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Breaking News 23 October 2024

1.) एयर इंडिया के विमानों को बम से उड़ाने की धमकी 

भारतीय विमानों को  बम से उड़ाने की धमकी का सिलसिला थम नहीं रहा है। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय एयरलाइन्स द्वारा संचालित 30 घरेलू और इंटरनेशनल फ्लाइट्स को बम से उड़ाने की धमकी मिली है । सोमवार को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट विभाग को सुबह इंडिगो समेत कई कंपनियों की आठ उड़ानों में बम की धमकियां मिली हैं,जिसके बाद उड़ानों की सुरक्षित लैंडिंग करवाई गई और उनकी जांच हुई  तो विमान से किसी भी तरह का विस्फोटक बरामद नहीं हुआ। Minister of Civil Aviation राममोहन नायडू ने सोमवार को कहा कि इन धमकियों को हल्के में नहीं लिया जायेगा, इस मुद्दे से निपटने के लिए Civil Aviation Security ACT, 1982 में संशोधन की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि धमकी देने वालों के नाम 'नो फ्लाई लिस्ट' में शामिल किए जा सकते हैं। Bureau of Civil Aviation Security इस मामले में गृह मंत्रालय के संपर्क में है और मिलकर कार्रवाई कर रहा है। हलाकि, कल रात एक बार फिर से 30 विमानों को बम से उड़ाने की धमकी मिली है, जिनमें इंडिगो, विस्तारा और एअर इंडिया की कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शामिल हैं।पिछले आठ दिनों में अब तक 120 से अधिक विमानों को बम हमले की धमकियां मिल चुकी हैं, जिनसे विमान क्षेत्र में गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।

इस मामले में क्या कर रही है  सरकार?

सरकार ने विमान सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। यह निर्णय लिया गया है कि फ्लाइट्स में एयर मार्शलों की संख्या दोगुनी की जाएगी ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसी बीच गृह मंत्रालय ने एविएशन मिनिस्ट्री से फर्जी धमकियों के मामलों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी और साथ ही CISF (Central Industrial Security Force), National Investigation Agency (NIA) और Intelligence Bureau (IB) जैसी सुरक्षा एजेंसियों से भी पुरे मामले में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। Bureau of Civil Aviation Security ने सभी प्रमुख एयरलाइंस के साथ बैठक की, जिसमें फर्जी धमकियों से निपटने के उपायों और इनसे यात्रियों को होने वाली असुविधा पर चर्चा की गई। सरकार ने अब इस मामले में करवाई करते हुए DGCA (Directorate General of Civil Aviation) के प्रमुख विक्रम देव दत्त को पद से हटाकर कोयला मंत्रालय में नियुक्त कर दिया है, ताकि इन घटनाओं के संदर्भ में अंदरूनी जांच हो सके। Bureau of Civil Aviation Security ने सभी प्रमुख एयरलाइंस के CEO के साथ भी इस मामले में बैठक की, जिसमें फर्जी धमकियों से निपटने के उपायों और इनसे यात्रियों को होने वाली असुविधा पर चर्चा की गई। 


कौन है इन धमकियों के पीछे 

धमकियों के मामलों में कुछ गिरफ्तारियां हुई हैं, मुंबई पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जबकि छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से एक नाबालिग को हिरासत में लिया गया है, इनपर इंडिगो फ्लाइट में बम की धमकी देने का आरोप है। इसके अतिरिक्त, केरल के कोच्चि एयरपोर्ट पर भी एक यात्री को धमकी देने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। बता दें, यह धमकियां ईमेल और सोशल मीडिया प्लेटफार्म (X) से मिली हैं। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि यह धमकियां एक जैसी ही हैं, सिर्फ ईमेल में एयरलाइन का नाम बदल दिया गया है। इससे पहले शनिवार को भी इंडिगो, एअर इंडिया, विस्तारा आदि की उड़ानों में बम की धमकी दी गई थी।

धमकियों के कारण आर्थिक नुक्सान 

धमकियों के कारण विमानन कंपनियों को पिछले हफ्ते में 200 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। बम की सूचना मिलने पर फ्लाइट्स को तय जगह पर लैंड न करने के बजाय नजदीकी एयरपोर्ट पर उतारा गया, जिससे ईंधन की अधिक खपत हुई। इसके अलावा, विमानों की दोबारा जांच, यात्रियों को होटलों में ठहराने और उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त व्यवस्थाओं पर भी भारी खर्च हो रहा है।

 

 

2.) सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

जेल रिफॉर्म पर क्या है सुप्रीम कोर्ट के निर्देश?

जेल रिफॉर्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है, कोर्ट ने अपने फैसले में कैदी सुधार और कानूनी सहायता समेत कई बड़े निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कैदी सुधार और कानूनी सहायता की पहुंच पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। कोर्ट ने केवल आरोपी ही नहीं, पीड़ितों के लिए भी दिशा निर्देश जारी किए। सुप्रीम कोर्ट ने सुहास चकमा बनाम भारत संघ मामले में अपना फैसला सुनाया है। बता दें, ये फैसला जस्टिस बी.आर गवई, जस्टिस के.वी विश्वनाथन, और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सुधार गृहों, जेलों और जेल में बंद विचाराधीन कैदियों की दुर्दशा पर गंभीर चिंताएं जताई। सुप्रीम कोर्ट ने बेहतर कानूनी सेवाओं की आवश्यकता पर जोर दिया, न केवल आरोपियों के लिए बल्कि उन पीड़ितों के लिए भी जिनके नागरिक और आपराधिक अधिकारों का हनन हुआ है। कोर्ट ने कानूनी सहायता की उपलब्धता के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के महत्व को रेखांकित किया और निर्देश दिया कि कानूनी सहायता की जानकारी, जिसमें हेल्पलाइन नंबर शामिल हों, बस स्टेशनों, पुलिस स्टेशनों, रेलवे स्टेशनों और यहां तक कि उच्च न्यायालय के मामले के दस्तावेजों के कवर पर भी प्रमुखता से प्रदर्शित की जानी चाहिए।

कोर्ट का फैसला न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

अपने फैसले में कोर्ट ने जेलों और सुधार गृहों का नियमित निरीक्षण सुनिश्चित करने के लिए कई सिफारिशें कीं, ताकि कैदियों की स्थिति में सुधार हो सके और उन्हें समाज में पुनः एकीकृत किया जा सके। बता दें, ये उपाय कैदियों को सुधारात्मक रास्ते पर लाने के उद्देश्य से किये गए हैं। देश में सबसे अधिक खुली जेलों वाले राज्य राजस्थान का इस मामले में विशेष रूप से उल्लेख किया गया। ⁠पीठ ने राज्य के सुधारात्मक प्रयासों की सराहना की ⁠और सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की खुली जेल प्रणाली का कई बार दौरा किया है। इस मामले की सुनवाई राजस्थान सरकार की ओर से AAG  शिव मंगल शर्मा ने प्रतिनिधित्व किया, जबकि इस मामले में एमिकस क्यूरी और राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के वकील भी शामिल थे। विजय हंसरिया, वरिष्ठ अधिवक्ता (एमिकस) और नंदिनी राय, वकील ने नालसा की ओर से पेश हुए। शिव मंगल शर्मा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय एक प्रगतिशील कदम है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि विचाराधीन कैदियों और अन्याय के शिकार पीड़ितों को उचित कानूनी प्रतिनिधित्व मिले, जिससे भारत में न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सके।

 

 

3.) अमेरिका में फैली बैक्टीरिया, हुई मौत 

विश्व भर में मशहूर मैक्डोनाल्ड्स बर्गर की आश्चर्य करने वाली घटना सामने आयी है,अमेरिका में ‘मैकडोनाल्ड्स’ (McDonald’s) का बर्गर खाने से ई.कोली नमक बैक्टीरिया का संक्रमण फैल गया है जिससे 10 राज्यों में कम से कम 49 लोग बीमार पड़ गए हैं और इनमें से एक व्यक्ति की मौत हो गयी है।अमेरिका में मौजूदा हालत बहुत नाजुक है। अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) ने बताया है कि इस संक्रमण से कोलोराडो में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत हो गयी है और एक बच्चे को गुर्दे की गंभीर समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है। (CDC) के अनुसार, संक्रमित पाए गए सभी लोगों ने बताया कि उन्होंने बीमार पड़ने से पहले मैकडोनाल्ड का ‘क्वार्टर पाउंडर हैमबर्गर’ खाया था। इस मामले में अमेरिका के Agriculture एवं Food डिपार्टमेंट और औषधि प्रशासन साथ- साथ राज्य के स्वास्थ्य अधिकारी भी मामले की जांच कर रहे हैं। मैकडोनाल्ड्स ने सीडीसी को बताया कि उसने प्रभावित राज्यों में अपने केंद्रों से कटी हुई प्याज और ‘बीफ पैटीज’ हटा ली हैं। प्रभावित राज्यों में अब बर्गर अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सितंबर के अंत में लोगों के बर्गर खाकर बीमार होने के मामले शुरू हुए थे। बर्गर खाकर संक्रमित होने के मामले में अमेरिका के सबसे ज्यादा 49 मामले कोलोराडो और नेब्रास्का जैसे राज्यों में मिले है। बर्गर खाकर लोगों के बीमार होने का असर मैकडोनाल्ड की साख पर पड़ा है और कंपनी के शेयरों में 6 % की गिरावट आ चुकी है।  

क्या हैं E- COLI वायरस 

यह एक प्रकार का बैक्टीरिया है जो सामान्यतः मानव और जानवरों के आँतों में पाया जाता है। E. coli के विभिन्न तरह के होते हैं, जिनमें से कुछ हानिकारक होते हैं और भोजन से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ये बैक्टीरिया भोजन या पानी के माध्यम से फैलते हैं और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। ई कोली वायरस के लक्षण में बारे में बात करें तो कोलोराडो के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार, इससे पेट में अत्यधिक दर्द, डायरिया और उल्टी जैसी लक्षण शामिल हैं। वहीं, इसकी चपेट में आने वाला व्यक्ति तीन से चार दिनों में बीमार होने लगता है, सूत्रों के अनुसार ई कोली का O157:H7 स्ट्रेन गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है,साल 1993 में जैक इन द बॉक्स रेस्टोरेंट में अधपके हैमबर्गर के खाने से इसी वायरस के कारण चार बच्चों की मौत हो गई थी. वहीं, फिलहाल दुनिया के सबसे बड़े फूड चेन मैकडॉन्लस में ये घटना अब हो गयी। हलाकि मैकडॉनल्स के उत्तरी अमेरिका के चीफ सप्लाई चेन ऑफिसर सीजर पिना ने एक बयान में कहा कि शुरुआती जांच के मुताबिक इस बीमारी का कारण क्वार्टर पाउंडर हैमबर्गर में इस्तेमाल किए जाने वाले प्याज से जुड़ा हो सकता है. जिसे तीन डिस्ट्रिब्यूशन सेंटरों पर एक ही सप्लायर के जरिए भेजा जाता था।

 

4.) रेलवे ने किया नियमों में बदलाव

120 की जगह बस इतने दिन पहले होगी एडवांस बुकिंग

भारतीय रेलवे ने टिकट बुकिंग की समय सीमा को कम कर दिया है, और 1 नवंबर, 2024 के बाद सिर्फ़ 60 दिन आगे तक के लिए ही ट्रेन टिकटों की एडवान्स बुकिंग की जा सकेगी। बता दें, बड़े शहरों में नौकरी-पढ़ाई करने के लिए घर से दूर रहने वालों को कभी घर लौटना हो या कभी कोई अति आवश्यक काम आ जाए और ऐसे समय में भारतीय रेल उनका सबसे बड़ा सहारा होता है। हमारे देश में लाखों लोग अपने घरों से दूर रहते हैं और ऐसे में छुट्टियों के समय घर लौटने के लिए एडवांस में ट्रेन का टिकट भी बुक कराना होता है। प्रवासी लोगों की इसी समस्या को देखते हुए रेलवे ने अब एडवान्स में टिकट बुक कराने की समय सीमा को घटाकर 60 दिन कर दिया है। रेलवे के मुताबिक, बदले हुए इस नियम का प्रभाव 31 अक्टूबर, 2024 तक बुक की जा चुकी टिकटों पर नहीं पड़ेगा। हालांकि, 60 दिन की एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) से परे की गई बुकिंग को रद्द करने की अनुमति दी जाएगी। रेल मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ताज एक्सप्रेस, गोमती एक्सप्रेस जैसी कुछ दिन चलने वाली एक्सप्रेस ट्रेनों के नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा, जहां अग्रिम आरक्षण के लिए कम समय सीमा वर्तमान में ही लागू है। मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा विदेशी पर्यटकों के लिए रखी गई 365 दिन की सीमा के मामले में भी कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

नए नियम से यात्रियों का फायदा या नुकसान?

ट्रेनों में रिजर्वेशन के नए नियम से रेल यात्रियों पर मिला-जुला असर पड़ेगा। कुछ यात्रियों को इससे फायदा होगा तो वहीं कुछ को इस बदले नियम से परेशानी भी होने की आशंका है। मौजूदा समय में ट्रेन टिकट की एडवांस रिजर्वेशन विंडो 120 दिन पहले खुलने से यात्री काफी पहले ही टिकट बुक करा लेते हैं, जिस वजह से किसी कारण वश अचानक यात्रा करने वाले लोगों को टिकट नहीं मिल पाता, ऐसे में इन यात्रियों को नए नियम से फायदा होगा। हालांकि, लंबा समय मिलने के कारण पहले वेटिंग टिकट वालों को टिकट कंफर्म होने के मामले में फायदा मिलता था, ज्यादा समय मिलने से उनके टिकट के कंफर्म होने की संभावना बढ़ जाती थी, अब नए नियम के बाद ऐसे लोगों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है। नए नियमों से टिकटों की कालाबाजारी पर भी बहुत हद तक अंकुश लगने की संभावना है। बता दें, नियमों में बदलाव के साथ ही रेलवे ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि 31 अक्टूबर से पहले मौजूदा 120 दिनों की एडवांस रिजर्वेशन पीरियड के तहत की गई बुकिंग वैध रहेगी। साथ ही, यह भी कहा गया है कि नई 60-दिवसीय नई एआरपी से आगे की बुकिंग को रद्द करने की अनुमति अब भी दी जाएगी।

 

5) लॉरेंस बिशनोई का कुबूलनामा, ड्रग्स-हथियार फिरौती से चलता है गैंग 

मुंबई पुलिस के जहन में सबसे बड़ा सवाल ये चल रहा है की आखिर गुजरात के साबरमती जेल में बैठे बैठे लॉरेंस बिश्नोई अपना सिंडिकेट कैसे चला रहा है ? 
बाबा सिद्धकी मर्डर केस की पड़ताल में दिल्ली पुलिस के रिपोर्ट में, लॉरेंस बिश्नोई का कुबूलनामा  सामने आया है,लॉरेंस बिश्नोई का कुबूलनामा न सिर्फ उसकी अपराधिक गतिविधियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह से वह अपने विचारधारा और सिद्धांतों को अपने अपराधों के जरिये सही ठहराने की कोशिश कर रहा है। इस  कुबूलनामें  में  क्राइम की दुनिया में लॉरेंस की एंट्री, फिरौती-तस्करी से कमाई एवं जोधपुर के कोर्ट में सलमान खान को धमकाने से लेकर थाईलैंड और कनाडा से गैंग ऑपरेट होने का ज़िक्र है| लॉरेंस बिश्नोई का बयान  है कि "गैंग चलाने के लिए मुझे पैसो की जरुरत थी, जो मेरी बात नहीं मानता था उसपर मैं गोली चलवा देता था| 

लॉरेंस का पूरा बयान कुछ इस प्रकार था 

साल 2007 में चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में इलेक्शन के दौरान मेरी दोस्ती काला राणा से हुई, फिर 2008 में रोबिन बराड़ ने स्टूडेंट ऑर्गनिज़शन ऑफ़ पंजाब यूनिवर्सिटी ग्रुप से प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा था, मैं उसका प्रचार कर रहा था पर दूसरे ग्रुप से झगड़ा होने पर मैंने दोस्त के रायफल से विरोधी  कैंडिडेट पर गोली चला दी, मुझ पर हत्या की कोशिस का मामला दर्ज़ हुआ, फिर मैं 1 -2 महीने के लिए जेल गया फिर आया तो फिर गोलीबारी की और फिर जेल चला गया, तब मेरी गैंग की शुरुआत हुई। 

लॉरेंस की हिट लिस्ट में सबसे टॉप पर हैं सलमान खान

लॉरेंस बिश्नोई ने NIA को बताया कि बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान उसके लिस्ट में सबसे पहले नंबर पर है, उसने पूछताछ के दौरान इसका कारण भी बताया. लॉरेंस ने कहा कि 1998 में सलमान खान ने एक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान जोधपुर में काले हिरण का शिकार किया था. बात दें कि जिस समाज से (बिश्नोई समाज) लॉरेंस आता है वहां काले हिरण को पूजा जाता है, यही वजह है कि लॉरेंस बिश्नोई सलमान खान को मौत के घाट उतारना चाहता है. NIA सूत्रों के अनुसार सलमान खान की निगरानी के लिए लॉरेंस ने अपने सबसे करीबी, संपत नेहरा को मुम्बई भेजा था, संपत को बाद में हरियाणा एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया था।

लॉरेंस के कॉलेज वाले दोस्त ने ली थी सिद्धू मूसेवाले की जान 

बिश्नोई ने स्वीकार किया कि उसकी गैंग ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या को अंजाम दिया था। इस घटना ने पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। गैंगस्टर गोल्डी बराड़, जो बिश्नोई का सहयोगी है,उसने ही मूसेवाला की हत्या को अंजाम दिया था, और लॉरेंस बिश्नोई ने इसकी जिम्मेदारी ली | बिश्नोई ने यह भी स्वीकार किया कि उसका मकसद सिर्फ पैसे कमाना नहीं था, बल्कि समाज में आतंक फैलाना था। वह अपने गैंग के जरिए विभिन्न आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता था, जिसमें वसूली करना , मर्डर कॉन्ट्रैक्ट लेना और लोगों में भय पैदा करना शामिल है। उसकी गैंग का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ है।

अपराध और वसूली 

बिश्नोई ने कुबूल किया कि उसका गैंग मुख्य रूप से रंगदारी या वसूलने का काम करता है| उसके गैंग ने कई व्यापारियों, फिल्म सितारों, और व्यवसायियों से बड़ी रकम की मांग की। उसने खुलासा किया कि उसके गैंग ने पैसे नहीं देने वालों को धमकाया और कई बार हिंसा का सहारा लिया। यह भी माना जाता है कि उसके गैंग के सदस्य छोटे अपराधियों से लेकर बड़े अपराधों तक हर प्रकार की आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं।

लॉरेंस बिश्नोई का कुबूलनामा  का क्या निष्कर्ष निकलता है 

लॉरेंस बिश्नोई का कुबूलनामा यह दिखाता है कि वह एक संगठित और खतरनाक आपराधिक समूह का लीडर है , जो बदले की भावना, पैसों की लालच, और समाज में आतंक फैलाने के मकसद से अपराध करता है। उसका अपने अपराध को स्वीकार करना न केवल उसके अपराधों की गंभीरता को उजागर करता है  बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे एक गैंगस्टर जेल के अंदर रहकर भी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे सकता है। इसके अलावा, उसके राजनीतिक संबंधों को लेकर भी कई सवाल उठे हैं, हालांकि इस पर अभी तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है।

 

6 ) नागरिकता कानून को लेकर आपस में भिड़े जज

किन खामियों को लेकर असहमत दिखा पैनल?

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून की धारा 6-ए की संवैधानिकता को बरकरार रखा है और पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने बीते गुरुवार को ही 4-1 से इसके पक्ष में फैसला दिया। पीठ में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जे.बी पारदीवाला भी शामिल रहे। हालांकि, पीठ में शामिल जस्टिस जे.बी पारदीवाला ने फैसले से असहमति जताई। नागरिकता कानून की धारा 6-ए को लेकर अपनी असहमति जताते हुए जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि अधिनियम की धारा 6-ए भले ही इसे लागू करते समय वैध रही थी, लेकिन समय के साथ इसमें अस्थायी रूप से खामियां आ गई हैं। उन्होंने कहा, यह धारा राजनीतिक समझौते को विधायी मान्यता देने के लिए अधिनियमित की गई थी। आपको बता दें कि नागरिकता कानून की धारा 6-A को 1985 में असम समझौते के दौरान जोड़ा गया था। इस कानून के तहत जो बांग्लादेशी अप्रवासी 1 जनवरी, 1966 से पहले असम आए, उन्हें भारतीय नागरिक माना गया है। वहीं 1 जनवरी, 1966 से लेकर  25 मार्च, 1971 के बीच असम आये अप्रवासियों को कुछ शर्तों के साथ भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन 25 मार्च, 1971 के बाद असम आने वाले किसी भी अप्रवासी को भारतीय नागरिक नहीं माना गया।

समय के साथ धारा 6-ए हो गई असंवैधानिक?

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि यह अतार्किक रूप से हैरान करने वाला है कि 6-A के तहत नागरिकता का लाभ उठाने के इच्छुक व्यक्ति को पकड़े जाने का इंतजार करना पड़ता है और फिर उसे साबित करने के लिए लम्बे न्यायायिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता मेंहै। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि ये कानून के उद्देश्य के खिलाफ है, इसमें कोई अस्थायी सीमा नहीं है, इसलिए कोई भी व्यक्ति इस कानून के तहत विदेशी के रूप में पकड़ा जाना नहीं चाहेगा। धारा 6-A समय बीतने के साथ असंवैधानिक हो गई है और इससे राज्य पर अवैध अप्रवासियों का पता लगाने और उन्हें डिपोर्ट करने का सारा बोझ भी इसमें जुड़ जाता है। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि इस धारा को चुनावों से पहले असम के लोगों को खुश करने के लिए लाया गया हो। कानून के तहत 1971 से पहले ही भारत आने वाले सभी लोगों को भारत की नागरिकता दे दी गई थी, लेकिन तथ्य यह है कि साल 1966 से 1972 तक एक सख्त शर्त की धारा के अधीन एक वैधानिक श्रेणी बनाई गई, जिसका अर्थ है कि नागरिकता प्रदान करना एकमात्र उद्देश्य नहीं था और वास्तव में यह असम के लोगों को शांत करने के लिए था क्योंकि इस तरह के कानून को लागू करने से राज्य में हुए चुनावों में सत्ताधारी सरकार पर कोई नुकसान नहीं हुआ।

 

7.) सोने और चांदी ने तोड़े अब तक के सभी रिकॉर्ड 

अंतरास्ट्रीय बाजार में आर्थिक उथल-पुथल, डॉलर की कमजोरी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें सोने-चांदी की मांग को बढ़ा रही हैं। निवेशक सोने और चांदी को सुरक्षित निवेश मानते हैं, खासकर जब आर्थिक परिस्थितियां सही नहीं होती है  हैं। इसके अलावा, भारत में त्योहारी सीजन के चलते आभूषणों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे सोने-चांदी की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है,IBJA (Indian Bullion And Jewellers Association) के मुताबिक, मंगलवार की शाम को 24 कैरेट का शुद्ध सोना 78251 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो आज (बुधवार) सुबह महंगा होकर 78703 रुपये पहुंच गया है,वहीं चांदी की कीमत ₹1,00,600 प्रति किलो तक पहुंच गई है|  इसके बावजूद सोने का रेट देश के अलग अलग हिस्सों में हल्का सा ऊपर निचे पाया गया है,जिनमे से मुंबई:में ₹79,268 प्रति दस ग्राम ,दिल्ली में ₹78,500 प्रति दस ग्राम ,कोलकाता में ₹79,037 प्रति दस ग्राम, चेन्नई में ₹77,100  प्रति दस ग्राम,जयपुर (राजस्थान) में ₹77,348  प्रति दस ग्राम,पटना में ₹ 78,170  प्रति दस ग्राम, लखनऊ में ₹ 78,270 प्रति दस ग्राम रेट रहे है | 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोना हुआ महंगा

पूरी दुनिया में सोने की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना $2727 (लगभग 77640 रुपये) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है,केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती  से सोने को लगातार फायदा हो रहा है.आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में 0.72 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई और यह $2,727.2 प्रति औंस पर पहुंच गई..वहीं हाजिर सोने की कीमतों (Spot gold prices) ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिकॉर्ड बनाया और $2,712.43 प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गई वही अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों (US Presidential Elections 2024 ) में अनिश्चितता और Middle East Crisis की स्थिति भी सोने की कीमतों को बढ़ावा दे रही है. यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने कल ब्याज दरों में कटौती की, जो इस साल तीसरी बार और लगातार 13 सालों में पहली बार किया गया कटौती है,आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण आगे भी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है,इसी दौरान, डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच हो रहे कड़े मुकाबले ने भी परेशानिया बढ़ा दी है, जिसके साथ मिडिल ईस्ट में युद्ध छिड़ने की आशंका भी सोने की कीमतों को रिकॉर्ड एवं ऊंचाई पर ले जा रही है |