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Breaking News 18 September 2025

1.) The Science Behind PM Modi's Art Of Speech

राजनीति में भाषण सिर्फ शब्द नहीं होते, ये पब्लिक परसेप्शन बनाने का सबसे बड़ा हथियार होते हैं। Pm नरेंद्र मोदी इस कला के शायद सबसे माहिर खिलाड़ी साबित हुए हैं। उनके भाषणों में नाटकीयता भी है, रणनीति भी है और तकनीकी रूप से सोचा-समझा कम्युनिकेशन पैटर्न भी। पीएम मोदी हर भाषण में किसी न किसी नैरेटिव को गढ़ते हैं। 2014 में उन्होंने “चायवाला बनाम शाही परिवार” का नैरेटिव खड़ा किया। 2019 में “नेशनल सिक्योरिटी बनाम आतंकवाद” को चुनावी भाषणों की धुरी बनाया। 2024 के दौर में “भारत बनाम पश्चिमी डबल स्टैंडर्ड्स” वाला नैरेटिव गूँजा। ये नैरेटिव सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि Mass Psychology का हिस्सा है, जहाँ नेता भीड़ को “कहानी” के ज़रिए जोड़ता है। पीएम मोदी के भाषणों में कई rhetorical techniques दिखती हैं, जिनका असर जनता पर तुरंत पड़ता है। जैसे Anaphora, यानी दोहराव “Mitron… Mitron…”। Tricolon, यानी तीन हिस्सों में बात करना  “Sabka Saath, Sabka Vikas, Sabka Vishwas”। और Metaphors, यानी किसी चीज़ को रूपक में समझाना जैसे डिजिटल इंडिया को “गांव-गांव तक पहुंची बिजली” से जोड़ना। ये टेक्निक्स सिर्फ याद रखने में आसान नहीं बनातीं, बल्कि भीड़ को भावनात्मक रूप से जोड़ देती हैं। पीएम मोदी के भाषण वन-साइज-फिट्स-ऑल नहीं होते। तमिलनाडु में वे “कांचीपुरम की सिल्क साड़ी” का ज़िक्र करते हैं। काशी में “गंगा माँ” का नाम लेते हैं। और विदेश में “योग और गांधी” की बात करते हैं। ये Localized Messaging उन्हें अलग-अलग दर्शकों से कनेक्ट करने में मदद करता है। मोदी भाषण में पॉज़ का शानदार इस्तेमाल करते हैं। 2014 में दिल्ली की पहली विजय रैली में उन्होंने लगभग 12 सेकंड का पॉज़ लिया था जब उन्होंने कहा: “मैं यहाँ प्रधानमंत्री बनने नहीं आया हूँ…” और फिर रुककर कहा  “मैं सेवक बनकर आया हूँ।” ये टेक्निक भीड़ को उत्सुक बनाए रखती है और संदेश को और ज्यादा असरदार बना देती है।

मोदी भाषणों को हमेशा बड़े इवेंट्स से जोड़ते हैं। जैसे “मन की बात” रेडियो शो, जो मास कम्युनिकेशन का सबसे सफल प्रयोग रहा। “होलोग्राम कैंपेन”, जिसमें उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल कर हजारों जगह एक साथ भाषण दिया। और “G20 Summit Speech”, जिसमें भारत की पोजिशनिंग को “Vishwa Guru” नैरेटिव में फिट किया गया। ये सब Political Event Management का हिस्सा है, जहाँ हर भाषण एक शो की तरह प्लान होता है। पीएम मोदी के भाषणों में हमेशा Comparison होता है। जैसे “हमने 70 साल में जो नहीं हुआ, 7 साल में कर दिखाया।” या फिर “पहले गरीब गैस सिलेंडर के लिए लाइन में खड़ा था, अब बैंक खाते के लिए नहीं।” ये Contrast Messaging जनता को पुराने और नए भारत का सीधा अंतर दिखाता है। भाषण केवल मंच तक सीमित नहीं रहते। पीएम मोदी की टीम उन्हें डिजिटल रूप से पैकेज करती है। हर स्पीच से क्लिप काटकर Reels, Shorts और Memes बनाए जाते हैं। एक ही लाइन  “Achhe Din Aane Wale Hain” देशव्यापी Political Meme बन गई। ये है Post-Speech Communication Strategy, जिससे भाषण खत्म होने के बाद भी उसकी गूँज रहती है। नरेंद्र मोदी की भाषण कला महज़ वाकपटुता नहीं, बल्कि एक Well-Designed Communication Strategy है। कहानी गढ़ना यानी Narrative Building। टेक्निकल टूल्स का इस्तेमाल यानी Rhetorical Devices। स्थानीय जुड़ाव यानी Cultural Anchoring। ड्रामा और पॉज़ यानी Silence Orchestration। और डिजिटल पैकेजिंग यानी Amplification। इन सबने उन्हें “Mass Orator” नहीं, बल्कि “Communication Strategist Prime Minister” बना दिया है। ऐसे ही यूनिक खबरों के लिए सब्सक्राइब करें ग्रेट पोस्ट न्यूज़।

 

2.) India-US New Trade Talks : दोस्ती या बहकावा ?

दिल्ली में मीटिंग टेबल पर भारत और अमेरिका आमने-सामने बैठे। एक तरफ़ राजेश अग्रवाल, भारत के टॉप ट्रेड वार्ताकार। दूसरी तरफ़ ब्रेंडन लिंच, अमेरिका के स्पेशल दूत। एजेंडा? वही पुराना  "ट्रेड"। लेकिन अब ‘positivity’ दिख रही है, पुरानी खाई को पाटने की कोशिश हो रही है। दोनों देशों ने तेजी से बात आगे बढ़ाने और द्विपक्षीय व्यापार समझौते को ‘early deal’ की दिशा में ले जाने का इरादा जताया है। भारत ने अभी भी अपनी ‘रेखाएँ’ रखी हैं कि राष्ट्रीय हितों के खिलाफ कोई समझौता नहीं होगा।” इसी बीच, वाशिंगटन से भी एक बड़ी ख़बर। फेडरल रिज़र्व अब 0.25% यानी 25 बेसिस प्वाइंट्स की रेट कटौती करने वाला है। सुनने में छोटा लगता है, पर इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। डॉलर थोड़ा ढीला होगा, तो निवेशक इधर-उधर भागेंगे। और जब पैसा घूमेगा, तो उभरते बाज़ारों में, यानी इंडिया जैसे देशों में, उसका असर दिखाई देगा। और हुआ भी वही। ट्रेड वार्ता और फेड की उम्मीदों के बीच बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मूड हरा हो गया। सेंसेक्स 300 से 600 अंक उछल गया। निफ़्टी भी मुस्कराया। आईटी सेक्टर सबसे ज़्यादा चमका क्योंकि उसका धंधा सीधे अमेरिका से जुड़ा है। मिडकैप और स्मॉलकैप ने भी कदम मिलाए। मतलब साफ़ निवेशकों को लगा कि अब इंडिया-यूएस रिश्तों की गाड़ी पटरी पर आ रही है। अब आते हैं उस मसालेदार हिस्से पर आज पीएम नरेंद्र मोदी का 75वां जन्मदिन है। डोनाल्ड ट्रम्प ने फोन उठाया और बधाई दे डाली। सुनने में सिंपल लगेगा, पर पॉलिटिक्स में ये कॉल "सिर्फ़ हैप्पी बर्थडे" नहीं होता। इसके पीछे का सबटेक्स्ट साफ़ है रिश्ते फिर से जमाने का इशारा। ट्रम्प ने कहा "हम ट्रेड बैरियर्स हटाएंगे।" मोदी बोले "इंडिया-यूएस नेचुरल पार्टनर्स हैं।" अब इसे कूटनीति का नया मोड़ कहो या रिश्तों की रि-स्टार्ट बटन, लेकिन मैसेज क्लियर है दोनों देश दूरी कम करने की कोशिश में हैं। तो तस्वीर ये है वार्ता जारी है, अमेरिका दबाव बनाए है, भारत अपने कार्ड्स छुपाकर खेल रहा है। बीच में ट्रम्प की बधाई और फेड की रेट कटौती ने माहौल हल्का कर दिया। लेकिन सच्चाई ये है कि दूध-भात वाला समझौता नहीं होने वाला। डेयरी, कृषि और रूस से तेल खरीद जैसे मुद्दे अब भी कांटे बने हैं। हाँ, पर एक बात साफ़ है दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी और सबसे बड़ी इकॉनमी फिर से रिश्ते सहेजने की कोशिश कर रही हैं। ऐसे ही लेटेस्ट खबरों के लिए सब्सक्राइब करे ।