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Breaking News 21 May 2025

1. IPL 2025: प्लेऑफ की चौथी सीट पर घमासान!

IPL 2025 अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। लीग स्टेज का अंत बेहद रोमांचक मोड़ पर आकर खड़ा हो गया है। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु, पंजाब किंग्स और गुजरात टाइटंस पहले ही प्लेऑफ का टिकट कटवा चुके हैं। लेकिन चौथी और आखिरी सीट के लिए अब भी घमासान जारी है। इस एक बचे हुए स्थान के लिए मैदान में उतरी हैं दो सबसे चर्चित टीमें मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स। दोनों के बीच 21 मई को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सीधा मुकाबला होना है, जो ‘करो या मरो’ की तर्ज़ पर खेला जाएगा। लेकिन इस महामुकाबले पर अब एक और खतरा मंडरा रहा है—बारिश का। भारतीय मौसम विभाग ने मुंबई के लिए अगले चार दिनों तक येलो अलर्ट जारी कर दिया है। यानी बारिश होने की संभावना इतनी मजबूत है कि पूरा मैच रद्द भी हो सकता है। अब सवाल ये उठता है कि अगर वाकई ये मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ गया, तो किस टीम की किस्मत चमकेगी और किसे झटका लगेगा?मुंबई इंडियंस ने अब तक 12 में से 7 मुकाबले जीते हैं और 5 में उन्हें हार मिली है। यानी उनके पास इस समय 14 अंक हैं और वह पॉइंट्स टेबल में चौथे स्थान पर हैं। दूसरी ओर दिल्ली कैपिटल्स ने 12 में से 6 मुकाबले जीते हैं, 5 में उन्हें हार मिली है और एक मैच बारिश के कारण रद्द हुआ था। ऐसे में उनके पास फिलहाल 13 अंक हैं और वह पांचवें नंबर पर हैं।

अगर आज  वानखेड़े में होने वाला ये मैच बारिश के कारण रद्द हो जाता है, तो दोनों टीमों को एक-एक अंक मिलेगा। इससे मुंबई 15 और दिल्ली 14 अंकों पर पहुंच जाएगी। यानी कोई टीम सीधे प्लेऑफ में नहीं पहुंचेगी—अब दोनों को अपने-अपने आखिरी मुकाबले पर सब कुछ दांव पर लगाना होगा। खास बात ये है कि दोनों को ही अपना अंतिम मैच पंजाब किंग्स के खिलाफ खेलना है।

अब अगर बारिश के बाद दिल्ली की टीम पंजाब को हरा देती है और मुंबई पंजाब से हार जाती है, तो दिल्ली प्लेऑफ में पहुंच जाएगी। वहीं अगर दिल्ली को पंजाब के खिलाफ हार मिलती है, तो फिर मुंबई बिना कुछ किए सीधे क्वालीफाई कर जाएगी। लेकिन असली ट्विस्ट तब आएगा जब दोनों ही टीमें पंजाब को हराने में कामयाब हो जाती हैं इस स्थिति में मुंबई 17 अंकों के साथ टॉप-4 में पहुंच जाएगी, जबकि दिल्ली 16 अंकों पर रहकर बाहर हो जाएगी।

अब ज़रा सोचिए, अगर बारिश ना हुई और मैच पूरा हुआ तो क्या होगा? यदि मुंबई इंडियंस अपने होम ग्राउंड वानखेड़े पर दिल्ली को हरा देती है, तो वह सीधे प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई कर जाएगी, भले ही आखिरी मैच में पंजाब से हार क्यों न हो। लेकिन अगर दिल्ली मुंबई को हरा देती है, तो उसकी उम्मीदें फिर से जीवित हो जाएंगी लेकिन उसे फिर पंजाब के खिलाफ भी जीत दर्ज करनी होगी। यदि दिल्ली मुंबई को हराकर अगला मैच पंजाब से हार जाती है, तो मामला फंसेगा। फिर उसे उम्मीद करनी होगी कि मुंबई भी पंजाब से हारे, ताकि वह रन रेट या पॉइंट्स के आधार पर किसी तरह चौथे नंबर पर बनी रहे।

 

2.): क्या है कान्स फिल्म फेस्टिवल ? 

13 से 24 मई तक फ्रांस के रिवेरा शहर कान्स में सजी है सिनेमा की सबसे भव्य महफिल, जहां न सिर्फ फिल्में दिखाई जा रही हैं, बल्कि वैश्विक संस्कृति, विविधता और सृजनात्मकता का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। हर साल की तरह इस बार भी फ्रांस के खूबसूरत समुद्री शहर कान्स में सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित और भव्य महोत्सव कान्स फिल्म फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। 13 मई से 24 मई तक चलने वाला यह 78वां संस्करण, दुनियाभर के फिल्मप्रेमियों, निर्देशकों, निर्माताओं और कलाकारों के लिए सिनेमा का कुंभ साबित हो रहा है। 12 दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल का मूल उद्देश्य सिर्फ फिल्में दिखाना नहीं, बल्कि विश्व सिनेमा को बढ़ावा देना, नई प्रतिभाओं को मंच देना और सिनेमा के जरिए संस्कृतियों के बीच संवाद कायम करना है।

कान्स की शुरुआत

कान्स फिल्म फेस्टिवल की कहानी महज एक आयोजन नहीं, बल्कि एक क्रांति है। इसकी शुरुआत 1946 में हुई थी, हालांकि इसे 1939 में शुरू करने की योजना थी, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के कारण स्थगित करना पड़ा। इस फेस्टिवल की नींव फ्रांस सरकार और फ्रेंच सिनेमा इंडस्ट्री ने मिलकर रखी थी। उस समय इटली का वेनिस फिल्म फेस्टिवल लोकप्रियता की ऊंचाई पर था, लेकिन फ्रांस एक ऐसा मंच तैयार करना चाहता था, जो केवल ग्लैमर नहीं, बल्कि कला और स्वतंत्र सिनेमा को केंद्र में रखे। कान्स का उद्देश्य तब भी यही था, और आज भी वही है 'क्रिएटिविटी, कल्चर और सिनेमा की शक्ति को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाना।' आज कान्स सिर्फ एक फिल्म फेस्टिवल नहीं, बल्कि कला, संस्कृति और ग्लोबल क्रिएटिव आइडेंटिटी का उत्सव बन चुका है। यह महज रेड कार्पेट और डिजाइनर ड्रेसेज़ की बात नहीं है — यहां नई कहानियों को आवाज, नई सोच को मंच और नई प्रतिभाओं को अवसर मिलता है। दुनिया के कोने-कोने से आई फिल्में, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट्स, और प्रयोगधर्मी सिनेमा यहां प्रदर्शित किए जाते हैं। यह फेस्टिवल आज विश्व सिनेमा की धड़कन बन चुका है। इस बार कान्स में भारत की चमकती मौजूदगी हर स्तर पर नजर आ रही है। अनुपम खेर अपनी टीम के साथ फिल्म 'तन्वी दमन ग्रेट' के प्रमोशन के लिए रेड कार्पेट पर पहुंचे और महफिल लूट ली। उनके साथ बोमन ईरानी, पल्लवी जोशी, शुभांगी जोशी और करण ठक्कर भी मौजूद रहे। पिछले साल अपनी फिल्म से सुर्खियां बटोरने वाली निर्देशक पायल कपाड़िया इस बार जूरी में शामिल हैं। वह मुख्य प्रतियोगिता जूरी की सदस्य हैं, जिसकी अध्यक्षता फ्रांसीसी अभिनेत्री जूलियट बिनोचे कर रही हैं। भारत को इस साल ‘ला सिनेफ़’ सेक्शन में भी प्रतिनिधित्व मिला है। सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट के छात्र की फिल्म ‘ए डॉल मेड अप ऑफ़ क्ले’ को यहां प्रतिस्पर्धा के लिए चुना गया है — जो अगली पीढ़ी की भारतीय सिनेमाई प्रतिभा का परिचय है। साथ ही, शर्मिला टैगोर भी कान्स में मौजूद हैं। वह सत्यजीत रे की 1970 की क्लासिक ‘अरण्येर दिन रात्रि’ के पुनर्स्थापित वर्जन की स्क्रीनिंग के अवसर पर कान्स पहुंची हैं। यह फिल्म ‘कान्स क्लासिक्स’ सेक्शन का हिस्सा है। कान्स फेस्टिवल हर साल साबित करता है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि विचार, प्रतिरोध, प्रयोग और संवाद का माध्यम है। यह फेस्टिवल दुनिया को बताता है कि कहानियां सीमाओं में नहीं बंधतीं — वे कैमरे के लेंस से निकलकर दिलों में उतरती हैं।