टेक्नोलॉजी का महायुद्ध, एयरटेल और नोकिया की मल्टी-बिलियन डॉलर डील से मची हलचल
एयरटेल और नोकिया का मास्टरस्ट्रोक
एयरटेल और नोकिया की बहुत बड़ी डील हुई है, 5G रेस में सबको पछाड़ने की तैयारी हो रही है | यह डील इंडिया के टेलीकॉम सेक्टर में गेम चेंजर साबित होने वाली है। यह डील कई सालों के लिए है और इसकी वैल्यू मल्टी-बिलियन डॉलर में है। इस डील का मकसद एयरटेल के 5G नेटवर्क को एडवांस टेक्नोलॉजी से अपग्रेड करना है | एयरटेल ने नोकिया के AirScale पोर्टफोलियो को चुना है। इसमें हाई-टेक बेस स्टेशन, बेसबैंड यूनिट्स और Massive MIMO Radios का इस्तेमाल होगा। इसमें ReefShark System-on-Chip (SoC) टेक्नोलॉजी लगाई जाएगी, जो एनर्जी की Consumption Reduce करेगी और नेटवर्क को ज्यादा एफिशियंट बनाएगी। यह डील खासकर बड़े भारतीय शहरों और इंडस्ट्रियल एरिया में 5G कवरेज को बढ़ाएगी। Massive MIMO Radios से ज्यादा डिवाइस एक साथ कनेक्ट हो सकेंगी।ReefShark SoC टेक्नोलॉजी नेटवर्क को तेज, पावरफुल और एनवायरनमेंट फ्रेंडली बनाएगी। यह नेटवर्क भविष्य में 5G-Advanced और 6G अपग्रेड्स को भी आसानी से सपोर्ट करेगा।
एयरटेल के CEO गोपाल विट्टल ने कहा कि यह डील उनके नेटवर्क को "फ्यूचर-रेडी" बना देगी और ग्रीन इनिशिएटिव को भी सपोर्ट करेगी। एयरटेल पहले से ही अपने नेटवर्क को अपग्रेड करने के लिए बड़े स्तर पर निवेश कर रहा है। नोकिया ने पहले भी भारत के बड़े नेटवर्क अपग्रेड प्रोजेक्ट्स में काम किया है। इस डील के साथ नोकिया की पकड़ भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में और मजबूत हो जाएगी। नोकिया के सीईओ पेक्का लुंडमार्क ने इस डील को "भारत और नोकिया की साझेदारी को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला" बताया। एयरटेल की 5G सर्विस के विस्तार से Jio और Vodafone-Idea के साथ मुकाबला और तेज हो जाएगा। इस डील के साथ एक खास पहल भी हो रही है—"ग्रीनर 5G"। इसका मकसद कार्बन एमिशन कम करना और टेक्नोलॉजी को एनवायरमेंट फ्रेंडली बनाना है। यह एयरटेल की ग्रीन एनर्जी गोल्स को सपोर्ट करेगा। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट है। ऐसे में 5G नेटवर्क का मजबूत होना जरूरी है।
अडानी ग्रुप पर रिश्वत का साया 200 मिलियन डॉलर के रिश्वत का आरोप
अब तक की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है गौतम अडानी को लेकर, मामला ये है कि गौतम अडानी और उनकी कंपनी पर अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) और Securities and Exchange Commission (SEC) का आरोप है कि अडानी ग्रुप ने अडानी ग्रीन एनर्जी में सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट के लिए करीब 200 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी है। इस मामले में अडानी के भतीजे सागर अडानी, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी, और एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के कार्यकारी सिरिल काबेनेस के खिलाफ भी आरोप लगाए गए हैं । अगर ये आरोप सही साबित हुए, तो न केवल अडानी ग्रुप बल्कि भारत की बिजनेस रेप्युटेशन पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं। DOJ और फ्रॉड यूनिट की ये जांच आखिर कहां तक जाएगी? और क्या इससे अडानी ग्रुप की चमक फीकी पड़ेगी? इस मुद्दे ने ग्लोबल और लोकल राजनीति में हड़कंप मचा दिया है।आरोप है कि अडानी समूह ने भारत में ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए भारतीय अधिकारियों को मोटी रिश्वत दी। यह मामला अमेरिका के Foreign Corrupt Practices Act (FCPA) के तहत उठाया गया है, जो कंपनियों को दूसरे देशों में सरकारी अफसरों को रिश्वत देने पर रोक लगाता है। अमेरिका की ये जांच अडानी ग्रुप और उसकी कॉम्पिटिटर कंपनी Azure Power से जुड़ी है। Azure Power पर पहले भी अंदरूनी गड़बड़ियों और रिश्वत के आरोप लगे थे। दोनों कंपनियां भारत के सोलर प्रोजेक्ट्स में कॉन्ट्रैक्ट पाने की कोशिश में थीं। यह मामला विपक्षी दलों के लिए बड़ा मुद्दा बन गया है।
अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है और कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पूरी तरह पालन करते हैं। अडानी ग्रुप ने सीधा जवाब दिया है कि हमें इस तरह की किसी जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि ये आरोप बेबुनियाद हैं। उनके मुताबिक, कंपनी को DOJ की तरफ से कोई नोटिस नहीं मिला। वैसे भी अडानी ग्रुप का कहना है कि उनके प्रोजेक्ट्स काफी ट्रांसपेरेंट हैं | आरोप लगने के बाद अडानी ग्रुप ने अमेरिका में 600 मिलियन डॉलर का बॉन्ड रद्द कर दिया है | शेयर मार्केट में अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर इस खबर के बाद गिरावट का सामना कर रहे हैं। पिछले साल हिंडनबर्ग रिपोर्ट आई थी, उसमें अडानी ग्रुप पर शेयर बाजार में हेराफेरी और स्टॉक मैनिपुलेशन का इल्जाम लगा था। तब कंपनी के शेयरों की कीमतें तगड़ी गिर गई थीं। इस बार भी कुछ वैसा ही माहौल बनने का डर है। Prosecutors का कहना है कि इस मामले में 'न्यूमेरो यूनो' और 'द बिग मैन' जैसे कोड नामों का इस्तेमाल किया गया है |