जिंदगी की सबसे हसीन जगह पर आतंकवादियों ने सबसे बर्बर घटना को अंजाम दिया है, वो भी सिर्फ नाम, धर्म या शक के आधार पर। यह कोई कहानी नहीं है। यह ‘घाटी’ की गूंज है, जो अभी-अभी लाशों से होकर निकली है। मंगलवार, दोपहर का वक्त ,पहलगाम के बैसरन में, जिसे मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है, वहां सिर्फ चींखे सुनाई दी। टूरिस्ट अपने बैग से कैमरा नहीं, अब कफन निकाल रहे थे। कुछ अपनी छुट्टियों के लिए आए थे, कुछ हनीमून पर, और कुछ ज़िंदगी के बोझ से राहत पाने के लिए। लेकिन इस बार कश्मीर ने सुकून नहीं, सजा दी।
पुलवामा के बाद घाटी का यह सबसे बड़ा आतंकी हमला था। 28 लोग मारे गए, जिनमें से 26 पर्यटक, 2 विदेशी, और 2 स्थानीय नागरिक थे। इनमें एक नाम है शुभम द्विवेदी, जिनकी शादी 12 फरवरी 2025 को हुई थी। सिर्फ 2 महीने बाद, वो अपनी पत्नी के साथ हनीमून मनाने कश्मीर आए थे। अब पत्नी की गोद में शुभम का सिर था... लेकिन साँसें नहीं थीं। एक महिला की चीखों से बैसरन गूंज रहा था “मेरे पति को बचा लो... वो वहीं पड़े हैं... कोई है जो मदद कर दे?”
जवाब में आए सिर्फ कैमरे, मोबाइल्स और अफसोस। दोपहर करीब ढाई बजे, 3 से 5 वर्दीधारी आतंकी बैसरन के पास जंगलों से निकलते हैं। ट्रैकिंग कर रहे टूरिस्ट समझ ही नहीं पाए कि यह सेना है या शैतान। "नाम बताओ... धर्म क्या है?"जो ‘हिंदू’ या ‘गैर-मुस्लिम’ लगे, उन्हें गोली मार दी गई। जिनसे पहचान पत्र मांगा गया, उन्हें धर्म के आधार पर जज किया गया और सज़ा दी गई "मौत"। एक नवविवाहिता ने जब अपने पति की छाती पर हाथ रखा तो खून उसकी हथेली में भर आया।“आतंकी आए और बोले – ये मुस्लिम नहीं लग रहे, मार दो। उन्होंने गोली चला दी।” वो भागी, मदद मांगने... मगर मदद पहुंची तब तक ‘शुभम’ नाम का शख्स सिर्फ एक आंकड़ा बन चुका था – नंबर 14, बैसरन हत्याकांड का। घोड़े वाले भाग गए। गाइड झाड़ियों में छिप गए। पर्यटक मैदान में चीखते रहे, एक-दूसरे को खींचते रहे, कुछ ज़िंदा थे लेकिन बोल नहीं पा रहे थे। 20 से 25 मिनट तक आतंकी गोलियां चलाते रहे – जो दिखा, मारा। वीडियो बना रहे एक पर्यटक ने बस इतना कहा "हम कश्मीर घूमने आए थे, मरने नहीं..." शुरुआती जांच में पता चला है कि ये आतंकी जम्मू के किश्तवाड़ से घुसे, कोकरनाग के रास्ते बैसरन पहुंचे। यह अंतर-क्षेत्रीय घुसपैठ की नई चाल है। बैसरन टॉप से लौट रही एक टैक्सी को आतंकियों ने घात लगाकर निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आतंकियों ने नाम पूछकर टारगेट किया और फिर सिर में गोली मार दी। यह हमला किसी संयोग या ‘स्पॉन्टेनियस’ घटना का नतीजा नहीं था, बल्कि पूरी तरह से प्लान्ड, प्री-रेकीड और एक्सेक्यूटेड ऑपरेशन था। जैसे ही गोलियों की आवाज़ें गूंजीं, वहां मौजूद अन्य पर्यटक घबरा गए। कई जान बचाने के लिए पहाड़ से कूद गए।नागपुर की सिमरन रूपचंदानी ऐसी ही एक महिला थीं, जिनके पैर में फ्रैक्चर आ गया। कश्मीर में धीरे-धीरे लौटते अमन और टूरिज़्म को नष्ट करने की साज़िश है। ये हमला सिर्फ कुछ लोगों पर नहीं, पूरे भारत के भरोसे पर हमला था प्रशासन ने श्रीनगर में इमरजेंसी कंट्रोल रूम बनाया है। दिलीप देसले, पनवेल, महाराष्ट्र के निवासी थे। हमले में उनकी भी जान चली गई। अन्य घायलों का इलाज पहलगाम और श्रीनगर के अस्पतालों में जारी है। कुछ की हालत गंभीर है। वहीँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी आधिकारिक यात्रा बीच में छोड़ी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका और पेरू का दौरा बीच में रोका। पुलिस और इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक यह हमला 3 जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा से पहले का एक ‘टेस्ट रन’ हो सकता है। इलाके की रेकी की गई थी, सुरक्षा बलों की मौजूदगी को लेकर प्लानिंग हुई थी, और फिर समय देखकर हमला किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने हाई-लेवल मीटिंग बुलाई। नंबर जारी किए गए: 0194-2457543, 0194-2483651 . हमले के बाद कश्मीर बंद का आह्वान किया गया है। ये उन हज़ारों टूरिस्टों की आवाज़ है जो अब सवाल पूछ रहे हैं हमारा क्या कसूर था? घाटी के सभी प्रमुख राजनीतिक दल, ट्रेड यूनियन, होटल एसोसिएशन, और चैंबर ऑफ कॉमर्स ने बंद को समर्थन दिया है। पर्यटन और व्यापार पर इसका सीधा असर पड़ा है। और अंत में... कश्मीर की वादियाँ आज भी हरी हैं, लेकिन उसके भीतर लाल रंग की एक स्याही बह रही है। वो स्याही, जो कहती है "यहाँ सिर्फ लोग नहीं मरे हैं, यहाँ इंसानियत मरी है, कश्मीरियत मरी है, और सबसे ज़्यादा मरा है तुम्हारा भरोसा।"
पहलगाम में एक भयावह आतंकी हमले ने 26 मासूम जिंदगियों को निगल लिया। इस दिल दहला देने वाली घटना की जिम्मेदारी पाकिस्तान में पल रहे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ यानी TRF ने ली है। इस हमले के पीछे जिस शख्स का नाम सामने आया है, वो कोई आम आतंकी नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है, जिसे सैफुल्लाह कसूरी के नाम से भी जाना जाता है। भारत के सबसे बड़े दुश्मनों में गिने जाने वाले हाफिज सईद का यह करीबी आतंक की दुनिया का वो चेहरा है, जो पाकिस्तान में ताकत की कुर्सियों के इर्द-गिर्द घूमता है। लग्जरी गाड़ियों में घूमने वाला, हथियारों से लैस गार्ड्स के बीच रहने वाला कसूरी न सिर्फ आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है, बल्कि पाकिस्तानी फौज को भी उकसाता है। बताया जा रहा है कि हमले से दो महीने पहले वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कंगनपुर में देखा गया था, जहां सेना की एक बड़ी बटालियन तैनात है। घाटी में हुए इस नरसंहार के बाद भारत सरकार हरकत में आ गई है। मंगलवार की शाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद जम्मू-कश्मीर पहुंचे और वहां की सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया। जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी नलिन प्रभात ने उन्हें ताजा हालात से अवगत कराया, जिसके बाद शाह ने सेना, सीआरपीएफ और स्थानीय पुलिस के उच्चाधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की अध्यक्षता की। सवाल अब सिर्फ इतना नहीं कि हमला कैसे हुआ—बल्कि ये है कि सैफुल्लाह जैसे खूंखार आतंकी आखिर पाकिस्तान की सरपरस्ती में क्यों पनपते हैं? भारत ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को एक्सपोज़ किया है, लेकिन अब वक़्त आ गया है कि सिर्फ कड़े बयान नहीं, ठोस कार्रवाई हो। क्योंकि जब तक सैफुल्लाह जैसे चेहरे पाकिस्तान की फौजी छतरी में फलते-फूलते रहेंगे, तब तक पहलगाम की घाटियों में मासूमों का खून बहता रहेगा।
भारतीय शेयर बाजार ने बुधवार को एक बार फिर तेजी का झंडा बुलंद किया और लगातार सातवें दिन हरे निशान पर बंद हुआ। सेंसेक्स 520.90 अंकों की छलांग लगाकर 80,116.49 के स्तर पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 161.70 अंकों की बढ़त के साथ 24,328.95 पर बंद हुआ। यह एक संकेत है कि निवेशकों का भरोसा बना हुआ है, और विदेशी पूंजी प्रवाह बाजार को लगातार मजबूती दे रहा है। हालांकि, हर क्षेत्र ने इस उत्सव में समान भागीदारी नहीं दिखाई। जहां आईटी सेक्टर चमकता रहा—HCL टेक का शेयर 7% से ज्यादा उछल गया—वहीं FMCG सेक्टर में मिठास कम दिखाई दी। वाडीलाल इंडस्ट्रीज, यूरो इंडिया फ्रेश फूड्स और प्रतीप स्नैक्स जैसे ब्रांड्स के शेयरों में 1.77% से लेकर 2.70% तक की गिरावट दर्ज की गई। सुबह बाजार की शुरुआत जोशीली रही। सेंसेक्स 500 अंक से अधिक की तेजी के साथ खुला, जिससे निवेशकों के चेहरे खिल उठे। लेकिन पहले एक घंटे में ही बाजार ने अपनी रफ्तार थोड़ी खो दी और सेंसेक्स फिर से 80 हजार के नीचे फिसल गया। इसके बावजूद, टाटा मोटर्स, टीसीएस, और एलटी फूड्स जैसी कंपनियों ने बाजार की चाल को संभाले रखा। वहीं, एक्सिस बैंक और आईटीसी जैसे दिग्गजों में गिरावट देखी गई।
HCL टेक के शेयरों में उछाल का कारण कंपनी के तगड़े तिमाही नतीजे रहे। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कंपनी ने उम्मीद से बेहतर मुनाफा कमाया, जिसने निवेशकों का मनोबल बढ़ा दिया। निवेशकों की संपत्ति में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है शेयर बाजार की छह दिन की रैली ने निवेशकों की संपत्ति में 33.55 लाख करोड़ रुपये का इजाफा कर दिया। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप अब 4,27,37,717 करोड़ रुपये (लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर) के स्तर को पार कर चुका है।
वैश्विक दबाव के बावजूद भारत में उम्मीद कायम है जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर के मुताबिक, ट्रंप और फेडरल रिजर्व से जुड़ी नकारात्मक वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद भारतीय बाजार में उम्मीद बनी हुई है। आरबीआई की नकदी कवरेज में छूट और डॉलर की कमजोरी ने विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया है।