NASA और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के वैज्ञानिकों द्वारा एक संभावित चेतावनी दी गयी है। वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि एक विशाल एस्टेरॉयड जिसका नाम है 2024 YR4 पृथ्वी से टकरा सकता है। इस टकराव का प्रभाव इतना भयानक होगा कि यह किसी बड़े महानगर को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है। उस समय इसकी पृथ्वी से टकराने की संभावना सिर्फ 1% थी। लेकिन हाल के अध्ययनों और आंकड़ों के विश्लेषण के बाद, वैज्ञानिकों ने अब इसकी टकराने की संभावना 2.3% बताई है। यानी, इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने का खतरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जिससे पूरी दुनिया में चिंता का माहौल है। अभी तक वैज्ञानिकों के पास इस एस्टेरॉयड के आकार और सटीक गति की पूरी जानकारी नहीं है। हालांकि, शुरुआती अनुमान बताते हैं कि इसका व्यास लगभग 200 मीटर तक हो सकता है और यह लगभग 38,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है।
वैज्ञानिकों ने संभावित इलाकों की पहचान कर ली है, जहां यह एस्टेरॉयड टकरा सकता है। इनमें शामिल हैं पूर्वी प्रशांत महासागर, उत्तर-दक्षिण अमेरिका (वेनेजुएला, कोलंबिया, इक्वाडोर), अटलांटिक महासागर ,अफ्रीका (इथियोपिया, सूडान, नाइजीरिया) ,दक्षिण एशिया (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश) इन क्षेत्रों के लिए NASA ने चेतावनी जारी की है कि यदि एस्टेरॉयड यहां टकराता है, तो मौत का तांडव मच सकता है। वैज्ञानिकों ने एक और चौंकाने वाली बात कही है यदि एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराने के बाद टूटता है, तो इसका एक टुकड़ा चंद्रमा से भी टकरा सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो चंद्रमा की सतह पर 2 किलोमीटर चौड़ा गड्ढा बन सकता है। इस टक्कर से इतनी ज्यादा ऊर्जा निकलेगी कि यह 340 हिरोशिमा बमों के बराबर होगी। और इस धमाके को धरती से भी देखा जा सकेगा! हालांकि इससे चंद्रमा को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन यह एक ऐतिहासिक घटना होगी। जब NASA और ESA इस खतरे को टालने के तरीके खोज रहे हैं, चीन ने एक गुप्त मिशन शुरू कर दिया है। चीन ने "एस्टेरॉयड वार्निंग नेटवर्क" तैयार किया है, जो लगातार ऐसे खतरों की निगरानी करता है। इसके अलावा, चीन ने "स्पेस आर्मी" भी तैयार की है, जो एस्टेरॉयड की दिशा बदलने की कोशिश में जुटी हुई है। चीन ने यह घोषणा की है कि अगर एस्टेरॉयड का पृथ्वी से टकराना निश्चित हो जाता है, तो वह इसे नष्ट करने के लिए मिसाइल दाग सकता है।
NASA ने संभावित टकराव वाले क्षेत्रों की पहचान शुरू कर दी है, ताकि यदि टक्कर की संभावना अधिक हो जाए, तो वहां के लोगों को पहले ही निकाल लिया जाए। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि परमाणु हथियारों का उपयोग कर इस एस्टेरॉयड की दिशा बदली जा सकती है। हालांकि, इसमें बहुत अधिक जोखिम भी शामिल है यदि दिशा बदलने में मामूली भी गलती हुई, तो यह किसी और देश पर गिर सकता है और इससे भी भयंकर तबाही मच सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह एस्टेरॉयड टकराया, तो यह 1908 में साइबेरिया में हुई "तुंगुस्का घटना" जैसा होगा। 30 जून 1908 को, साइबेरिया के ऊपर एक अज्ञात एस्टेरॉयड या उल्का फटा था। इसका विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि 2,000 वर्ग किलोमीटर का जंगल जलकर राख हो गया। 80 मिलियन से ज्यादा पेड़ गिर गए थे। विस्फोट की शक्ति 10-15 मेगाटन TNT के बराबर थी। अगर 2024 YR4 पृथ्वी से टकराता है, तो तुंगुस्का घटना से भी कई गुना ज्यादा विनाशकारी हो सकता है।
आज सुबह जब दिल्ली और NCR के लोग गहरी नींद में थे तभी अचानक धरती कांप उठी! सुबह 5:36 बजे, जैसे ही जमीन हिलने लगी, घबराए लोग बिस्तर से उठकर घरों से बाहर भागे। भूकंप की तीव्रता 4.0 से 4.03 तक थी, लेकिन केंद्र दिल्ली के अंदर होने के कारण इसका असर कई गुना ज़्यादा महसूस किया गया। लोगों ने बताया कि झटके इतने तेज थे कि दीवारें हिलने लगीं। कई लोगों ने तो धरती के अंदर से गड़गड़ाहट तक सुनी, जो उनकी रूह तक कंपा गई।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र नई दिल्ली में, जमीन से सिर्फ 5 किलोमीटर नीचे था। कम गहराई में आया भूकंप ज्यादा खतरनाक होता है, क्योंकि उसकी ऊर्जा सीधे सतह पर महसूस की जाती है। इसका लोकेशन 28.59° उत्तरी अक्षांश और 77.16° पूर्वी देशांतर पर था। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में कई साल बाद ऐसा भूकंप आया, जिसका केंद्र राजधानी के भीतर था, इसलिए इसका प्रभाव ज़्यादा रहा। दिल्ली और आसपास का क्षेत्र सिस्मिक ज़ोन-IV में आता है, जो भूकंप के लिहाज से खतरनाक माना जाता है। इस क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटें लगातार हलचल में रहती हैं, जिससे बार-बार झटके महसूस होते हैं। 7 जनवरी 2025 को भी नेपाल, भारत और बांग्लादेश में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र नेपाल और सिक्किम-तिब्बत सीमा के पास था। विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालय क्षेत्र में बढ़ती हलचल से दिल्ली और उत्तर भारत में बड़ा भूकंप आ सकता है।
सुबह को दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में कई सेकंड तक धरती हिलती रही। खासकर हाईराइज़ बिल्डिंग्स में रहने वाले लोगों ने तेज़ झटकों का डरावना अहसास किया। कुछ लोगों को ऐसा महसूस हुआ जैसे उनकी पूरी बिल्डिंग झूल रही हो। जिन लोगों के घर ऊंची इमारतों में थे, वे बिना एक सेकंड गवाएं सीढ़ियों की तरफ दौड़े। भूवैज्ञानिकों के अनुसार, दिल्ली और उत्तर भारत में बड़े भूकंप की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हाल के शोध बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में जमा हो रही ऊर्जा एक बड़े भूकंप को जन्म दे सकती है, जिसकी तीव्रता 7.5 से 8.0 तक हो सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो दिल्ली और NCR में भारी तबाही मच सकती है। सोमवार सुबह का भूकंप एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। दिल्लीवालों को अब सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि अगर अगला झटका ज्यादा बड़ा हुआ, तो नुकसान भी गंभीर हो सकता है। इस भूकंप ने दिल्ली-NCR के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। हालांकि अब सवाल उठ रहा है कि क्या ये बस एक छोटा संकेत था, या किसी बड़े खतरे की दस्तक।