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Breaking News 17 December 2024

1.) जस्टिन ट्रूडो : इस्तीफा ? 

 

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। उनकी सरकार के सबसे भरोसेमंद नामों में से एक, डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने बगावत कर दी है। सोशल मीडिया पर खुलेआम खरी-खोटी सुनाते हुए, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे मारा। इसके अलावा उनकी अपनी लिबरल पार्टी के 23 सांसदों ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी है। अब हालात ऐसे हैं कि ट्रूडो की खुद की कुर्सी खिसकती हुई दिख रही है। यह मामला इतना तीखा है कि सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। तो अब सवाल उठता है की क्या ट्रुडो इस्तीफा देंगे? क्या लिबरल पार्टी में ही उनकी बगावत बढ़ेगी? या फिर ट्रूडो किसी चमत्कार से कुर्सी बचा लेंगे? देखना दिलचस्प होगा। आईये जानते है आज की स्टोरी में। 

तो आखिर मामला गरमाया क्यों है ?

 

 क्रिस्टिया फ्रीलैंड, जिन्हें ट्रूडो का "दाहिना हाथ" कहा जाता था उन्होंने इस्तीफा देते वक्त सोशल मीडिया पर खूब भड़ास निकाली। कह दिया कि, "शुक्रवार को आपने मुझसे कहा कि मुझे वित्त मंत्री के तौर पर आप देखना नहीं चाहते। मुझे दूसरा पद ऑफर किया, लेकिन मैंने तय किया है कि यह तमाशा अब और नहीं।"  दरअसल, बात अमेरिका की धमकी और कनाडा की अर्थव्यवस्था पर आकर अटकी है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दे रखी है। फ्रीलैंड चाहती थीं कि राजकोषीय खर्चे पर लगाम लगाई जाए ताकि इस झटके को झेला जा सके। उधर ट्रूडो की सोच अलग थी उनका मानना था कि खर्चे में कमी करने से राजनीति को नुकसान होगा। बस यहीं से खटास इतनी बढ़ गई कि बात इस्तीफे तक पहुंच गई।

जगमीत सिंह का हमला

इसी बीच न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने इसी मौके पर हल्ला बोल दिया। कहा कि ट्रूडो को अब पद छोड़ देना चाहिए। हालांकि सिंह ने यह भी साफ कर दिया कि वह सरकार से समर्थन वापस नहीं लेंगे, लेकिन ट्रूडो के कुर्सी पर टिके रहने का कोई औचित्य नहीं है।

ट्रुडो की पार्टी में ही हो रही है बगावत

ट्रूडो की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं होतीं।मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन सांसदों ने बाकायदा एक पत्र पर साइन करके ट्रूडो से कह दिया है "सर, अब बहुत हुआ।" ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर अनिता आनंद तक ने कहा है कि यह खबर सुनकर वह "हिल गई हैं" और उन्हें थोड़े वक्त की जरूरत है।

क्या बच पाएंगे ट्रूडो?

अब सवाल ये है कि क्या जस्टिन ट्रूडो अपनी कुर्सी बचा पाएंगे? सीटीवी न्यूज और द ग्लोब एंड मेल जैसी मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि खुद ट्रूडो अपने इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने कैबिनेट में इस मुद्दे पर बात भी कर ली है।
इतिहास का हवाला दिया जा रहा है कि कनाडा में आज तक कोई नेता लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री नहीं बना। ट्रूडो इस रिकॉर्ड को तोड़ना चाहते थे, लेकिन उनकी सरकार की हालत पतली होती जा रही है। विपक्षी नेता पियरे पॉइलिवरे ने भी हमला बोलते हुए कहा, "सरकार कंट्रोल खो चुकी है। ऐसे वक्त में जब अमेरिका टैरिफ बढ़ा रहा है, ट्रूडो की कमजोर लीडरशिप देश को ले डूबेगी।

क्या होगा अब?

कनाडा में अगले साल अक्टूबर से पहले आम चुनाव होने हैं। लिबरल पार्टी की सरकार अल्पमत में है और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन पर टिकी हुई है। अगर जगमीत सिंह ने समर्थन वापस ले लिया, तो चुनाव किसी भी वक्त हो सकते हैं। लेकिन अभी के लिए जगमीत सिंह समर्थन तो नहीं खींच रहे, पर ट्रूडो का पद छोड़ने का दबाव बढ़ा रहे हैं। साफ है कि क्रिस्टिया फ्रीलैंड का झटका सिर्फ इस्तीफा भर नहीं था। ये एक बड़ा संकेत है कि ट्रूडो के लिए आगे की राह आसान नहीं है।

 

 

2.) भारत-श्रीलंका संबंधों को नई मजबूती: जगदीप धनखड़ ने की अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात 

 

भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने सोमवार को नई दिल्ली में श्रीलंका के राष्ट्रपति महामहिम अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात की। राष्ट्रपति दिसानायके के सम्मान में राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में स्वागत समारोह आयोजित किया गया। जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने उनका स्वागत किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति दिसानायके ने संयुक्त रक्षा सेवाओं द्वारा प्रस्तुत गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया और दोनों देशों के मंत्रियों, राजनयिकों एवं अधिकारियों से परिचय प्राप्त किया। श्रीलंका के माननीय राष्ट्रपति महामहिम अनुरा कुमारा दिसानायके ने भारत की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ हुई बैठक को सकारात्मक करार दिया। उपराष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, "यह चर्चा मुख्य रूप से आर्थिक सहयोग, कृषि, और डिजिटलीकरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साझेदारी को और गहरा करने पर केंद्रित थी। श्री धनखड़ ने श्रीलंका के राष्ट्रपति की चुनावी सफलता पर शुभकामनाएं देते हुए दोनों देशों के बीच सहयोग के नए अवसरों की संभावनाएं तलाशने पर जोर दिया।" अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "आज माननीय जगदीप धनखड़ जी के साथ एक उत्पादक बैठक हुई, जहां हमने आर्थिक सहयोग, कृषि और डिजिटलीकरण को बढ़ाने पर चर्चा की। मेरी चुनावी जीत पर उनकी बधाई के लिए आभारी हूं। बाद में, मैंने संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारतीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से भी मुलाकात की।" हालांकि इस बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों की मजबूती पर जोर देते हुए आर्थिक प्रगति, कृषि में तकनीकी सहयोग और डिजिटलीकरण के माध्यम से समृद्धि के साझा लक्ष्य पर चर्चा की। राष्ट्रपति दिसानायके ने मछुआरों के मुद्दे को दोनों देशों के बीच एक बड़ी समस्या बताते हुए इसके शीघ्र और स्थायी समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बॉटम ट्रॉलिंग जैसी विनाशकारी प्रथाओं को रोकने का आग्रह किया, जो मछली उद्योग के लिए हानिकारक हैं। बैठक के दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों की जड़ें इतिहास, संस्कृति और रिश्तेदारी में गहराई से समाई हैं। जो दोनों देशों को साझा प्रगति की दिशा में साथ लेकर चलती हैं। उन्होंने श्रीलंका के आर्थिक विकास में भारत की ओर से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। 

भाजपा अध्यक्ष की अनुरा कुमारा दिसानायके से भेंट:

नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ भी श्रीलंका के राष्ट्रपति महामहिम अनुरा कुमारा दिसानायके की मुलाकात विशेष रूप से उल्लेखनीय रहीं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 'भाजपा को जानो' पहल के तहत राष्ट्रपति दिसानायके से मुलाकात की। नड्डा ने बताया कि इस दौरान पार्टी-स्तरीय संबंधों को प्रगाढ़ करने, भाजपा की विचारधारा, संगठनात्मक संरचना और राष्ट्र निर्माण में योगदान पर विस्तृत चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने भारत-श्रीलंका संबंधों को और सशक्त बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श किया।

प्रधानमंत्री से दिसानायके की वार्ता

प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक में राष्ट्रपति दिसानायके ने आश्वासन दिया कि श्रीलंका की भूमि का उपयोग भारत के खिलाफ किसी भी गतिविधि के लिए नहीं होने दिया जाएगा। दोनों नेताओं ने रक्षा, ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने तमिल समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करने और श्रीलंकाई संविधान के पूर्ण कार्यान्वयन की उम्मीद भी व्यक्त की।

 

3 )  अतुल सुभाष सुसाइड केस: सुप्रीम कोर्ट के बयान पर बहस 

 

बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष की सुसाइड केस में पुलिस ने रविवार को बड़ा कदम उठाया। रविवार को पुलिस ने पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, और साले अनुराग सिंघानिया को गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि अतुल सुभाष की आत्महत्या और सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी ने समाज में बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "सिर्फ प्रताड़ना के आरोप के आधार पर किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसके लिए इरादा और ठोस सबूत होना चाहिए।" अब सवाल ये उठता है कि अगर यही केस किसी लड़की की होती, जिसने अपने ससुराल वालों और पति पर प्रताड़ना और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगाए होते। तो शायद केस को तुरंत घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना का रंग दिया जाता। पुलिस और न्यायालय इस पर तेज़ी से कार्रवाई करते। क्या इंसाफ की ये प्रक्रिया लड़के और लड़की के लिए अलग-अलग मापदंड रखती है? समाज और मीडिया में महिला को तुरंत "पीड़िता" मान लिया जाता। वहीं, पुरुष को "दोषी" करार देने में देर नहीं लगती। इंसाफ तभी पूरा होगा, जब तराजू के दोनों पलड़े बराबर होंगे। 

सुप्रीम कोर्ट पर उठते सवाल ?

क्या पुरुषों के मामले में "इरादे" और "ठोस सबूत" की बात इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें पीड़ित मानने का हमारा सामाजिक ढांचा कमजोर है? महिला सुरक्षा के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं। पुरुषों के लिए ऐसा कोई ठोस प्रावधान नहीं है। अतुल ने अपनी मौत से पहले वीडियो और सुसाइड नोट में साफ तौर पर अपनी पत्नी और ससुराल वालों को जिम्मेदार ठहराया। इसके बावजूद अदालत में उनके परिवार को ये साबित करना होगा कि प्रताड़ना किस स्तर की थी। अगर यही वीडियो और सुसाइड नोट किसी महिला के होते, तो शायद अदालत "इरादे के प्रमाण" की बात नहीं करती। हालांकि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की एक धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) हैं। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। 

आरोपियों की गिरफ्तारी का ताना-बाना कैसे बुना गया?

अतुल सुभाष सुसाइड केस में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पहले बात करते हैं निकिता सिंघानिया की। गुरुग्राम में रह रही निकिता के लिए ये गिरफ्तारी किसी फिल्मी सीन से कम नहीं थी। निकिता एक महंगे पीजी (लगभग 40,000 रुपये किराया) में शिफ्ट होने की तैयारी में थी। 8 दिसंबर को उसने अपने कागजात और ऑनलाइन पेमेंट देकर सारी फॉर्मेलिटी पूरी कर ली थी। पुलिस वेरिफिकेशन के लिए गुरुग्राम पुलिस को दस्तावेज भेजे गए। जैसे ही ये जानकारी बेंगलुरु पुलिस को मिली, उन्होंने अपनी टीम को एक्टिव किया। पीजी के आसपास निगरानी शुरू की गई। और जैसे ही निकिता बाहर निकली, पुलिस ने उसे दबोच लिया। इसके बाद सास निशा और साले अनुराग दोनों प्रयागराज में थे। पुलिस के मुताबिक, जब मामला तूल पकड़ने लगा तो ये लोग अपने घर से भाग गए। पुलिस ने इनके घर के बाहर नोटिस चिपकाए और लुकआउट नोटिस जारी किया। आखिरकार इन्हें प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि एक आरोपी अब भी फरार है। निकिता के चचेरे ससुर सुशील सिंघानिया अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए लगातार खोज कर रही है।

 

5.) महाकुंभ 2025: दुनिया का सबसे बड़ा मेला  

सनातन हिन्दू परंपरा के अनुसार महाकुंभ मेले और इसमें होने वाले स्नान का ऐतिहासिक महत्व है। आपको बता दें, महाकुंभ मेला 12 वर्ष में एक बार लगता है। यह मेला संगमनगरी प्रयागराज,  हरिद्वार,  उज्जैन या नासिक में आयोजित किया जाता है। अगले वर्ष 2025 में महाकुंभ मेला उत्तर प्रदेश के संगमनगरी प्रयागराज में लगने वाला है, जो पौष पुर्णिमा के दिन यानि 13 जनवरी से 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन तक चलेगा। बारह वर्ष में एक बार लगने वाला यह महाकुंभ मेला अपनी विशिष्टता और भव्यता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। वर्ष 2025 में संगमनगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ मेले में देश के कोने-कोने से साधु संत और श्रद्धालु पहुंचेंगे, साथ ही देसी-विदेशी पर्यटक भी इस अद्भुत और ऐतिहासिक मेले को देखने आएंगे। कुंभ मेले में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन अखाड़ों के साधु संत पहले संगम में स्नान करते हैं और उसके बाद श्रद्धालु इसमें डुबकी लगाते हैं। महाकुंभ मेले में मकर संक्रांति से लेकर माघी पूर्णिमा तक संगम में स्नान करना पवित्र माना जाता है। इसके अलावा भी महाकुंभ 2025 में स्नान की कुछ तिथियां महत्वपूर्ण हैं। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि गंगा, यमुना, सरस्वती नदी के पवित्र जल में स्नान से न केवल तन बल्कि मन की भी अशुद्धियां दूर हो जाती है और यही कारण है बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ मेले में तीन नदियों के संगम में स्नान करने पहुंचते हैं। इसके अलावा कुछ भक्त पूरे एक माह तक गंगा के किनारे कल्पवास करते हैं और प्रत्येक दिन तीन बार गंगा में स्नान करते हैं।

कुंभ मेले में क्या है अखाड़ों का महत्व?

कुंभ मेला न केवल भारत का बल्कि पूरे विश्व में होने वाला सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से सनातन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लाखों-करोड़ों श्रद्धालु संगम तट के किनारे एकत्रित होते हैं। मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने मात्र से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। बारह वर्ष में एक बार लगने वाले इस मेले में अखाड़ों का विशेष स्थान है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्व रखते हैं। आमतौर पर अखाड़े को पहलवानी और कुश्ती से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन कुंभ मेले के आयोजन के दौरान ''अखाड़े'' मुख्य रूप से साधु संतों के समूह होते हैं, जो अपनी विशेष परंपराओं और आस्थाओं के आधार पर एकजुट होते हैं और ऐसे में कुंभ मेले में अखाड़ों का अपना महत्व और प्रतीक होता है। मूलतः कुंभ मेले में लगने वाले अखाड़ों का उद्देश्य हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार करना और समाज को धार्मिक मार्गदर्शन करना होता है। यह अखाड़े समाज में धार्मिक जागरूकता फैलाने, साधना, तपस्या और साधु जीवन की महत्वता को दर्शाते हैं। अखाड़े धार्मिक अनुष्ठानों, ग्रंथों और परंपराओं को संरक्षित करके आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने काम करते हैं। इसके अलावा कुंभ मेले में साधु संतों का समूह अपनी विशेष परंपराओं के अनुसार धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी करता है। आपको बता दें कि कुंभ मेले में लगने वाले अखाड़ों का नेतृत्व महंत या आचार्य करते हैं, जो अखाड़े के कार्यों का संचालन भी करते हैं और अपने अनुयायियों को हिंदू धर्म के प्रति जागरुक करते हैं। यह अखाड़े विशेष रूप से हिंदू धर्म की धार्मिकता और साधना का प्रतीक माने जाते हैं।

यहां से जाने महाकुंभ 2025 से जुड़ी आधिकारिक जानकारी

महाकुंभ में स्नान करना बहुत पुण्य का कार्य माना जाता है। मान्यता है कि कुंभ के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने मात्र से मनुष्य को जीवन भर के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। अगले वर्ष प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ मेले में स्नान का महत्व और बढ़ जाता है, क्यूंकि यहां पवित्र माने जाने वाली तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है और यही कारण है कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में डुबकी लगाना अपने आप में एक अलग महत्व रखता है। प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में शाही स्नान का आयोजन किया जायेगा, जिसमें में बड़ी संख्या के साधु संत स्नान के लिए पहुंचेंगे और इसके साथ ही देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु भी संगम में स्नान करके अपने पापों का नाश करने पहुंचेंगे। बता दें, इस बार प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ मेले में स्नान पौष पूर्णिमा यानी 13 जनवरी से शुरू होगा। महाकुंभ 2025 में तीन शाही स्नान होंगे: पहला 14 जनवरी को मकर संक्रांति को होगा, दूसरा 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन किया जायेगा और वहीं तीसरा यानि अंतिम शाही स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन होगा। इसके अलावा श्रद्धालु द्वारा आखिरी स्नान 4 फरवरी (अचला सप्तमी), 12 फरवरी (माघ पूर्णिमा) और 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) के दिन किया जा सकेगा। महाकुंभ में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा का भी योगी सरकार ने विशेष ध्यान रखा है। प्रयागराज में आयोजित किए जा रहे महाकुंभ 2025 की सारी जानकारी ऑफिशियल वेबसाइट- https://kumbh.gov.in से प्राप्त की जा सकती है। इस वेबसाइट पर विस्तार से बताया गया है कि संगमनगरी प्रयागराज कैसे पहुंचा जा सकता है, यहां रुकने की व्यवस्था और पर्यटकों के लिए मेले में क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा इस वेबसाइट की मदद से आपको प्रयागराज में दर्शन से जुड़े स्थल, स्नान की तिथियों की भी सभी जानकारी आसानी से मिल सकेगी।