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Breaking News 17May 2025

1) आईपीएल 2025: 
 

आईपीएल 2025 के दूसरे चरण का आगाज़ होते ही फैंस की धड़कनें फिर से तेज़ हो गई हैं। शनिवार, 17 मई को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और कोलकाता नाइटराइडर्स के बीच होने वाला महामुकाबला क्रिकेट प्रेमियों के लिए रोमांच की नई कहानी लिखने वाला है। मगर इस भिड़ंत से पहले आसमान से एक अनचाहा संदेश आ रहा है—बारिश की चेतावनी। मुकाबला बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जाना है, लेकिन Accuweather की ताज़ा रिपोर्ट फैंस की टेंशन बढ़ा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु में शनिवार को दिनभर बादल छाए रहेंगे और शाम होते-होते गरज के साथ बारिश की संभावना 71 प्रतिशत तक पहुँच सकती है—और ये वही समय है जब टॉस होना है। खेल के समीकरण पर असर डाल सकती है बारिश आरसीबी और केकेआर—दोनों ही टीमें इस मुकाबले को जीतने के लिए मैदान में उतरेंगी, लेकिन खास तौर से केकेआर के लिए ये मैच 'करो या मरो' जैसा बन चुका है। एक हार प्लेऑफ की उनकी संभावनाओं पर सीधा असर डाल सकती है। ऐसे में मौसम की मार अगर बीच में पड़ गई, तो ये मुकाबला सिर्फ अंकतालिका नहीं, भावनाओं पर भी भारी पड़ सकता है।

मौसम का टाइमलाइन विश्लेषण:

दोपहर 1 बजे तक बारिश की संभावना: 25% । शाम 5 बजे तक यह बढ़कर हो जाएगी: 58% । शाम 7 बजे, टॉस के वक़्त बारिश की आशंका: 71% ।रात 9 बजे तक घटकर: 49% । रात 10 बजे तक और गिरकर: 34% फैंस के लिए उम्मीद की किरण चिन्नास्वामी स्टेडियम का ड्रेनेसिस्टम दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है। अगर बारिश होती भी है, तो मैच ओवर कटौती के साथ शुरू किया जा सकता है—संभावित समय रात 10 बजे तक रखा गया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या बारिश के साथ भावनाओं की बाढ़ भी मैदान में उतरेगी? आईपीएल का हर मैच सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों की धड़कन है। अब देखना ये होगा कि 17 मई को बारिश रोमांच में इज़ाफा करेगी या उसे फीका कर देगी।

 

2 ) Jyoti Malhotra Arrest | हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा कैसे बनी पाकिस्तान की खुफिया आंख?

ट्रैवल व्लॉगर, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और लाखों फॉलोअर्स की दुनिया से निकलकर देशद्रोह की गहराइयों तक गिरने वाली महिला का नाम है ज्योति मल्होत्रा। हरियाणा पुलिस ने शुक्रवार को ज्योति को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोप बेहद गंभीर हैं—भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर जैसी गोपनीय जानकारियां लीक करना और पाकिस्तानी अधिकारियों से मेल-जोल रखना। ज्योति कोई गुमनाम चेहरा नहीं है। सोशल मीडिया की दुनिया में उसका जलवा था। इंस्टाग्राम पर 1.3 लाख और यूट्यूब पर 3.7 लाख से अधिक फॉलोअर्स रखने वाली यह महिला खुद को भारत की ट्रैवल स्टोरीज़ की आवाज़ बताती थी, लेकिन अब उसी आवाज़ पर देश से गद्दारी के आरोप लगे हैं।

कैसे आई पाकिस्तान के संपर्क में?

पुलिस जांच में सामने आया है कि ज्योति पिछले साल पाकिस्तान गई थी। वहां वह पाकिस्तान हाई कमीशन पहुंची, कई उच्च अधिकारियों से मुलाकात की और इस मुलाकात को सोशल मीडिया पर गर्व से साझा भी किया। उसने खुद इंस्टाग्राम पर लिखा कि “हम दोनों हरियाणवी हैं, यात्रियों से बातचीत साझा करके खुशी हुई।” इस दौरान वह पाकिस्तान में मौजूद कटास राज मंदिर भी गई, जिसे 5000 साल पुराना बताया जाता है। मंदिर की यात्रा को उसने धार्मिक रंग देकर यूट्यूब पर प्रमोट किया, लेकिन अब शक गहराता जा रहा है कि ये यात्राएं धार्मिक कम, गुप्त उद्देश्य अधिक थीं। ज्योति पर जो सबसे बड़ा आरोप है, वो है भारतीय सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान तक पहुँचाना। यह अभियान देश की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा अत्यंत संवेदनशील मामला है, और इससे जुड़ी जानकारी लीक करना सीधा-सीधा राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है।

कौन है ज्योति मल्होत्रा?

हरियाणा के हिसार जिले की रहने वाली ज्योति ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। सोशल मीडिया पर खुद को ट्रैवल व्लॉगर बताने वाली ज्योति की प्रोफाइल आम लड़कियों के लिए प्रेरणा जैसी दिखती थी, लेकिन अब वो आरोपों की बाढ़ में डूब गई है सवाल कई हैं... जवाब अभी अधूरे है क्या ज्योति वाकई अकेली थी, या कोई बड़ा नेटवर्क इसके पीछे है? क्या पाकिस्तान में उसकी मुलाकातें सिर्फ औपचारिक थीं, या गुप्त सूचनाओं की डील भी हुई? और सबसे बड़ा सवाल—क्या हम सोशल मीडिया की चकाचौंध में छिपे जासूसों को पहचान भी पा रहे है । हरियाणा पुलिस ने गहन जांच शुरू कर दी है। खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं। ज्योति के डिजिटल डिवाइस, ट्रैवल रिकॉर्ड, बैंक डिटेल्स खंगाले जा रहे हैं। ये मामला एक नए किस्म की जासूसी की ओर इशारा करता है—जहाँ व्लॉगर की वॉइस में वतन की साज़िशें छुपी होती हैं, और सेल्फी के पीछे छिपा होता है दुश्मन का इशारा।

 

3 )  दिल्ली की राजनीति में नई ताकत का उदय: 'इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी' मैदान में

 

दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर बड़ा सियासी भूचाल आया है। आम आदमी पार्टी, जिसने दिल्ली नगर निगम में कभी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता संभाली थी, अब अपनी ही दीवारों में दरारें देख रही है। पार्टी के 15 निगम पार्षदों ने एकसाथ इस्तीफा देकर न सिर्फ पार्टी नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि एक नई राजनीतिक ताकत के उदय का भी ऐलान कर दिया है। इन बागी पार्षदों की अगुवाई कर रहे हैं पूर्व नेता सदन मुकेश गोयल, जिन्होंने ‘इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी’ नाम से एक नए राजनीतिक संगठन के गठन की घोषणा की है। यह घटना सिर्फ पार्टी की अंदरूनी कलह नहीं है, बल्कि राजधानी की राजनीति में नए गठजोड़ और समीकरणों की शुरुआत भी हो सकती है। मुकेश गोयल का राजनीतिक कद निगम की राजनीति में बेहद पुराना और मज़बूत रहा है। वे 1997 से पार्षद हैं और कई बार निगम के अहम पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने इस्तीफे के साथ-साथ अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी में विचारों की कोई कद्र नहीं रही, और पार्षदों को सिर्फ आदेश दिए जाते हैं। उनका आरोप है कि पार्टी सिर्फ विपक्ष पर आरोप लगाने तक सीमित रह गई है, और जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने खुलासा किया कि निगम पार्षदों को बरगलाया गया कि उन्हें एक लाख रुपये मासिक विकास फंड मिलेगा, लेकिन यह वादा भी पूरा नहीं किया गया। गोयल का कहना है कि अब निगम कार्यकाल के सिर्फ दो साल बचे हैं, और ऐसे में जनता के हित में काम करना पार्टी के वर्तमान ढांचे में असंभव है। इस्तीफा देने वाले पार्षदों में हेमनचंद गोयल, दिनेश भारद्वाज, हिमानी जैन, उषा शर्मा, साहिब कुमार, राखी कुमार, अशोक पांडेय, राजेश कुमार, अनिल राणा, देवेंद्र कुमार जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी नेताओं ने भी अपनी-अपनी नाराजगी जताई है और पार्टी नेतृत्व पर तानाशाही, वादाखिलाफी और गैर-जवाबदेही के आरोप लगाए हैं। हिमानी जैन ने तो यहां तक कह दिया कि हम सत्ता में रहकर भी कुछ नहीं कर पाए, इसलिए अब एक ऐसी पार्टी में रहना चाहते हैं जो सच में दिल्ली के विकास के लिए समर्पित हो। इस राजनीतिक बगावत ने तब और तूल पकड़ लिया जब मेयर चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी ने यह कहकर कदम पीछे खींच लिए कि वे इस बार मेयर पद के लिए उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बयान देते हुए कहा कि अब दिल्ली में "ट्रिपल इंजन सरकार" है — केंद्र में भाजपा, दिल्ली सरकार में आप, और एमसीडी में भी भाजपा का बहुमत। ऐसे में अब भाजपा को खुद आगे आकर दिल्ली के विकास का जिम्मा उठाना चाहिए। मगर सवाल यह है कि क्या यह पार्टी की रणनीतिक मजबूरी थी या भीतरखाने की टूटन का सार्वजनिक रूप? इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी का गठन ऐसे वक्त में हुआ है जब दिल्ली नगर निगम के भीतर सत्ता संतुलन तेजी से बदल रहा है। मुकेश गोयल ने दावा किया है कि भाजपा और कांग्रेस के कई पार्षद भी उनके संपर्क में हैं और जल्द ही नई पार्टी में शामिल हो सकते हैं। यदि ऐसा होता है, तो यह न सिर्फ आम आदमी पार्टी को सीधा नुकसान पहुंचाएगा बल्कि एमसीडी में सत्ता के गणित को पूरी तरह से बदल सकता है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह विद्रोह आम आदमी पार्टी के लिए एक चेतावनी है कि संगठन के भीतर असंतोष कितना गहरा है। यह सिर्फ एक संगठनात्मक विफलता नहीं, बल्कि एक वैचारिक विघटन भी है, जहाँ सत्ता की लालसा ने जनप्रतिनिधियों को किनारे कर दिया। जब अपने ही पार्षद यह कहें कि "हम सत्ता में थे, फिर भी कुछ नहीं कर सके", तो यह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए आत्ममंथन का समय है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी दिल्ली की राजनीति में सिर्फ असंतोष की उपज बनकर रह जाएगी या यह वास्तव में दिल्ली के विकास के लिए एक मजबूत तीसरा विकल्प बन पाएगी। वहीं आम आदमी पार्टी के लिए यह वक्त बेहद संवेदनशील है। अगर समय रहते पार्टी ने संवाद और संतुलन की राह नहीं पकड़ी, तो निगम से विधानसभा तक पार्टी की जड़ें हिल सकती हैं। दिल्ली की राजनीति अब एक नए मोड़ पर खड़ी है। एक तरफ बागी पार्षद नई पार्टी के साथ विकास की नई इबारत लिखने का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी को आत्मचिंतन करना होगा कि आखिर वो जनआकांक्षाओं से इतना दूर कैसे हो गई। 'आप' की साख, सादगी और संघर्ष की जो कहानी थी, वो अब सत्ता की चकाचौंध में गुम होती नजर आ रही है।