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Breaking News 16 April 2025

1. क्या है नेशनल हेराल्ड मामला

 नेशनल हेराल्ड से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर की गई चार्जशीट ने देश की सियासत में भूचाल ला दिया है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रही है। संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से प्रेरित है। कांग्रेस ने बुधवार को देशभर में ईडी दफ्तरों के बाहर राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। पार्टी का आरोप है कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष को दबाने की साजिश कर रही है। गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड—a अखबार जिसकी जड़ें स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हैं—पर 2012 में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में केस दर्ज कराया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' कंपनी ने सिर्फ 50 लाख रुपये में वह अधिकार हासिल कर लिया, जिससे 90 करोड़ रुपये की वसूली संभव हुई—जो कि नियमों के विरुद्ध है। ED ने 2021 में मामले की औपचारिक जांच शुरू की थी और अब चार्जशीट में दावा किया गया है कि यह "एक संगठित आपराधिक साजिश" थी, जिसमें कई प्रमुख राजनीतिक चेहरे शामिल हैं। जांच एजेंसी ने दिल्ली, लखनऊ और मुंबई में लगभग 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कब्जे में लेने का नोटिस भी जारी किया है। इस बीच राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया है कि "भाजपा सत्ता में आने के बाद से ही ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई जैसी एजेंसियों का खुलकर राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है।" उन्होंने कहा, "यह ट्रस्ट एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसमें गांधी परिवार ने अपनी संपत्ति दान की थी। ऐसे में मनी लॉन्ड्रिंग की बात ही निराधार है।" ED पहले भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से घंटों पूछताछ कर चुकी है, लेकिन अब चार्जशीट और संपत्तियों की जब्ती के बाद यह मामला और अधिक राजनीतिक रंग लेता जा रहा है। कांग्रेस जहां इसे लोकतंत्र पर हमला बता रही है, वहीं केंद्र सरकार और ईडी अब तक मामले में अपने कदमों को कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बता रही हैं।

 

2.) : गोरखपुर में अब टैक्स से नहीं बचेगा कोई मोहल्ला 

गोरखपुर नगर निगम ने सीमा विस्तार के तहत जोड़े गए 10 नए वार्डों में संपत्ति कर वसूली की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। अब तक जिन मोहल्लों में टैक्स की परछाईं तक नहीं पड़ी थी, वहां भी अब ‘राजस्व संग्रह’ की दस्तक सुनाई देने लगी है। नगर निगम की मंशा है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 से ही इन नए इलाकों से आय शुरू हो जाए, ताकि शहर की खजांची सांसें और गहरी हो सकें। हरसेवकपुर और खोराबार वार्ड में भवनों का सर्वे और जियो टैगिंग लगभग पूरी हो चुकी है। यहां करीब 16 हजार संपत्तियों की पहचान की जा चुकी है। सबसे पहले कमर्शियल प्रॉपर्टी पर निगम की नजरें इनायत होंगी, क्योंकि यहां से टैक्स की मोटी रकम आने की उम्मीद है। नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने साफ किया कि इन व्यापारिक संपत्तियों के स्वामियों को जल्द ही नोटिस भेजे जाएंगे। बाकी बचे 8 नए वार्डों में सर्वे, भौतिक सत्यापन और डिजिटल मैपिंग का काम जोरों पर है। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, कर निर्धारण सार्वजनिक किया जाएगा। आपत्तियों के निपटारे के बाद अंतिम टैक्स तय होगा। यानी टैक्स देने से पहले आप अपनी ‘बात’ कह सकेंगे, लेकिन अंत में ‘बातें’ नहीं, ‘बकाया’ सुनी जाएगी। पुराने करदाताओं को लुभाने के लिए नगर निगम ने राहत की घोषणा भी की है। जो लोग 30 अप्रैल तक अपना बकाया टैक्स जमा करेंगे, उन्हें छूट का लाभ मिलेगा। डिजिटल या कैशलेस पेमेंट करने वालों को कुल टैक्स पर 15 प्रतिशत की छूट दी जाएगी, जबकि अन्य माध्यमों से भुगतान करने वालों को 10 प्रतिशत की राहत मिलेगी।

बिल नहीं मिला? ऑनलाइन डाउनलोड कीजिए

जिन्हें अब तक संपत्ति कर का बिल नहीं मिला है, वे नगर निगम कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं या निगम की वेबसाइट से ऑनलाइन बिल डाउनलोड कर सकते हैं। ऑनलाइन भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध है, ताकि आप घर बैठे टैक्स भरकर ‘जिम्मेदार नागरिक’ कहलाने का गौरव पा सकें। नगर निगम का साफ लक्ष्य है सभी नए वार्ड टैक्स सिस्टम में शामिल हों और शहर की आय में बड़ा इजाफा हो। जिससे सफाई, जल आपूर्ति, सड़क और अन्य सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर की जा सके। यानी अब टैक्स देने से न केवल सरकार खुश होगी, बल्कि आपकी गली की रोशनी और सड़क की मुस्कान भी लौट सकती है।

 

3.)  IPL में "बैट घोटाला" 

 

क्रिकेट के मैदान पर छक्के-चौकों की गूंज के पीछे अगर बल्ले की धुन ही संदिग्ध हो जाए, तो खेल का संतुलन बेमानी हो जाता है। IPL 2025 में कुछ ऐसा ही हुआ जब कोलकाता नाइट राइडर्स के दो बड़े नाम—सुनील नरेन और एनरिक नॉर्खिया—अवैध बल्लों के साथ पकड़े गए। इनके बल्ले न केवल मानकों से बड़े थे, बल्कि गेंदबाजों के साथ हो रहे एक संभावित "धोखे" की भी बानगी पेश करते हैं। अब सवाल उठता है—क्या इतने अनुभवी खिलाड़ी यह नहीं जानते कि बल्ले के साइज पर भी नियम होते हैं? क्या इनसे ये चूक अनजाने में हुई या फिर सोच-समझकर बैट को ज़्यादा वज़नदार बनाया गया? और अगर जानबूझकर ऐसा किया गया, तो BCCI ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या बड़े नामों को सज़ा से छूट मिलनी चाहिए?

कैसे होता है बैट घोटाला?

आइए इस 'बैट घोटाले' की परतें खोलते हैं। आमतौर पर, बल्लेबाज़ इंग्लिश विलो का इस्तेमाल करते हैं पावरफुल, हाई-क्वालिटी वुड। लेकिन जब बल्ले के निचले हिस्से (टो) में अतिरिक्त लकड़ी भर दी जाती है, तो वह एक ‘छक्कामशीन’ बन जाता है। खासतौर पर यॉर्कर बॉल्स पर, जहां आम बल्लेबाज़ कैच आउट हो जाते हैं, ये मोटा टो गेंद को बाउंड्री पार पहुंचा देता है। यानी नियम तोड़े बिना भी, नियम तोड़े जा सकते हैं। अब IPL में इन हथकंडों पर लगाम लगाने की कोशिश हो रही है। पहले जहां बल्लों की जांच ड्रेसिंग रूम तक सीमित थी, अब डगआउट और मैदान पर ही चेकिंग शुरू हो गई है। कोलकाता और पंजाब के मैच में इसी जांच में नरेन और नॉर्खिया पकड़ में आए और उन्हें बल्ला बदलना पड़ा।

लेकिन सवाल वही, क्या ये काफी है?

जब इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट में ऐसे खिलाड़ियों पर भारी जुर्माना और टीमों से अंक कटने जैसे एक्शन लिए गए, तो IPL जैसे बड़े टूर्नामेंट में सख्ती क्यों नहीं? अगर सिर्फ चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, तो क्या यह बाकी खिलाड़ियों को ऐसा करने की छूट नहीं देगा? अंत में... IPL सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, करोड़ों फैंस की भावनाओं का खेल है। अगर यहां नियमों की खुलेआम अनदेखी हो और कार्रवाई की बजाय चुप्पी साध ली जाए, तो यह खेल नहीं, साज़िश बन जाएगा।