दिल्ली हाईकोर्ट के गलियारों में फुसफुसाहटों की गूंज थी। मामला ऐसा था, जो आम दिनों की तरह नहीं था। कोर्ट नंबर में लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन जस्टिस यशवंत वर्मा की कुर्सी खाली थी। हर कोई उनके आने की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन फिर अचानक उनका स्टाफ आया और एक चौंकाने वाली घोषणा कर दी "जस्टिस वर्मा आज अदालत में नहीं बैठेंगे" अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जस्टिस वर्मा ने अचानक खुद को सभी मामलों की सुनवाई से अलग कर लिया? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार को एक आपात बैठक कर जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट करने का फैसला लिया। इस फैसले के पीछे एक बेहद सनसनीखेज वजह है जस्टिस वर्मा के घर से मिली भारी मात्रा में नकदी
सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास तुगलक रोड पर अचानक आग लग गई। घर में धुआं भरते ही फायर ब्रिगेड को बुलाया गया, लेकिन आग बुझने के बाद जो मंजर सामने आया, उसने सबको चौंका दिया। एक कमरे में करोड़ों रुपये कैश के रूप में बिखरे पड़े थे। यह मामला जैसे ही सामने आया, प्रशासन में हलचल मच गई। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बिना देर किए आपात बैठक बुलाई और जस्टिस वर्मा का तत्काल प्रभाव से तबादला करने का फैसला लिया। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एंट्री भी संभव है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना के नेतृत्व में हुई इस बैठक में जस्टिस वर्मा पर लगे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों पर चर्चा हुई। इसके बाद सर्वसम्मति से उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया।
56 वर्षीय जस्टिस वर्मा 1992 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे। 13 अक्टूबर 2014 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया, और 2016 में स्थायी जज के रूप में शपथ ली। अक्टूबर 2021 में उनका ट्रांसफर दिल्ली हाईकोर्ट में हुआ था। इसके पहले वह उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता भी रह चुके हैं। इस खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस मुद्दे को राज्यसभा में भी उठाया है। उन्होंने कहा कि "अगर न्यायपालिका के इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति के घर से बेहिसाब नकदी मिल रही है, तो इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए!"
बहरहाल, एक जज के घर से करोड़ों की नकदी मिलना देश की न्यायपालिका की साख पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।
मेरठ में नेवी ऑफिसर की हत्या का राज खुलते ही लोग सिहर उठे थे, लेकिन अब जयपुर से भी ठीक वैसी ही खौफनाक वारदात सामने आई है। एक ऐसी वारदात, जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे! मुहाना थाना क्षेत्र में एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। हत्या के बाद लाश के पास बैठे-बैठे घंटों तक आगे की साजिश रचते रहे। फिर लाश को बोरे में ठूंसकर पैक किया, मोटरसाइकिल पर रखा और उसे ठिकाने लगाने निकल पड़े। लेकिन यहीं उनकी सबसे बड़ी गलती हो गई... क्योंकि कानून की आंखों से कोई बच नहीं सकता! 16 मार्च को जयपुर के रिंग रोड पर एक जली हुई लाश मिली। पुलिस पहुंची तो शव बुरी तरह से जला हुआ था, पहचानना तक मुश्किल था। मगर जब पुलिस की टीम ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए, तो एक ऐसा सुराग हाथ लगा, जिसने हत्यारों की पूरी चालाकी को पलभर में नाकाम कर दिया। एक फुटेज में दिखा—मोटरसाइकिल पर आगे प्रेमी, पीछे पत्नी और उनके बीच रखा था एक 'मौत का बोरा'। जब पुलिस ने इस फुटेज को मृतक की पत्नी गोपाली देवी उर्फ गोपी के सामने रखा, तो पहले तो उसने अनजान बनने की कोशिश की, मगर सच ज्यादा देर तक छिप नहीं सका। पूछताछ में जो खुलासे हुए, उन्होंने सभी को चौंका दिया। मृतक धन्नालाल सैनी की पत्नी गोपी पिछले पांच साल से अपने प्रेमी दीनदयाल कुशवाह के साथ रिश्ते में थी। उसका पति सब्जी की दुकान चलाता था, और गोपी उसे बताती थी कि वह फैक्ट्री में मजदूरी करने जा रही है। लेकिन असल में वह अपने प्रेमी के पास जाकर दिनभर उसके साथ रंगरलियां मनाती थी।धीरे-धीरे दोनों का रिश्ता इतना गहरा हो गया कि गोपी को अपना पति बोझ लगने लगा। उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर उसे रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया। 16 मार्च को उन्होंने धन्नालाल की हत्या कर दी, फिर लाश को बोरे में भरकर प्लास्टिक से पैक किया, ताकि बदबू न फैले। फिर मोटरसाइकिल पर लादकर रिंग रोड के पास ले गए और सुनसान जगह पर फेंककर आग लगा दी। सोचा था कि लाश जल जाएगी, कोई पहचान नहीं पाएगा, और वे हमेशा के लिए बच निकलेंगे...पुलिस की पैनी नजरों और सीसीटीवी कैमरों ने उनकी साजिश को बेनकाब कर दिया। अब प्रेमी और प्रेमिका दोनों हवालात में हैं, और उनकी मोहब्बत की कहानी ने एक 'मर्डर मिस्ट्री' का रूप ले लिया है।
क्रिकेट का सबसे बड़ा धमाका शुरू होने को है! 65 दिनों तक चौकों-छक्कों की बारिश होगी शनिवार को कोलकाता के ईडन गार्डन्स में मौजूदा चैंपियन केकेआर और विराट कोहली की आरसीबी आमने-सामने होंगी। लेकिन इस बार आईपीएल में सिर्फ टीमों का टकराव नहीं, बल्कि नए नियमों, नए कप्तानों और नए सुपरस्टार्स की एंट्री से एक अलग ही भूचाल आने वाला है। पहले ही मैच पर काले बादल मंडरा रहे हैं। शनिवार के उद्घाटन मुकाबले पर बारिश का खतरा मंडरा रहा है। कोरोना काल के बाद पहली बार गेंदबाजों को लार से गेंद चमकाने की इजाजत मिल गई है। इसका सीधा मतलब रिवर्स स्विंग की वापसी और बल्लेबाजों की मुश्किलें बढ़ेंगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार कोई गेंदबाज 300 रन के स्कोर पर ब्रेक लगाता है या हम पहली बार किसी टीम को 300 का स्कोर बनाते देखेंगे! ओस का असर रोकने के लिए अंपायर को अब यह अधिकार मिल गया है कि वे रात के मैचों में 11वें ओवर के बाद नई गेंद दे सकते हैं। इससे स्पिनर्स और पेसर्स को फायदा मिलेगा, लेकिन बल्लेबाजों को अतिरिक्त चुनौती। दिन के मैचों पर यह नियम लागू नहीं होगा। आईपीएल 2025 में टीमों के कप्तानों में बड़ा उलटफेर हुआ है। आरसीबी को रजत पाटीदार लीड करेंगे कोहली के बजाय! दिल्ली कैपिटल्स की कमान अक्षर पटेल को सौंपी गई है। श्रेयस अय्यर, जो 2024 में केकेआर को चैंपियन बना चुके हैं, अब पंजाब किंग्स की कप्तानी करेंगे। कोलकाता नाइट राइडर्स का जिम्मा अजिंक्य रहाणे को सौंपा गया है। सबसे बड़ा ट्विस्ट ऋषभ पंत अब लखनऊ सुपर जायंट्स के कप्तान होंगे! इस बार आईपीएल में धोनी, विराट और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों का आखिरी सीजन हो सकता है। धोनी (264 आईपीएल मैच), चेन्नई की पहचान, विराट कोहली (252 मैच), आरसीबी की शान और रोहित शर्मा (257 मैच), मुंबई इंडियंस के दिल की धड़कन रहेंगे। इसके अलावा रविंद्र जडेजा (240 मैच), अश्विन (212 मैच), मनीष पांडे (171 मैच) जैसे खिलाड़ी भी दमखम दिखाएंगे। आईपीएल सिर्फ दिग्गजों का अखाड़ा नहीं, बल्कि युवा सितारों की लॉन्चिंग पैड भी है। 13 साल के वैभव सूर्यवंशी (राजस्थान रॉयल्स) टूर्नामेंट के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी होंगे। मुंबई के सूर्यांश शेडगे (पंजाब किंग्स) अपनी बल्लेबाजी से चौंका सकते हैं। पंजाब से खेलने वाले प्रियांश आर्या ने दिल्ली प्रीमियर लीग में एक ओवर में छह छक्के जड़े थे अब आईपीएल में क्या करेंगे? 13 स्टेडियम, 74 मैच और 10 टीमों का महासंग्राम आईपीएल 2025 की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है क्रिकेट के सबसे बड़े शो में आपका स्वागत है!
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित परिसीमन अभ्यास के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है। चेन्नई में बुलाई गई संयुक्त कार्रवाई समिति (JAC) की पहली बैठक में दक्षिणी राज्यों के नेताओं ने एकजुट होकर इस कदम का विरोध किया। स्टालिन ने इस बैठक को सिर्फ एक चर्चा तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे "आंदोलन की शुरुआत" करार देते हुए कहा "यह लड़ाई देश के भविष्य की दिशा तय करेगी!" दरअसल, परिसीमन एक ऐसा विवादास्पद मुद्दा है, जिसने दक्षिणी राज्यों की चिंता बढ़ा दी है। स्टालिन और अन्य नेताओं का आरोप है कि अगर परिसीमन को नए जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर किया गया, तो तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और अन्य राज्यों की संसदीय सीटें घट सकती हैं। यानी, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतरीन काम किया, उन्हीं को सजा मिलेगी स्टालिन ने सवाल उठाते हुए कहा "क्या यह लोकतंत्र है कि जो राज्य जनसंख्या नियंत्रण में सफल रहे, उन्हें संसद में कम सीटें दी जाएं, और जिन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, उन्हें अधिक प्रतिनिधित्व मिले?" बैठक में तीन बड़े प्रस्ताव पारित किए गए। 1. 1971 की जनसंख्या के आधार पर संसदीय सीटों को अगले 25 साल तक स्थिर रखा जाए। 2. जनसंख्या नियंत्रण में सफल राज्यों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए। 3. परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए, जिसमें राज्यों और राजनीतिक दलों की राय शामिल हो। यही नहीं, बैठक में एक कोर कमेटी भी बनाई गई, जिसमें विभिन्न राज्यों के सांसद शामिल होंगे। यह कमेटी प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपेगी और संसद में इस मुद्दे पर रणनीतिक लड़ाई लड़ेगी।
तमिलनाडु बीजेपी ने इस बैठक को "राजनीतिक ड्रामा" करार दिया और इसके खिलाफ प्रदर्शन किया। लेकिन स्टालिन ने इसे विपक्षी दलों की मजबूती का प्रतीक बताते हुए कहा "आज का दिन इतिहास में दर्ज होगा। आज हमने दिखा दिया कि हम अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं। संघीय ढांचे को बचाने के लिए यह लड़ाई जरूरी है!" जेपीसी की अगली बैठक हैदराबाद में होगी, जहां और भी राज्यों और विपक्षी दलों को जोड़ने की योजना है। स्टालिन ने सभी गैर-बीजेपी शासित राज्यों से अपील की कि वे इस "अनुचित परिसीमन" के खिलाफ एकजुट हों। एमके स्टालिन ने कहा "यह सिर्फ संख्या की लड़ाई नहीं, बल्कि न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई है!" अब सवाल ये है कि क्या केंद्र सरकार इस विरोध को नजरअंदाज कर पाएगी? या फिर परिसीमन का यह तूफान भारतीय राजनीति को नई दिशा देगा।