ज़रा सोचिए एक चोर दिल्ली से भागा, मुंबई होते हुए नेपाल पहुंच गया। वहाँ से वो थाईलैंड, फिर अमेरिका निकल गया। अब बताइए, एक देश की पुलिस क्या उसे पकड़ पाएगी? मुश्किल है ना? तो इसी दिक्कत को दूर करने के लिए 192 देशों की पुलिस ने मिलकर बनाया है एक “पुलिस नेटवर्क”, नाम है इंटरपोल (INTERPOL – International Criminal Police Organization)। ये कोई जासूसों की फिल्म नहीं, बल्कि असली दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जो सरहद पार अपराधियों को ढूंढने और पकड़वाने का काम करता है। इंटरपोल ने अब Operation Lionfish-Mayag III चलाया। 18 देशों की एजेंसियां मैदान में उतरीं और 2 हफ्तों में पकड़ लिया गया माल सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे 76 टन ड्रग्स। कीमत? करीब 6.5 बिलियन डॉलर। यानी 54 हज़ार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का धंधा एक झटके में धराशायी। ड्रग्स की कीमत का अंदाज़ा इसी से लगाइए कि जब्त माल का व्होलसेल मूल्य 6.5 बिलियन डॉलर बैठा। यानी हिंदुस्तान की कई बड़ी कंपनियों के वार्षिक टर्नओवर से भी ज़्यादा। सबसे बड़ा माल निकला methamphetamine का करीब 297 मिलियन टैबलेट्स। इसे आप याबा पिल्स भी कह सकते हैं। ऑपरेशन में सिर्फ मेथ ही नहीं, बल्कि फेंटेनाइल भी मिला। इतनी मात्रा कि वैज्ञानिकों का कहना है यह 151 मिलियन लोगों को मौत की नींद सुलाने के लिए काफी है। वहीं नया नाम उभरा है Nitazenes का, जो मॉर्फिन से कई गुना ज्यादा खतरनाक synthetic opioids हैं। यानी मार्केट में मौत का नया ज़हर उतर चुका है। इस मिशन में 386 लोग गिरफ्तार किए गए। इनके पास से सिर्फ ड्रग्स ही नहीं, बल्कि हथियार, गाड़ियाँ, प्रॉपर्टी और मोबाइल फोन भी बरामद हुए। और छुपाने की तरकीब? उफ़! ड्रग्स को surfboards, चाय की डिब्बियों, कैट फूड बैग और espresso मशीनों में छुपाया गया था। माफिया के दिमाग़ भी हद तक क्रिएटिव हैं, मगर कानून की पकड़ और बड़ी निकली। क्यों मायने रखता है ये ऑपरेशन? ड्रग्स का धंधा अब सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि ग्लोबल सेफ्टी का बड़ा खतरा है। जब इतना बड़ा क़ारवां पकड़ा गया है, तो साफ है कि इंटरपोल ने ड्रग नेटवर्क की रीढ़ पर चोट की है। लेकिन असली सवाल ये है कि 6.5 अरब डॉलर का ये माल जब यहाँ पकड़ा गया, तो दुनिया में कितना और घूम रहा होगा? ऐसे ही लेटेस्ट खबरों के लिए सब्सक्राइब करें ग्रेट पोस्ट न्यूज़।
रात के 12 बजे हैं। गाँव में हर तरफ़ सन्नाटा पसरा है। लोग नींद में हैं, कुत्ते भी भौंकना बंद कर चुके हैं। तभी अचानक एक फर्नीचर की दुकान के शटर से आती अजीब-सी खटखटाहट पूरे मौचापी गाँव को जगा देती है। कोई है जो अंधेरे का फायदा उठाकर गाँव की शांति चीरना चाहता है। गाँव के लोग धीरे-धीरे बाहर निकलते हैं। तीन-चार पिकअप वैन खड़ी दिखती हैं, दर्जन भर लोग हैं। कहते हैं कि वे तस्कर थे कभी मवेशियों की तस्करी में, तो कभी गाँव की दुकानों पर नज़र गड़ाए। शटर तोड़ा जाता है, अफरा-तफरी मचती है और तभी खबर पहुँचती है दीपक तक।
दीपक सिर्फ़ 19 साल का, NEET का छात्र। सपने डॉक्टर बनने के, इरादे बुलंद। लेकिन उस रात, स्कूटी स्टार्ट करके जब वो अंधेरे में दौड़ा, शायद उसे भी नहीं पता था कि यह उसकी आख़िरी सवारी होगी। गाँववालों के साथ वह गुंडों का पीछा करता है। कुछ गाड़ियाँ भाग निकलती हैं, एक फँस जाती है। और फिर बस कुछ ही मिनटों में कहानी पलट जाती है। सुबह जब गाँववाले उसे ढूँढते हैं, तो दीपक खून से लथपथ, निर्जीव शरीर के रूप में जंगल दूषण में पड़ा मिलता है। उसके सपने भी वहीं दफ़न हो जाते हैं। और सवाल उठता है आख़िर गोरखपुर की रात में ऐसा क्या हुआ कि एक पढ़ाई में डूबा छात्र, गाँव का होनहार बेटा, अपराधियों के हत्थे चढ़कर अपनी जान गंवा बैठा? सोमवार की रात लगभग 11:30 बजे। पिपराइच थाना क्षेत्र के मौचापी गाँव में गाड़ियों का शोर गूँजता है। गाँववालों का कहना है कि ये वही गैंग है जो अक्सर मवेशियों की तस्करी और छोटे-मोटे अपराध करता है। दीपक ने उसका पीछा किया। लेकिन इस पीछा ने उसकी ज़िंदगी ही छीन ली।
गाँववालों का कहना है कि गुंडों ने दीपक को अपनी गाड़ी में खींच लिया। कुछ देर बाद उसका शव गाँव से चार किलोमीटर दूर जंगल दुषाद के पास मिला। सिर पर गहरी चोटें थीं। किसी ने कहा गोली चली। पुलिस ने कहा नहीं, गोली नहीं चली, मौत सिर की चोट से हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है। सुबह होते ही मौचापी गाँव गुस्से से भर गया। गोरखपुर-पिपराइच रोड पर सैकड़ों लोग उतर आए। शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन हुआ। भीड़ ने नारे लगाए "हत्यारों को फाँसी दो!" भीड़ और पुलिस में झड़प भी हुई। पथराव हुआ। SP North जितेंद्र श्रीवास्तव और पिपराइच SHO पुरुषोत्तम सिंह घायल हो गए। हालात काबू से बाहर हुए तो PAC बुलाई गई। जैसे ही मामला तूल पकड़ा, प्रशासन गाँव पहुँचा। DM दीपक मीणा, SSP राज करन नैय्यर मौके पर पहुँचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा
"दोषियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।" SSP ने बयान दिया "यह दुखद घटना है। एक आरोपी पकड़ा गया है, बाकी की तलाश में टीमें लगी हैं।" दीपक के पिता दुर्गेश गुप्ता का बयान दिल तोड़ देने वाला था। "मेरा बेटा डॉक्टर बनना चाहता था। वह गाँव की इज्ज़त बचाने निकला और लौटकर सिर्फ़ उसकी लाश आई। हमें न्याय चाहिए। दोषियों को फाँसी दी जाए। सरकार हमें मुआवज़ा और नौकरी दे।" इस मामले पर कई सवाल खड़े हैं। क्या यह हत्या पशु तस्करी से जुड़ी है या सिर्फ़ चोरी से?गोली चली या सिर पर चोट लगी? पुलिस समय पर पहुँची थी या लापरवाही हुई? विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा। समाजवादी पार्टी ने कहा पशु तस्करों को सरकार का संरक्षण मिलता है, तभी ऐसी घटनाएँ होती हैं।" आगे का रास्ता क्या है
1. गिरफ्तारी एक आरोपी पकड़ा गया, बाकी फरार। पुलिस टीमें लगी हैं।
2. पोस्टमार्टम रिपोर्ट असली वजह बताएगी कि मौत कैसे हुई।
3. मुआवज़ा –परिवार ने 1 करोड़ और नौकरी की माँग की है।
4. सिस्टम पर सवाल पुलिस की जवाबदेही और स्मगलिंग रोकने की चुनौती। ऐसे ही देश दुनिया की खबरों के लिए सब्सक्राइब करे ग्रेट पोस्ट न्यूज़।