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Breaking News 19 June 2025

2.) मिडिल ईस्ट में महायुद्ध की आहट : भारत कर रहा है ऑपरेशन सिंधु 

पश्चिमी एशिया एक बार फिर से जल रहा है—और इस बार आग की लपटें सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं हैं। इजरायल और ईरान के बीच चला आ रहा छद्म संघर्ष अब पूर्ण युद्ध की शक्ल अख्तियार करता दिख रहा है। गुरुवार को इजरायली वायुसेना द्वारा ईरान के अराक स्थित निष्क्रिय परमाणु संयंत्र पर किया गया हवाई हमला एक ऐसी चिंगारी साबित हुआ, जिसने पूरे क्षेत्र को विस्फोटक तनाव के हवाले कर दिया।

इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) के अनुसार, इस सैन्य ऑपरेशन में 40 फाइटर जेट्स का इस्तेमाल हुआ, जिन्होंने अराक और नतांज के समीप ईरान के रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया। इन हमलों का उद्देश्य स्पष्ट था—ईरान की परमाणु क्षमता और सैन्य बुनियादी ढांचे को कमजोर करना। लेकिन ईरान ने भी पलटवार में देर नहीं लगाई। उसने सीधे इजरायल के नागरिक क्षेत्रों को लक्ष्य बनाते हुए बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जो तेल अवीव और बीरशेवा तक आ पहुँचीं। हमले में कम से कम 25 लोगों की मौत और 50 से अधिक के घायल होने की पुष्टि हो चुकी है। बीरशेवा के सोरोका मेडिकल सेंटर पर हमला, न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह युद्ध आचरण की अंतरराष्ट्रीय संहिताओं की भी सीधी अवहेलना है।

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को “तेहरान के तानाशाहों की कायरतापूर्ण करतूत” बताया है और चेतावनी दी है कि ईरान को इसकी “पूरी कीमत चुकानी होगी।” वहीं, रक्षा मंत्री इसराइल काट्ज़ ने अयातुल्ला खामेनेई को सीधे तौर पर निशाना बनाते हुए कहा, “डरपोक तानाशाह बंकर में छिपा है, लेकिन यह युद्ध अब सिर्फ मिसाइलों का नहीं, शासन के अस्तित्व का है।”मानवाधिकार संगठन Human Rights Activists के अनुसार, संघर्ष की शुरुआत से अब तक 639 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 263 आम नागरिक शामिल हैं। 1,300 से अधिक लोग घायल हैं और आंकड़े हर घंटे बदल रहे हैं। अस्पतालों में बमबारी, रिहायशी इलाकों पर मिसाइलें, और धार्मिक स्थलों के पास गोलाबारी—यह सब अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सीधे उल्लंघन की श्रेणियों में आता है। 

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए “ऑपरेशन सिंधु” की शुरुआत की है। इस अभियान के पहले चरण में 110 भारतीय छात्रों को 17 जून को सुरक्षित दिल्ली लाया गया। हालांकि अभी भी सैकड़ों भारतीय शिया जायरीन ईरान में फंसे हैं। विदेश मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर, ईमेल और व्हाट्सएप सपोर्ट जारी किया है ताकि संकटग्रस्त नागरिक संपर्क कर सकें। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने एक भावनात्मक टीवी संबोधन में इजरायल को चेताया—“हमारे हवाई क्षेत्र का उल्लंघन और शहीदों का खून व्यर्थ नहीं जाएगा। हमने इसे याद रखा है। इसका जवाब इतिहास में दर्ज किया जाएगा।” खामेनेई के शब्दों से साफ है कि तेहरान किसी सुलह के मूड में नहीं है।

व्हाइट हाउस की खामोशी या रणनीति?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी स्थिति को लेकर टिप्पणी की, लेकिन अंदाज़ वही पुराना। “I may do it, I may not. Nobody knows.”—इस बयान से स्पष्ट है कि वॉशिंगटन अभी दुविधा में है या रणनीतिक चुप्पी साधे हुए है। हालांकि ट्रंप ने यह अवश्य कहा कि “ईरान अब trouble में है और बातचीत की चाह रखता है। विश्लेषकों के अनुसार, यह संघर्ष अब सिर्फ इजरायल और ईरान के बीच नहीं रह गया है। यह अमेरिका, रूस, चीन और खाड़ी देशों के हितों को प्रभावित करने वाला अंतरराष्ट्रीय संकट बन चुका है। इसके प्रभाव तेल के दामों, वैश्विक बाजारों, और सामरिक समीकरणों पर गहराई से पड़ सकते हैं।