बिहार के समस्तीपुर में अपराधियों ने एक शिक्षिका की घर में घुसकर हत्या कर दी। दरअसल, अपराधी शिक्षिका के ससुर को मारने आए थे, लेकिन गोली बहू को लग गई और गोली लगते ही वह जमीन पर गिर गई। जब तक परिजन कुछ सोचते-करते, उसे अस्पताल ले जाते तब तक उसकी घटनास्थल पर मौत हो चुकी थी। इस हत्या के बाद से ही पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है और आसपास के लोगों में इसकी दहशत साफ दिखाई भी देने लगी है। बता दें कि यह घटना मंगलवार की सुबह दलसिंहसराय थाना क्षेत्र के अजनौल पंचायत के वार्ड संख्या 4 के खोकसहा में हुई। इधर, घटना के बाद से लोगों में भरी आक्रोश है। लोगों ने हत्यारे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जमकर प्रदर्शन किया। इधर, घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पुलिस ने लोगों को हत्यारे की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया और जांच में जुट गई। मृत शिक्षिका की पहचान मनीषा कुमारी (24) के रूप में की गई है। हत्या की यह वारदात, यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में अपराधियों के हौसले मस्त अर्थात बुलंद हैं। सुबह-सुबह हुई यह घटना बताती है की मानों अपराधी अब खुलेआम नीतीश सरकार और उसकी पुलिस को ठेंगा दिखा रहे हों, मर्डर करना जैसे उनके लिए बाएं हाथ का खेल हो गया हो और ऐसे में तो ये देख के सच में कहा जा सकता है की अपराधियों के आगे पुलिस-प्रशासन सच में पस्त है। सरकार-पुलिस की तो जैसे अपराधियों को कोई परवाह ही नहीं, जहां, जब और जिस समय चाहें, वो लोगों की हत्या कर दे रहे हैं। बिहार में बढ़ता अपराध नीतीश सरकार के लॉ एंड ऑर्डर पर बड़ा सवाल है और ये वारदात यह बताने के लिए भी काफी है कि नीतीश राज में अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं।
मृत शिक्षिका के ससुर नरेश साह ने बताया कि घटना मंगलवार की सुबह चार बजे के करीब की है जब वह अपने घर में सो रहे थे और तभी करीब छह की संख्या में आए लोगों ने कहा कि नरेश भैया है, गेट खोलिए और फिर जैसे ही मैंने गेट खोला तो देखा कि एक के हाथ में हथियार था, यह देखकर में छत की ओर भग गया । मेरी पत्नी सुनैना भी नीचे चुप गई। अपराधी मेरे पीछे भागते हुए छत पर आ गए। शोर सुनकर मेरे बेटे अवनीश और बहु मनीषा ने कमरे का दरवाजा खोला जैसे ही में उसके कमरे में घुसा तो अपराधियों ने मेरे बेटे के ऊपर गोली चला दी। मेरा बेटा नीचे बैठ गया और उसके पीछे खड़ी बहू के सिर में गोली लग गई और इससे पहले हम कुछ करते, बहु को अस्पताल ले जाते, उसकी मृत्यु हो गई। नरेश ने बताया कि वारदात के बाद अपराधी फरार हो गए। उन्होंने बताया कि उनका एक जमीनी विवाद चल रहा था, जिसे लेकर मैंने 20 दिसंबर को एक आवेदन थाने में दिया था, लेकिन मेरे आवेदन पर कोई सुनवाई नहीं हुई और अब इसी विवाद के कारण इस हत्या को अंजाम दिया गया है। नरेश साह ने पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है। पूरे मामले में डीएसपी विवेक कुमार शर्मा, थानाध्यक्ष राकेश कुमार रंजन के साथ मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गए हैं। बता दें, घटना से आक्रोशित लोग एसपी के साथ किसी वरिष्ठ अधिकारी के आने के बाद ही शव उठाने की बात पर आड़े थे। प्रदेश में हर दिन किसी ऐसी घटना के सामने आने के बाद यह कहा जा सकता है कि बिहार में अपराध चरम पर है। बिहार में विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार कानून-व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार को घेरते रहे हैं। हालांकि, जब तेजस्वी और नीतीश की साथ में सरकार थी, तब भाजपा ने NCRB के डेटा को लेकर हमला बोला था और तब की सरकार को जंगल राज बताया था।
भारत के दिग्गज स्पिन बॉलर और गूगली व कैरम बॉल के जादूगर कहे जाने वाले रविचंद्रन अश्विन ने बीते बुद्धवार, 18 दिसंबर को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। बता दें, अश्विन ने भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे पांच मैचों की सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच के खत्म होते ही अपने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया था और उन्होंने अचानक संन्यास लेकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था। आश्विन के यूं अचानक संयास पर उस समय भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर कहा था कि जब मैं पर्थ आया तो अश्विन ने मुझे अपने रिटायरमेंट की बात बताई थी और मेरा मानना है की अगर कोई खिलाड़ी फैसला लेता है तो सबको उसके फैसले का सम्मान करना चाहिए। अब खबर सामने आ रही है कि अपने संन्यास लेने के कुछ दिन बाद ही रविचंद्रन अश्विन ने भारत के पूर्व और सबसे सफल कप्तान माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी की तारीफ में कई बयान दिए हैं। बता दें, हाल ही में सामने आई कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जा रहा है की अश्विन के संन्यास की वजह टीम मैनेजमेंट के कुछ फैसलों से उनकी नाराजगी थी। हालांकि, अश्विन ने खुद इस बारे में कोई बयान नहीं दिया था। उन्होंने कहा था कि उनके पास क्रिकेट के कुछ साल बचे हैं और वह इसका इस्तेमाल IPL जैसी घरेलु टूर्नामेंट में करना चाहेंगे। अगले साल IPL 2025 में अश्विन अपनी पुरानी टीम चेन्नई सुपर किंग्स से खेलते दिखेंगे, CSK ने उन्हें इस साल मेगा ऑक्शन में खरीदा था, ऐसे में अश्विन एक बार फिर महेंद्र सिंह धोनी के साथ खेलते दिखेंगे। हालांकि, अगले सीजन धोनी कप्तान नहीं होंगे। बता दें, अश्विन ने अपने IPL करियर की शुरुआत धोनी की कप्तानी में CSK से की थी। देखा जाए तो अश्विन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और टीम मैनेजमेंट की कई बार तारीफ कर चुके हैं, साथ ही विराट कोहली की कप्तानी की भी तारीफ कर चुके हैं। हालांकि, अब IPL शुरू होने से पहले उनके सुर बदले हैं और उन्होंने धोनी को शानदार कप्तान बताया है और साथ ही यह भी बताया है कि माही क्यों अन्य भारतीय कप्तानों से अलग हैं।
भारतीय टीम का हिस्सा रहे पूर्व स्पिन गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने कहा है कि मैदान पर धोनी की छोटी-छोटी बातों को तवज्जो देने की खासियत और उनकी सादगी उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। उन्होंने एक स्पोर्ट्स चैनल के पॉडकास्ट पर धोनी की कप्तानी के बारे में बात करते हुए कहा, मुझे लगता है कि वह ज्यादातर मूलभूत चीजें सही करते हैं और उन्हीं पर ध्यान देते हैं। अधिकांश अन्य कप्तान बेसिक बातों को खासा ध्यान नहीं देते, जिससे खेल उनके लिए और अधिक कठिन हो जाता है। अश्विन ने उदाहरण देते हुए बताया कि धोनी ने अपने गेंदबाजों को खुलकर गेंदबाजी करने की अनुमति दी है, लेकिन उन्होंने कभी भी ओवर कॉन्फिडेंस के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। उन्होंने उदाहरण के लिए कहा, धोनी गेंदबाज को कभी नहीं बताते कि कहां गेंदबाजी करनी है। वह गेंदबाज से कहेंगे कि अपनी फील्डिंग खुद लगाओ और फील्ड के मुताबिक गेंदबाजी करो। हाँ, लेकिन उन्हें ये बिलकुल पसंद नहीं कि जब एक नया बल्लेबाज बल्लेबाजी के लिए मैदान पर आता है और आप उन्हें ढीली गेंद कर सेट होने का मौका देते हैं। उन्होंने कहा, यह क्रिकेट की एक बहुत ही बुनियादी चीज है और इन वर्षों में मैंने महसूस किया कि लोग मूलभूत बातें भूल गए हैं। उन्होंने बताया IPL 2023 में जब धोनी की कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स ने रिकॉर्ड पांचवां खिताब जीता, तो उन्होंने तुषार देशपांडे को स्ट्राइक गेंदबाज के तौर पर इस्तेमाल किया था और तुषार ने अच्छी गेंदबाजी की और 16 मैचों में 21 विकेट लिए थे। अश्विन ने धोनी की कप्तानी में तुषार की सफलता पर भी प्रकाश डाला। अश्विन ने कहा, खेल के कुछ पहलू हैं जो कभी नहीं बदलते हैं और धोनी बतौर कप्तान उन बातों को सिंपल रखते हैं।
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने 60 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें से 27 मैच जीते, 18 हारे और वहीं 15 मैच ड्रॉ रहे। वह भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक हैं। उन्होंने अपनी कप्तानी रहते भारतीय टीम को ICC टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक स्थान दिलाया था। वह बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया को व्हाइटवॉश करने वाले एकमात्र भारतीय कप्तान भी हैं, ऐसा उन्होंने 2010-11 और 2012-13 की सीरीज में किया था। धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय वनडे क्रिकेट में 200 मैचों में भारत का नेतृत्व किया और उनकी कप्तानी में भारत ने 110 मैचों में जीत दर्ज किया, वहीं 74 मैचों में टीम को हार का सामना करना पड़ा और पांच मैच ड्रॉ भी रहे। टी-20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धोनी ने 74 मैचों में भारत की कप्तानी की और टीम को 41 मैचों में जीत दिलाई। इसके अलावा धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने पहले साल 2007 में टी-20 विश्व कप का खिताब जीता और बाद में साल 2011 में वन-डे इंटरनेशनल यानि वर्ल्ड कप में भारत को जीत दिलाया। इसके अलावा उन्होंने साल 2013 में खले गए चैंपियंस ट्रॉफी के रोमांचक मुकाबले में भारत की जीत पक्की की।
बांग्लादेश की पद और देश से निष्कासित प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो फिलहाल भारत में एक अनौपचारिक राजनीतिक शरण में हैं, को अब नए संकट का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि मोहम्मद यूनुस की आगुवाई वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक राजनयिक नोट के माध्यम से औपचारिक रूप से भारत से उनके प्रत्यर्पण की मांग की है। यह भारत के विदेश सचिव की ढाका यात्रा के कुछ ही दिनों बाद हुआ है, जिसमें भारत ने उनकी कथित उपस्थिति पर अब तक चुप्पी साध रखी है। ऐसे में अब सवाल यह है कि क्या भारत दबाव का जवाब देगा या शेख हसीना के प्रत्यर्पण को मंजूरी देगा। बता दें, विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश से प्रत्यर्पण अनुरोध प्राप्त होने की बात स्वीकार करते हुए कहा है कि सरकार के पास इस मामले पर कुछ भी टिप्पणी करने के लिए नहीं है। हालांकि, मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने नाम न उजागर करने की शर्त पर एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल को बताया कि सरकार राजनयिक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए औपचारिक रूप से राजनयिक नोट का जवाब दे सकती है। उन्होंने कहा कि संबंधित मंत्रालय के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच जल्द एक महत्वपूर्ण बैठक होने की संभावना है, जिसके बाद औपचारिक प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सरकार से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। अब इस पूरे मामले को लेकर बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त रहे महेश सचदेवा ने बताया कि बांग्लादेश सरकार की अपील के बावजूद शेख हसीना का प्रत्यर्पण रुक सकता है और इसके लिए बांग्लादेश की पद से निष्कासित पीएम को सिर्फ अदालत में अपील करनी होगी। देश की एक बड़ी न्यूज एजेंसी के साथ साक्षात्कार में महेश सचदेवा ने कहा कि जिस तरह से कई यूरोपीय देशों ने विभिन्न शर्तों के आधार पर भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को खारिज किया है, उसी तरह अगर शेख हसीना अदालत का रुख करती हैं तो भारत भी विभिन्न कारणों का हवाला देकर उनके प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है। इस बीच खबर निकल कर आ रही है कि न केवल शेख हसीना, बल्कि उनके कई सांसद और कई अवामी लीग के नेता अपने परिवारों के साथ दिल्ली, कोलकाता और अन्य शहरों में शरण लिए हुए हैं। अब देखना ये है कि भारत सरकार इस तरह की गंभीर और निर्णायक जियोपॉलिटिकल स्थिति में क्या निर्णय लेती है। दोनों देशों के बीच मौजूदा प्रत्यर्पण संधि के तहत बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करने वाले बांग्लादेश के राजनयिक संदेश के बाद, ये सवाल अब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि ये क्षेत्रीय स्थिरता, दोनों देशों के राजनयिक संबंधों और इसकी प्राथमिकताओं के साथ-साथ भारत के आस-पास बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के लिए निर्णायक होगा।
भारत और बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर और संशोधन के कई चरण रहे हैं। साल 2016 में संसद में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उस समय के विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यरत एम.जे अकबर ने कहा था, SAARC देशों में से भारत का नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ प्रत्यर्पण संधियां हैं। श्रीलंका के साथ एक प्रत्यर्पण व्यवस्था पहले से मौजूद है। इन द्विपक्षीय संधियों के अलावा, साल 1987 में आतंकवाद को खत्म करने को लेकर SAARC क्षेत्रीय सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस सम्मेलन के लिए एक अतिरिक्त प्रोटोकॉल पर साल 2004 में हस्ताक्षर किए गए थे, ताकि आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के उद्देश्य से मनी लॉन्डरिंग, संग्रह या अधिग्रहण को आपराधिक कृत्य बनाकर इसे मजबूत किया जा सके और ऐसे कृत्यों की फंडिंग को रोकने और दबाने के लिए और उपाय किए जा सकें। उन्होंने सदन को बताया था कि 28 जुलाई, 2016 को भारत और बांग्लादेश ने द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 10 (3) में संशोधन करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था, ताकि दोनों देशों के बीच भगोड़े अपराधियों के शीघ्र प्रत्यर्पण की सुविधा की जा सके। आपको बताते चलें कि संशोधित प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 8 में प्रत्यर्पण से इनकार करने के आधार में कहा गया है, “किसी व्यक्ति को प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है, यदि वह अनुरोधित राज्य को संतुष्ट करता है कि सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उसे प्रत्यर्पित करना अन्यायपूर्ण या दमनकारी होगा। जिस अपराध का उस पर आरोप लगाया गया है या उसे दोषी ठहराया गया है, उसकी प्रकृति किसी निजी दुश्मनी या राजनीती से प्रेरित है। अब ऐसे में इन शर्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना प्रत्यर्पण अनुरोध के खिलाफ अदालत जा सकती हैं और कह सकती हैं कि उनके साथ गलत व्यवहार किए जाने की संभावना है। भारत भी कह सकता है कि हमें यकीन नहीं है कि मौजूदा राजनीतिक परिदृष्य में शेख हसीना के साथ न्याय प्रणाली द्वारा उचित व्यवहार किया जाएगा भी या नहीं।