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Breaking News 17 June 2025

1 ) बटला हाउस विवाद : जनहित याचिका खारिज

दिल्ली के बटला हाउस इलाके में प्रस्तावित डिमोलिशन को लेकर जारी तनाव के बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए द्वारा जारी घर गिराने के नोटिसों पर अंतरिम रोक लगाने की याचिका पर सोमवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस याचिका को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार नहीं कर सकती क्योंकि इस मामले में सीधे तौर पर प्रभावित लोग पहले ही अदालत का दरवाज़ा खटखटा चुके हैं। अदालत ने कहा कि यदि डीडीए का कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है, तो उचित मंच सर्वोच्च न्यायालय ही है।

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि वे मौजूदा जनहित याचिका को वापस लेकर तीन दिनों के भीतर एक रिट याचिका दायर करें, जिसे उपयुक्त बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा। सुनवाई के दौरान अदालत ने "ओवरलैपिंग" यानी एक ही मुद्दे पर एक से अधिक याचिकाओं को लेकर गहरी चिंता जाहिर की।

सलमान खुर्शीद की दलीलें और डीडीए का रुख

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कोर्ट को बताया कि डीडीए ने बटला हाउस के खसरा नंबर 279 से बाहर मौजूद मकानों को भी तोड़फोड़ के नोटिस भेजे हैं। उन्होंने कहा कि डीडीए ने ‘जेनरिक नोटिस’ यानी बिना स्पष्ट सीमांकन के नोटिस जारी किए हैं, जिससे सैकड़ों परिवारों पर संकट मंडरा रहा है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि यदि जनहित याचिका की प्रकृति को स्वीकार नहीं किया जा सकता, तो कम से कम इसे रिट याचिका के रूप में स्वीकार किया जाए।

डीडीए की ओर से पेश वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और आगामी अनुपालन रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाओं में किसी भी प्रकार की रोक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को यह भरोसा दिलाया कि उनकी सारी कार्रवाई न्यायिक आदेशों के अनुरूप हो रही है।

अमानतुल्लाह खान की याचिका खारिज

इससे एक दिन पहले आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान की ओर से दाखिल याचिका को हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला किसी व्यक्तिगत वादी द्वारा ही उठाया जाना चाहिए। अदालत ने साफ कहा कि जनहित याचिका के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को असीमित संरक्षण देने का आदेश नहीं दिया जा सकता।

अदालत की स्पष्ट टिप्पणी

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी 'जनरल ऑर्डर' – जिससे समस्त डिमोलिशन कार्य पर रोक लगाई जा सके – पारित नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने यह भी दोहराया कि याचिकाकर्ताओं को कानून द्वारा उपलब्ध उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा और सीधे प्रभावित व्यक्तियों को ही राहत मांगनी चाहिए।

 

2) अहमदाबाद प्लेन क्रैश की दर्दनाक दास्तान


12 जून, गुरुवार की सुबह, अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरते ही एयर इंडिया का एक बोइंग 787 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। महज कुछ सेकंडों में विमान मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराया और भयंकर आग की लपटों में तब्दील हो गया। यह दृश्य न केवल भयावह था, बल्कि देश भर में हतप्रभ कर देने वाला भी। हाईटेक एविएशन की दुनिया में इस तरह की दुर्घटना ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या यह तकनीकी विफलता थी? मानवीय चूक? या फिर एक और हादसा जो सिस्टम की अनदेखी का नतीजा बन गया?  एयर इंडिया की लंदन जा रही फ्लाइट AI-171 अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के महज एक मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भयावह हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों में 241 यात्री विमान में सवार थे, जबकि 34 लोग उस मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में मौजूद थे, जिस पर विमान आकर गिरा। हादसे में केवल एक व्यक्ति की जान बची है, जो भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक है और फिलहाल अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहा है। जिस क्षण विमान ने रनवे छोड़ा, शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वो क्षण आखिरी साबित होगा। कैप्टन सुमित सभरवाल, जो एयर इंडिया में लाइन ट्रेनिंग कैप्टन थे, उन्होंने उड़ान भरने के चंद सेकेंड बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल को अपनी आखिरी पुकार भेजी: "Mayday... Mayday... थ्रस्ट नहीं मिल रहा। पावर कम हो रही है, प्लेन उठ नहीं रहा। नहीं बचेंगे..."
ये शब्द जैसे पूरे देश की चेतना में गूंज रहे हैं। इस संदेश के चंद सेकेंड बाद ही विमान ने नियंत्रण खो दिया और अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज की छात्रावास इमारत से टकरा गया।हादसे के बाद का दृश्य इतना भयावह था कि इसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। विमान का एक पंख दूर जाकर गिरा, और उसका अधिकांश ढांचा जलकर राख हो गया। दमकलकर्मी मलबे पर पानी की बौछारें मारते रहे, लेकिन जो जल चुका था, वह लौटाया नहीं जा सकता था। जिस हॉस्टल बिल्डिंग पर विमान गिरा, उसमें उस वक्त 60 से अधिक छात्र और डॉक्टर मौजूद थे। उनमें से 34 की जान चली गई। हादसे के बाद सिविल अस्पताल के सभी डॉक्टरों की छुट्टियाँ रद्द कर दी गईं। अस्पताल में एक के बाद एक 270 से ज्यादा शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया है, और 220 लोगों के डीएनए सैंपल लिए जा चुके हैं। विमान की कमान संभाल रहे कैप्टन सुमित सभरवाल मुंबई के पवई इलाके से थे, और 8200 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव रखते थे। उनके को-पायलट क्लाइव कुंदर, जिनके पास 1100 घंटे की फ्लाइंग का अनुभव था, अभिनेता विक्रांत मैसी के चचेरे भाई थे। दोनों की जान इस हादसे में चली गई। साथ ही 12 क्रू मेंबर्स भी इस दुर्घटना में काल के गाल में समा गए। आज लंदन से अहमदाबाद एक विशेष फ्लाइट पहुंची है, जिसमें मृतकों के परिजन और रिश्तेदार आए हैं। कई शव बुरी तरह से झुलस चुके हैं, जिनकी पहचान केवल डीएनए सैंपल से ही संभव है। अब तक केवल 7 शवों की पहचान हो पाई है। बाकी की प्रतीक्षा लंबी, भावनात्मक और असहनीय है। इस हादसे की जांच अब बहुस्तरीय बन गई है। भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA), DGCA, AAIB के साथ-साथ UK-AAIB, US-NTSB, और FAA भी इसकी तह तक जाने में लगी हैं। हादसे की परिस्थितियाँ, विमान की तकनीकी स्थिति, और टेकऑफ के समय की एयर ट्रैफिक रिकॉर्डिंग – हर पहलू खंगाला जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह अहमदाबाद पहुंचे। सबसे पहले वे घटनास्थल पर गए और फिर सिविल अस्पताल पहुंचे, जहाँ उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उनका चेहरा भी उतना ही पीला था, जितना इस हादसे ने पूरे देश को कर दिया है। जब एक विमान टेकऑफ के महज कुछ सेकेंड में पावर लॉस की शिकायत करता है, तो सवाल उठते हैं क्या फ्लाइट टेक्निकल क्लीयरेंस में चूक हुई थी? क्या एयरक्राफ्ट की मेंटेनेंस रिपोर्ट पूरी तरह से जांची गई थी? क्या एयर ट्रैफिक कंट्रोल के पास प्लान बी तैयार था? इन सवालों के जवाब जल्द से जल्द चाहिए, ताकि 275 जानें सिर्फ आंकड़ों में न बदलें, बल्कि उनके पीछे की सच्चाई देश के सामने आए।