आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लैंड फॉर जॉब घोटाले में पूछताछ करेगा। इससे पहले मंगलवार को ईडी ने उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजप्रताप यादव से लंबी पूछताछ की थी। लालू यादव सुबह 10:30 बजे पटना स्थित ईडी दफ्तर पहुंचेंगे, जिसके बाद 11 बजे से पूछताछ शुरू होगी। सूत्रों के मुताबिक, इस बार पूछताछ लंबी चल सकती है। पिछली बार लालू यादव से लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की गई थी। वर्तमान में वे इस मामले में जमानत पर बाहर हैं। ईडी दफ्तर के बाहर आरजेडी कार्यकर्ताओं और लालू समर्थकों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। सांसद मीसा भारती भी उनके साथ दफ्तर जाएंगी। इस कार्रवाई पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा, "हम कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करते हैं, एजेंसियां बुलाती हैं तो हम हाजिर होते हैं। लेकिन यह सब चुनावी साजिश है। दिल्ली चुनाव खत्म होते ही पूरी बीजेपी टीम बिहार में एक्टिव हो गई है। ये लोग केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं और हमें तंग कर रहे हैं।" उन्होंने दावा किया कि, "चाहे जितनी भी साजिशें रच ली जाएं, हम और मजबूत होकर बिहार में सरकार बनाएंगे।"
लालू यादव के खिलाफ चल रहा लैंड फॉर जॉब केस 2004-2009 के बीच का मामला है, जब वे रेल मंत्री थे। आरोप है कि इस दौरान रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरियों के बदले जमीन ली गई। ईडी और सीबीआई की जांच के अनुसार, इस घोटाले में रेलवे भर्ती प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए, रियायती दरों पर जमीन लेकर उम्मीदवारों को नौकरियां दी गईं। जमीन की कीमत बाजार दर से एक-चौथाई या पांचवें हिस्से तक कम थी। ईडी ने अपनी जांच सीबीआई की एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। दोनों एजेंसियां इस घोटाले में लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही हैं। 2024 में दायर आरोप पत्र के अनुसार, एके इंफोसिस्टम्स नाम की कंपनी को पटना में जमीन खरीदने के लिए लालू यादव के करीबी अमित कत्याल के जरिए स्थापित किया गया था। जब जमीन का अधिग्रहण पूरा हुआ, तो 13 जून 2014 को कंपनी की 100% हिस्सेदारी लालू यादव के परिवार को ट्रांसफर कर दी गईराबड़ी देवी (85%) और तेजस्वी यादव (15%) के नाम पर। इस मामले में ईडी और सीबीआई पहले ही कई चार्जशीट दाखिल कर चुकी हैं। अब ईडी की पूछताछ से लालू यादव और उनके परिवार की अगली कानूनी लड़ाई की दिशा तय होगी। बिहार की राजनीति में इस केस के असर पर भी सभी की नजरें टिकी हैं।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके तीन अन्य साथी बुच विल्मोर, निक हेग और अलेक्जेंडर गोरबुनोव ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सुरक्षित पृथ्वी पर वापसी कर ली है। नासा के स्पेसएक्स क्रू-9 मिशन के ये चारों सदस्य भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर सफलतापूर्वक लैंड हुए। जैसे ही स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल फ्लोरिडा तट के करीब पहुंचा, पैराशूट खुलने लगे। पहले दो पैराशूट दिखाई दिए, फिर कुछ सेकंड बाद चारों पूरी तरह खुल गए। धीरे-धीरे यह कैप्सूल समुद्र में स्पलैशडाउन कर गया। यह ऐतिहासिक लैंडिंग पूरी तरह से सफल रही। कैप्सूल के सुरक्षित उतरने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों का स्वागत स्पेसएक्स मिशन कंट्रोल से किया गया। कंट्रोल सेंटर से संदेश आया "निक, एलेक, बुच, सुनी - स्पेसएक्स की ओर से घर में आपका स्वागत है।" जवाब में क्रू कमांडर निक हेग ने कहा "क्या शानदार यात्रा थी!" स्पलैशडाउन के बाद रिकवरी वेसल पर स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल को खोला गया। लंबे समय बाद ताजी हवा में सांस लेने के बाद चारों यात्री बाहर आए। सबसे पहले निक हेग, फिर अलेक्जेंडर गोरबुनोव, इसके बाद सुनीता विलियम्स और आखिर में बुच विल्मोर कैप्सूल से बाहर निकले। चारों ने मुस्कान के साथ हाथ हिलाकर अभिवादन किया और उन्हें रोलिंग स्ट्रेचर पर बैठाकर ले जाया गया। इस दौरान एक दिलचस्प नज़ारा भी देखने को मिला। जब क्रू ड्रैगन ने समुद्र में लैंड किया, तो वहां डॉल्फिनों का झुंड कैप्सूल के आसपास मंडराने लगा। नासा के कमेंटेटर ने मजाकिया अंदाज में कहा "ये डॉल्फिनें हमारी रिकवरी टीम की मानद सदस्य हैं!" गुजरात में रहने वाले सुनीता विलियम्स के परिवार ने उनकी सुरक्षित वापसी के लिए विशेष पूजा-अर्चना की थी। उनके चचेरे भाई दिनेश रावल ने अहमदाबाद में एक यज्ञ का आयोजन किया और कहा "हमारी बस यही प्रार्थना थी कि सुनीता सुरक्षित लौट आएं। पूरे गांव में महिला मंडल द्वारा भजन-कीर्तन चल रहा था, जो उनकी वापसी के बाद खुशी में बदल गया।"
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने 6 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से ISS के लिए उड़ान भरी थी। निक हेग और अलेक्जेंडर गोरबुनोव ने 29 सितंबर 2024 को स्पेसएक्स के ड्रैगन फ्रीडम यान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। यह यान सितंबर से अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक था, जिसने आखिरकार क्रू-9 टीम को वापस पृथ्वी पर लाया। स्पलैशडाउन के बाद स्पेसएक्स की रिकवरी टीम अपनी तेज़ नावों के साथ मौके पर पहुंची। कैप्सूल को रस्सियों की मदद से वेसल पर खींचा गया। फिर उसे एक स्पेशल वेसल 'मेगन' पर लिफ्ट किया गया, जिसे नासा की अंतरिक्ष यात्री मेगन मैकआर्थर के नाम पर रखा गया है।
नासा ने इस ऐतिहासिक वापसी का लाइव प्रसारण किया, जिसे दुनियाभर के लोग देख रहे थे। इस मिशन के साथ सुनीता विलियम्स ने एक और इतिहास रच दिया। वह दो अलग-अलग यानों सोयुज और स्टारलाइनर से अंतरिक्ष यात्रा करने वाली पहली महिला बन गई हैं। उनकी यह सफल वापसी भारत और पूरी दुनिया के लिए गर्व का क्षण है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व PWD मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके खिलाफ 571 करोड़ रुपए के CCTV प्रोजेक्ट में 7 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में FIR दर्ज कर ली है। आम आदमी पार्टी, जो खुद को 'ईमानदारी की मिसाल' बताती है, उसके ही पूर्व मंत्री पर इतने बड़े भ्रष्टाचार के आरोप लगना गंभीर सवाल खड़े करता है। आखिर क्या है पूरा मामला? रिश्वत कैसे दी गई? और अब सत्येंद्र जैन पर क्या कार्रवाई हो सकती है? आइए समझते हैं कैसे सामने आया घोटाला? ACB को इस घोटाले की जानकारी सबसे पहले एक मीडिया रिपोर्ट से मिली। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि दिल्ली सरकार ने 2017 में 70 विधानसभा सीटों पर 1.4 लाख CCTV कैमरे लगाने के लिए 571 करोड़ रुपए का ठेका भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को दिया था। लेकिन BEL कैमरे समय पर इंस्टॉल नहीं कर पाई, जिस पर दिल्ली सरकार ने कंपनी पर 16 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। आरोप है कि सत्येंद्र जैन ने 7 करोड़ रुपए की रिश्वत लेकर यह जुर्माना माफ कर दिया। ACB ने जब जांच शुरू की, तो BEL के एक अधिकारी ने इस घोटाले की पुष्टि की। इसके बाद ACB ने PWD और BEL से जरूरी दस्तावेज जब्त कर लिए।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, यह रिश्वत अलग-अलग ठेकेदारों के जरिए दी गई। इन ठेकेदारों को BEL से नए CCTV कैमरों का ऑर्डर दिलवाया गया, और उनके ऑर्डर वैल्यू को जानबूझकर बढ़ा दिया गया। यानी, जनता की जेब से निकले पैसे से BEL को जरूरत से ज्यादा भुगतान किया गया, और इसी बढ़ी हुई रकम से 7 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई। ACB ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 13(1)(a) तथा IPC की धारा 120B के तहत मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि किसी मंत्री पर केस दर्ज करने के लिए सरकारी मंजूरी (Section 17-A, POC Act) जरूरी होती है। सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद ही ACB ने FIR दर्ज की। ACB अब इस बात की भी जांच कर रही है कि CCTV प्रोजेक्ट में और भी गड़बड़ियां हुई हैं या नहीं। शिकायत में कहा गया है कि कई कैमरे शुरू से ही खराब थे और उनकी क्वालिटी बेहद खराब थी। अगर यह सच साबित होता है, तो मामला सिर्फ रिश्वत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरा प्रोजेक्ट ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका होगा। अब ACB इस मामले में PWD और BEL के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी। अगर आरोप साबित होते हैं, तो सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी भी संभव है। AAP सरकार हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ 'Zero Tolerance' नीति की बात करती रही है। लेकिन अब उसी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पर इतने बड़े घोटाले के आरोप लगे हैं।