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Breaking News 16 June 2025

1.) ईरानी मिसाइलों की बौछार, अमेरिका का धैर्य टूटा युद्ध अब अंतरराष्ट्रीय?

मध्य-पूर्व के आसमान पर मंडराते युद्ध के बादल अब और गहरे हो गए हैं। ईरान और इजराइल के बीच छिड़ी जंग के चौथे दिन आज अमेरिका भी इस संघर्ष की चपेट में आ गया। सोमवार सुबह ईरान की ओर से दागी गई एक मिसाइल अमेरिका के तेल अवीव स्थित दूतावास कार्यालय के पास आ गिरी। विस्फोट इतना तेज़ था कि आसपास के इलाकों में कंपन महसूस किया गया, हालांकि किसी के घायल होने की खबर नहीं है। अमेरिका ने अपने दूतावास को बंद कर 'शेल्टर इन प्लेस' निर्देश जारी कर दिया है। " संघर्ष के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को सीधी चेतावनी दी है। उन्होंने साफ कहा, "अगर ईरान ने अमेरिका या उसके किसी हित पर हमला किया, तो उसे पहले कभी न देखी गई अमेरिकी ताकत का सामना करना होगा।" ट्रंप ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि अमेरिका इस संघर्ष में सीधे शामिल नहीं है, लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी तो हस्तक्षेप करने से पीछे नहीं हटेगा। ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस’: ईरान का ऐलान – “इजराइल को मिटाए बिना रुकेंगे नहीं” ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने सोमवार सुबह ‘ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस’ के तहत सेंट्रल इजराइल पर चार बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इस हमले की ज़िम्मेदारी खुद IRGC ने ली और कहा कि जब तक इजराइल का अंत नहीं होता, यह ऑपरेशन जारी रहेगा। मिसाइलों का निशाना बने तेल अवीव समेत कई अहम इलाके। इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तजाची हनेगबी ने सेना रेडियो को दिए इंटरव्यू में चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि “अब तक हमें लगता था कि ईरान के पास 1500 से 2000 मिसाइलें हैं, लेकिन असल संख्या इससे कहीं ज्यादा है।” उनके अनुसार सिर्फ सैन्य कार्रवाई से इस खतरे को समाप्त नहीं किया जा सकता।

डिमोना न्यूक्लियर सेंटर पर मंडराता खतरा

इस युद्ध का सबसे खौफनाक संकेत है – डिमोना न्यूक्लियर सेंटर पर मंडराता खतरा। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, ईरान इस इजराइली परमाणु ठिकाने को निशाना बना सकता है। 1950 में फ्रांस की मदद से बने इस संवेदनशील केंद्र पर हमला सिर्फ एक युद्ध नहीं, बल्कि एक व्यापक विनाश का संकेत बन सकता है। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने एक बयान में कहा, “तुम एक मिसाइल मारोगे, तो हम सौ मारेंगे।" दावा किया जा रहा है कि ईरान के पास न केवल 10,000 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, बल्कि 1 लाख से अधिक लड़ाकों की ऐसी फौज है जो इजराइल के खिलाफ जंग के लिए पूरी तरह तैयार है।

 

2 ) अहमदाबाद प्लेन क्रैश: जली लाशें, बुझे सवाल और चुप्पी में डूबा सिस्टम 

 
12 जून की सुबह जब अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने लंदन के लिए उड़ान भरी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि महज 30 सेकेंड बाद ही आसमान से मौत उतरेगी। इस विमान में कुल 265 लोग सवार थे, जिनमें 241 यात्री और 24 क्रू मेंबर शामिल थे। विमान ने टेकऑफ के तुरंत बाद ही तकनीकी गड़बड़ी का सामना किया और पास ही स्थित मेघानी नगर इलाके के एक मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकरा गया। हादसा इतना भयावह था कि टक्कर के बाद विमान में जबरदस्त विस्फोट हुआ और चारों ओर भीषण आग लग गई। हादसे के बाद का मंजर दिल दहला देने वाला था। राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं, लेकिन वहां काम करना नामुमकिन था। हादसे के कुछ ही क्षणों में दुर्घटनास्थल का तापमान 1000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे न सिर्फ राहत कार्य बाधित हुआ, बल्कि आसपास मौजूद कुत्ते, पक्षी और छोटे जीव भी जलकर खाक हो गए। SDRF के एक अधिकारी ने बताया कि वे पिछले आठ सालों से आपदाओं से निपट रहे हैं, लेकिन ऐसा भीषण दृश्य पहले कभी नहीं देखा। PPE किट पहनकर भी उनके लिए काम करना मुश्किल हो गया था, क्योंकि हर तरफ सुलगता हुआ मलबा और जलती हुई लाशें थीं। अब सवाल यह उठ रहा है कि इतनी बड़ी त्रासदी हुई कैसे? शुरुआती जांच के अनुसार, तकनीकी गड़बड़ी का संकेत है, लेकिन क्या यह गड़बड़ी उड़ान से पहले पकड़ी जा सकती थी? क्या प्री-फ्लाइट जांच में कोई लापरवाही हुई? या फिर यह हादसा उस सिस्टम की चूक का नतीजा है जो हर बार चुपचाप मौत की ओर एक और विमान को रवाना कर देता है? अगर यह एयरलाइंस की गलती से हुआ है, तो यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक संस्थागत हत्या है। हादसे के बाद अब मुआवज़े की चर्चा शुरू हो गई है। मॉन्ट्रियल कन्वेंशन 1999 के तहत अगर विमान हादसा एयरलाइंस की गलती से होता है, तो प्रत्येक मृतक यात्री के परिजन को 128,821 SDR यानी लगभग 1.4 करोड़ रुपये का मुआवज़ा मिल सकता है। भारत में DGCA के नियमों के अनुसार, यह नियम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ानों पर लागू होता है। वहीं, टाटा ग्रुप—जो इस समय एयर इंडिया का संचालन कर रहा है—ने मृतकों के परिजनों को 1 करोड़ रुपये मुआवज़ा देने और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने का ऐलान किया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इन पैसों से कोई मां अपने बेटे को लौटा पाएगी? क्या एक पिता अपने बच्चे को फिर से गोद में उठा पाएगा? सबसे दुखद बात यह है कि अब तक केंद्र सरकार की ओर से कोई स्पष्ट ब्रीफिंग नहीं दी गई है। DGCA की तरफ से केवल इतना कहा गया है कि “जांच जारी है।” पर सवाल कई हैं: अगर 30 सेकेंड में ही विमान क्रैश हो गया, तो ATC यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल क्या कर रहा था? आखिरी बार इस विमान की टेक्निकल जांच कब हुई थी? क्या पायलट को आपातकालीन सिग्नल भेजने का मौका मिला? क्या यात्रियों की सुरक्षा सिर्फ टेक्निकल प्रोसेस और चेकलिस्ट तक सीमित है? यह हादसा अहमदाबाद का नहीं, पूरे सिस्टम पर एक सवाल है। यह उस भरोसे की चिता है जो आम आदमी हर उड़ान में बैठते समय करता है—कि वो सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच जाएगा। लेकिन जब मुनाफे की भूख, लापरवाही और जवाबदेही से भागता सिस्टम एक साथ मिल जाए, तो नतीजा मेघानी नगर जैसे हादसे बनते हैं।