भारतीय तटरक्षक बल ने बचाईं 7 जिंदगियां
भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने 7 मछुआरों को बचाने का सफल अभियान चलाया। यह ऑपरेशन लगभग 2 घंटे तक चला, जिसमें मछुआरों को एक पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी (PMSA) के नुसरत जहाज से छुड़ाया गया। घटना भारत और पाकिस्तान के समुद्री सीमा क्षेत्र के पास हुई।ये मछुआरे एक भारतीय मछली पकड़ने वाली नाव पर सवार थे, जो समुद्री सीमा क्षेत्र के करीब मछली पकड़ने गई थी। अचानक उनकी नाव 'काल भैरव' खराब हो गई और वो बहाव के कारण सीमा क्षेत्र के पास पहुंच गए। इस दौरान पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी (Pakistan Maritime Security Agency - PMSA) के एक जहाज ने उन्हें घेर कर पकड़ लिया | ICG को इस घटना की सूचना जैसे ही मिली, उन्होंने तुरंत ऑपरेशन की योजना बनाई। भारतीय तटरक्षक बल ने अपने 'अग्रिम' जहाज को तुरंत राहत और बचाव के लिए तुरंत भेजा। करीब 2 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में ICG और PMSA के बीच काफी तनाव था। भारतीय तटरक्षक बल ने यह सुनिश्चित किया कि मछुआरों को सुरक्षित रूप से बचाया जाए और उन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।यह घटना रविवार 17 नवंबर को हुआ |
मछुआरों को बचाव के बाद गुजरात के ओखा पोर्ट ले जाया गया, जो घटना स्थल के पास का एक प्रमुख केंद्र है। यहां पर उनकी शारीरिक स्थिति का परीक्षण किया गया और जो थके हुए थे, उन्हें आराम करने दिया गया। तटरक्षक बल और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने उनसे घटना के सभी पहलुओं पर पूछताछ की, ताकि यह समझा जा सके कि वे किस परिस्थिति में सीमा क्षेत्र तक पहुंचे। भारतीय तटरक्षक बल ने अपनी गश्ती गतिविधियों को और सख्त कर दिया है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि मछुआरों को समुद्री सीमा के नजदीक जाते समय GPS ट्रैकिंग सिस्टम और संचार उपकरण मुहैया कराए जाएं, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।बचाए गए मछुआरों ने भारतीय तटरक्षक बल का धन्यवाद करते हुए कहा कि अगर समय पर मदद नहीं मिलती, तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती थी।
प्रधानमंत्री मोदी का G20 में "ग्लोबल अलायंस अगेंस्ट हंगर एंड पॉवर्टी" पर समर्थन
G20 शिखर सम्मेलन :
ब्राज़ील के शहर रियो डी जेनेरियो में हो रहे G20 शिखर सम्मेलन में इस बार इंडिया ने अपना डिप्लोमैटिक दम पूरी दुनिया को दिखा दिया।G20 एजेंडा में भारत का दबदबा रहा | इस सम्मेलन में मोदी जी ने 20 देशो के दिग्गज नेताओं से मुलाकात की | समिट का एजेंडा कई महत्वपूर्ण ग्लोबल इश्यूज पर था | Global Governance Reform - इसमें संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ, और विश्व बैंक जैसे संस्थानों को आधुनिक बनाने और उनकी नीतियों को ज्यादा inclusive बनाने पर चर्चा हुई। पीएम मोदी ने G20 समिट को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक संघर्षों की वजह से भोजन, ईंधन और उर्वरक संकट खड़ा हो गया है, ब्राजील द्वारा लॉन्च किए गए "ग्लोबल अलायंस अगेंस्ट हंगर एंड पॉवर्टी" का समर्थन करते हुए मोदी ने इसे एक वैश्विक मिशन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ने कहा की डिजिटल वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) ने गरीब तबकों तक सुविधाएं पहुंचाई हैं। जनधन योजना और डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) जैसे कदमों से गरीबों तक सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिला है। मोदी ने सुझाव दिया कि दूसरे देश भी भारत के डिजिटल मॉडल को अपनाकर गरीबी उन्मूलन को गति दे सकते हैं। 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने के लिए यह कदम जरूरी है। यह पहल भूख और गरीबी को समाप्त करने के लिए विभिन्न देशों के संसाधनों और अनुभवों को जोड़ने का प्रयास है।
सूत्रों के मुताबिक़ इंडिया और इटली के बीच डिफेंस पार्टनरशिप पर बातचीत हुई।इटली ने अपनी एरोस्पेस और डिफेंस टेक्नोलॉजी में इंडिया को सहयोग देने का भरोसा जताया इटली और इंडिया दोनों ने कहा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए ग्रीन एनर्जी को प्रमोट करना जरूरी है। सोलर और विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स पर साथ काम करेंगे। मेलानी ने कहा कि इटली की कंपनियां इंडिया में इंवेस्टमेंट बढ़ाने में इंट्रेस्टेड हैं। खासकर मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में। दोनों नेताओं ने इंडियन और इटैलियन कल्चर को प्रमोट करने की बात की। इटली में भारतीय संस्कृति और योग को लेकर बढ़ते इंटरेस्ट को मोदी जी ने सराहा।हालाकि बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट करके सभी बातों पर हुए चर्चा पर अपनी ख़ुशी जताई
दोनों देशों ने तय किया कि एग्रीकल्चर, माइनिंग और टेक्नोलॉजी में साथ काम करेंगे। ब्राजील के "ग्लोबल अलायंस अगेंस्ट हंगर एंड पॉवर्टी" का समर्थन करते हुए मोदी ने इसे एक वैश्विक मिशन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। ब्राजील का अमेज़न जंगल और इंडिया का गंगा मिशन, दोनों को बचाने के लिए साथ में काम करने की बात हुई |
ये मीटिंग खास थी, अमेरिका और इंडिया अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में साथ काम करेंगे। ट्रेड बढ़ाने के लिए उन्होंने बात की। अब इंडिया को और अमेरिकी कंपनियां इंवेस्टमेंट करेंगी।
10 लाख लोगों की मौत, करीब 60 लाख हुए विस्थापित
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक हजार दिन पूरे हो गए हैं। यह युद्ध पुरे विश्व की अर्थवस्था के लिए सबसे घातक संघर्ष में से एक साबित हुआ है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे बड़ा संकट है। रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध में अब तक करीब दस लाख से अधिक लोग या तो मारे जा चुके हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं। साल 2022 में शुरू हुए 21वीं सदी के इस घातक संघर्ष में यूक्रेन के ग्रामीण क्षेत्र और विशेषकर बॉर्डर से लगते शहर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। इस युद्ध के जारी रहने से जान-माल का नुकसान लगातार बढ़ता जा रहा है और प्रत्येक दिन युद्ध ग्रस्त इलाकों से दिल दहला देने वाली खबरें सामने आती रहती हैं। बता दें, युद्ध शुरू होने के बाद से आज के दिन तक यूक्रेन हर मोर्चे पर पहले से कहीं ज्यादा कमजोर हो गया है, उसकी अर्थव्यवस्था दशकों पीछे चली गई है, इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से युद्ध की भेंट चढ़ गया है और तो और एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध में अबतक 80 हजार यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं और चार लाख से अधिक घायल हुए हैं। वहीं पश्चिमी देशों की एजेंसियों के अनुसार, यूक्रेन के सैनिकों की मौत के आंकड़े अलग-अलग हैं। कुछ रिपोर्ट्स में मारे गए सैनिकों की संख्या करीब दो लाख और घायलों की संख्या चार लाख के आसपास बताई गई है। यूक्रेन की जनसंख्या पहले से ही घट रही थी और युद्ध से पहले से ही वह इस संकट का सामना कर रहे थे, लेकिन युद्ध के कारण हुई भारी मौतों के बाद अब ये इस्थिति और भी गंभीर हो चुकी है।
इस युद्ध से यूक्रेन की अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा बुरी तरह से प्रभावित हुई है। साल 2022 में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में लगभग 33 फीसदी की गिरावट देखी गई। हालांकि साल 2023 में यह स्थिति कुछ बेहतर हुई और ये नुकसान 22 फीसदी रहा। विश्व बैंक, यूरोपीय आयोग, संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन सरकार के ताजा आकलन के अनुसार अब तक यूक्रेन की ओर से 152 अरब डॉलर का सीधा नुकसान रिपोर्ट किया गया है और युद्ध से हुए इंफ्रास्ट्रक्चर के नुक्सान के पुनर्निर्माण कार्य की कुल लागत 486 अरब डॉलर के करीब होने का अनुमान लगाया गया है। युद्ध से सबसे बड़ा नुक्सान आवास, परिवहन क्षेत्र, इंडस्ट्री, उर्जा और कृषि क्षेत्र को हुआ है। रूस लगातार यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को निशाना बना रहा है, जिसका सबसे ज्यादा नुक्सान यूक्रेन के उद्योग और उर्जा क्षेत्र को हुआ है। इसके अलावा, यूक्रेन दुनिया के प्रमुख अनाज उत्पादक देशों में से एक है और युद्ध की शुरुआत में उसके निर्यात में रुकावट ने वैश्विक खाद्य संकट को और अधिक बढ़ा दिया था। हालांकि, अब यूक्रेन ने इस स्थिति से उबरने के उपाय खोजे हैं और निर्यात अब काफी हद तक फिर से बहाल हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार मिशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 तक कम से कम 11,743 यूक्रेन के नागरिक मारे गए हैं और करीब 24,614 घायल हुए हैं। असल में यह आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं। इसके अलावा यूक्रेन में अब तक 589 बच्चे भी मारे जा चुके हैं। एक ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बॉर्डर से लगे इलाकों में भीषण संघर्ष में हजारों लोग मारे गए हैं, इन इलाकों में निरंतर टैंकों से तोपों की बौछार, मिसाइल से हमले और थल सैनिक हमले कर रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों पक्ष युद्ध में मारे गए अपने-अपने सैनिकों के आंकड़े को गोपनीय रखते हैं। रिपोर्ट में ये भी अनुमान जताया गया है कि इस युद्ध में रूस को भी भारी नुकसान हुआ है। युद्ध के चलते करीब 40 लाख लोग यूक्रेन के भीतर ही विस्थापित हुए हैं, जबकि 60 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिक विदेश में शरण ले चुके हैं। युद्ध के कारण यूक्रेन की जनसंख्या में करीब एक करोड़ लोगों की कमी आई है, जो देश की आबादी का लगभग एक चौथाई है। तबाह होती अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे की जरूरत और बढ़ते पलायन के बीच यूक्रेन ने अपने साल 2025 के प्रस्तावित बजट में करीब 26 फीसदी यानी 53.3 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य रखा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस यूक्रेन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर चुका है और उसे अपने नियंत्रण में ले चुका है। बता दें, साल 2022 में युद्ध के शुरू होने के बाद रूसी सेना ने यूक्रेन के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण हिस्सों में पूरी ताकत के साथ हमला बोल दिया था और इस हमले के बाद रूस ने उत्तर में कीव के बाहरी इलाकों तक पहुंच बनाई और दक्षिण में निप्रो नदी को पार किया। रूस ने यूक्रेन के पूर्वी डोनबास क्षेत्र का लगभग पूरा हिस्सा अपने कब्जे में ले लिया है और दक्षिण में अजोव सागर के पूरे तट को अपने नियंत्रण में ले लिया है। इससे पहले साल 2014 में रूस ने यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया प्रायद्वीप पर आक्रमण किया और फिर उस पर अपना कब्जा कर लिया था। बता दें, यूक्रेन एक समय रूसी साम्राज्य का हिस्सा था और बाद में सोवियत संघ का भी हिस्सा रहा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई मौकों पर चुके हैं कि उनका मकसद यूक्रेन को फिर से रूस का हिस्सा बनाना है। पुतिन यूक्रेनी राज्य और पहचान को नकारते रहे हैं और दावा कर चुके हैं कि यूक्रेनी लोग असल में रूसी ही हैं। बीते एक हजार दिन से जारी इस युद्ध ने दोनों देशों की जनसंख्या, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित किया है। साथ ही इस युद्ध ने कोविद की मार से उभरते वैश्विक अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक नया वैश्विक संकट पैदा किया है।
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण का बयान: बैंक अपनी ब्याज दरों को कम करें
18 नवंबर को मुंबई में SBI Banking & Economics Conclave 2024 इवेंट में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने बैंकों की मौजूदा ऊंची ब्याज दरों को लेकर बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने कहा, जब हम चाहते हैं कि इंडस्ट्रीज तेजी से आगे बढ़ें तो बैंक के लोन की ब्याज दरों को सस्ता बनाना होगा। बैंक कर्ज देने के अपने मेन काम पर ज्यादा फोकस करें | अब सवाल निर्मला सीतारमण जी पर ये उठता है की बैंकों के लिए कई सुधारों की बात हुई, लेकिन क्या छोटे व्यापारियों को इसका फायदा हुआ? अगर बैंकिंग सुधार का असर जनता तक नहीं पहुंचा, तो क्या इसे सुधारने की ओर भी कोई कदम उठाए जाएंगे? कर्ज की प्रक्रिया और बीमा उत्पादों की 'गलत बिक्री' पर क्या कदम उठाए जाएंगे? हालांकि उन्होंने ये कहा भी ग्राहकों पर बीमा का बोझ नहीं डालना चाहिए। महंगी ब्याज दरें बड़ी योजनाओं पर ब्रेक लगा सकती हैं।
फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि SBI 2025 तक 500 नए Branches खोलेगा, जिससे इसकी शाखाओं की संख्या 23,000 तक पहुंचेगी ।उन्होंने बैंक के इतिहास को आउटलाइन करते हुए कहा कि 1921 में तीन प्रेसीडेंसी बैंकों के मर्जर से बनी इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया (IBI) से लेकर 1955 में SBI बनने तक यह बैंक अपने अनोखे तरीके से डेवेलप हुआ है। वर्तमान में बैंक 50 करोड़ से अधिक कस्टमर्स को सेवा प्रदान करता है और देश की कुल जमा राशि में इसका 22.4% हिस्सा है। सीतारमण ने बैंक की Digital Capabilities की भी प्रशंसा की, विशेष रूप से यह कि यह 20 करोड़ यूपीआई लेनदेन प्रतिदिन संभालने में सक्षम है।
कम उधार इंटरेस्ट का मामला बनाते हुए, उन्होंने कहा कि भारत को अपने व्यवसायों को बढ़ाने और नई सुविधाओं में इन्वेस्ट करने की आवश्यकता है ताकि "विकसित भारत" का लक्ष्य हासिल किया जा सके। यह तीन खराब होने वाली स्टॉक्स (टमाटर, प्याज और आलू) हैं जो Inflation Numbers पर दबाव पैदा कर रही हैं I उन्होंने कहा, ''मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहती कि क्या खराब होने वाली चीजों को Inflation Measurement Index का हिस्सा होना चाहिए या नहीं और क्या यह सिर्फ डिमांड-सप्लाई की समस्या है? हालाँकि, उन्होंने यह भी कहा कि समय-समय पर Cyclical Boom के कारण इन्फ्लेशन में अस्थिरता पैदा होती है।