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Breaking News 20 June 2025

1.)जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 : सफर से दर्शन तक हर ज़रूरी जानकारी!

सदियों से यह विश्वास जड़ पकड़ चुका है कि अगर आप भगवान को देखने नहीं जा सकते, तो भगवान खुद आपके बीच आ जाएंगे। और यह कोई भावनात्मक कल्पना नहीं, बल्कि हर साल उड़ीसा के पुरी में घटने वाला एक जीवित चमत्कार है — जगन्नाथ रथ यात्रा। यह वो अवसर होता है, जब ईश्वर अपने ही मंदिर से बाहर निकलकर आम जन की गलियों से गुजरते हैं। न सोने का सिंहासन, न झिलमिलाते पर्दे — बस एक विशाल रथ, लाखों हाथ, और आस्था से भरी आंखें। यह केवल एक यात्रा नहीं, यह वो सेतु है जो भक्त को भगवान से जोड़ता है — और जीव को मोक्ष से।

क्या है जगन्नाथ रथ यात्रा?

जगन्नाथ रथ यात्रा दुनिया की सबसे प्राचीन और विराट रथ यात्राओं में से एक है। हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि को उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विशाल रथों पर विराजमान होकर अपने मंदिर 'श्री जगन्नाथ मंदिर' से निकलते हैं और गुंडीचा मंदिर (अपनी मौसी का घर) तक की लगभग 3 किलोमीटर लंबी यात्रा करते हैं। इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं, जो भगवान के रथ की रस्सी खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि इस रस्सी को खींचने से जीवन के सारे पाप मिट जाते हैं और भक्त मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।

इस वर्ष रथ यात्रा 27 जून 2025, शुक्रवार को निकाली जाएगी। लेकिन यह केवल एक दिन की घटना नहीं होती — रथ यात्रा एक संपूर्ण धार्मिक उत्सव है जो कई परंपराओं और भावनाओं से जुड़ा होता है। रथ यात्रा से एक दिन पहले यानी 26 जून को गुंडीचा मंदिर की सफाई होती है, जिसे गुंडीचा मार्जन कहा जाता है। इस दिन भक्तों द्वारा गुंडीचा मंदिर को पवित्र जल से धोया जाता है, ताकि जब भगवान वहाँ ठहरने आएं, तो उन्हें एक स्वच्छ और पवित्र स्थान प्राप्त हो। यह एक आध्यात्मिक प्रतीक है, कि ईश्वर केवल उस स्थान पर निवास करते हैं जहाँ अंत:करण शुद्ध हो।

27 जून को तीनों रथों को खींचा जाएगा। भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम नंदीघोष है, बलभद्र के रथ को तालध्वज कहा जाता है और सुभद्रा का रथ दर्पदलन कहलाता है। ये रथ यात्रा केवल एक शोभा यात्रा नहीं, बल्कि समर्पण, भक्ति और मिलन का महापर्व है। यात्रा का मार्ग श्रीमंदिर से शुरू होकर गुंडीचा मंदिर तक जाता है, जहाँ भगवान 9 दिनों तक विश्राम करते हैं। इसके बाद 5 जुलाई 2025 को भगवान की वापसी होती है, जिसे बहुदा यात्रा कहा जाता है। यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत भावनात्मक होता है, क्योंकि वे भगवान को विदा करते हैं, लेकिन इस आशा के साथ कि अगली आषाढ़ में फिर रथ निकलेगा, फिर मुलाकात होगी।

इस यात्रा के पीछे केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक रहस्य है। यह यात्रा हमें सिखाती है कि भगवान केवल मंदिरों में नहीं रहते। जब भक्त बुलाते हैं, तो वह खुद चलते हैं। यह श्रद्धा का पर्व है — जहाँ धर्म, जाति, भाषा, देश की सीमाएं मिट जाती हैं। विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होने आते हैं — चाहे वो यूरोप हो, अमेरिका हो या थाईलैंड, सबके लिए यह आयोजन एक दिव्य आकर्षण है। इसे देखकर यही लगता है कि जब आस्था बुलाती है, तो दूरी मायने नहीं रखती।

कैसे पहुंचे पुरी? पूरी यात्रा गाइड

अगर आप इस वर्ष इस रथ यात्रा का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो यात्रा की पूरी तैयारी और गाइड आपके पास होनी चाहिए। सबसे पहले बात करें हवाई यात्रा की — भुवनेश्वर एयरपोर्ट इस यात्रा के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, जो पुरी से मात्र 60 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से नियमित फ्लाइट्स आती हैं। एयरपोर्ट से पुरी पहुंचने के लिए टैक्सी या बसें आसानी से मिल जाती हैं। रेल मार्ग से यात्रा करने वालों के लिए पुरी रेलवे स्टेशन एक अच्छा विकल्प है, जो देश के कई बड़े शहरों से सीधे जुड़ा है। स्टेशन से मंदिर की दूरी मात्र 3 किलोमीटर है और वहां से आप ऑटो, रिक्शा या लोकल टैक्सी ले सकते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो एनएच-316 द्वारा भुवनेश्वर और कोणार्क से सीधी सड़क सुविधा है। कई सरकारी और प्राइवेट बसें भी इस रूट पर चलती हैं।

ठहरने के लिए आपको पहले से ही होटल, लॉज या धर्मशाला की बुकिंग कर लेनी चाहिए, क्योंकि यात्रा के समय पुरी में भारी भीड़ होती है। आखिरी समय में बुकिंग मिलना मुश्किल हो सकता है। साथ ही मौसम को देखते हुए हल्के कपड़े, छाता, सनस्क्रीन, और जरूरी दवाइयाँ अपने साथ रखें। ट्रेन और फ्लाइट टिकट भी जितनी जल्दी हो बुक कर लें, क्योंकि लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से पुरी आने वाले होंगे।

 

2.) Shocking !  डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी की 35 मिनट की बातचीत  

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट की बातचीत, दरअसल दो लोकतांत्रिक शक्तियों के बीच उभरते वैश्विक संतुलन का संकेत है।

फोन पर हुई इस बातचीत में एक ओर जहां मोदी ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी दी, वहीं उन्होंने यह भी साफ किया कि अब आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को उसके परिणाम भुगतने ही होंगे। ये एक साधारण बातचीत नहीं थी, बल्कि यह उस नई विदेश नीति का प्रतिबिंब थी जिसमें शब्द भी हथियार होते हैं और संवाद भी रणभूमि।

इस बीच, ट्रंप ने जी-7 सम्मेलन के दौरान कनाडा से लौटते वक्त पीएम मोदी को अमेरिका आने का न्योता दिया—लेकिन भारत के प्रधानमंत्री ने अपने पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देकर बड़ी विनम्रता से इस प्रस्ताव को टाल दिया। पर टालने का अर्थ इंकार नहीं होता। मोदी ने ट्रंप को उसी विनम्रता से जवाब में भारत आमंत्रित किया—क्वाड शिखर सम्मेलन के लिए। और ट्रंप ने भी यह न्योता स्वीकार कर दोस्ती की ज़मीन और मजबूत कर दी।

इस वार्तालाप की बारीक परतों को समझा जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि भले ही मुलाकात जी-7 सम्मेलन में न हो सकी, लेकिन नेताओं के इरादे और संवाद की डोर में कोई गिरावट नहीं आई। विदेश सचिव विक्रम मिस्री की बातों में भी यही संदेश झलकता है—“निकट भविष्य में मिलने की कोशिश करेंगे।”

दर्शन यह है कि वैश्विक राजनीति में जब एक ओर दुनिया युद्ध की आहटों से कांप रही हो—जैसे इस्राइल और ईरान का टकराव—तब भारत और अमेरिका जैसे देशों के नेता मिलकर न केवल शांति की ज़मीन तैयार कर रहे हैं, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी मज़बूत कर रहे हैं।

क्वाड पर हुई सहमति और सहयोग की यह तस्वीर, भारत की उस कूटनीति की मिसाल है जहां संवाद को हथियार से ज़्यादा असरदार माना जाता है। जब ट्रंप कहते हैं कि वे भारत आने को उत्सुक हैं, तो यह केवल एक राजनयिक बयान नहीं होता—यह दुनिया को यह बताने का संकेत है कि भारत अब केवल एक साझेदार नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति है।

 

3 ) अलवर हत्याकांड का क्या है पूरा मामला ? 

राजस्थान के अलवर जिले के खेड़ली कस्बे में एक ऐसा हत्याकांड सामने आया है जिसने इंसानियत को झकझोर दिया इस वारदात में एक पत्नी ने अपने प्रेमी और किराए के हत्यारों के साथ मिलकर अपने ही पति को मौत के घाट उतार दिया। और इस जघन्य हत्या का सबसे दर्दनाक पहलू यह रहा कि यह सब उस मासूम की आंखों के सामने हुआ… जो अभी सिर्फ 9 साल का है… और जिसने उस रात बचपन खो दिया। 32 वर्षीय वीरू जाटव, जिन्हें इलाके में मान सिंह जाटव के नाम से भी जाना जाता था, एक मेहनती टेंट कारोबारी थे। 7 जून 2025 की रात, वह रोज की तरह काम से लौटे थे, थके हुए थे। उन्होंने अपने बेटे से सिर्फ इतना कहा, “फोन चार्ज में लगा दो।” उन्हें क्या पता था कि उस घर में, जहां उन्होंने नई जिंदगी की उम्मीदों के साथ कदम रखा था, वहीं मौत उनका इंतज़ार कर रही थी। उनकी पत्नी अनीता ने दावा किया कि उन्हें “साइलेंट हार्ट अटैक” आया, लेकिन जब वीरू के बड़े भाई गब्बर जाटव ने शव देखा, तो शक पुख्ता हो गया – गले पर गला घोंटने के निशान थे। इस केस का सबसे बड़ा और सबसे मासूम गवाह बना वीरू और अनीता का 9 साल का बेटा। पुलिस को दिए गए बयान में जो कुछ उसने कहा, वह रोंगटे खड़े कर देने वाला था। “मम्मी ने दरवाजा खोला। काशी अंकल अंदर आए। पापा सो रहे थे। उन्होंने पापा को मारा, गला दबाया, मुंह पर तकिया रख दिया। मैंने रोका तो मुझे धमकाया। मम्मी चुपचाप देखती रही।” उस एक मासूम की गवाही ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया। उसने सिर्फ मां नहीं खोई, पिता नहीं खोया… उसने भरोसा खो दिया, वह मासूमियत जो उसके चेहरे पर होनी चाहिए थी, अब डर, सन्नाटा और सदमे में तब्दील हो चुकी है। अनीता का अतीत भी कुछ कम उलझा हुआ नहीं था। यह उसकी दूसरी शादी थी, पहला रिश्ता टूट चुका था। वीरू भी तलाकशुदा था। दोनों ने मिलकर एक नई शुरुआत की थी, लेकिन अनीता के दिल में वफादारी की जगह काशीराम बस चुका था – जो कि खेड़ली में कचौड़ी का ठेला लगाता था। यही प्रेम संबंध इस हत्याकांड की जड़ बना। जब वीरू को शक हुआ तो झगड़े शुरू हुए। और फिर एक दिन, इस झगड़े को हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया – एक सोची-समझी साजिश के तहत। पुलिस की जांच में सामने आया कि अनीता और काशीराम ने चार अन्य हत्यारों को दो लाख रुपये में सुपारी दी। अनीता ने खुद घर का दरवाजा खुला छोड़ा, ताकि काशी और उसके साथी अंदर आ सकें। हमला किया गया, वीरू को पहले पीटा गया, फिर तकिये से उसका दम घोंटा गया। गब्बर जाटव की सूझबूझ ने इस मामले को एक नया मोड़ दिया। उन्होंने ना केवल पुलिस को सक्रिय किया, बल्कि खुद भी संदेह की परतें हटाई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट, कॉल डिटेल्स, सीसीटीवी फुटेज और बेटे की गवाही ने पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया। पुलिस ने अनीता, काशीराम और बृजेश जाटव को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीन आरोपी  विष्णु, नवीन और चेतन – अब भी फरार हैं। उनकी तलाश अभी जारी है।

 

4) Starship फटा: एलन मस्क के अंतरिक्ष मिशन को ज़मीन पर झटका

एलन मस्क की महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोजेक्ट SpaceX के Starship रॉकेट ने एक बार फिर अंतरिक्ष की बजाय धरती पर ही विस्फोट का अनुभव किया। भारतीय समय के अनुसार शुक्रवार सुबह 9:30 बजे लॉन्च की तैयारी कर रहे इस मेगास्ट्रक्चर रॉकेट ने फायर टेस्टिंग के दौरान टेक्सस के स्टारबेस में अचानक विस्फोट कर दिया। धमाका इतना जबरदस्त था कि पूरे क्षेत्र में इसकी गूंज सुनाई दी, लेकिन राहत की बात यह रही कि कोई जनहानि नहीं हुई।

एलन मस्क की टीम का आधिकारिक बयान:

SpaceX की ओर से जारी बयान में कहा गया कि Starship अपनी दसवीं टेस्ट फ्लाइट की तैयारी में था, लेकिन इंजन के रूटीन स्टैटिक फायर टेस्ट के दौरान रॉकेट ‘Ship 36’ में भीषण तकनीकी असफलता हुई, जिसके बाद यह एक कैटेस्ट्रॉफिक फेलियर में बदल गया। हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट किया है कि हादसे के वक्त साइट पर सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा था और कोई भी कर्मी हताहत नहीं हुआ। SpaceX की स्टारबेस फैसिलिटी में यह परीक्षण एक नियमित प्रक्रिया थी, जिसे दुनिया भर के वैज्ञानिकों और टेक्नोलॉजी वॉचर्स ने ‘निगरानी मोड’ में देखा। मगर किसी को यह अंदेशा नहीं था कि यह रूटीन टेस्ट एक भविष्य के रॉकेट को मलबे में तब्दील कर देगा। Starship — जिसे एक दिन मानव जाति को मंगल तक ले जाने का माध्यम माना जा रहा है — उसी धरती पर बार-बार बिखरता नज़र आ रहा है। ये हादसा सिर्फ तकनीक की असफलता नहीं, बल्कि उन अरबों सपनों की भी ठोकर है, जो अंतरिक्ष के नए युग की कल्पना कर रहे थे। टेस्टिंग साइट के चारों ओर सुरक्षा क्षेत्र पहले से ही सक्रिय था। जैसे ही रॉकेट में विस्फोट हुआ, इमरजेंसी प्रोटोकॉल्स लागू किए गए। स्थानीय प्रशासन और SpaceX की टीम अब इस घटना की जांच में जुट गई है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस दुर्घटना के पीछे तकनीकी दोष क्या रहा। SpaceX ने कहा है कि, "हमारी स्टारबेस टीम स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर पूरे इलाके को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रही है। आस-पास के निवासियों के लिए कोई खतरा नहीं है।" तकनीक का भरोसा, लेकिन हकीकत की ज़मीन पर झटका: यह पहली बार नहीं है जब SpaceX का कोई परीक्षण इस तरह असफल हुआ हो, लेकिन Starship जैसा मेगाप्रोजेक्ट, जिसे इंसान की अब तक की सबसे बड़ी उड़ान का वाहन माना जा रहा है, उसका इस तरह का विस्फोट आने वाले अभियानों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।