देश अगर सच में बदल रहा है, तो सबसे बड़ा बदलाव यही है कि अब बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर या कलेक्टर बनने का सपना नहीं देखते। अब हर गली, हर नुक्कड़, हर इंस्टा अकाउंट पर सिर्फ एक ही लक्ष्य चमक रहा है"विशाल मेगा मार्ट में सिक्योरिटी गार्ड" बनना है! कभी जो नौकरी सिर्फ गेट पर खड़े रहने तक सीमित मानी जाती थी, आज वो संघ लोक सेवा आयोग को सीधी चुनौती देती दिख रही है। सैल्यूट मारिए, ये बदलाव नहीं क्रांति है! किसी ने सही कहा है—जब देश के युवाओं के पास नौकरी न हो, तो वे मीम बनाना शुरू कर देते हैं! और यही हुआ। इस बेरोज़गारी के कुहरे में जब कोई दिशा नहीं सूझी, तो युवाओं ने विशाल मेगा मार्ट के सिक्योरिटी गार्ड को ही अपनी कुंभ के मेले की अमृत कुंड मान लिया।
शाहिद कपूर अब लड़की के घर चाय पीने नहीं, सिक्योरिटी कार्ड दिखाने जाते हैं। अमृता राव का जवाब भी इंस्टा ट्रेंड पर आधारित "मम्मी, उन्होंने विशाल मेगा मार्ट में जॉब ले ली है, शादी करवा दो प्लीज़! प्रकाश राज अब बेटी की शादी के लिए दहेज़ नहीं, गार्ड का सेलेक्शन लेटर माँगते हैं। सीन में खून नहीं बहता, सिर्फ बायोमेट्रिक अटेंडेंस की बीप सुनाई देती है। वो लियोनार्डो डिकैप्रियो जो टाइटैनिक से लोगों को बचा लाए, आज विशाल मेगा मार्ट की परीक्षा में 0.69 नंबर से पिछड़ गए! ब्रैड पिट चुना गया और लियो ने इंस्टा पर पोस्ट डाला "Feeling Lost. Missed the Guard dream! ‘तारक मेहता’ के फेमस जेठालाल अब इसलिए रोते हैं क्योंकि "मेरे भी बस 2 नंबर कम थे दया!"
कहा जाता है कि एक दिन एक सज्जन ने, शायद थोड़ा मज़ाक में, डेढ़ लाख की सैलरी वाली रील बना डाली। और सोशल मीडिया ने कहा – “हमें बस इतना ही चाहिए था!युवाओं ने UPSC की बुक्स फेंकी, CAT की क्लास छोड़ दी और बोले "अब तो बस वही नौकरी चाहिए जिससे लड़की वाले खुद रिश्ता भेजें! जब किसी देश में बेरोज़गारी इतनी गहराई तक उतर जाए कि सेक्योरिटी गार्ड की नौकरी 'स्टेटस सिंबल' बन जाए, तो समझ लीजिए कि युवा अब रिज़्युमे नहीं, रील्स में भविष्य ढूँढ रहे हैं। आज हर छात्र, हर बेरोज़गार, हर जेठालाल बस यही सोच रहा है "काश मैं भी विशाल मेगा मार्ट में सेलेक्ट हो जाता!" ये मीम सिर्फ हँसी के लिए नहीं हैं। ये उस सिस्टम का आईना हैं जहाँ बेरोज़गारी के दर्द को ह्यूमर में बदलना ही आखिरी सहारा रह गया है। जहाँ "गार्ड की जॉब" पर मीम बनते हैं और लोग उन पर कमेंट करते हैं "भाई फॉर्म कब निकलेगा?असल दर्द ये नहीं कि लोग 'विशाल मेगा मार्ट के गार्ड' पर मीम बना रहे हैं, असल दर्द ये है कि देश के लाखों पढ़े-लिखे युवा उस मीम में खुद को खोज रहे हैं। जब नौकरी एक मज़ाक बन जाए, तो समझ लीजिए कि सिस्टम ने युवाओं से उनका भविष्य छीन लिया है।
आज भारतीय शेयर बाजार में ऐसा भूकंप आया कि निवेशकों के होश उड़ गए। दिन की शुरुआत से ही बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली और दोपहर होते-होते सेंसेक्स 1,000 अंक से अधिक टूट गया। वहीं निफ्टी 24,600 के अहम स्तर से नीचे गिरकर 24,543 तक फिसल गया। निवेशकों ने कुछ ही घंटों में 2.6 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए। यह गिरावट सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि निवेशकों की भावनाओं की भी कहानी कहती है — डर, घबराहट और अनिश्चितता के बीच एक डगमगाता विश्वास।
इस बार घरेलू वजहें नहीं, बल्कि ग्लोबल आंधियां बाजार के पतन की मुख्य वजह बनीं। अमेरिका में आर्थिक स्थिति को लेकर बढ़ती चिंता, ट्रेजरी यील्ड का तेज़ी से बढ़ना, और साथ ही मूडीज द्वारा अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग में कटौती — ये सारे संकेत वैश्विक निवेशकों के लिए खतरे की घंटी बन गए। अमेरिका के 20 साल के बॉन्ड पर यील्ड नवंबर 2023 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। इसका सीधा असर उभरते बाजारों जैसे भारत पर पड़ा है, जहां से विदेशी निवेशक पैसा निकालने लगे हैं, क्योंकि अब उन्हें अमेरिकी बॉन्ड अधिक सुरक्षित और फायदेमंद लग रहे हैं।
बीएसई सेंसेक्स में टेक महिंद्रा, पावर ग्रिड, HCL टेक, इंडसइंड बैंक, नेस्ले और M&M जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर सबसे ज्यादा गिरे। इंडसइंड बैंक का हाल सबसे बुरा रहा — एक समय शेयर करीब 5.9% तक गिर गया, जब निवेशकों को चौथी तिमाही में बैंक को 2,329 करोड़ रुपये के घाटे की खबर मिली, जो डेरिवेटिव सेगमेंट में हुआ था सिर्फ अडानी पोर्ट्स और टाटा स्टील ऐसे शेयर रहे जिन्होंने थोड़ा हौसला दिखाया और हरे निशान में खुले। निफ्टी बैंक, ऑटो, FMCG, IT, फार्मा, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑयल एंड गैस इंडेक्स — सबमें 0.5% से 1.5% तक की गिरावट। सिर्फ निफ्टी स्मॉलकैप ने मामूली मजबूती (0.1%) दिखाई, जो संकेत देता है कि छोटे निवेशकों ने अभी हिम्मत नहीं हारी है। ग्लोबल मार्केट में अभी ‘रिस्क ऑफ’ मूड है। इसका संकेत हमें गोल्ड और बिटकॉइन जैसी वैकल्पिक संपत्तियों की मजबूती से मिलता है। मुख्य समस्या अमेरिका का उच्च वित्तीय घाटा है, जिसे बाजार अस्थिरता का संकेत मान रहा है।"
वहीं च्वाइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने तकनीकी विश्लेषण में बताया निफ्टी को फिलहाल 24,600 पर तत्काल सपोर्ट मिल सकता है। अगर गिरावट जारी रही तो 24,500 और फिर 24,400 पर अगला सहारा होगा। ऊपर की तरफ अगर बाजार पलटा तो 25,000 और 25,400-25,600 के बीच रुकावटें मिलेंगी। ग्लोबल मार्केट्स भी कमज़ोरी के संकेत दे रहे हैं। MSCI का एशिया-पैसिफिक इंडेक्स (जापान को छोड़कर) 0.5% नीचे आया। जापान का निक्केई 0.7% गिरा और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 0.8% फिसल गया। चीन का बेंचमार्क इंडेक्स भी 0.2% टूटा। दिलचस्प बात यह है कि जब बाजार लुढ़क रहा था, उस दिन भी विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ने 2,201.79 करोड़ रुपये और घरेलू निवेशक (DII) ने 683.77 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। यह इशारा करता है कि बाजार में भरोसा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है लेकिन सावधानी अनिवार्य है। भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद अभी भी मजबूत है। महंगाई नियंत्रण में है, जीडीपी ग्रोथ अच्छा है, और सरकार के फंडामेंटल्स स्थिर हैं। लेकिन जब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका खुद अस्थिरता के दौर से गुजर रही हो, तब भारत जैसे देश भी उसकी लपटों से अछूते नहीं रह सकते।
क्या राजस्थान रॉयल्स के उभरते सितारे वैभव सूर्यवंशी अब अगली बार इस टीम की जर्सी में नहीं दिखेंगे? क्या वो खिलाड़ी, जिसे फ्रेंचाइज़ी ने IPL 2025 के मेगा ऑक्शन में 1.10 करोड़ की भारी रकम देकर अपनी टीम में शामिल किया था, अब बाहर का रास्ता पकड़ सकता है? इन सवालों के जवाब सीधे हैं नहीं, लेकिन इसके पीछे जो नियम है, वो उतना ही पेचीदा और सस्पेंस से भरा है। दरअसल, बात सिर्फ वैभव की नहीं है। कई खिलाड़ी, जो अपनी टीमों के अहम हिस्से बन चुके हैं, IPL के मिनी ऑक्शन और ट्रेड विंडो जैसे नियमों के चलते टीम से बाहर हो सकते हैं वो भी बिना किसी स्कैंडल या खराब प्रदर्शन के। IPL में हर साल मिनी ऑक्शन होता है — ये मेगा ऑक्शन की तरह तीन साल में एक बार नहीं, बल्कि हर सीजन के पहले होता है। इस ऑक्शन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि टीमों के पास रिटेन करने की कोई सीमा नहीं होती। यानी टीम चाहे तो अपनी पूरी टीम बनाए रख सकती है, और चाहे तो बड़े-बड़े नाम छोड़ भी सकती है।
अगर राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें रिटेन कर लिया, तो बात खत्म। लेकिन अगर फ्रेंचाइज़ी किसी रणनीतिक कारण से उन्हें रिटेन नहीं करती — चाहे वो कॉम्बिनेशन का मामला हो, बजट हो, या किसी और खिलाड़ी को लाने की तैयारी — तो वो ऑक्शन पूल में आ जाएंगे। और तब? तब जो टीम सबसे बड़ी बोली लगाएगी, वैभव उसका हिस्सा बन जाएंगे। खास बात ये है कि राजस्थान के पास उन्हें दोबारा लेने का कोई RTM (Right To Match) कार्ड नहीं होगा, जैसा मेगा ऑक्शन में होता है। IPL में दो बार ट्रेड विंडो खुलती है — एक बार सीजन खत्म होने के बाद, और दूसरी बार मिनी ऑक्शन के बाद। इस दौरान टीमें खिलाड़ियों को आपसी सहमति से ट्रेड कर सकती हैं। यानी अगर कोई दूसरी फ्रेंचाइज़ी वैभव सूर्यवंशी को लेना चाहे और राजस्थान रॉयल्स तैयार हो जाए, तो सौदा हो सकता है। वैभव के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ये मुमकिन है कि दूसरी टीमें उन पर नज़र टिकाए बैठी हों। ऐसे में अगर फ्रेंचाइज़ी को किसी बड़े नाम की जरूरत महसूस हुई, तो उन्हें ट्रेड करने का विकल्प खुला रहेगा। हालांकि, वैभव अब राजस्थान के कोर प्लेयर बन चुके हैं, और ऐसे में फ्रेंचाइज़ी का उन्हें ट्रेड करना बेहद अनलाइकली लगता है। IPL में खिलाड़ी का भविष्य सिर्फ मैदान पर नहीं, फ्रेंचाइज़ी के बोर्डरूम में भी तय होता है। वैभव सूर्यवंशी के लिए भी यही समय है। अगर राजस्थान रॉयल्स उन्हें लेकर कोई रणनीतिक चूक नहीं करती, तो वो अगले सीजन भी उसी जर्सी में दिखेंगे। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर क्रिकेट फैंस को एक बड़ा शॉक मिल सकता है।