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Breaking News 22 January 2025

1.)  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान

 

नई दिल्ली में भारतीय विद्या भवन में आयोजित नंदलाल नुवाल इंडोलॉजी सेंटर के शिलान्यास समारोह में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने अपने विचारों से सभी को झकझोर दिया। उन्होंने कहा, "चेतावनियाँ चाहे जितनी हों, मैं उन्हें आशीर्वाद मानता हूँ। ये मुझे प्रेरित करती हैं कि मैं अपने राष्ट्र और इसकी समृद्ध संस्कृति के प्रति समर्पित रहूँ।" धनखड़ ने भारतीय ज्ञान की परंपरा की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा दुनिया को एक परिवार माना है। "हम अलग-थलग देश नहीं हैं; हम 'वसुधैव कुटुंबकम्' के प्रतीक हैं।  उपराष्ट्रपति ने भारतीय विद्या भवन के संस्थापक डॉ. के.एम. मुंशी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी दूरदृष्टि को सलाम किया। उन्होंने कहा कि जब 1938 में भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बचाने की यह पहल शुरू हुई थी, उस समय पश्चिमी विचारधाराओं का प्रभुत्व था। उस चुनौतीपूर्ण माहौल में भारतीय विद्या भवन जैसी संस्था की नींव रखना असाधारण था। डॉ. मुंशी ने राजनीति, साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम के क्षेत्र में भारत की अनमोल धरोहर को पुनर्जीवित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने आधुनिकता और परंपरा के बीच सेतु का काम किया। उनका दृष्टिकोण सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण जैसे कार्यों में स्पष्ट झलकता है।

लोकतंत्र की बुनियाद है संवाद

देश की मौजूदा राजनीति पर टिप्पणी करते हुए धनखड़ ने कहा, "लोकतांत्रिक राजनीति संवाद से पनपती है। अगर हमारे पास अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं है, तो लोकतंत्र का दावा बेमानी है।" उन्होंने चेताया कि संवाद का अभाव लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए घातक हो सकता है। "संवाद भय और उपहास से मुक्त होना चाहिए, तभी लोकतंत्र फल-फूल सकता है," उन्होंने कहा। धनखड़ ने कहा कि भारतीय ग्रंथ और इतिहास सिखाते हैं कि संवाद से संघर्षों का समाधान निकलता है। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि उपनिवेशवादियों ने हमारे इतिहास को अपने संकीर्ण दृष्टिकोण से तोड़-मरोड़ कर पेश किया, जिससे हमारी असली विरासत छिप गई। उपराष्ट्रपति ने युवाओं से भारत की गणितीय और दार्शनिक उपलब्धियों पर गर्व करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "वेदांत, जैन धर्म और बौद्ध दर्शन जैसे विचारों ने संवाद और सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया है। अब समय है कि भारत की यह विरासत पूरी दुनिया में पुनः स्थापित हो।" धनखड़ ने नंदलाल नुवाल इंडोलॉजी सेंटर को भारतीय संस्कृति और ज्ञान का नया अध्याय बताते हुए कहा कि यह केंद्र भारतीय ज्ञान और परंपराओं को विश्व पटल पर मजबूती से स्थापित करेगा। "यह केंद्र हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होगा और भारतीय संस्कृति की समृद्धि को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाएगा।  उपराष्ट्रपति के ये विचार न केवल भारत की समृद्ध विरासत का सम्मान हैं, बल्कि मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान भी प्रस्तुत करते हैं।

 

2.) भारत को लेकर कैसा है मार्को रुबियो का रुख?  

 

भारत और अमेरिका के बीच हर गुजरते वर्ष के साथ रिश्ते नई ऊंचाई छू रहे है। जैसा की आप जानते है की डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है, जिसे अपने विभिन्न अवसर पर देखा भी होगा। प्रेजिडेंट ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में माना जा रहा है की और भी मजबूत होंगे और इसका अंदाजा हाल ही में हुए ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह से लगाया जा सकता है, जहां भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर को सबसे पहली लाइन में ट्रंप के सामने बैठने की जगह दी गई थी। अमेरिका की विदेश नीति की अगर बात करें तो वह भी भारत के हित में ही नजर आती है। डोनाल्ड ट्रंप की नई सरकार में मार्को रुबियो अमेरिका के विदेश मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि रुबियो की नियुक्ति का भारत के लिए क्या मतलब है? उनका भारत को लेकर रुख कैसा रहने वाला है? चलिए तो आपको बता दें, रुबियो का झुकाव भारत की ओर उनके कई बयानों से महसूस किया जा सकता है और यही कारण है की उनसे अमेरिका के विदेश मंत्री के रूप में ऐसी नीतियों का समर्थन करने की उम्मीद की जा रही है, जो दोनों देशों के बीच की अहम साझेदारी को बढ़ावा देने वाली हों और अन्तर्रष्ट्रीय मंचों पर एक दूसरे के हितों की रक्षा करती हो। आतंकवाद के मुद्दे पर रुबियो पहले ही कह चुके हैं कि इस लड़ाई में भारत अकेला नहीं है। 

विदेश मंत्री रुबियो-NSA माइक की जयशंकर से मुलाकात

अमेरिका में ट्रंप प्रशासन अपना कार्यभार शुरू कर चुका है, कार्यभार संभालते ही ट्रंप ने दुनिया को भारत की अहमियत दिखा दी है। अमेरिका और भारत के मजबूत रिश्ते को दिखाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वाल्ज ने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ मुलाकात की। अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो की ये डॉ. जयशंकर के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक थी। वहीं, NSA माइक वाल्ज एक अंतरराष्ट्रीय बैठक के दौरान डॉ. जयशंकर से मिले। बता दें, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने वाशिंगटन डी.सी आए थे। वो अमेरिकी सरकार ने निमंत्रण पर भारत का प्रतिनिधत्व करने वॉशिंगटन आए थे। दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के दो शीर्ष राजनयिकों के बीच यह बैठक अमेरिकी विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय में हुई। इस द्विपक्षीय बैठक से पहले और डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली क्वाड देश के विदेश मंत्रिओं की बैठक भी हुई। आपको बताते चलें, क्वाड का गठन हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ और आक्रामकता को देखते हुए किया गया था और ट्रंप के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद इसकी पहली मीटिंग होना चीन को लेकर नचीन के कट्टर आलोचक माने जाते है रुबियो

अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रुबियो

ने हाल ही में सीनेट में अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग अधिनियम भी पेश किया था, जिसमें यह प्रस्ताव था कि दिया गया कि भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सैन्य सहयोग के मामले में  जापान, इजरायल और नाटो सदस्यों जैसे अन्य अमेरिकी सहयोगियों के बराबर ही माना जाए। इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि भारत की तरफ उनका झुकाव है, जो कि विदेश नीति के लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है। वहीं, मार्को रुबियो की छवि चीन के कट्टर आलोचक के तौर पर देखी जाती है और इसका ताजा उदाहरण क्वाड की बैठक है, जहां उन्होंने भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रिओं के साथ हुई मीटिंग में चीन को सख्त चेतावनी दे डाली। वह पहले भी अमेरिका और चीन के असंतुलित रिश्ते की आलोचना करते रहे हैं। भारत की ही तरह चीन को लेकर उनका रुख भी आक्रमक रहा है और इन सब के बीच खास बात यह है कि वह भारत के साथ अमेरिका के मजबूत संबधों के पक्षघर हैं। वह समय-समय पर दोनों देशों की मजबूत साझेदारी की वकालत भी करते रहे हैं। मार्को का रुख चीन के साथ ही पाकिस्तान के लिए भी बहुत ही कड़ा है, खासकर आतंकवाद के मुद्दे पर उनका रुख पाकिस्तान को लेकर सख्त है। उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने के सबूत मिलते हैं तो अमेरिका उसे आर्थिक और रक्षा सहयोग देने पर प्रतिबंध लगा देगा। उन्होंने ये भी कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अकेला नहीं है, अमेरिका भारत की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए उनका समर्थन करेगा।

 

3.) चीनी कंपनी को ऑर्डर! वोडाफोन आइडिया विवादों में 

 

जब देशभर में 5G नेटवर्क के चर्चे हैं और टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क को मजबूत करने में जुटी हैं, तभी एक बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। वोडाफोन आइडिया पर आरोप है कि उसने चीनी कंपनी ZTE को लगभग 200 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया है। यह ऑर्डर गुजरात, महाराष्ट्र, और मध्य प्रदेश के ब्रॉडबैंड नेटवर्क के लिए था। लेकिन इस डील की गूंज अब सिर्फ वोडाफोन के दफ्तर तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) तक पहुंच गई है।

क्या है पूरा मामला?

अब कहानी ये है कि भारत सरकार ने पहले ही साफ कर दिया था टेलीकॉम कंपनियां सिर्फ विश्वसनीय स्रोतों से ही उपकरण खरीदेंगी। इसके लिए विश्वसनीय टेलीकॉम पोर्टल बनाया गया था, जहां से हर उपकरण को हरी झंडी दिखानी पड़ती है। लेकिन वोडाफोन आइडिया ने जैसे इस नियम को "नजरअंदाज" कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, यह ऑर्डर चुपचाप चीनी कंपनी को दिया गया, और यह बात अब सरकार के संज्ञान में आ गई है। भारत और चीन के बीच रिश्ते हाल के वर्षों में ज्यादा मधुर नहीं रहे। ऐसे में चीनी कंपनियों को भारत के नेटवर्क का हिस्सा बनाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है। याद कीजिए, गलवान घाटी की घटना के बाद से भारत ने कई चीनी ऐप्स और कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब सवाल उठ रहा है कि अगर ZTE के उपकरण नेटवर्क में लगाए गए, तो क्या यह हमारे देश के लिए खतरनाक हो सकता है?

क्या कहता है 2020 का सुरक्षा निर्देश?

16 दिसंबर 2020 को सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश जारी किए थे। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को उपकरण सिर्फ विश्वसनीय स्रोतों से ही खरीदने होंगे। सरकार एक विश्वसनीय उत्पादों और स्रोतों की सूची जारी करती है।  यह सूची उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में तैयार की जाती है।क्या वोडाफोन आइडिया ने ZTE को बिना किसी जांच के यह ऑर्डर दिया? या फिर यह डील विश्वसनीय टेलीकॉम पोर्टल के नियमों के तहत थी? NSCS यानी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट ने अब इस मामले में जांच शुरू कर दी है। यह वही एजेंसी है, जो टेलीकॉम सेक्टर के उपकरणों की मंजूरी देती है। NSCS के पास विश्वसनीय टेलीकॉम पोर्टल का पूरा कंट्रोल है। अगर जांच में यह डील नियमों के खिलाफ पाई गई, तो वोडाफोन आइडिया पर बड़ा जुर्माना लग सकता है। वोडाफोन आइडिया ने इस पूरे विवाद पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन उनकी चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या कंपनी को पहले से पता था कि यह डील विवादित हो सकती है? या फिर वे इस मामले को "फिजूल का हंगामा" मान रहे हैं |

 

4.) BSF ने शुरू किया ऑपरेशन 'सर्द हवा'  

सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भारत-पाकिस्तान से लगते इंटरनेशनल बॉर्डर पर ऑपरेशन सर्द हवा अभियान को शुरू कर दिया है। BSF का यह अभियान गणतंत्र दिवस को देखते हुए 28 जनवरी तक जारी रहेगा, जिसमें BSF के जवान और अधिकारी आधुनिक हथियारों और उपकरणों के साथ सीमा पर पूरी सतर्कता से तैनात रहेंगे। बता दें, यह ऑपरेशन हर साल सर्दियों में कोहरे और ठंड के कारण बढ़ती घुसपैठ और ड्रोन खतरों को देखते हुए शुरू किया जाता है। इसके अलावा ऑपरेशन का उद्देश्य गणतंत्र दिवस से पहले सीमा पर सुरक्षा को चाक-चौबंद करना और किसी भी अवांछनीय गतिविधियों को रोकना है। सर्दियों के मौसम में कोहरे की आड़ में घुसपैठ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, यही कारण है की इस खतरे से निपटने के लिए BSF ने अपनी तैयारियां और गश्त को बढ़ा दिया है। इस ऑपरेशन के तहत BSF के जवान न केवल पैदल गश्त कर रहे हैं, बल्कि इसके लिए वाहनों और ऊंटों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। रेगिस्तान में ऊंटों की मदद से जवान सीमा पर होने वाली हर एक हलचल पर कड़ी नजर रख रहे हैं।

क्यों जरूरी है यह ऑपरेशन?

सीमा सुरक्षा बल के नार्थ सेक्टर के DIG योगेंद्र सिंह ने ऑपरेशन को लेकर एक न्यूज चैनल से बातचीत में बताया की ऑपरेशन सर्द हवा को लेकर BSF द्वारा सुरक्षा के लिए आधुनिकरण, सर्दी में कोहरे में घुसपैठ जैसे खतरे व ड्रोन जैसे आधुनिक थ्रेट को रोकने को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बॉर्डर पर एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी लगाई जा रही है, कुछ जगहों पर ये लगाई जा चुकी है, जबकि कुछ जगह पर इसे लगाने का काम जारी है। उन्होंने बताया की हमनें अपनी प्रेजेंस बॉर्डर के साथ-साथ आसपास के गांवों में भी बढ़ाई है, ताकि किसी भी खतरे से निपटा जा सके। उन्होंने बताया की यह अभियान केवल सीमा सुरक्षा को मजबूत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ये भी दर्शाता है कि भारत हर परिस्थिति में अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए BSF के जवानों को नई चुनौतियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे हर स्थिति में नई चुनौतियों से निपट सकें।

क्या है ऑपरेशन सर्द हवा?

ऑपरेशन सर्द हवा BSF का एक विशेष अभियान है, जो सर्दियों में सीमा पर सुरक्षा के लिए हर वर्ष लांच किया जाता है। यह अभियान न केवल देशवासियों को सुरक्षित रखने का वादा करता है, बल्कि दुश्मन को भी स्पष्ट संदेश देता है कि भारत की सीमाएं अभेद्य हैं। इस अभियान के तहत सीमा क्षेत्र में अतिरिक्त जवानों की तैनात की जाती है। बटालियन और सेक्टर हेडक्वार्टर से अतिरिक्त जवानों को सीमा पर भेजा जाता है, ताकि बॉर्डर से लगे क्षेत्र की 24 घंटे निगरानी रखी जा सके। इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को कई चरणों में बांटा बांटा जाता है और हर स्तर पर सतर्कता बढ़ाई जाती है। जवानों और अधिकारियों को हर सूचना व गतिविधि की जानकारी तुरंत उच्चाधिकारियों को देना होता है। ऑपरेशन सर्द हवा के दौरान BSF अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों का उपयोग करती है। इन उपकरणों की मदद से सीमा पर निगरानी को और भी प्रभावी तरीके से अंजाम देने में मदद मिलती है, जिससे घुसपैठ, ड्रोन खतरों और अन्य नापाक गतिविधियों को विफल करने के लिए समय रहते हर संभव कदम उठाए जाने में मदत मिलती है।

 

5.) BJP ने विधानसभा चुनाव के लिए जारी किया मैनिफेस्टो  

 

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार, 21 जनवरी को 'संकल्प पत्र' जारी किया। बता दें, भाजपा तीन चरणों में अपना संकल्प पत्र जारी कर रही है। पार्टी ने आज अपने संकल्प पत्र का दूसरा भाग जारी किया है, जिसमें दिल्ली की जनता से कई वादे किए गए हैं। संकल्प पत्र के दूसरे भाग को हिमाचल प्रदेश से चुनकर आए भाजपा के युवा सांसद अनुराग ठाकुर ने जारी किया है। संकल्प पत्र का दूसरा भाग जारी करते हुए सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि दिल्ली के युवाओं को एंट्रेंस परीक्षाओं की तैयारी के लिए 15,000 रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाएगी, साथ ही दो बार की यात्रा व आवेदन शुल्क का रिम्बर्समेंट भी होगी और यह मोदी की गारंटी है। जब हम विकसित भारत की कल्पना करते हैं, तो इसमें विकसित दिल्ली की एक अहम भूमिका है। विकसित दिल्ली संकल्प पत्र 2025 के संबंध में बोलते हुए उन्होंने कहा की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा ने आपके सामने पहले अपनी बात रखी थी, आज उसके दूसरे भाग को लेकर मैं आप सबके सामने आया हूं। उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार बनने पर हम स्वास्थ्य, यातायात, बिजली, पानी और परिवहन आदि से जुड़ी समस्याओं का हल करेंगे। दिल्ली वालों को बेहतर आज और बेहतर कल देने का प्रयास करेंगे। भाजपा की जहां भी सरकारें रही, जन-कल्याण उनकी प्राथमिकता और केंद्र बिंदु रहा। उन्होंने बताया की कैसे पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने दलालों को खत्म कर दिया है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से जन-कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया। भ्रष्टाचार के प्रति मोदी सरकार की नीति जीरो टॉलरेंस की है। दिल्ली के सरकारी शिक्षण संस्थानों में दिल्ली के जरूरतमंद छात्रों को केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।

भाजपा के संकल्प पत्र की बड़ी घोषणाएं?

दिल्ली में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संकल्प पत्र का पहला भाग जारी किया था। उन्होंने दिल्ली के लोगों से वादा किया था कि दिल्ली में जन कल्याण की चल रहीं वर्तमान योजनाएं भाजपा की सरकार बनने के बाद भी जारी रहेंगी। योजनाओं से जुड़ी सुविधाओं को मजबूत और उनमें सुधार किया जाएगा, उनको भ्रष्टाचार मुक्त भी किया जाएगा, जिसके लिए भाजपा अपना संकल्प पत्र तीन चरणों में लागू करेगी। पहले चरण में किये गए वादों के अनुसार पार्टी द्वारा महिला समृद्धि योजना के तहत प्रति महीने महिलाओं को 2500 दिए जाएंगे, गर्भवती महिलाओं को 21000 रुपए दिए जाएंगे, गरीब महिलाओं को गैस सिलेंडर में 500 रुपए की सब्सिडी दी जाएगी, गरीब परिवारों को होली और दिवाली पर एक सिलेंडर मुक्त दिया जाएगा, 70 साल से अधिक आयु के लोगों को 10 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाएगा, दिल्ली में अटल कैंटीन योजना लॉन्च की जाएगी (इसके तहत झुग्गी झोपड़ी इलाके में 5 रुपए में भोजन उपलब्ध कराया जाएगा), 70 साल से अधिक उम्र के लोगों और दिव्यांग व विधवा महिलाओं को 2500 के बजाय 3000 रुपये पेंशन दी जाएगी। वहीं, दूसरे भाग में पार्टी ने वडा किया है कि जरूरतमंद छात्रों को KG से PG तक मुफ्त शिक्षा दी जाएगी, एससी छात्रों को हर महीने 1000 रुपये की मदद दी जाएगी, ऑटो-टैक्सी वालों के लिए वेलफेयर बोर्ड बनाया जायेगा, युवाओं को एंट्रेंस परीक्षाओं की तैयारी के लिए 15 हजार रुपये की मदद और दो बार के यात्रा व आवेदन शुल्क का रिम्बर्समेंट भी किया जाएगा।