करहल रेप-हत्याकांड का क्या है सपा कनेक्शन?
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में एक दलित युवती की रेप के बाद हत्या का मामला सामने आने से सनसनी मच गई है। मृतक युवती का शव नग्न अवस्था में मिला है, जिसके बाद उसके परिजनों ने आरोप लगाया है कि एक दिन पहले ही उन्हें धमकी मिली थी और अगले दिन बेखौफ अपराधियों ने वारदात को अंजाम दे दिया। मृतिका के परिवार ने दावा किया है कि वारदात को चुनावी रंजिश को लेकर अंजाम गया है, लेकिन फिलहाल पुलिस ने ऐसी किसी भी जानकारी से इनकार किया है और कहा है की मामले में जांच जारी है, इस मामले में दो आरोपी भी गिरफ्तार किए गए हैं। इस पूरे मामले में जिला एसपी विनोद कुमार ने बताया कि कल शाम से ही युवती लापता थी और जिन लोगों पर आरोप है उनको कल रात में ही अरेस्ट कर लिया गया था। उन्होंने बताया मृतिका शव आज सुबह ही मिला है, जिसके तुरंत बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है, साथ ही पूरे मामले में आगे की कार्यवाही की जा रही है। युवती के परिजनों का आरोप है कि चुनाव में वोट डालने को लेकर एक पक्ष के लोगों ने उन्हें धमकाया था। परिवार के अनुसार बीते मंगलवार, 19 नवंबर को दो लोग बाइक पर आये और बेटी को बैठाकर ले गए और इन्हीं दोनों ने बेटी की हत्या कर शव को फेंक दिया जो आज सुबह नग्न अवस्था में थाना करहल इलाके में कंजरा नदी पुल के पास से मिला है।
मैनपुरी के करहल में उपचुनाव के दौरान अनुसूचित जाति की युवती की हत्या कर दी गई, उपचुनाव के दौरान दलित युवती की हत्या से सनसनी फैली हुई है। परिजनों का आरोप है कि बेटी भाजपा उम्मीदवार को वोट देना चाहती थी, इसलिए उसकी हत्या कर दी गई। परिजनों का आरोप है कि सपा को वोट न देने पर उसकी जान ले ली गई। मृतक युवती के परिजनों ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि हत्या से पहले उनकी बेटी को शराब पिलाई गई, फिर उसके साथ दरिंदगी की गई और बाद में बेरहमी से उसकी हत्या को अंजाम दिया गया। पिता का आरोप है कि आरोपी ने शराब में कुछ नशीला पदार्थ मिला दिया, इसके बाद दुष्कर्म कर उसकी हत्या की। परिजनों के अनुसार इस दौरान उनकी मृतक बेटी की चप्पलें वहां पर छूट गई। नशे में धुत आरोपी ने सबूत मिटाने के लिए चप्पलें घर से बाहर फेंकने को लेकर पत्नी को फोन भी किया था और उसकी इस कॉल का ऑडियो मृतिका के परिजन के पास मौजूद है। परिजन आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि वो सभी तथ्यों की गंभीरता से जांच कर रही है और पूरे मामले में जल्द कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है। मैनपुरी के करहल में हुई इस दिल दहला देने वाली घटना को बीजेपी ने जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। इस मामले में यूपी बीजेपी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' के माध्यम से मृतक युवती के पिता का बयान जारी किया है, जिसमें वे बेटी की हत्या को लेकर सपा पर आरोप लगाते दिख रहे हैं। बीजेपी की ओर से कहा गया कि करहल में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता प्रशांत यादव और उसके साथियों ने एक दलित बेटी की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, क्योंकि उसने 'साइकिल' पर वोट देने से मना कर दिया था।
दिल्ली में लगेगा 'लॉकडाउन' 50% एम्प्लोयी घर से करेंगे काम
दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो गई है की सरकार को 'लॉकडाउन' जैसे कदम उठाने पड़ गए है | दिल्ली सरकार ने 50% गवर्मेंट एम्प्लोयी को वर्क फ्रॉम होम करने को कहा है। साथ ही प्राइवेट सेक्टर वालों से भी रिक्वेस्ट की गई है कि वो भी अपने एम्प्लोयी को घर से काम करने को दें | AQI 500 के पार चला गया है।दिन का टेम्परेचर 22°C के आसपास और रात का 10°C तक गिर रहा है।आनंद विहार, द्वारका, जैसी जगहों पर AQI 550-600 तक पहुंच गया। दिल्ली की सर्दियों का मजा वैसे तो अपनी चाय और परांठों के साथ आता है, लेकिन इस बार ज़हरीली हवा ने सारा मूड बिगाड़ दिया है। सुबह की धुंध अब ठंड की नहीं, बल्कि पॉल्यूशन की चादर बन गई है। दिल्ली सरकार ने पॉल्यूशन काबू में लाने के लिए कुछ सख्त कदम उठाए हैं,जैसे सरकारी दफ्तरों के 50% एम्प्लोयी अब घर से काम करेंगे। सिर्फ जरूरी सेवाओं वाले ऑफिस आ सकेंगे। जो ऑफिस आ रहे हैं, उनसे कहा गया है कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज करो इसके अलावा सभी स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज लेने की सलाह दी गई है। अब दिल्ली की सड़कों पर सिर्फ CNG और इलेक्ट्रिक वाहन ही दिखेंगे। डीजल और पेट्रोल गाड़ियों पर बैन लगा दी गयी है।पूरे दिल्ली में सड़कों पर 200 एंटी स्मॉग गन से पानी के छिड़काव का अभियान शुरू किया गया है।
सरकार ने दिल्लीवालों से रिक्वेस्ट की है जब तक जरूरी न हो, घर से बाहर मत निकलो। मास्क पहनकर रखो और घर में पौधे लगाओ और पराली जलाने की खबर मिले तो तुरंत रिपोर्ट करो। दिल्ली की हालत इतनी खराब हो गयी है की सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन और सीने में भारीपन जैसी चीज़े आम बात हो गई है।मार्केट और सड़कों पर भीड़ कम हो गई है। विजिबिलिटी इतनी खराब है कि गाड़ियां चलाना मुश्किल हो गया है। हवा इतनी खराब है कि स्ट्रीट पर चाय पीते हुए भी मास्क निकालना खतरे से खाली नहीं।
ट्रूडो का झूठ बेनकाब ! मोदी का नाम क्यों घसीटा ?
कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने जब से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मुद्दा उठाया था , पूरा माहौल गरम हो गया था, वो आरोप लगाते-लगाते सीधे हमारे देश के PM मोदी जी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और NSA (National Security Advisor of India) अजीत डोभाल तक पहुंच गए।हरदीप सिंह निज्जर, जिसे भारत ने 2020 में आतंकवादी घोषित कर रखा है, जून 2023 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में, निज्जर को गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी गई। आरोप लगाया गया था कि पीएम मोदी को ब्रिटिश कोलंबिया में निज्जर की हत्या की साजिश की जानकारी थी| निज्जर खालिस्तान मूवमेंट का बड़ा चेहरा था,ट्रूडो ने UN में और फिर अपने संसद में भी गला फाड़-फाड़कर कहा कि इस हत्या में भारत का हाथ है। हालांकि विवाद तब हुआ जब एक कनाडाई अखबार ग्लोब एंड मेल नामक समाचार पत्र में सीधा लिखा गया और आरोप लगया गया की इस हत्या में मोदी का हाथ है,लेकिन अब मामला पलट गया है। ट्रूडो की सरकार ने खुद ही मान लिया कि इन नेताओं का इस केस में कोई रोल नहीं है और उस अख़बार के वाक्या को मज़ाक में टाल दिया ।ट्रूडो सरकार सिर्फ बातें कर रही थी, ठोस कुछ दिखा नहीं पाए यानि जस्टिन ट्रूडो सिर्फ हवा में तीर मार रहे थे। इन आरोपों के बाद भारत ने कनाडा के साथ बातचीत बंद कर दी है,कनाडा के राजनयिकों को भारत से निकाल दिया गया है,इसके अलावा व्यापारिक डील्स पर रोक लगा दी गयी है | रणधीर जायसवाल जो (Official Spokesperson of the Ministry of External Affairs of India) है उन्होंने कहा की भारत के खिलाफ इस तरह की बयानबाजी सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि खराब करने की कोशिश है।
ट्रूडो को अपनी पॉलिटिक्स बचानी थी। कनाडा में खालिस्तानी सपोर्टर्स की संख्या अच्छी-खासी है, और ट्रूडो की गद्दी खिसक रही थी।निज्जर की हत्या का ठीकरा भारत पर फोड़ने से उन्होंने खालिस्तानी सपोर्टर्स को खुश करने की कोशिश की। लेकिन असल में क्या हुआ अब जब कनाडा ने खुद कहा कि मोदी, जयशंकर और डोभाल का इसमें कोई हाथ नहीं है, तो ये बात साफ हो गई कि पूरा मामला सिर्फ पॉलिटिकल पब्लिसिटी का था। चर्चा ये भी है कि ट्रूडो साहब की ये चाल उल्टी पड़ गई है | इससे कई बातें स्पष्ट होती है जैसे ट्रूडो की बातों में दम नहीं था,भारत की छवि खराब करने का इरादा फेल हो गया,यानि कनाडा की पॉलिटिक्स में खालिस्तानियों को खुश करने का गेम खेला गया था |
हरदीप सिंह निज्जर एक खालिस्तानी एक्टिविस्ट था, मतलब वो "खालिस्तान" नाम का अलग देश बनाने की मांग करता था। भारत सरकार ने 2020 में उसे आतंकवादी घोषित किया था। उस पर आरोप था कि वो पंजाब में आतंक फैलाने के लिए फंडिंग करता था और कई हिंसक गतिविधियों में शामिल था।
2002 में हुए गोधरा कांड पर बनी फिल्म क्यों है सुर्खियों में?
गुजरात के गोधरा में हुए ट्रेन अग्निकांड पर बनी फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' इन दिनों सुर्खियों में हैं और विवाद के मामले में 'द कश्मीर फाइल्स' की राह पर है। फिल्म की कहानी को देखते हुए देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री ने इसे टैक्स फ्री करने का बड़ा फैसला लिया है। भाजपा शासित पांच राज्य ऐसे हैं, जिसने पिछले सप्ताह सिनेमाघरों में रिलीज हुई इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। 'द साबरमती रिपोर्ट' को टैक्स फ्री करने की लिस्ट में नया नाम गुजरात का है, ये फिल्म गुजरात में हुए अग्निकांड पर आधारित है और जब ये अग्निकांड हुआ था तब राज्य के मुख्यमंत्री कोई और नहीं बल्कि मौजूदा समय में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। बता दें, ये दिल देहला देने वाला कांड तब हुआ जब कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ ने गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में आग लगा दिया था, इस घटना में ट्रैन के डिब्बे में बंद लोगों को जिंदा जला दिया गया था और इसमें करीब 59 मासूम लोगों की जलकर मृत्यु हो गई थी। इस घटना में ज्यादातर हिन्दू श्रद्धालु थे और इस घटना के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर दंगे भी भड़क गए थे, जिसे 'गुजरात 2002 दंगों' के नाम से भी जाना जाता है। इस दंगों को लेकर करीब एक दशक से भी ज्यादा राजनीती भी हुई और विपक्ष और विदेशों में बैठे एक इकोसिस्टम द्वारा हर प्रयाश किया गया कि किसी तरह इस दंगों के लिए तब के प्रदेश के मुख्यमंत्री और आज के प्रधानमंत्री को फसाया जा सके, लेकिन देश और विदेश में बैठी ये ताकतें अपने प्रयास में सफल नहीं हो सकीं, क्यूंकि लम्बे चले इस केस में भारत की उच्य न्यायलय ने गुजरात की तब की सरकार और नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दिया।
गुजरात से पहले इस फिल्म को राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्य टैक्स फ्री घोषित कर चुके हैं। आपको बता दें, 'द साबरमती रिपोर्ट' 27 फरवरी, 2002 को हुई घटना पर आधारित हैं। इस फिल्म में राशि खन्ना, विक्रांत मैसी और रिद्धि डोगरा जैसे कलाकार हैं, मूवी में इन सभी कलाकारों ने पत्रकार की भूमिका अदा की है।
Uttar Pradesh: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साबरमती रिपोर्ट को प्रद्सेह में टैक्स-फ्री करने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि 'द साबरमती रिपोर्ट' एक ऐसा सच है जिसे इस फिल्म के माध्यम से देशवासियों के सामने लाने की कोशिश की गई है। उन सभी लोगों को जो लगातार दशकों तक सच पर पर्दा डालने और देश के खिलाफ षड्यंत्र करने का काम करते रहें, उनको इस फिल्म ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा, अयोध्या से वापस गुजरात जाने के दौरान गोधरा में जो हुआ था, उस सच्चाई को दबाने का हर स्तर पर प्रयास देश और विदेश में रह रहे इकोसिस्टम द्वारा किया गया। सत्य को छुपाने वालों को एक्सपोज किए जाने की जरूरत है और ये इस फिल्म के माध्यम से शुरू हो चूका है। सीएम योगी ने कहा, देश की जनता को सच जानने का अधिकार है और इस फिल्म ने वास्तविकता को देश के सामने लाने का काम किया है। हर देशवासी को इस फिल्म को देखना चाहिए। मैंने भी इस फिल्म को देखा है और मैं उन सभी रामभक्तों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि देता हूं, जो उस अग्निकांड में जीवित जलाकर मार दिए गए।
Madhya Pradesh: ‘द साबरमती रिपोर्ट' को मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार टैक्स फ्री कर चुकी है और इस बात की घोषणा खुद राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मीडिया से बात करते हुए की है। मुख्यमंत्री ने कहा “ साबरमती एक बहुत अच्छी फिल्म है, मैं व्यक्तिगत रूप से इसे देखने जा रहा हूं और मैं अपने मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को भी अपने साथ ले जा रहा हूं। मैं बताना चाहता हूं कि हम इसे टैक्स फ्री करने जा रहे हैं ताकि अधिक लोग इसे देख सकें और अतीत के उस काले अध्याय के बारे में जान सकें जिसकी सच्चाई इस फिल्म को देखने के बाद समझ में आती है। राजीतिक दलों का काम है राजनीती करना, लेकिन वोटों की राजनीति के लिए देश में दशकों तक एक राज्य के चुने हुए मुख्यमंत्री के विरुद्ध इतना गंदा खेल खेला गया जो लोकतंत्र और उसकी व्यवस्था को शर्मसार करता है। मेरा मानना है कि उस समय प्रधानमंत्री मोदी तत्कालीन मुख्यमंत्री थे और उन्होंने बेहद कुशलता के साथ पूरी घटना को संभाला था और ऐसे में इस फिल्म के माध्यम से सच्चाई देश के सामने आनी चाहिए।
Gujarat: गुजरात के ही गोधरा में हुए अग्निकांड पर बनी फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' इस महीने की 15 तारीख को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म को गुजरात में कर मुक्त कर दिया गया है, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने बुधवार रात एक मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने के बाद यह फैसला लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस फिल्म की सराहना कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने फिल्म की निर्माता एकता कपूर, बॉलीवुड स्टार जितेंद्र, अभिनेत्री रिद्धि डोगरा और गुजरात के गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी के साथ फिल्म देखी और फिल्म की प्रशंसा की है। बता दें, पीएम मोदी ने इस फिल्म की तारीफ करते हुए कहा था कि फेक नैरेटिव ज्यादा दिनों तक नहीं चलता और अच्छी बात है कि इस फिल्म के माध्यम से सच्चाई सबके सामने आ रही है। पीएम के साथ गृहमंत्री अमित शाह ने भी फिल्म की तारीफ की है। गुजरात के गोधरा कांड पर बनी फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' में विक्रांत मैसी, राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा लीड रोल में हैं। फिल्म में दिखाया गया है की कैसे ट्रेन की एक बोगी को कट्टरपंथियों की भीड़ ने आग के हवाले कर दिया, जिसमें झुलसकर करीब 59 मासूम लोगों की मौत हो गई थी। फिल्म में अभिनेत्री राशि खन्ना, विक्रांत मैसी और रिद्धि डोगरा पत्रकार की भूमिका में हैं। फिल्म में रिद्धि ने एक अंग्रेजी और विक्रांत-राशि ने हिंदी पत्रकार की भूमिका निभाई है।
Chhattishgarh: आज से करीब 22 साल पहले गुजरात के गोधरा में हुए ट्रेन हादसे से प्रेरित फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' को लेकर इस वक्त देशभर में काफी चर्चा हो रही है। इन्हीं चर्चाओं के बीच अब छत्तीसगढ़ में भी फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया है, जिसकी आधिकारिक घोषणा खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव राय की तरफ से की गई। उन्होंने कहा कि 'द साबरमती रिपोर्ट' एक शानदार फिल्म है और मैं इसे सिनेमाघर में देखने के लिए जाने वाला हूं। इसके साथ ही हमारे राज्य में 'द साबरमती रिपोर्ट' को टैक्स फ्री किया गया है। मैंने अपने मंत्री मडंल के नेताओं से भी इस मूवी को देखने की अपील की है। बता दें, निर्देशक धीरज सरना द्वारा निर्मित 'द साबरमती रिपोर्ट' को लेकर एक पक्ष की ओर से काफी विवाद भी खड़ा किया जा रहा है, लेकिन वहीं दूसरी ओर देश की बड़ी आबादी इस मूवी की जमकर तारीफ भी कर रही है और फिल्म के निर्माताओं से लेकर स्टार की खूब सराहना की जा रही है।
Title: छत्तीसगढ़ में सेना का प्रहार, 10 नक्सली मौत के शिकार
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में जो हुआ, वो फिल्मी सीन जैसा लग रहा है। सुकमा के कोंटा और भेज्जी इलाके में जंगलों में जवानों और नक्सलियों के बीच जोरदार भिड़ंत हुई और जवानों ने पूरे 10 नक्सलियों को ठिकाने लगा दिया। मामला ये है कि सुरक्षा बलों को खबर मिली कि सुकमा के घने जंगलों में नक्सलियों का डेरा है।सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और लोकल पुलिस की टीम ने मिलकर ऑपरेशन का प्लान बनाया। बस फिर क्या था, जैसे ही जवान पहुंचे, नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी,जवाब में उन्होंने ऐसा धुआंधार जवाब दिया कि 10 नक्सली वहीं ढेर हो गए। सुनने में आया है कि मुठभेड़ के बाद वहां से हथियारों का पूरा ढेर मिला है। मतलब बंदूक, गोला-बारूद और नक्सली साहित्य वगैरह सब बरामद किया गया। अंदाजा लगाया जा रहा है कि मारे गए नक्सलियों में बड़े लीडर भी शामिल हो सकते हैं। ये सभी नक्सली ओडिशा के रास्ते छत्तीसगढ़ में घुसे थे |
इस मामले की प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णु देव साय ने तुरंत ट्वीट किया और जवानों को शाबाशी दी। उन्होंने कहा, "हम नक्सलवाद को खत्म करके ही दम लेंगे।" उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल-मुक्त बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। इस साल अब तक करीब 88 नक्सलियों को मारा गया है और 600 से अधिक ने आत्मसमर्पण किया है। इस मामले के बाद हर कोई जवानों की तारीफ कर रहा है। "ऐसे ही चलना चाहिए | अब मुठभेड़ के बाद इलाके में सर्च ऑपरेशन चल रहा है। जवान ये चेक कर रहे हैं कि कोई और नक्सली बचा तो नहीं है। सुकमा का ये ऑपरेशन दिखाता है कि नक्सलवाद अब अपने आखिरी दिन गिन रहा है। नक्सलियों की हालत ऐसी हो गई होगी कि अब उनका बचा-कुचा गैंग भी कांप रहा होगा।नक्सलियों ने पहले भी विकास परियोजनाओं और सुरक्षा बलों पर हमले किए हैं।
नक्सलियों का इतिहास माओवाद से जुड़ा हुआ है, जो एक साम्यवादी विचारधारा है, जिसे चीन के नेता माओ त्से तुंग ने फैलाया था। माओवादी विचारधारा के तहत यह माना जाता है कि केवल हथियारों के बल पर ही गरीबों और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है। भारत में नक्सलवाद की शुरुआत 1967 में नक्सलबाड़ी नामक स्थान पर हुई थी, जब वहां के किसानों ने जमींदारों और सरकार के खिलाफ हथियार उठाए थे। इसके बाद इस आंदोलन ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपना प्रभाव फैलाया, विशेषकर बस्तर, झारखंड, ओडिशा, और बिहार जैसे आदिवासी इलाकों में।