घरेलू शेयर बाजार में आज सुबह से ही रौनक है। सेंसेक्स और निफ्टी ने रफ्तार पकड़ ली है आईटी कंपनियों के शानदार नतीजे, अडानी ग्रुप की दमदार परफॉर्मेंस और अमेरिका-भारत के बीच संभावित ट्रेड डील की उम्मीदों ने निवेशकों में जोश भर दिया है। आज सुबह 10 बजे बीएसई सेंसेक्स 901 अंक चढ़कर 81,143 के पार पहुंच गया, जबकि निफ्टी 245 अंकों की तेजी के साथ 24,579 पर कारोबार कर रहा था। इस उछाल से बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 3.27 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 4.51 लाख करोड़ रुपये हो गया।
माइक्रोसॉफ्ट और कॉग्निजेंट जैसी वैश्विक आईटी कंपनियों के दमदार प्रदर्शन ने भारतीय आईटी सेक्टर को मजबूती दी है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस जैसे शेयरों में खरीदारी देखने को मिली। इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत, जापान और साउथ कोरिया के साथ ट्रेड डील की संभावना जताने के बाद निवेशकों का भरोसा और मजबूत हुआ। गुरुवार को अपने नतीजे पेश करने वाली अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी पोर्ट्स के शेयरों में आज तेजी का माहौल है। अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर 3% और अडानी पोर्ट्स 4% ऊपर चढ़े। बाजार जानकारों का कहना है कि रिजल्ट उम्मीद से बेहतर रहने के कारण निवेशकों ने इन शेयरों में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी ली। सेंसेक्स में आज टॉप गेनर्स की बात करें तो अडानी पोर्ट्स, मारुति, एक्सिस बैंक, TCS, इंफोसिस, ICICI बैंक और M&M जैसे दिग्गज शेयरों ने 4% तक की छलांग लगाई। वहीं दूसरी ओर टाइटन, नेस्ले इंडिया, बजाज फिनसर्व, HUL, बजाज फाइनेंस और कोटक महिंद्रा बैंक में गिरावट देखी गई। निफ्टी आईटी 0.7% और निफ्टी बैंक 0.56% ऊपर रहा। इसके अलावा ऑटो, मेटल, ऑयल एंड गैस और PSU बैंक इंडेक्स भी हरे निशान में नजर आए।
सबसे बड़ी राहत की खबर विदेशी निवेशकों की वापसी को लेकर है। लगातार 11वें दिन विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर खरीदे हैं, जो बीते दो वर्षों में सबसे लंबी खरीदारी की स्ट्रिक है। अप्रैल में वे नेट खरीदार बनकर उभरे हैं, जबकि पिछले तीन महीनों से वे बिकवाली कर रहे थे। PNB हाउसिंग फाइनेंस के शेयरों में आज 7% से ज्यादा की तेजी आई। वजह रही कार्लाइल ग्रुप की एक कंपनी द्वारा 10.44% हिस्सेदारी की ब्लॉक डील के जरिए बिक्री। इससे निवेशकों को कंपनी में बेहतर प्रबंधन और भविष्य की रणनीतियों पर भरोसा दिखा।
नई दिल्ली की सत्ता गलियों में बुधवार को एक खामोश लेकिन ऐतिहासिक दस्तक दी गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में जातीय जनगणना को हरी झंडी मिल गई। दशकों से जिस मुद्दे को राजनीतिक विस्फोटक मानकर टाला जाता रहा, उसे अब सरकार ने अपने एजेंडे में जगह दी है। सवाल यह है कि क्या यह सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम है या फिर राजनीतिक रणनीति का अगला मोहरा?
भारत में आखिरी बार जातिगत गणना 1931 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। स्वतंत्र भारत में 1951 से लेकर अब तक केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की गिनती होती रही है। बाकी जातियाँ "आंकड़ों से गायब" रहीं। 2011 में SECC (Socio-Economic and Caste Census) हुआ, लेकिन जाति संबंधित आंकड़े आज तक सार्वजनिक नहीं हुए।
जाति जनगणना का सीधा अर्थ है यह जानना कि किस जाति के कितने लोग इस देश में हैं, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है, और सरकारी योजनाओं से उनका कितना जुड़ाव है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंकड़े सामाजिक न्याय की नीतियों को डेटा-बेस्ड बना सकते हैं। OBC की हिस्सेदारी यदि बढ़ी हुई सामने आती है, तो 27% आरक्षण की सीमा पर फिर बहस होना तय है।
सरकार के इस कदम को विपक्ष की लंबे समय से जारी मांग और जनभावना के दबाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक पहले ही राज्य स्तरीय जाति सर्वे कर चुके हैं। अब केंद्र का यह कदम राष्ट्रीय स्तर पर नया विमर्श शुरू करेगा। सवाल है क्या यह 2024-25 के चुनावों की तैयारी है, या फिर सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को न्याय दिलाने की दिशा में गंभीर पहल?
2011 SECC में 46 लाख जातियों के नाम सामने आए थे, जिनमें कई डुप्लीकेट या गलत स्पेलिंग वाले थे। OBC की लिस्ट राज्य और केंद्र स्तर पर अलग-अलग है, जिससे डेटा विश्लेषण जटिल हो जाता है। कुछ जातियों को एक राज्य में पिछड़ा वर्ग माना गया है, तो दूसरे राज्य में नहीं। यह समन्वय कैसे होगा? तो आखिर सवाल उठते हैं क्या सरकार आंकड़ों को पारदर्शी तरीके से सामने लाएगी? क्या जातिगत आंकड़ों के आधार पर नई आरक्षण नीति बनेगी? क्या इससे सामाजिक बंटवारा और गहरा होगा या सामाजिक न्याय को मजबूती मिलेगी ? जाति जनगणना केवल आंकड़ों का खेल नहीं है, यह भारत के सामाजिक ताने-बाने को फिर से समझने और गढ़ने का एक प्रयास है। यह कदम जितना बड़ा है, उतनी ही बड़ी इससे जुड़ी उम्मीदें और चिंताएं हैं।
भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के आदेश दिए गए हैं। एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, और पाकिस्तान से आने वाली हर गतिविधि पर चौकस नजर रखी जा रही है।इस पूरे घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान की तरफ से एलओसी पर फायरिंग लगातार बढ़ी है। वहीं, पाकिस्तान के मंत्री भारत को धमकी देने वाले बयान दे रहे हैं—लेकिन भारत अब सिर्फ बयान नहीं, कार्रवाई के मूड में है।
अगर युद्ध हुआ, तो पाकिस्तान क पास जवाब नहीं होगा भारत के पास वो सैन्य ताकत है, जो किसी भी दुश्मन को थरथराने पर मजबूर कर सकती है। आइए जानें, भारत के पास वो कौन-कौन से हथियार हैं जो जंग की सूरत में पाकिस्तान की नींद उड़ा सकते हैं:
1 राफेल लड़ाकू विमान:
भारतीय वायुसेना का सबसे घातक हथियार। फ्रांस से खरीदे गए राफेल जेट्स में मेटियोर और स्कैल्प जैसी मिसाइलें लगी हैं, जो हवा से हवा और जमीन पर दूर तक सटीक मार कर सकती हैं। पाकिस्तान की वायुसेना के पास इसका कोई जवाब नहीं है।
2 S-400 डिफेंस सिस्टम:
रूस से मिले इस सिस्टम ने भारत की वायु-रक्षा को अपराजेय बना दिया है। यह एक साथ कई टारगेट को ट्रैक करके उन्हें हवा में ही खत्म कर सकता है—चाहे वो फाइटर जेट हो, ड्रोन हो या बैलिस्टिक मिसाइल। S-400 की तैनाती के बाद पाकिस्तान ने अपने F-16 विमान सीमा से पीछे हटा लिए हैं।
3 अग्नि मिसाइल श्रृंखला:
भारत की बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि' श्रृंखला, खासकर अग्नि-V, दुश्मन के लिए काल साबित हो सकती है। इसकी रेंज 5000 किमी से अधिक है और यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।
4.ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल:
भारत और रूस की संयुक्त ताकत से बनी ये मिसाइल, दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज मिसाइलों में से एक है। 27 सेकंड से भी कम समय में यह लाहौर तक पहुंच सकती है। इसकी मारक क्षमता 1500 किमी तक बढ़ाई जा चुकी है और यह परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।