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Breaking News 19 September 2024

1.) हर गरीब को सौ गज जमीन! कांग्रेस ने जारी किया गारंटी पत्र

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में ‘सात वादे, पक्के इरादे’ के तहत चुनाव से ठीक पहले पार्टी की सात गारंटियां जारी कर दी है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों, गरीबों और किसानों का खास ख्याल रखा गया है। खरगे ने कहा कि पार्टी का पूरा घोषणा पत्र बाद में जारी किया जाएगा, जिसमें सर्भी वर्गों के वादों और कामों का ब्योरा होगा। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कांग्रेस अपने वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले हमारी सरकार ने 2005 और 2009 में जो घोषणापत्र जारी किया था, उसके हर वादे को पूरा किया और उससे भी आगे बढ़कर काम किए। भविष्य में भी कांग्रेस सरकार अपने हर वादे को पूरा करेगी। इस मौके पर पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल, हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान, चुनाव पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, प्रताप सिंह बाजवा, अजय माकन, घोषणा पत्र समिति की चेयरपर्सन गीता भुक्कल और पवन खेड़ा भी मौजूद रहे।

कांग्रेस के घोषणा पत्र में और क्या-क्या?

पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में हिमाचल सरकार की तर्ज पर 18 से 60 साल तक की सभी महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी व फसल खराबे पर तुरंत मुआवजा, 300 यूनिट मुफ्त बिजली, जाति आधारित सर्वेक्षण के साथ-साथ ओबीसी की क्रीमीलेयर की सीमा 10 लाख तक करने और 25 लाख तक मुफ्त इलाज देने का वादा किया है। घोषणा पत्र में कांग्रेस ने सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत बुजुर्गों, विकलांगों और विधवाओं को 6 हजार रुपये की मासिक पेंशन, कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) देने का वादा किया है। इसके अलावा कांग्रेस ने अब 100 गज जमीन के साथ 3.5 लाख रुपये की लागत से 2 कमरों का मकान देने की गारंटी दी है। सरकारी विभागों में खाली पड़े 2 लाख पदों पर कांग्रेस की ओर से भर्ती विधान के तहत पक्की भर्तियां करने का वादा किया गया है। गारंटियों के साथ-साथ कांग्रेस ने प्रदेश को नशा मुक्त बनाने का बड़ा लक्ष्य भी खुद के सामने रखा है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस के विस्तृत घोषणा-पत्र में किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के लिए एक बड़ा स्मारक बनाने व शहीद किसानों के परिवारों को नौकरी देने का भी ऐलान शामिल होगा। इसके अलावा कांग्रेस ने हर वर्ग की मांगों के समाधान अपने घोषणापत्र में शामिल किए हैं, जो जल्दी ही जनता के सामने होगा।

 

2.) पहली बार पटरी पर दौड़ी 20 कोच वाली ये खास ट्रैन?

पहले दिन ही 248 Km... रफ्तार जान रह जायेंगे शॉक?

देश की पहली 20 कोच की वाराणसी-नई दिल्ली वंदे भारत ट्रेन सोमवार की शाम 4.15 बजे कैंट स्टेशन से प्रयागराज के लिए रवाना हुई। फूलों की लड़ी से सजी वंदे भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल मोड में हरी झंडी दिखाई, कार्यक्रम के दौरान एलईडी स्क्रीन पर अहमदाबाद से पीएम मोदी ने वर्चुअलइ हरी झंडी दिखाई। ट्रेन को प्लेटफॉर्म संख्या एक से वहां उपस्थित जनप्रतिनिधियों और रेल अधिकारियों ने रवाना किया। बता दें, ट्रेन में स्कूली बच्चे, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग और अन्य यात्री समेत 1100 से अधिक लोग सवार हुए। अपने इनॉगरल रन में ट्रेन ने पहले ही दिन 248 किमी का सफर तय किया। यात्रियों ने बताया कि सीट आरामदायक है और इसमें कई अन्य आधुनिक सुविधाएं भी हैं। IRCTC की ओर से यात्रियों को नाश्ता और डिनर भी कराया गया। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, पंजीयन शुल्क मंत्री रविंद्र जायसवाल, मेयर अशोक तिवारी, महाप्रबंधक शोभन चौधुरी, डीआरएम एसएम शर्मा, एडीआरएम लालजी चौधरी, स्टेशन निदेशक गौरव दीक्षित आदि उपस्थित रहे।

पत्थरबाजों के लिए रेलवे बना रहा स्पेशल प्लान

ताजनगरी आगरा से वंदे भारत ट्रेन सोमवार की रात बनारस स्टेशन पहुंची। इस दौरान जनप्रतिनिधियों और रेल अधिकारियों ने यात्रियों का स्वागत किया। भगवा रंग की आठ कोच की ट्रेन से उतरते ही यात्रियों ने हर-हर महादेव का उद्घोष किया। बनारस स्टेशन के लिए यह पहली वंदे भारत ट्रेन है। इसके अलावा उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक शोभन चौधुरी ने कहा कि रेलवे संपत्ति की क्षति या फिर वंदे भारत पर पथराव करने वालों से निपटने के लिए स्पेशल प्लान बन रहा है, अभी योजना गोपनीय है। कैंट स्टेशन स्थित निदेशक कक्ष में उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्लेटफाॅर्म संख्या पांच पर एक नई रेल लाइन बिछाई गई है, इससे मालगाड़ियों की आवाजाही पहले की तुलना में ज्यादा आसान हो जाएगी। उन्होंने बताया स्लीपर वंदेभारत एक्सप्रेस का ट्रॉयल अभी चल रहा है और ट्रायल पूरा होते ही, सरकार द्वारा इसे भी जल्द हरी झंडी दिखा दिया जाएगा।

 

3.) अमेरिकी कोर्ट ने भारत को जारी किया समन

खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा उसकी हत्या की साजिश का आरोप लगाते हुए सिविल मुकदमा दायर करने के बाद अमेरिकी की एक अदालत ने भारत सरकार को अब इस मामले में तलब किया है। बता दें, न्यूयॉर्क के साउथ डिस्ट्रिक्ट के अमेरिकी जिला कोर्ट द्वारा जारी समन में भारत सरकार, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, R&AW के पूर्व चीफ सामंत गोयल, R&AW एजेंट विक्रम यादव और भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता के नाम शामिल हैं। इस मामले में अदालत द्वारा भारत से 21 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।

भारत-अमेरिका के रिश्तों पर क्या होगा असर

इसी साल मई में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा था कि भारत इस मामले की जांच कर रहा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इससे भारत-अमेरिका संबंधों के ऊपर की ओर बढ़ने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत की एक समाचार एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, अमेरिका ने औपचारिक चैनल्स के जरिए कुछ जानकारी भारत से साझा की है क्योंकि हमारा भी मानना ​​है कि अगर हमारे किसी मित्र देश ने हमसे अपने कोई कंसर्न साझा किये हैं तो हम इसकी पारदर्शिता के साथ जाँच करें और इसके माध्यम से सच सबके सामने आ सके। उन्होंने कहा, हम इसकी जांच कर रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि भारत-अमेरिका के रिश्तों को आगे बढ़ने के मार्ग पर इसका कोई असर पड़ेगा। मीडिया द्वारा एक सवाल पूछे जाने पर भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि इस मामले से भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पन्नून को भारतीय नेताओं और संस्थाओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और धमकियाँ देने के लिए जाना जाता है और नई दिल्ली ने उसे 2020 में आतंकवादी घोषित किया था।

विदेश मंत्रालय की क्या है प्रतिक्रिया?

विदेश मंत्रालय ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि यह चिंता का विषय है और इस बात पर जोर दिया कि भारत ने इस मामले में बहुत पहले ही उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है। विदेश मंत्रालय की तरफ से अरिंदम बागची ने कहा, जहां तक ​​एक व्यक्ति के खिलाफ अमेरिकी अदालत में दायर मामले का सवाल है, जिसमें उसे कथित तौर पर एक भारतीय अधिकारी से जोड़ा गया है, यह चिंता का विषय है, हम पहले भी कह चुके हैं कि यह हमारी सरकार की नीति के भी विपरीत है।

 

4.) SC ने चुनाव में मुफ्त वादों को बताया रिश्वत देने जैसा

याचिका पर जल्द सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट 

चुनाव के दौरान मुफ्त रेवड़ी बांटने के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने अहम माना है और इस पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार भी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका सुनवाई के लिए लिस्टेड है और वो इसे सुनवाई से नहीं हटाएंगे। बता दें, वकील अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों द्वारा मुफ्त की रेवड़ी बांटने के वादे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। यह याचिका लिस्टेड है, लेकिन पहले से चल रहे अन्य मामले की सुनवाई की वजह से इस याचिका पर अभी सुनवाई की उम्मीद कम ही है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष यह याचिका सूचीबद्ध है। याचिका दायर करने वाले वकील ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मांग की कि याचिका को सूचीबद्ध रखा जाए ताकि कल इस मामले पर सुनवाई हो सके। इस पर पीठ ने कहा कि यह मामला बेहद अहम है और वे याचिका को सूची से नहीं हटाएंगे। बता दें, अभी देश में आठ मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दल और 56 राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त पार्टी हैं। वहीं, देश में पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की कुल संख्या लगभग 3000 है।

क्या है याचिका में याचिकाकर्ता की मांगे?

याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा मांग की गई है कि चुनाव से पूर्व राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र में लोकलुभावन वादों पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि ये वादे राजनीतिक फायदे के लिए किए जाते हैं। याचिका के अनुसार, ऐसे वादे संविधान का उल्लंघन करते हैं और चुनाव आयोग को इनकी रोक के लिए कदम उठाने चाहिए। याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने चुनाव आयोग को ऐसी राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिह्नों को फ्रीज करने और राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की मांग भी की है, जो लोगों को चुनाव के दौरान मुफ्त सुविधाएं देने का वादा करते हैं। याचिका में कहा गया है कि चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त सुविधाएं देने का वादा मतदाताओं को अनुचित रूप से प्रभावित करता है, इससे चुनाव प्रक्रिया भी दूषित होती है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने कहा है कि 'चुनाव को ध्यान में रखते हुए मुफ्त उपहारों की पेशकश करके मतदाताओं को प्रभावित करने की राजनीतिक दलों की हालिया प्रवृत्ति न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है, बल्कि संविधान की भावना को भी चोट पहुँचाती है। यह अनैतिक व्यवहार सत्ता में बने रहने के लिए राजकोष की कीमत पर मतदाताओं को रिश्वत देने जैसा है।

 

5.) SDM की नेचुरल मौत या गहरी साजिश?

राजस्थान जोधपुर में तैनात सहायक कलेक्टर प्रियंका बिश्नोई की बुधवार को गुजरात के एक अस्पताल में मौत हो गई। जोधपुर के एक अस्पताल में ग़लत इलाज के बाद उन्हें अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। बताया जा रहा था कि जोधपुर के अस्पताल में उनके इलाज में लापरवाही की गई, ऑपरेशन के दौरान प्रियंका को ज्यादा एनेस्थीसिया (बहोश करने वाली दवा) दे दी गई थी, जिसके बाद वो कोमा में चली गईं थीं। बता दें, अस्पताल में इलाज के दौरान तबीयत बिगड़ी थी। बाद में परिजन प्रियंका बिश्नोई को अहमदाबाद लेकर गए, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। जोधपुर में इलाज के दौरान डॉक्टरों पर लापरवाही के आरोप लग रहें हैं, जिसके बाद जिला कलेक्टर ने जोधपुर के निजी चिकित्सालय के खिलाफ जांच करने के दिए निर्देश थे।

प्रियंका बिश्नोई की मौत के बाद लोगों का फूटा गुस्सा

प्रियंका बिश्नोई मूल रूप से बीकानेर की रहने वाली थी। प्रियंका साल 2016 के बैच की RAS अधिकारी थी और वर्तमान में जोधपुर एसडीएम पद पर तैनात थी। बीते दिनों पेट दर्द की शिकायत पर उनका वसुंधरा हॉस्पिटल में ऑपरेशन करवाया था और ऑपरेशन के बाद ही उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई। अब बिश्नोई समाज की होनहार बेटी RAS अधिकारी प्रियंका बिश्नोई की मौत की खबर सामने आते ही जोधपुर में माहौल गरमाने लगा है। बता दें, पुरे मामले में प्रियंका बिश्नोई के परिजनों ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन के दौरान प्रियंका को ज्यादा एनेस्थीसिया दे दी गई थी, जिसके बाद प्रियंका कोमा में चली गई थी और बाद में प्रियंका ब्रेनडेड की शिकार हो गई, साथ ही उनके शरीर के काफी अंगों ने भी काम करना बंद कर दिया था।

जांच का समय समाप्त, रिपोर्ट का खुलासा नहीं

प्रियंका बिश्नोई के इलाज में लापरवाही को लेकर जोधपुर जिला कलेक्टर ने मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल को 3 दिन में जांच पूरा करने का आदेश दिया था। आज तीन दिन पूरे हो गए हैं, हालांकि रिपोर्ट क्या दी गई है इसका खुलासा नहीं हुआ है। कम उम्र में बिश्नोई समाज की होनहार बेटी के निधन से प्रशासनिक महकमे के साथ-साथ बिश्नोई समाज में गम के साथ-साथ गुस्से की लहर है। प्रियंका बिश्नोई के रिश्तेदार और समाज के लोग अस्पताल मालिक और डॉक्टर पर मुकदमा दर्ज करने की मांग पर अड़े हैं। पुलिस प्रशासन अभी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए FIR दर्ज करने से मना कर रहा है। पुलिस ने परिजन को समझाया कि पहले जांच कमेटी की रिपोर्ट आएगी, उसके बाद ही अगला निर्णय लिया जाएगा। बता दें, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी मरीज की ऑपरेशन के दौरान मौत हो जाती है तो उसके लिए पहले जांच कमेटी जांच करेगी और उसका जो निष्कर्ष आएगा, उसके आधार पर ही आगे की कानूनी  कार्रवाई की जाएगी।

 

6.) टेलीकॉम कंपनियों को SC का बड़ा झटका

देश की सर्वोच्य न्यायालय ने वोडाफोन समेत बड़ी टेलिकॉम कंपनियों को बड़ा झटका देते हुए बकाया (AGR) वसूली से जुड़ी उनकी क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें, टेलिकॉम कंपनियों पर सरकार का करीब 1.7 लाख करोड़ बकाया है। टेलिकॉम कंपनियों ने AGR वसूली में गड़बड़ी की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने एक बार फिर उनकी याचिक खारिज कर दी है। सर्वोच्य न्यायालय का ये फैसला वोडाफोन के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि अकेले वोडाफोन की ही करीब 70 हजार करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में भी टेलिकॉम कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को 92 हजार करोड़ रुपये तीन महीने के अंदर जमा करने का आदेश दिया गया था और इसी आदेश के खिलाफ टेलिकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा फिर खटखटाया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर एक और आदेश जारी कर कंपनियों को 10 साल की अवधि में सारा बकाया जमा करने को कहा था।

क्या होता है AGR? 

AGR का मतलब है अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू, जिसके तहत दूरसंचार विभाग टेलिकॉम कंपनियों से यूजेज और लाइसेंसिग फीस वसूलता है। 1999 से पहले टेलिकॉम कंपनियों से फिक्स्ड लाइसेंस फीस ली जाती थी, फिर साल 1999 में रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल लाया गया। इसमें सरकार के साथ कंपनियों को AGR का पर्सेंटेज शेयर करना होता है, जिसकी रकम वोडाफोन समेत कई टेलिकॉम कंपनियों पर बकाया है। बता दें, अक्टूबर 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि AGR के केल्कुलेशन के वक्त गैर-कोर राजस्व को शामिल किया जाना चाहिए, जिससे AGR की परिभाषा पर मोबाइल ऑपरेटरों और सरकार के बीच 14 साल से चल रही कानूनी लड़ाई खत्म हो गई। साल 2019 के इस फैसले ने हजारों करोड़ रुपये के बकाये और जुर्माने से जूझ रहे उद्योग जगत को करारा झटका दिया था। इसने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की देनदारियों को 90,000 करोड़ रुपये से अधिक तक बढ़ा दिया था, जिसके तुरंत बाद ही टेलीकॉम कंपनियों ने बकाये के भुगतान के लिए और वक्त की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद सितंबर 2020 में सर्वोच न्यायालय ने 10 सालों में बकाया भुगतान की इजाजत दी थी।

वोडाफोन के लिए जानें क्यों है ये बड़ा झटका?

साल 2020 में सर्वोच न्यायालय के 10 सालों में बकाया भुगतान की इजाजत के बाद कंपनियों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन फाइल किया था, जो कोर्ट में रद्द हो गई थी। साल 2023 मे कंपनियों ने फिर क्यूरेटिव पिटिशन के जरिए राहत की मांग की थी, लेकिन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया। बता दें कि क्यूरेटिव याचिका को जज चैंबर में सुनते हैं और कंपनियों ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से गुजारिश की थी कि इस मामले की सुनवाई ओपन कोर्ट में की जाए, जिसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया। 30 अगस्त को चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस गवई की बेंच बैठी थी, जिसके बाद चैंबर में यह फैसला लिया गया कि याचिका में मेरिट नहीं है और ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग को भी खारिज कर दिया गया। बता दें, टेलिकॉम विभाग का टेलिकॉम कंपनियों पर AGR के तौर पर करोड़ों रकम बकाया है। वोडाफोन आइडिया पर यह देनदारी करीब 58 हजार करोड़ रुपये की थी, जो पेनल्टी-ब्याज मिलाकर अब बढ़ गई है। अगर सुप्रीम कोर्ट पक्ष में फैसला दे देता तो वोडाफोन कंपनी का AGR बकाया 46% घट जाता।

 

7.) दौसा में जीत गई जिंदगी! कई घंटे चला ऑपरेशन

राजस्थान के दौसा में आखिरकार एक नन्ही जिंदगी की जीत हो गई। बता दें, यहां एक दो साल की बच्ची बोरवेल में गिर गई थी और कई घंटों तक बोरवेल के अंदर फंसी हुई थी, जिसे आखिरकार कई घंटेों के ऑपरेशन के बाद बाहर निकाल लिया गया है। दो साल की बच्ची नीरू को बचाने के लिए प्रशासन और NDRF की टीम ने तेजी से राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया था। बता दें, बच्ची बुधवार की शाम को 4 बजे खेलते वक्त बोरवेल में गिर गई थी, 15 घंटे बीत जाने के बाद आखिरकार नीरू को बोरवेल से सुरक्षित बाहर निलाक लिया गया है। रातभर NDRF और SDRF की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा था और साथ ही लालसोट से एक निजी टीम को भी मदद के लिए बुलाया गया था।

बोरवेल में फंसी 2 साल की नीरू को कैसे बचाया गया?

बच्ची को बचाने के लिए बोरवेल के पास 35 फीट का गहरा गड्ढा भी खोदा गया। एक एलएनटी, 4 जेसीबी और टो ट्रैक्टर की मदद से बच्ची को बचाया गया। साथ ही पाइप से 20 फीट का टनल बनाया गया। राहत-बचाव कार्य में बारिश बीच-बीच में बाधा उत्पन्न कर रही थी, लेकिन NDRF और SDRF की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा और अब बच्ची पूरी तरह से सुरक्षित है और रेस्क्यू के बाद बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है। मौके पर जिला कलेक्टर, एसपी समेत प्रशासन के आला अधिकारी भी मौजूद रहे।