरुखी

 

इस साल जनवरी में मौसम ने ऐसा रंग बदला है कि पिछले 10 साल का रिकॉर्ड टूट गया। दिल्ली में लगातार पांच दिन से तापमान 24 डिग्री के ऊपर बना हुआ है, जो इस महीने में असामान्य है। जनवरी में इतनी गर्मी का अहसास शायद ही किसी ने पिछले एक दशक में किया हो। आमतौर पर यह समय दिल्ली में सर्दी के चरम का होता है, लेकिन इस बार दिन में तेज धूप और सामान्य से ज्यादा तापमान ने ठंड का मजा किरकिरा कर दिया है। गुरुवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 24.8 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.5 डिग्री अधिक है। इतना ही नहीं, न्यूनतम तापमान भी सामान्य से 3.5 डिग्री कम होकर 11 डिग्री रहा। यह पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा गर्म जनवरी के दिनों में से एक है। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ की वजह से ठंड का असर कमजोर पड़ा है। जनवरी के महीने में तापमान आमतौर पर 20-22 डिग्री के आसपास रहता है, लेकिन इस बार यह 24 डिग्री से ऊपर बना हुआ है। 10 साल बाद पहली बार सर्दियों में इतनी गर्मी दर्ज की गई है।

क्या है कारण?

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) के कारण उत्तर भारत में ठंडी हवाओं का प्रवाह बाधित हो गया है। बर्फबारी तो हो रही है, लेकिन पहाड़ों से आने वाली ठंडी हवाएं मैदानी इलाकों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। इसका नतीजा यह है कि दिल्ली समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में दिन के समय गर्मी का अहसास हो रहा है। दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों में हल्की बारिश दर्ज की गई। सफदरजंग में 0.5 मिमी, लोदी रोड पर 1.2 मिमी, और आया नगर में 4.2 मिमी बारिश हुई। हालांकि, यह बारिश ठंड को वापस लाने में नाकाम रही। दिनभर तेज धूप ने मौसम को गर्म बनाए रखा। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि 26 जनवरी तक ठंड का असर थोड़ा बढ़ सकता है। अधिकतम तापमान 20 डिग्री और न्यूनतम 7-9 डिग्री तक गिरने की संभावना है। लेकिन यह राहत कुछ ही दिनों की होगी। 27 जनवरी के बाद तापमान फिर से बढ़ने लगेगा। 28 और 29 जनवरी को अधिकतम तापमान 24 डिग्री तक पहुंच सकता है।

आने वाले दिन: ठंड का "कमबैक" या धूप का दबदबा?

मौसम वैज्ञानिक इस बदले हुए पैटर्न को ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का असर मान रहे हैं। पिछले एक दशक में सर्दियों का यह सबसे असामान्य दौर है, जो आने वाले समय में सर्दी के पैटर्न में बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है। तो दिल्लीवालों, यह जनवरी अपने 10 साल के रिकॉर्ड तोड़ने के लिए याद रखी जाएगी।

 

 

4.) साइबर ठगी के मामले में बना दूसरा जामताड़ा 

 

खेती-किसानी, सेना में योगदान और खेलों में कभी नंबर-1 रहने वाला हरियाणा धीरे-धीरे साइबर ठगी का गढ़ बनता जा रहा है। प्रदेश में हर महीने लगभग 60 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हो रही है और मात्र एक साल में ही साइबर ठगी 134 फीसदी तक बढ़ गई है। हरियाणा का मेवात जिला दूसरा जामताड़ा बनता जा रहा है, यहां के युवा गैंग बनाकर दूसरे राज्यों के लोगों को ठग रहे हैं। तीन दिन पहले ही मेवात की पुलिस ने ठगों को पकड़ने के लिए एक विशेष अभियान चलाया तो 15 तस्कर पकड़े गए। जब पुलिस द्वारा पकड़े गए लोगों की जांच और उनसे पूछताछ की गई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। खुलासे से पता चला है की ये साइबर ठग कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु के अलावा कई राज्यों में लोगों को इंटरनेट पर फर्जी विज्ञापन के माध्यम से लोगों को ठग चुके हैं। मेवात के अलग-अलग गांवों से पकड़े गए साइबर ठगों के विरुद्ध पुलिस ने 12 मामले दर्ज किए हैं। आरोपितों से पुलिस ने 20 मोबाइल व 29 फर्जी सिम भी बरामद किया है। खास बात ये है कि इन सभी आरोपियों का आयु 30 साल से कम है और पढ़ाई-लिखाई में सभी अंगूठा छाप हैं, लेकिन साइबर ठगी के एक्सपर्ट हैं। ऐसे एक नहीं दर्जनों मामले अब-तक सामने आ चुके हैं।

साइबर ठगी के विरुद्ध अभियान में हरियाणा पुलिस No.-1

 

हरियाणा के सामने साइबर ठगी को लेकर दोहरी चुनौती है। साल 2023 में जहां प्रदेश में 602 करोड़ रुपये का साइबर फ्रॉड किया गया था, वहीं साल 2024 में यह संख्या बढ़कर 980 करोड़ तक पहुंच गई है। हरियाणा में औसतन एक हजार लोगों के साथ साइबर ठगी होती है और ठगी के अधिकतर मामले NCR रीजन में हो रहे हैं, खासकर पलवल-फरीदाबाद-गुरुग्राम और मेवात में साइबर अपराध का प्रतिशत सबसे अधिक दर्ज किया गया है। साइबर अपराधियों में मेवात के सबसे ज्यादा युवक शामिल हैं। मेवात के 15 से 20 गांव साइबर ठगी के बड़े हॉट स्पाट हैं, जहां से साइबर ठगी के गैंग आपरेट हो रहे हैं। ऐसे में हरियाणा सरकार और पुलिस की पहली चुनौती हरियाणा के लोगों को साइबर ठगी से बचाना है। दूसरा, दूसरे राज्यों से मेवात में बैठकर साइबर ठगी करने वाले गैंग पर शिकंजा कसना है। पुलिस के साइबर सेल की माने तो मेवात में औसतन हर साल साइबर ठगी के 500 केस दर्ज होते हैं और इन मामलों में करीब 300 लोग हर साल गिरफ्तार किए जाते हैं। साइबर ठगों से रिकवरी में हरियाणा पुलिस देशभर में नंबर वन है। साल 2024 में पुलिस ने साइबर ठगों के चंगुल से लगभग 268 करोड़ रुपये की राशि बचाई गई है, जबकि साल 2023 में 77 करोड़ रुपये की राशि बचाई थी। इस प्रकार साइबर अपराधियों से तीन गुना अधिक राशि बचाई गई।

साइबर अपराधों को काबू करने में क्या हैं चुनौतियों?

 

हरियाणा में साल 2022 में साइबर अपराधियों के खिलाफ 2165 मुकद्दमें दर्ज किए गए, वही 2023 में 2747 मुकद्दमें और 2024 में 5511 मुकद्दमे दर्ज किए गए। इसी प्रकार साल 2022 में हरियाणा पुलिस द्वारा 1078, 2023 में 1909 और 2024 में 5156 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। साल 2024 में गिरफ्तार किए गए अपराधियों में से करीब 70 प्रतिशत अपराधी अन्य राज्यों के रहने वाले हैं। हरियाणा पुलिस द्वारा साल 2024 में रोजाना औसतन 14 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं, वहीं इसी दौरान साइबर ठगी में इस्तेमाल किए गए 2,83,589 बैंक खातों और 1,24,565 मोबाइल नंबरों को बंद करवाया गया है जो कि देशभर में अब-तक का सर्वाधिक है। इन दिनों पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती डिजिटल अरेस्ट की है, क्यूंकि इस प्रकार के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। दरअसल, पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है की जैसे-जैसे वो अपराधियों की तरकीब पकड़ती है, उससे पहले ही साइबर चोर ठगी का नया तरीका अपना लेते हैं। ऐसे में साइबर अपराध संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है कि सरकार, पुलिस और साइबर शाखा के सभी तंत्र मिलकर मिशन मोड में काम करें। हरियाणा की सरकार ने साइबर अपराध संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या को 12 से बढ़ाकर 70 कर दिया है और इसके साथ दस बैंंकों के 15 नोडल अधिकारी भी यहां तैनात किये गए हैं, बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर साइबर पुलिस बेहतर कार्य कर रही है।

 

 

5.)  सैफ अली खान की शाही विरासत का रहस्य 

 

भारत में अगर किसी शाही परिवार का नाम शान, रुतबे और संघर्ष के लिए जाना जाता है, तो वह है पटौदी खानदान। इसका केंद्रबिंदु है पटौदी महल, जिसे ‘इब्राहिम कोठी’ के नाम से भी जाना जाता है। 10वें नवाब सैफ अली खान का यह पैतृक महल उनकी विरासत और राजसी ठाट-बाट का प्रतीक है। लेकिन हर शाही कहानी के पीछे कुछ विवाद और कठिनाइयां भी होती हैं। भोपाल और पटौदी की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर मंडराते खतरे और कानूनी उलझनों ने इस शाही परिवार की संपत्ति को विवादों के घेरे में ला खड़ा किया है। आइए, इस शाही विरासत की दिलचस्प और विस्तृत कहानी को समझें। 

 

पटौदी महल की विरासत का किस्सा 

पटौदी महल कोई साधारण इमारत नहीं, बल्कि एक शानदार विरासत है। इसे सैफ के दादा इफ्तिखार अली खान ने 1935 में बनवाया था। लेकिन इसे बनवाने की कहानी सिर्फ शाही ठाट-बाट तक सीमित नहीं है। इसमें इश्क का एक गहरा रंग भी शामिल है। यह किस्सा तब का है, जब इफ्तिखार अली खान को भोपाल के नवाब ने अपनी बेटी साजिदा सुल्तान के लिए मना कर दिया था। वजह थी कि पटौदी परिवार अकबर मंजिल नाम के एक छोटे से घर में रहता था। नवाब ने कहा, “यह घर मेरी बेटी के लायक नहीं।” इफ्तिखार नवाब ने इस रिजेक्शन को दिल पर लिया और ठान लिया कि वे एक ऐसा महल बनाएंगे, जो उनकी शान और मोहब्बत की निशानी बने। इस जुनून में उन्होंने पटौदी महल बनवाया, लेकिन यह सफर आसान नहीं था। महल बनवाते-बनवाते वे लगभग कंगाल हो गए। हालत यह थी कि महल के अंदर संगमरमर लगवाने तक के पैसे नहीं बचे। तब मजबूरन सीमेंट और कार्पेट से काम चलाया गया। हलाकि सैफ अली खान के लिए यह महल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि उनकी विरासत और परिवार के गौरव का प्रतीक है। लेकिन यह महल भी विवादों से अछूता नहीं रहा। उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी ने इसे किराए पर नीमराना होटल्स को दे दिया था। इसकी देखभाल फ्रांसिस और अमन नाथ नाम के दो लोग कर रहे थे। सैफ ने जब इसे वापस लेने की बात की, तो होटल्स ने कहा, “ठीक है, लेकिन इसकी कीमत चुकानी होगी।” सैफ ने अपने इंटरव्यू में बताया, “मैंने खूब फिल्में और शोज़ किए, पैसे कमाए और आखिरकार 800 करोड़ रुपये देकर महल वापस लिया।” सैफ की दादी साजिदा सुल्तान इस फैसले के खिलाफ थीं। उनका मानना था कि यह महल ऐतिहासिक है और इसे बेचना या किराए पर देना गलत था। लेकिन सैफ ने इसे अपनी जिम्मेदारी समझा और किसी भी कीमत पर महल को वापस लेने का फैसला किया।

 

भोपाल की 15,000 करोड़ की संपत्ति 

पटौदी महल की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही पेचीदा है भोपाल की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का विवाद। इसमें फ्लैग स्टाफ हाउस, नूर-उस-सबा पैलेस, अहमदाबाद पैलेस और कोहेफिजा जैसी ऐतिहासिक इमारतें शामिल हैं। लेकिन यह संपत्ति अब शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ सकती है। यह विवाद 1947 के विभाजन के समय से शुरू हुआ। नवाब हमीदुल्लाह खान की सबसे बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान पाकिस्तान चली गई थीं। सरकार का दावा है कि यह संपत्ति अब ‘शत्रु संपत्ति’ है क्योंकि इसे आबिदा सुल्तान का उत्तराधिकार माना जाता है। हालांकि, नवाब की दूसरी बेटी साजिदा सुल्तान को 1962 में भारत सरकार ने इस संपत्ति का वैध उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके बाद यह संपत्ति मंसूर अली खान पटौदी और फिर सैफ अली खान के पास आई। 2015 में, सैफ की मां शर्मिला टैगोर ने सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी।

अकबर मंजिल से पटौदी महल तक का सफर 

2024 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शर्मिला टैगोर की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने सैफ और उनके परिवार को अपील दायर करने के लिए 30 दिन का समय दिया। लेकिन अब तक परिवार ने कोई कदम नहीं उठाया है। सरकारी वकीलों का कहना है कि अगर जल्द ही अपील नहीं की गई, तो यह संपत्ति केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में चली जाएगी। भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने स्पष्ट किया है कि अदालत का अंतिम आदेश आने के बाद ही कोई कार्रवाई होगी। सैफ परिवार के पास हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील करने का विकल्प अब भी मौजूद है। पटौदी परिवार का पहला ठिकाना ‘अकबर मंजिल’ था। यह भवन 1941 तक उनकी शाही रिहाइश थी। लेकिन समय के साथ, इसका महत्व कम होता गया और यह जर्जर हो गया। यही वजह थी कि इफ्तिखार अली खान ने पटौदी महल बनाने का फैसला किया। यहां सैफ के दादा-दादी और पिता मंसूर अली खान पटौदी दफन हैं। सैफ के लिए यह महल उनका घर है, उनकी जड़ों का प्रतीक है।