आतंक के आकाओं पर आतंकवादी हमला
आतंकवादी हमले से दहशत में पाकिस्तानी सेना
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तानी सेना के 6 सैनिकों की मौत हो गई। रात के वक्त अचानक हुए इस हमले में करीब 11 जवान घायल बताए जा रहे हैं। इन हमलों में 12 विद्रोही लड़ाके भी मारे गए हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। हमले के बाद पाकिस्तानी सेना ने पूरे इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। बता दें, यह हमला क्षेत्र में बढ़ते तनाव और पकिस्तान सरकार और उसकी आर्मी द्वारा वहां के नागरिकों पर किये जा रहे अत्याचार और स्थानीय लोगों के अपहरण के बाद उनकी बर्बर हत्या के बीच हुआ है। TTP के लड़ाके इस क्षेत्र में लम्बे समय से सक्रिय है और सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर पहले भी कई ऐसे हमले कर चुके हैं। खबरों से आ रही जानकारी के अनुसार, अफगानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में गुरुवार और शुक्रवार की मध्यरात्रि को पाकिस्तानी सेना की एक सुरक्षा चौकी पर हुए हमले में छह सुरक्षाकर्मी मारे गए और 11 अन्य घायल हो गए। पाकिस्तान सेना की मीडिया शाखा इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने बताया कि उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुई दो भीषण मुठभेड़ों में कम से कम 12 TTP के लड़ाके भी मारे गए हैं।
पाकिस्तान के अफगानिस्तान पर क्या हैं आरोप?
शुक्रवार को हुई एक अन्य घटना में दक्षिणी वजीरिस्तान के वारसाक इलाके में गोलीबारी में पांच मिलिटेंट्स के मारे जाने और दो सुरक्षाकर्मी के घायल होने की खबर है। सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोके जाने के बाद मिलिटेंट्स ने फायरिंग शुरू कर दी। पाकिस्तान सरकार लगातार अफगानिस्तान पर TTP को शरण देना का आरोप लगाती रही है। जिसका अफगानिस्तान की तालिबान सरकार खंडन करती रही है। बता दें, साल 2021 में काबुल में तालिबान द्वारा सरकार पर कब्जा करने और US-NATO की सेना के देश छोड़ने के बाद से पाकिस्तान में आतंकवाद की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिसके बाद इस्लामाबाद में वो उम्मीदें धराशायी हो गई हैं, जिसमें उसे लग रहा था कि, अफगानिस्तान सरकार उसकी उग्रवाद से निपटने में मदद करेगी। देश में लगातार हो रही इन घटनाओं के चलते दोनों देशों के बीच संबंध भी काफी तनावपूर्ण हो गए हैं, जिसका मुख्य कारण TTP है, ऐसा पकिस्तान का आरोप है। सीमा पर लगातार TTP लड़ाकों और पाकिस्तान सेना के बीच झड़पें चलती रहती हैं। TTP की स्थापना 2007 में कई विद्रोही संगठनों के एक समूह के रूप में की गई थी। पाकिस्तानी सरकार ने आधिकारिक तौर पर इस प्रतिबंधित संगठन को "फितना अल-खवारिज" घोषित किया हुआ है।
कब और कैसे होगी ये अद्भुत घटना?
अंतरिक्ष की दुनिया कितनी दिलचस्प और रहस्यों से भरी है, इसका अंदाजा लगाना लगभग नामुमकिन है। यही वजह है कि इंसान कई दशकों से अंतरिक्ष के बहुत सारे राज जानने की कवायद में लगा हुआ है। हमारी पृथ्वी पूरे ब्रह्मांड का एक बेहद छोटा सा हिस्सा है और न जाने ऐसे कितने ही ग्रह पूरे यूनिवर्स में हैं, जिनके बारे में अभी तक लोगों को कुछ मालूम नहीं। यही वजह है कि वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष की दुनिया हमेशा एक जिज्ञासा का विषय रहा है और इन्हीं राज को जानने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात कुछ-न-कुछ नई खोज में लगे रहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार अंतरिक्ष में एक और दुर्लभ और खगोलिय घटना देखने को मिलने वाली है। इस महीने के आखिर में धरती से एक नहीं बल्कि दो चांद देखे जा सकेंगे। धरती से प्रतिदिन दिखने वाले चांद के अलावा एक मिनी मून भी अंतरिक्ष में दिखाई देगा, यह चांद एक एस्टेरॉयड है, जो छोटे चांद की तरह दिखता है और पृथ्वी के चक्कर लगाने के कारण इसे मिनी मून कहा जा है। इस मिनी मून को 2024 PT5 नाम दिया गया है और ये छोटा एस्टेरॉयड 29 सितंबर से 25 नवंबर, 2024 तक यानी 56 दिनों के लिए पृथ्वी की कक्षा में रहेगा।
2024 PT5 को क्यों कहा जा रहा है मिनी मून?
मिनी मून एक छोटा खगोलीय पिंड होता है और ऐसी घटनाएं अंतरिक्ष में आम हैं, जो हर कुछ दशकों में होती हैं। 7 अगस्त, 2024 को ATLAS द्वारा खोजा गया PT5 पृथ्वी की कक्षा में खींचा जाने वाला एक ऐसा एस्टेरॉयड है, जो केवल 33 फीट (10 मीटर) डाईमीटर वाला एस्टेरॉयड है। 2024 PT5 एस्टेरॉयड को आसमान में खाली आंखों से नहीं देखा जा सकता है क्यूंकि इसका आकार बहुत बड़ा नहीं है और इसलिए इस एस्टेरॉयड को विशेष उपकरणों से ही देखना संभव होगा। यह हमारे ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से बचने और सूर्य के चारों ओर अपना मार्ग फिर से शुरू करने से पहले पृथ्वी के चारों ओर एक परिक्रमा पूरी करेगा। ये एस्टेरॉयड पृथ्वी के चारों ओर एक ही परिक्रमा करेगा और फिर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से आगे बढ़ जाएगा।
भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज सुबह सात बजे से मतदान शुरू हो गए हैं। देशभर में 13,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर एक करोड़ 70 लाख लोग अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करेंगे। बता दें, मतदान शाम पांच बजे तक जारी रहेगा और इसके नतीजे रविवार तक घोषित किए जाने की संभावना है। साल 2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में यह पहला चुनाव है। देश के मौजूदा 75 वर्षीय राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के अपने प्रयासों की सफलता के आधार पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं और कई विशेषज्ञ इसके लिए उनकी सराहना भी कर चुके हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति और स्वतंत्र राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के कोलंबो में एक मतदान केंद्र पर जाकर अपना वोट डाला। श्रीलंका राष्ट्रपति चुनाव में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। त्रिकोणीय चुनावी लड़ाई में विक्रमसिंघे को नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के 56 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके और समागी जन बालावेगया (SJB) के 57 वर्षीय साजिथ प्रेमदासा से कड़ी टक्कर मिल रही है। विश्लेषकों का मानना है कि 1982 के बाद से श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
चुनाव के बाद कैसे होंगे भारत-श्रीलंका रिश्ते?
कोलंबो में बीते महीने आयोजित 31वीं अखिल भारतीय साझेदार बैठक को संबोधित करते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि भारत की नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए अपनी पिछली भारत यात्रा के दौरान उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ साझेदारी के प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की। उन्होंने आगे कहा, श्रीलंका अपने आर्थिक संकट के दो कठिन वर्षों से उबर पाया है और यह भारत से मिले 3.5 अरब डॉलर के वित्तीय सहयोग के कारण संभव हो पाया है। विक्रमसिंघे ने भारत के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया था।
किन क्षेत्रों में रहेगा दोनों देशों का फोकस?
विक्रमसिंघे ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है जिस पर दोनों देश संयुक्त रूप से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने भारत के साथ कई प्रस्तावों पर चर्चा की है, पहला श्रीलंका और भारत के बीच ग्रिड इंटरकनेक्शन, ताकि पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा भारत को भेजी जा सके, जहां आप सभी को इसकी बहुत जरूरत है। हमारे पास सामपुर सौर ऊर्जा परियोजना है, जो अंतरसरकारी परियोजना है और एक तीन-द्वीप परियोजना है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त श्रीलंका और भारत के बीच भूमि संपर्क स्थापित करने की परियोजना पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।