आईपीएल 2025 के 40वें मुकाबले में दिल्ली कैपिटल्स और लखनऊ सुपर जायंट्स की भिड़ंत रोमांच से भरपूर होने वाली है। दोनों टीमें इस समय पॉइंट्स टेबल में 10-10 अंकों के साथ बराबरी पर हैं, लेकिन बेहतर नेट रनरेट के कारण दिल्ली दूसरे स्थान पर है जबकि लखनऊ पांचवें पायदान पर फंसी हुई है। ऐसे में यह मुकाबला दोनों के लिए प्लेऑफ की दौड़ में खुद को मजबूत करने का सुनहरा मौका है। यह हाई-वोल्टेज मुकाबला लखनऊ के घरेलू मैदान भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी इकाना क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा। यह पिच न बल्लेबाजों की मानी जा सकती है और न ही गेंदबाजों की पूरी तरह से—यह एक स्पोर्टिंग विकेट है। आईपीएल 2025 में अब तक यहां चार मुकाबले हुए हैं, जिसमें सिर्फ एक बार 200 से ज्यादा का स्कोर बना है। यानी यहां जिसने परिस्थितियों को बेहतर पढ़ा और उसका फायदा उठाया, वही विजेता बना है। अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो इकाना स्टेडियम में टॉस काफी मायने रखता है। चार में से तीन बार रनचेज करने वाली टीम ने बाज़ी मारी है। लखनऊ सुपर जायंट्स को सिर्फ एक बार पहले बैटिंग करते हुए जीत मिली है, वो भी बेहद करीबी मुकाबले में। ऐसे में जो भी कप्तान टॉस जीतेगा—चाहे वो ऋषभ पंत हों या केएल राहुल—संभावना यही है कि वह पहले गेंदबाज़ी करना ही बेहतर समझेगा। लखनऊ का मौसम इस वक्त क्रिकेट के साथ-साथ खिलाड़ियों का भी टेस्ट लेने वाला है। दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है और मैच के समय शाम 7:30 बजे तक यह 35 डिग्री रहेगा। हालांकि अच्छी बात यह है कि बारिश की कोई संभावना नहीं है और दर्शकों को पूरा मुकाबला देखने को मिलेगा। अगर इकाना स्टेडियम के आईपीएल रिकॉर्ड की बात करें तो अब तक यहां कुल 18 मुकाबले हुए हैं, जिनमें 8 बार पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम और 9 बार रनचेज करने वाली टीम विजयी रही है। सबसे बड़ा स्कोर 235/6 (कोलकाता नाइटराइडर्स vs लखनऊ सुपर जायंट्स) और सबसे छोटा स्कोर 108 (लखनऊ vs बेंगलुरु) रहा है। अब तक की सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी मार्कस स्टोइनिस ने 89* रन की खेली है, जबकि बेस्ट बॉलिंग फिगर 5/14 मार्क वुड के नाम दर्ज है। यहां पहली पारी का औसत स्कोर 169 रन है। दोनों टीमों की कप्तानी को लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि फॉर्म का संकट बना हुआ है। दिल्ली के ऋषभ पंत ने अभी तक आठ मैचों में सिर्फ 106 रन बनाए हैं, जिसमें एक पारी 63 रन की रही है। उनका स्ट्राइक रेट महज 98 है, जो उनकी क्षमता के हिसाब से निराशाजनक है। उधर, अक्षर पटेल की बल्लेबाज़ी भले ही 159 के स्ट्राइक रेट से 140 रन के साथ ठीक रही हो, लेकिन गेंदबाज़ी में उन्होंने सात मैचों में सिर्फ एक विकेट लिया है, वो भी 9.36 की इकॉनमी रेट के साथ। लखनऊ के कप्तान केएल राहुल भी अब तक बल्ले से खास असर नहीं छोड़ पाए हैं। इकाना की चुनौतीपूर्ण पिच, दोनों टीमों के असंतुलित प्रदर्शन और गर्म मौसम—इन सबके बीच जो संयम, रणनीति और धैर्य दिखाएगा, वही इस जंग में बाज़ी मारेगा।
अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को खुली चुनौती दे दी है। वजह? 2.2 अरब डॉलर की संघीय फंडिंग पर जबरन लगाई गई रोक। जवाब में हार्वर्ड अब अदालत में है — और यह लड़ाई सिर्फ पैसों की नहीं, उस सोच की है जो विश्वविद्यालयों को सत्ता के आगे झुकते देखने की ख्वाहिश रखती है। ट्रंप प्रशासन चाहता था कि हार्वर्ड अपने कैंपस में "राजनीतिक सक्रियता" को नियंत्रित करे। यानी छात्रों की आवाज़, बहस, प्रदर्शन और विरोध – सब पर ब्रेक लगे। लेकिन हार्वर्ड ने इससे इनकार कर दिया। नतीजा? फंडिंग बंद। अब हार्वर्ड ने इसे "संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन" करार देते हुए संघीय अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है। हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गार्बर ने साफ कहा, "सरकार तय नहीं कर सकती कि हम क्या पढ़ाएं, किसे पढ़ाएं और किसे पढ़ाएं ही नहीं। ये हमारे अधिकारों पर सीधा हमला है।" हार्वर्ड का कहना है कि फंडिंग पर लगी यह रोक न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन — यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता — के खिलाफ भी है। यह विवाद तब और ज़्यादा गहराया जब ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड और अन्य शीर्ष विश्वविद्यालयों पर "यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा देने" का आरोप लगाया। उनका दावा है कि पिछले साल अमेरिका के कॉलेज परिसरों में जो इज़राइल-विरोधी प्रदर्शन हुए, वे यहूदी विरोधी थे — और विश्वविद्यालय उन्हें रोकने में नाकाम रहे। लेकिन सवाल ये है कि क्या किसी संस्थान की स्वतंत्रता को इसलिए कुचल दिया जाएगा क्योंकि वह सत्ता से असहमति रखता है? हार्वर्ड ने अपने मुकदमे में लिखा है यह मामला सिर्फ फंडिंग नहीं, शिक्षा की आत्मा पर किए गए हमले का है। यह उन प्रयासों के खिलाफ खड़ा होने की लड़ाई है जो शैक्षणिक संस्थाओं को सरकारी कठपुतली बनाना चाहते हैं।" इस केस में अमेरिका की कई और यूनिवर्सिटीज़ का भी जिक्र है यानी ट्रंप प्रशासन का शिकंजा कहीं ज्यादा बड़ा है। अब अदालत तय करेगी कि अमेरिका में विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता जिंदा रहेगी या सत्ता की छाया में दबा दी जाएगी। लेकिन एक बात तय है — हार्वर्ड ने झुकने से इनकार कर दिया है, और इस इनकार की गूंज सिर्फ अदालत में नहीं, लोकतंत्र के मूल्यों तक सुनाई दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर सऊदी अरब के जेद्दा पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। भारतीय वायुसेना के प्रधानमंत्री विशेष विमान को सऊदी अरब के एफ-15 लड़ाकू विमानों ने काफिले की तरह सुरक्षा प्रदान की—यह दृश्य सिर्फ कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि भारत-सऊदी अरब के गहराते रक्षा संबंधों का प्रतीक बन गया।पीएम मोदी की इस यात्रा को भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी को और ऊंचाई देने के मौके के रूप में देखा जा रहा है। जेद्दा पहुंचते ही प्रधानमंत्री ने अरब न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, “भारत और सऊदी अरब न केवल अपने देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए एक साथ काम कर रहे हैं।”
मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से होगी, जहां दोनों नेता रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार और निवेश जैसे प्रमुख मुद्दों पर मंथन करेंगे। विशेष तौर पर ‘विजन 2030’ और ‘विकसित भारत 2047’ के बीच समानताओं को रेखांकित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ये दो महत्त्वाकांक्षी योजनाएं दोनों देशों को साझे विकास की दिशा में एकजुट करती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को नई दिशा दे सकता है भारत-सऊदी रिश्तों की मजबूती की बुनियाद 2019 में रखी गई, जब रणनीतिक साझेदारी परिषद का गठन हुआ। तब से लेकर अब तक रक्षा, ऊर्जा और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग कई गुना बढ़ा है विदेश मंत्रालय द्वारा जारी वीडियो में सऊदी एफ-15 विमानों की भारतीय प्रधानमंत्री को दी गई हवाई सुरक्षा नज़र आती है, जिसे रक्षा सहयोग के बढ़ते स्तर का प्रतीक माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरे को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा, “भारत और सऊदी अरब के बीच संबंध न केवल समुद्री पड़ोसी होने का परिणाम हैं, बल्कि यह साझेदारी विश्वास, दृष्टि और भविष्य की साझी आकांक्षाओं पर आधारित है।”