कुकी उग्रवादी गांव पर ड्रोन से बरसा रहें बम
मणिपुर एक बार फिर हिंसा और गोलीबारी से दहल उठा है। इस बार कुकी उग्रवादियों ने गांव पर ड्रोन से बम बरसाए हैं। ताजा हिंसा में यह सबसे चौंकाने वाला ट्रेंड माना जा रहा है। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से निचले इलाके कोत्रुक और कडांगबांड घाटी को निशाना बनाया और पहले अंधाधुंध गोलीबारी की, उसके बाद ड्रोन से जबरदस्त बम बरसाए। अचानक हुए हमले से गांव में दहशत फैल गई और लोग खुद की जान बचाने के लिए सुरक्षित ठिकाने तलाशते देखे गए। हमले में दो लोगों की मौत हो गई और दो सुरक्षाकर्मियों समेत 9 अन्य घायल हुए हैं। कोत्रुक गांव के पंचायत अध्यक्ष के अनुसार, सशस्त्र आतंकवादियों ने रविवार दोपहर करीब 2 बजे गोलीबारी शुरू की। उग्रवादियों की भारी गोलाबारी से कई घर भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। खबरों के अनुसार जब गांव में गोलीबारी और बमबारी शुरू हुई तो ग्रामीण अपने घरों में ही थे। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह हमला गांव के वॉलेंटियर्स को इलाके से वापस बुलाए जाने के ठीक 10 दिन बाद हुआ। राज्य सुरक्षा बलों की सलाह के बाद हमने अपने गांव के वॉलेंटियर्स को हटा लिया था।
घटना के बाद स्थानीय निवासियों में गुस्सा
कोत्रुक गांव के लोगों ने घटना को लेकर निराशा जाहिर की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा शांति बहाल करने को लेकर कई बार आश्वासन दिया गया, उसके बावजूद हम लोग सुरक्षित नहीं हैं। स्थानीय महिला निगरानी समूह की सदस्य निंगथौजम टोमालेई ने कहा, राज्य सरकार बार-बार दावा करती है कि शांति बहाल हो गई है, लेकिन हम अभी भी हमलों के डर में जी रहे हैं और हमें नहीं पता कि हम वाकई में कब सुरक्षित होंगे? मणिपुर गृह विभाग ने इसे आतंक का जघन्य कृत्य बताया है जो राज्य की शांति के लिए खतरा है। इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने इम्फाल पश्चिम जिले में कर्फ्यू लगा दिया है। मणिपुर सरकार ने हमले की निंदा की है और हमले के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
ड्रोन, बम और अत्याधुनिक हथियारों से लेस हैं कुकी उग्रवादी
मणिपुर गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान कहा गया है, राज्य सरकार को जानकारी मिली है कि कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों ने घटना को अंजाम दिया है। निहत्थे कौत्रुक इलाके के ग्रामीणों पर ड्रोन, बम और कई अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया गया है, जिसमें एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। निहत्थे ग्रामीणों को आतंकित करने की ऐसी हरकत को राज्य सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है। सरकार राज्य में सामान्य स्थिति और शांति लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। एन बीरेन सिंह सरकार ने आगे कहा, स्थिति को नियंत्रित करने और इम्फाल पश्चिम के कोटरुक गांव पर हमले में शामिल लोगों को दंडित करने के लिए तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी है।
पुलिस ने बताया, कितना घातक था हमला?
हमले को लेकर मणिपुर पुलिस ने जो जानकारी दी, वो बेहद चौंकाने वाली है। पुलिस ने दावा किया है कि कुकी उग्रवादियों ने हाई टेक ड्रोन का इस्तेमाल किया, ऐसे ड्रोन सिर्फ युद्धों में इस्तेमाल किए जाते हैं। हमलावर भी सामान्य नहीं कहे जा सकते हैं, क्यूंकि इन ड्रोन को इस्तमाल करने और इनसे हमला करने के लिए उच्च ट्रेनिंग और तकनीक विशेषज्ञ होना जरूरी है। यानी पुलिस की माने तोह इस पूरे घटनाक्रम में बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'X' के माध्यम से हमले से जुडी डिटेल साझा की है। (Tweet Link- https://x.com/manipur_police/status/1830265709349237217?) मणिपुर पुलिस ने एक्स पर पोस्ट किया और लिखा, इम्फाल पश्चिम के कोत्रुक इलाके में हमला हुआ है। कथित कुकी आतंकवादियों ने हाई टेक ड्रोन के उपयोग से कई RPG (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड) लगाए थे. जबकि इन ड्रोन बमों का इस्तेमाल आमतौर पर युद्धों में किया जाता रहा है. सुरक्षा बलों और नागरिकों के खिलाफ विस्फोटक लगाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किसी बड़ी साजिश की ओर इसरा कर रहा है। अधिकारी स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. पुलिस किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. पुलिस ने आम जनता से संयम बनाए रखने की अपील की है।
राज्य से जुड़े सभी सीमावर्ती इलाकों में अलर्ट जारी
हमले में जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें स्थानीय नागरिक नगांगबाम सुरबाला (31 साल) की गोली लगने के कारण जान गई है, जबकि उसकी 8 साल की बेटी के हाथ में चोट आई है। तो वहीं एक महिला की पहचान होना बाकी है। घटना में 2 पुलिस कर्मियों को भी चोटें आईं हैं और कुल 9 लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने बताया कि जो 9 लोग घायल हुए हैं, उनमें से 5 को गोली लगी है। वहीं, बाकियों को बम धमाके में चोटें आईं हैं। मणिपुर के डीजीपी ने आधिकारिक आदेश में कहा है, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा बलों के बीच उचित समन्वय किया जाए और संयुक्त तलाशी अभियान चलाया जाए। डीजीपी ने सभी एसपी को राज्य से जुड़े सभी सीमावर्ती इलाकों में अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है।
क्यों जल रहा है मणिपुर हिंसा की आग में?
मणिपुर में 3 मई, 2023 को पहली बार हिंसा हुई थी। बता दें, यहां कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर विवाद चल रहा है। हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी हैं और 1100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। मणिपुर में मैतेई आबादी लगभग 53 प्रतिशत है, जो मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है, जबकि नागा और कुकी समेत आदिवासी समुदाय लगभग 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी अखाड़ा सज गया है और जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आ रही है, दलित वोटों के लिए लड़ाई तेज होती जा रही है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) और आजाद समाज पार्टी (ASP) के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है। बता दें, साल 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 20.2% है और विधानसभा में इस समुदाय के लिए 17 सीटें आरक्षित हैं। ग्रामीण इलाकों में एससी जनसंख्या 22.5% है, जबकि शहरी इलाकों में यह 15.8% है। फतेहाबाद जिले में अनुसूचित जाति की सबसे अधिक जनसंख्या दर्ज की गई है, जो 30.2% है। तो वहीँ, सिरसा में दलित आबादी 29.9% और अंबाला में 26.3% है। राज्य में दलितों की सबसे कम जनसंख्या मेवात में 6.9%, फरीदाबाद में 12.4% और गुरुग्राम में 13.1% दर्ज की गई।
BSP ने INLD और ASP ने JJP से किया गठबंधन
अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) ने मायावती से गठबंधन किया है, जबकि दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) ने चंद्रशेखर आजाद की पार्टी (ASP) के साथ मिलकर अनुसूचित जाति (एससी) के मतदाताओं को लुभाने की अपनी पूरी कोशिश कर रही है। आपको बता दें, इस विधानसभा चुनाव में INLD 53 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि BSP 37 सीटों पर टालल ठोकेगी, जिनमें सभी एससी आरक्षित सीटें शामिल हैं। दूसरी ओर, JJP 70 सीटों पर और ASP 20 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। हरियाणा में बसपा (BSP) के प्रभाव की बात करें तो राज्य में मायावती की पार्टी का प्रभाव घटता जा रहा है। बात करें साल साल 2009 की तोह उस समय BSP का कुल वोट शेयर 6.7% था, जो साल 2019 में घटकर 4.2% रह गया था।
नए समीकरण से क्यों डरी हुई है कांग्रेस?
कांग्रेस, जो हरयाणा में जाट+दलित+मुस्लिम का सामाजिक समीकरण बनाने की लगातार कोशिश कर रही है, वो अब इस बात से चिंतित है कि बसपा और एएसपी का यह कदम उसके एससी वोटों को विभाजित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। बात करें, साल 2024 के आम चुनाव की तो इस चुनाव में अनुसूचित जातियों ने बड़े पैमाने पर इंडि गठबंधन (कांग्रेस-आप) का समर्थन किया था, जबकि 24% ने भाजपा का समर्थन किया, जो की पूर्व में हुए चुनाव की तुलना में (-34%) काम रहा। इस बड़े बदलाव ने इंडि गठबंधन को 8% वोट शेयर का फायदा पहुंचाया, जबकि भाजपा के लिए वोट शेयर का नुकसान हुआ, क्यूंकि चुनाव में वोटों का स्विंग भाजपा के खिलाफ हुआ। इसके परिणामस्वरूप, भाजपा ने 2019 में जीती हुई 10 में से 5 सीटें खो दीं और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में दोनों एससी आरक्षित सीटें जीतीं।
क्या है आरक्षित सीटों का ट्रेंड?
साल 2009 के विधानसभा चुनाव में, इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) ने 9 आरक्षित सीटें जीतीं और 36% वोट हासिल किए। कांग्रेस ने इस चुनाव में 7 सीटें जीतीं और उसे 40% वोट मिले, जबकि अन्य दलों को सिर्फ 1 सीट मिली। बीएसपी और भाजपा ने इन सीटों पर क्रमशः 6% और 4% वोट हासिल किए। बात करें, साल 2014 की तो इसमें भाजपा ने 9 आरक्षित सीटें जीतीं, इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) ने 3 और कांग्रेस ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी। INLD को इन सीटों पर 29% वोट मिले, कांग्रेस ने 25%, बीएसपी ने 3% और भाजपा ने 33% वोट हासिल किए। तो वहीं, साल 2019 में, भाजपा ने 5 आरक्षित सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 7 और जेजेपी ने 4 सीटें जीतीं और इसी के साथ भाजपा ने आरक्षित सीटों पर 33% वोट, कांग्रेस ने 30%, जेजेपी ने 22%, बीएसपी ने 3% और आईएनएलडी ने मात्र 1% वोट प्राप्त किया।
आगामी चुनाव में बीजेपी को क्या है उम्मीद?
दलितों का एक वर्ग कांग्रेस से मांग कर रहा है कि वह हुड्डा परिवार के बजाय कुमारी शैलजा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाएं। भाजपा को उम्मीद है कि इस गुटबाजी से उसे फायदा होगा। इसके अलावा, भाजपा को उम्मीद है कि बीएसपी और एएसपी के साथ-साथ आईएनएलडी और जेजेपी भी दलित मतदाताओं के एक बड़े हिस्से को आकर्षित करेंगे, जिससे कांग्रेस द्वारा आम चुनावों में हासिल किए गए लाभ को कुछ हद तक बेअसर किया जा सके। दिलचस्प बात यह है कि आईएनएलडी और जेजेपी दोनों ही प्रमुखता जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और भाजपा को उम्मीद है कि वो जाट और बीएसपी/एएसपी दलित मतदाताओं को आकर्षित करके कांग्रेस को दोहरा नुकसान पहुंचाएंगे।
क्या होगा कांग्रेस की जाट-दलित-मुस्लिम समीकरण का?
2024 के आम चुनावों में, कांग्रेस ने जाट, दलित और मुस्लिमों का एक सामाजिक समीकरण बनाया, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग आधा हिस्सा है। 68% एससी और 64% जाटों ने कांग्रेस-आप गठबंधन का समर्थन किया। दलितों ने भाजपा के खिलाफ फैलाए गए राहुल गाँधी के प्रोपेगंडा "संविधान बदलने" की बातों के चलते इंडि गठबंधन की तरफ रुख किया। हालांकि उन्होंने आम चुनावों में एक साथ मतदान किया, लेकिन उनका रिश्ता हमेशा से तनावपूर्ण रहा है। साल 2010 में, मिर्चपुर गांव में एक जाट भीड़ ने 18 वाल्मीकि घरों को जला दिया था। बता दें, हरियाणा की 30 सीटों पर जाट और जाटव दोनों की आबादी 10% से अधिक है। 2019 में भाजपा और कांग्रेस ने इनमें से 9-9 सीटें जीतीं, जेजेपी ने 8 और अन्य ने 4 सीटें जीतीं। कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उसे 2024 के आम चुनाव जैसा ही दलित और जाटों दोनों का समर्थन मिलेगा और इन सीटों में से अधिकांश पर उसे जीत हासिल होगी।
प्रभाव काम होने के बावजूद मैदान में है बसपा?
बीएसपी का प्रभाव कम हो गया है, लेकिन इसने 18 सीटों पर रनर-अप के संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया, जहां उसने जीत के अंतर से अधिक वोट हासिल किए. इसने कांग्रेस की 7 सीटों पर, भाजपा की 5, जेजेपी की 2 और अन्य दलों की 4 सीटों पर संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीएसपी का वोट शेयर कितना एएसपी हासिल करता है, जिससे राज्य में बीएसपी और कमजोर हो सकती है। हालांकि, एक कड़े चुनाव में, इन पार्टियों द्वारा हासिल किया गया वोट शेयर और उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। हरियाणा में अनुसूचित जाति के सबसे प्रभावशाली समूह जाटव, राज्य की कुल एससी आबादी के लगभग आधे हिस्से के बराबर हैं, 49 सीटों पर उनकी आबादी 10% से अधिक है। बात करें क्षेत्रीय रूप से, तो इनमें से 11 सीटें हिसार में, 9 अंबाला और रोहतक में, 8 गुरुग्राम में, 7 फरीदाबाद में और 5 करनाल में हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ?
लखनऊ के लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली 19 वर्षीय अनिका रस्तोगी की मौत से हॉस्टल कैंपस में सनसनी फैल गई। खबरों के अनुसार अनिका शनिवार रात हॉस्टल रूम में बेहोश मिली थी और जिसके बाद अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे वहां मृत घोषित कर दिया था। अनिका की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आ गई है, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में अनिका के शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं पाए गए हैं और फिलहाल मौत का कारण स्पष्ट नहीं हुआ है। ऐसे में युवती के विसरा और हार्ट को सुरक्षित रखा गया है और पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव लेकर दिल्ली रवाना हो गए हैं।
छात्रा का हो चूका है हार्ट का ऑपरेशन
बताया जा रहा है कि जिस वक्त छात्रा बेहोशी की हालत में मिली थी, उसके कपड़े भी बिल्कुल सही थे। शरीर पर किसी भी तरह की जोर- जबरदस्ती के निशान नहीं है। छात्रा का रूम भी बिल्कुल सही था। पुलिस को वहां पर कुछ भी संदिग्ध नजर नहीं आया है। खबरों के अनुसार छात्रा अनिका रस्तोगी को पहले से मेडिकल प्रॉब्लम थी, उसका हार्ट ऑपरेशन भी हो चुका था और दवाइयां भी चल रही थीं। अब इसी बीच बीते शनिवार को वह अपने रूम में बेहोश पाई गई और उसके दोस्त उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, मगर वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आपको बता दें, अनिका एलएलबी तीसरे वर्ष की छात्रा थी।
IPS की बेटीं थी अनिका रस्तोगी
अनिका का परिवार नोएडा में रहता है, मौत की सूचना पर परिवार के लोग लखनऊ पहुंचे। बता दें, अनिका रस्तोगी के पिता IPS संतोष रस्तोगी हैं, जो नेशनल इंवेस्टिगेशन, NIA (दिल्ली) में आईजी पद पर तैनात हैं। उनकी बेटी अनिका शनिवार, 31 अगस्त की रात अपने कमरे में गई थी और जब कुछ देर बाद उसकी रूममेट पहुंची, तो अनिका ने दरवाजा नहीं खोला। जिसके बाद हॉस्टल की और छात्राओं ने आवाज लगाई, लेकिन कोई भी रिस्पांस नहीं आया। जिसके बाद वार्डन के कहने पर कमरे का दरवाजा तोड़ा गया और जब अंदर देखा गया तो अंदर अनिका बेहोशी की हालत में पड़ी थी। तब आनन-फानन में अनिका को प्राइवेट अस्पताल लेकर जाया गया, जहां डॉक्टरों ने छात्रा को डेड घोषित कर दिया।
राजस्थान के बूंदी से सामने आई दिल दहलाने वाली घटना
राजस्थान के बूंदी जिले में रविवार को एक नवजात बच्चे की हत्या की दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। बता दें, इस वारदात को किसी और ने ही बल्कि बच्चे के पिता ने ही अंजाम दिया है। बताया जा रहा है कि उसे शक था कि वो 'बुरी आत्मा से ग्रसित' है और इसलिए तांत्रिक के कहने पर 'बुरी आत्मा' से मुक्ति पाने के चक्कर में अपने बच्चे को मौत के घाट उतार दिया। पुलिस अब पुरे मामले की जांच कर रही है, इधर आरोपी मौके से फरार है। उसकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है और तांत्रिक के बारे में भी पता किया जा रहा है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, यह वारदात रविवार की सुबह करीब 5 बजे हुई जब दस महीने का अंश अपनी मां गायत्री के साथ सो रहा था, तभी आरोपी जितेंद्र बैरवा उर्फ जित्तू वहां पहुंचा और उसने अपने बच्चे को उठाकर जमीन पर पटक दिया। इसके बाद परिवार के लोग बच्चे को लेकर स्थानीय अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। कापरेन एसएचओ ने बताया कि मृतक बच्चे की मां की तहरीर के आधार पर आरोपी पिता के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के संबंधित प्रावधानों के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया है। पोस्टमार्टम के बाद बच्चे के शव को परिजनों को सौंप दिया गया है।
आज भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC), देहरादून में आयोजित एक इंटरैक्टिव सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की। अपनी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ उपराष्ट्रपति ने कैडेटों के साथ जीवंत और व्यावहारिक बातचीत की, जिससे हमारे देश के भावी नेताओं को प्रेरणा मिली। सत्र के दौरान, श्री धनखड़ ने नेतृत्व, कर्तव्य और राष्ट्र सेवा पर अपने मूल्यवान अनुभव और दृष्टिकोण साझा किए और कैडेटों को उत्कृष्टता और अखंडता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया। बातचीत ने युवा कैडेटों को देश के अग्रणी नेताओं में से एक से सीखने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया, जिससे उनके दिमाग पर एक स्थायी प्रभाव पड़ा। उपराष्ट्रपति और डॉ. सुदेश धनखड़ की उपस्थिति ने सैन्य नेताओं की अगली पीढ़ी के पोषण के महत्व को रेखांकित किया और भारत के सशस्त्र बलों के भविष्य को आकार देने में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज के महत्व पर प्रकाश डाला।
साल 1999 में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन द्वारा इंडियन एयरलाइंस के विमान के हाईजैक पर बनी वेबसीरीज 'IC 814' पर काफी विवाद हो रहा है। वहीं अब सरकार ने नेटफ्लिक्स इंडिया के कंटेंट हेड को इस पर समन भेजा है और क्लियरिफिकेशन मांगा है। आपको बता दें, कि ये ये वेब सीरीज अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित है और यह फ्लाइट के कैप्टन देवी शरण और पत्रकार सृंजॉय चौधरी की किताब 'फ्लाइट इनटू फियर: द कैप्टन स्टोरी' से इंस्पायर है। IC 814: द कंधार हाईजैक 29 अगस्त को नेटफ्लिक्स इंडिया पर रिलीज हुई थी। छह-एपिसोड की ये सीरीज दिसंबर 1999 की रियल लाइफ की घटना पर आधारित है, जब काठमांडू से नई दिल्ली जाने वाली इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 को हाईजैक कर लिया गया था और फ्लाइट को अफगानिस्तान के कंधार में उतरा गया, जो उस समय तालिबान के शासन के अधीन था।
'आतंकियों के हिंदू नाम'- एक्शन में सरकार
अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी वेब सीरीज 'IC 814: द कंधार हाईजैक' लगातार आलोचनाओं का शिकार हो रही है। आईसी 814 सीरीज के अपरहरणकर्ताओं को चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर बताया गया है। अपहर्ताओं का नाम भोला और शंकर बताए जाने से सोशल मीडिया पर आक्रोश फैल गया है क्योंकि लोगों ने संभावित आतंकवादियों के लिए हिंदू नामों के इस्तेमाल की आलोचना की। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि निर्माताओं ने जानबूझकर हिंदू नाम चुने हैं और तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है। लोगों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर "बॉयकॉट नेटफ्लिक्स" ट्रेंड किया है। वहीं अपहर्ताओं के लिए जानबूझकर उनके रियल नामों के बजाय हिंदू नामों का इस्तेमाल करने के लिए निर्देशक अनुभव सिन्हा की भी खूब आलोचना की जा रही है।
नेटफ्लिक्स इंडिया के कंटेंट हेड को किया तलब।
विजय वर्मा, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर और अरविंद स्वामी जैसे कलाकारों से बानी 'IC 814' सीरीज, साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की विमान संख्या 814 के कुख्यात अपहरण पर आधारित है। बता दें, नेपाल के काठमांडू से चलकर दिल्ली को आने वाले इस विमान का उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद अपहरण कर लिया गया था। इस विमान में चालक दल के साथ कुल 180 लोग सवार थे। विमान को हाईजैक करने के बाद पहले अमृतसर, फिर लाहौर होते हुए दुबई और फिर कंधार ले जाया गया था। मेकर्स का दावा है कि उन्होंने भारतीय विमानन इतिहास के इस कभी नहीं भूल पाने वाली वारदात को फैक्ट्स के आधार पर बनाया है। लेकिन सीरीज में दो हाईजैकर्स के हिंदू नाम रखे जाने पर विवाद हो गया है जिसे लेकर अब केंद्र सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स इंडिया के कंटेंट हेड को दिल्ली तलब किया है।
विवाद के बीच कंगना ने क्या कहा?
एक्ट्रेस टर्न पॉलिटिशियन कगना रनौत ने भी सोमवार को अपनी एक 'एक्स' पोस्ट में आईसी 814 विवाद पर रिएक्शन दिया। (Tweet Link- https://x.com/KanganaTeam/status/1830476483443478868?) उन्होंने अपन पोस्ट में लिखा, सेंसरशिप केवल हममें से कुछ लोगों के लिए है, जो इस देश के टुकड़े नहीं चाहते। कंगना ने आगे लिखा, देश का कानून यह है कि कोई भी बिना किसी परिणाम या सेंसरशिप के ओटीटी प्लेटफार्मों पर खूब हिंसा और नग्नता दिखा सकता है, कोई अपने पॉलिटिकल उद्देश्यों के चलते रियल लाइफ की घटनाओं को बिगाड़ भीसकता है, कम्युनिस्टों या वामपंथियों के लिए पूरी स्वतंत्रता है। दुनिया ऐसी राष्ट्रविरोधी अभिव्यक्तियों के लिए है, लेकिन एक राष्ट्रवादी के रूप में कोई भी ओटीटी प्लेटफॉर्म हमें ऐसी फिल्में बनाने की अनुमति नहीं देता है जो भारत की अखंडता और एकता के इर्द-गिर्द घूमती हैं, ऐसा लगता है कि सेंसरशिप केवल हममें से कुछ लोगों के लिए है जो इस देश के टुकड़े नहीं चाहते और फिल्में बनाते हैं ऐतिहासिक तथ्यों पर, यह बेहद निराशाजनक और अन्यायपूर्ण है।