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Breaking News 20 February 2025

1 ) दिल्ली को मिली नई मुख्यमंत्री: रेखा गुप्ता 

 

दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा जा चुका है। रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही भाजपा ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि विचारों और विकास की राजनीति करती है। यह फैसला महज एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक मास्टरस्ट्रोक है, जो दिल्ली से लेकर बिहार तक गूंजेगा।

महिला नेतृत्व की ताकत

भाजपा ने दिल्ली की कमान एक सशक्त महिला नेता को सौंपकर यह दिखा दिया कि पार्टी महिलाओं को सिर्फ वोट बैंक नहीं समझती, बल्कि उन्हें नेतृत्व देने में भी अग्रणी है। रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं, इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित जैसे दिग्गज इस पद को सुशोभित कर चुकी हैं। भाजपा का यह कदम न केवल महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा, बल्कि महिला वोटर्स के बीच भी पार्टी की पकड़ मजबूत करेगा।

व्यापारी वर्ग को साधने का स्मार्ट कदम

दिल्ली व्यापार का केंद्र है, और भाजपा ने रेखा गुप्ता की नियुक्ति से व्यापारियों को एक मजबूत संदेश दिया है। खुद भी एक प्रभावशाली पृष्ठभूमि से आने वाली रेखा गुप्ता व्यापारिक समुदाय की समस्याओं को समझती हैं। उनके नाम के ऐलान के बाद बिजनेस कम्युनिटी में जबरदस्त उत्साह देखा गया, क्योंकि उन्हें अब एक ऐसा चेहरा मिला है जो उनकी समस्याओं को न सिर्फ समझेगा, बल्कि उनके पक्ष में ठोस कदम भी उठाएगा। भाजपा की राजनीति सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं होती, बल्कि उसकी रणनीति राष्ट्रीय स्तर की होती है। इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, और वहां महिला वोटर्स की संख्या बहुत बड़ी है। रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने से बिहार की महिला वोटर्स के बीच भाजपा की लोकप्रियता और बढ़ सकती है। यह कदम पार्टी के 'महिला सशक्तिकरण' के एजेंडे को और मजबूती देगा। रेखा गुप्ता केवल एक राजनीतिक चेहरा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा से प्रेरित एक कर्मठ नेता हैं। संघ के विचारों से जुड़ाव और उनके संगठनात्मक अनुभव ने उन्हें जमीनी स्तर पर बेहद मजबूत बनाया है। उन्होंने “सुमेधा योजना” जैसी पहल शुरू की थी, जिसने आर्थिक रूप से कमजोर छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में मदद की। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी प्राथमिकता हमेशा से समाज सेवा रही है। रेखा गुप्ता की राजनीति की जड़ें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में रही हैं। उन्होंने 1996-97 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष के रूप में युवाओं का नेतृत्व किया। भाजपा ने इस नियुक्ति से युवा वर्ग को भी साधने का प्रयास किया है, जिससे पार्टी की जमीनी पकड़ और मजबूत होगी । रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाना सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भाजपा की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। इस फैसले से पार्टी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं महिला सशक्तिकरण, व्यापारी वर्ग और युवा वोटर्स को साधकर भाजपा ने अपने मजबूत संगठनात्मक ढांचे का परिचय दिया है

 

2 ) रेखा गुप्ता ही क्यों बनी दिल्ली की मुख्यमंत्री ? 

 

बीजेपी ने बड़े-बड़े दावेदारों को दरकिनार कर रेखा गुप्ता को दिल्ली की बागडोर सौंप दी। आखिर क्या वजह रही कि पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया? वहीं, रामलीला मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह में उनके साथ छह मंत्रियों ने भी पद की शपथ ली प्रवेश वर्मा, आशीष सूद, मनजिंदर सिंह सिरसा, रविंदर इंद्राज सिंह, कपिल मिश्रा और पंकज कुमार सिंह।

रेखा गुप्ता क्यों? 

भाजपा का यह फैसला कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने लगातार ऐसे चेहरों को आगे बढ़ाया है जो युवा हैं, संगठन से जुड़े हैं और राजनीतिक खानदान से नहीं आते। 
पहला - युवा नेतृत्व को तरजीह रेखा गुप्ता एक युवा चेहरा हैं, जो पारिवारिक राजनीति से नहीं, बल्कि संगठन की सीढ़ियां चढ़कर इस मुकाम तक पहुंची हैं। दूसरा - नई पीढ़ी को नेतृत्व सौंपने की रणनीति भाजपा धीरे-धीरे अपने पुराने चेहरों को पीछे कर नए चेहरों को आगे ला रही है। रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर पार्टी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अब नए नेता कमान संभालेंगे।
तीसरा - संगठन का कद बढ़ाना रेखा गुप्ता की पृष्ठभूमि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और दिल्ली भाजपा के संगठन से जुड़ी रही है। उनका यह सफर पार्टी की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेताओं को आगे बढ़ाया जाता है।
चौथा - समर्पित कार्यकर्ताओं को पुरस्कार वाजपेयी-आडवाणी युग से ही भाजपा में संगठन से जुड़े नेताओं को प्राथमिकता दी जाती रही है। रेखा गुप्ता भी इसी परंपरा की अगली कड़ी हैं।
पांचवां स्थानीय नेतृत्व को तरजीह – दिल्ली में भाजपा को लंबे समय से एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत थी, जो दिल्ली की राजनीति की नब्ज समझे। रेखा गुप्ता का लंबे समय से स्थानीय राजनीति में सक्रिय रहना पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। भाजपा ने न सिर्फ मुख्यमंत्री पद पर नए चेहरे को बिठाया, बल्कि मंत्रिमंडल गठन में भी जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है। मंत्रियों की सूची में जाट, पंजाबी और पूर्वांचल जैसे समुदायों को प्रतिनिधित्व देकर भाजपा ने संकेत दिया है कि दिल्ली में उसकी राजनीति अब नए समीकरणों पर आधारित होगी।

कौन हैं रेखा गुप्ता?

रेखा गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की पूर्व अध्यक्ष रही हैं और पहली बार विधायक बनी हैं। शालीमार बाग से चुनाव जीतकर उन्होंने राजनीति में बड़ी छलांग लगाई। वह दिल्ली की नौवीं मुख्यमंत्री बनी हैं और भाजपा की ओर से इस पद पर पहुंचने वाली चौथी नेता हैं। दिलचस्प बात यह है कि वह इस वक्त भाजपा शासित राज्यों में एकमात्र महिला मुख्यमंत्री भी हैं। उनका राजनीतिक सफर दिल्ली नगर निगम (MCD) से शुरू हुआ था, जहां वह दो बार पार्षद और एक बार मेयर भी रह चुकी हैं। आरएसएस से उनके करीबी संबंध बताए जाते हैं, और वह अपनी बेबाक शैली के लिए जानी जाती हैं। बीते बुधवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता को सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री चुना गया। इस मौके पर उन्होंने कहा "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को दिल्ली में साकार करना मेरी प्राथमिकता होगी। यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि देश की हर मां और बेटी का सम्मान है।" रेखा गुप्ता ने ‘आप’ की उम्मीदवार बंदना कुमारी को 29,595 मतों के अंतर से हराया था। इस चुनाव में भाजपा ने 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की, जो 26 सालों में उसकी सबसे बड़ी जीत रही।
मंत्री पद संभालने वाले प्रमुख नेता कौन हैं?
1. प्रवेश वर्मा – दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराया।
2. कपिल मिश्रा – पूर्व में आम आदमी पार्टी के सदस्य रहे हैं। अब करावल नगर से भाजपा विधायक हैं।
3. पंकज कुमार सिंह – बिहार के बोधगया से बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (BDS) कर चुके हैं। लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं।
4. मनजिंदर सिंह सिरसा – भाजपा के राष्ट्रीय सचिव हैं और राजौरी गार्डन सीट से जीतकर आए हैं।
5. रविंदर सिंह इंद्राज – अनुसूचित जाति मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं और बवाना सीट से विधायक बने हैं।
6. आशीष सूद – पंजाबी समुदाय से आते हैं और जनकपुरी सीट से पहली बार विधायक बने हैं।
शपथ ग्रहण के बाद अब मंत्रालयों का बंटवारा होगा। भाजपा ने दिल्ली में सत्ता संभाल तो ली, लेकिन अब असली चुनौती शुरू होगी।