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Breaking News 21 June 2025

1.) अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: सभ्यता से संस्कृति तक

21 जून यानी आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है, आंध्र प्रदेश का समुद्री शहर विशाखापत्तनम आज एक अलग ही रूप में चमकता नजर आया। सूर्य की पहली किरण के साथ ही समुद्र किनारे लाखों लोगों का जमावड़ा सिर्फ एक साधना के लिए हुआ योग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां करीब तीन लाख से अधिक लोगों के साथ सामूहिक योगाभ्यास किया। इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण, जो मंच पर प्रधानमंत्री के साथ मौजूद थे। यह दृश्य न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सशक्त संदेश था कि योग अब केवल व्यक्तिगत साधना नहीं रहा, बल्कि यह वैश्विक एकता का मंच बन चुका है। 

यह आयोजन उस ऐतिहासिक पहल का परिणाम है, जो प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखी थी। उसी पहल के चलते संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मान्यता दी थी। साल का सबसे लंबा दिन, जब प्रकृति अपने चरम पर होती है, आज के दिन योग के माध्यम से आत्मा, शरीर और ब्रह्मांड को जोड़ने का माध्यम बन गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट रूप से कहा कि, “योग अब केवल भारत का नहीं रहा। यह एवरेस्ट की चोटियों से लेकर सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियों तक गूंज रहा है। चाहे समुद्र की लहरें हों या रेगिस्तान की रेत, योग सभी जगह है। यह सभी का है और सभी के लिए है।”

इस वर्ष योग दिवस की वैश्विक थीम रही ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ (One Earth, One Health)। यह नारा सिर्फ एक औपचारिक घोषणापत्र नहीं, बल्कि दुनिया को एकजुट करने का एक आध्यात्मिक मार्ग है। आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, मानसिक तनाव, युद्ध और महामारी जैसी आपदाओं से जूझ रही है, ऐसे समय में योग संजीवनी बनकर उभरा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग की वैश्विक स्वीकृति केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह मानव कल्याण के लिए एक वास्तविक संयुक्त प्रयास है।

विशाखापत्तनम का आयोजन भारत सरकार द्वारा देशभर में चलाए जा रहे विशेष योग कार्यक्रमों की एक कड़ी था। इस बार देश के 100 प्रतिष्ठित स्थलों और 50 सांस्कृतिक विरासत स्थलों पर विशेष योग सत्र आयोजित किए गए।  इन स्थलों पर लोगों ने योगाभ्यास कर उस सांस्कृतिक मूल को पुनः जीवित किया, जो भारत की आत्मा से जुड़ा है।

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ने भी आज योग दिवस को पूरी ऊर्जा और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में हजारों लोगों ने सामूहिक योग किया, लंदन के हाइड पार्क में योगाभ्यास हुआ, तो जापान में माउंट फूजी के पास शांत वातावरण में लोगों ने ध्यान लगाया। पेरिस के एफिल टॉवर से लेकर अफ्रीका के केन्या तक, योग का संदेश आज सीमा-पार फैल चुका है। यह भारत की "सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी" का सर्वोत्तम उदाहरण है, जिसने बिना किसी युद्ध, बिना किसी दबाव के विश्व को एक सूत्र में बांधा है।

योग अब सिर्फ शरीर को लचीला बनाने का व्यायाम नहीं, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य, आंतरिक शांति, और सामाजिक सौहार्द का एक जरिया बन चुका है। कोविड-19 महामारी के बाद दुनियाभर में योग की लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा देखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना काल के बाद दुनिया में योग करने वालों की संख्या में लगभग 46% तक वृद्धि हुई है।

इस बात में कोई शक नहीं कि योग दिवस अब भारत के लिए केवल एक आयोजन नहीं रह गया, यह भारत की सांस्कृतिक पहचान का एक ऐसा स्तम्भ बन चुका है, जिसे पूरी दुनिया ने स्वीकारा है। विशाखापत्तनम में जो दृश्य आज दिखा, वह भावनात्मक था, प्रेरणादायक था, और इतिहास में दर्ज हो गया। तीन लाख लोग, एक साथ, एक लय में, एक सांस में जब योग कर रहे थे, तो वह सिर्फ एक क्रिया नहीं थी, बल्कि यह दुनिया को जोड़ने की एक साधना थी।

 

2.) अहमदाबाद विमान हादसे के बाद बड़ी कार्रवाई, खुली लापरवाही की परतें

अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान हादसे ने भारत की नागरिक विमानन प्रणाली की नींव हिला दी है। हादसे में जान गंवाने वाले 270 यात्रियों के परिजन अभी तक शोक में डूबे हैं, और इसी बीच एक के बाद एक खुलासे यह बता रहे हैं कि यह सिर्फ एक तकनीकी त्रासदी नहीं, बल्कि एक सिस्टमेटिक विफलता थी जहां ऊपर से नीचे तक जिम्मेदारियां कुचली गईं, नजरें फेर ली गईं और नियमों को ताक पर रखकर यात्रियों की ज़िंदगियों के साथ समझौता किया गया। नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने अहमदाबाद हादसे के बाद सख्त रुख अपनाते हुए एयर इंडिया के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से क्रू शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग से संबंधित सभी जिम्मेदारियों से हटाने का आदेश दिया है। इनमें एक डिविजनल वाइस प्रेसिडेंट भी शामिल हैं। डीजीसीए ने एयर इंडिया से कहा है कि इन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई जल्द शुरू की जाए और 10 दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

शेड्यूलिंग में खतरनाक लापरवाही

DGCA की जांच रिपोर्ट बताती है कि एयर इंडिया ने ARMS से CAE प्रणाली में बदलाव के दौरान चालक दल की रोस्टरिंग और उड़ान संचालन में गंभीर लापरवाही की। एयरलाइन ने बार-बार लाइसेंसिंग, विश्राम और नवीनता (Recurrent Training) जैसे अनिवार्य नियमों की अनदेखी की, जिससे क्रू थकान और संचालन में जोखिम की स्थितियां बनीं। यह लापरवाही न केवल एयरलाइन के भीतर जवाबदेही की कमी को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सुरक्षा के मूल सिद्धांतों को भी नजरअंदाज किया गया। समीक्षा में पाया गया कि क्रू को बिना उपयुक्त प्रशिक्षण और आवश्यक लाइसेंसिंग के साथ उड़ानों पर भेजा गया। कुछ मामलों में तो ड्यूटी घंटे की सीमा को भी पार किया गया—जैसे 16 और 17 मई को बेंगलुरु से लंदन की दो उड़ानों (AI-133) ने 10 घंटे की तय सीमा को लांघ दिया। इस गंभीर उल्लंघन पर DGCA ने एयर इंडिया के एकाउंटेबल मैनेजर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि उनके खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए। डीजीसीए के सख्त आदेशों के बाद एयर इंडिया ने सफाई में कहा कि उसने सभी निर्देशों को स्वीकार कर लिया है और उन्हें लागू कर दिया गया है। अब कंपनी का मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) ‘इंटीग्रेटेड ऑपरेशन्स कंट्रोल सेंटर’ (IOCC) की सीधी निगरानी करेंगे ताकि आगे ऐसी लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे सबसे हृदयविदारक सच्चाई यह है कि अहमदाबाद हादसे में जान गंवाने वाले 270 लोगों में से 215 मृतकों की अब तक डीएनए के ज़रिये पहचान की जा सकी है, और इनमें से 198 शव उनके परिजनों को सौंपे गए हैं। इनमें 149 भारतीय, 32 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल हैं। सात शव ऐसे भी हैं जो हादसे के वक्त ज़मीन पर मौजूद थे।