देशभर में आज अलग-अलग जगहों पर होली के बाद के खास त्योहार मनाए जा रहे हैं, जिनका हर क्षेत्र में अलग नाम और परंपराएं हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वांचल क्षेत्र में आज "परूआ" का जश्न मनाया जा रहा है। इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाते हैं और उन्हें होली की बधाई देते हैं। घर-घर में गुजिया, पुआ, मालपुआ, खाजा, दही-बड़ा और ठंडाई बनाई जाती है। परूआ केवल खाने-पीने का त्यौहार नहीं है, बल्कि यह मेल-मिलाप और भाईचारे को मजबूत करने का दिन है। आज के दिन पुराने गिले-शिकवे भुलाकर रिश्तों में नई ताजगी भरी जाती है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में आज "रंग पंचमी" की धूम मची हुई है। इंदौर में आज देशभर में मशहूर "गेर यात्रा" निकाली जा रही है, जिसमें हजारों लोग रंगों में सराबोर होकर सड़कों पर नाचते-गाते दिख रहे हैं। महाराष्ट्र में "फाल्गुन दंगल" का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें कुश्ती और पारंपरिक खेलों का आयोजन हो रहा है। आज के दिन महाराष्ट्र में पूरनपोली, श्रीखंड और ठंडाई का आनंद लिया जा रहा है। राजस्थान में आज "धुलेंडी" का खास उत्सव मनाया जा रहा है। जयपुर, जोधपुर और उदयपुर में आज राजमहलों और हवेलियों में होली के बाद की विशेष रंगारंग प्रस्तुतियां हो रही हैं। ढोल-नगाड़ों की धुन पर पारंपरिक राजस्थानी लोकनृत्य और संगीत के कार्यक्रम हो रहे हैं। राजस्थान में आज के दिन दाल-बाटी चूरमा, मूंग दाल के पकौड़े और ठंडाई का स्वाद लिया जा रहा है। हरियाणा में आज "धुलंडी" का अलग ही रंग देखने को मिल रहा है। यहां भाभियां अपने देवरों को मजाक में पीटने का नाटक कर रही हैं, और देवर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह परंपरा केवल हंसी-मजाक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परिवार के बीच प्यार और अपनापन बढ़ाने का एक खास तरीका भी है। आज के दिन हरियाणवी व्यंजन मक्की की रोटी, सरसों का साग और घेवर का आनंद लिया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में आज "दोल उत्सव" का समापन हो रहा है। शांतिनिकेतन में आज रवींद्रनाथ टैगोर की परंपरा के अनुसार लोग सफेद वस्त्र धारण कर भक्ति संगीत के साथ रंगों से सराबोर हो रहे हैं। आज के दिन राधा-कृष्ण की झांकी निकाली जा रही है और पूरे बंगाल में भक्ति और प्रेम का अनूठा नजारा देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड में आज "बैताली होली" का खास आयोजन किया जा रहा है। इस त्योहार में होली के रंगों के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत और रागों की मिठास भी घुली हुई है। नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में आज चैती, खड़ी होली और बैठकी होली के पारंपरिक गीत गाए जा रहे हैं, जिनमें पहाड़ी संस्कृति की खूबसूरती झलकती है। पंजाब में आज "होला मोहल्ला" का भव्य आयोजन हो रहा है। आनंदपुर साहिब, पटियाला और अमृतसर में आज निहंग सिखों द्वारा घुड़सवारी, तलवारबाजी, कुश्ती और अन्य शौर्य प्रदर्शन किए जा रहे हैं। यह पर्व सिख वीरता और परंपराओं का प्रतीक माना जाता है। आज पंजाबियों की पारंपरिक ताकत और बहादुरी का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। यहां लोग आज मक्की दी रोटी, सरसों दा साग, लस्सी और पंजाबी कढ़ी का आनंद ले रहे हैं। गोवा में आज "शिमगो" उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह गोवा के पारंपरिक कार्निवल और फसल उत्सव का हिस्सा है। हर त्योहार का मकसद एक ही है रिश्तों में मिठास घोलना, परंपराओं को जीवंत रखना और जीवन में नए उत्साह और उमंग का संचार करना।
होली के ये रंग हमारी स्किन, बालों और हेल्थ के लिए उतने ही सुरक्षित हैं, जितने हमें लगते हैं? इस वीडियो में हम यही जानेंगे होली के रंगों का साइंस, उनके हेल्थ इफेक्ट्स और इनसे बचने के तरीके। " तो आइए, पहले ये समझते हैं कि होली के रंग असल में क्या होते हैं और उनका आपकी बॉडी पर क्या असर पड़ सकता है। प्राकृतिक बनाम केमिकल रंग : पुराने समय में लोग टेसू के फूल, हल्दी, चंदन, मेंहदी और गुलाब की पत्तियों से बने प्राकृतिक रंगों से होली खेलते थे। ये रंग न सिर्फ स्किन-फ्रेंडली थे, बल्कि इनमें एंटीऑक्सीडेंट और मेडिसिनल प्रॉपर्टीज भी होती थीं। आजकल के सिंथेटिक रंग: अब होली में मिलने वाले ज्यादातर रंग केमिकल फैक्ट्रियों में बनते हैं, जिनमें जहरीले तत्व होते हैं। गुलाल में लेड ऑक्साइड होता है, जो स्किन एलर्जी और सांस की दिक्कतें बढ़ा सकता है। हरा रंग आमतौर पर कॉपर सल्फेट से बनता है, जो आंखों की जलन और एलर्जी का कारण बन सकता है। नीला रंग प्रुशियन ब्लू से तैयार होता है, जो स्किन एलर्जी दे सकता है। चमकीले और सिल्वर रंग में एल्युमिनियम ब्रोमाइड होता है, जो न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर पैदा कर सकता है।
क्या आप जानते हैं? सस्ते रंगों में कई बार इंडस्ट्रियल डाई और हैवी मेटल्स होते हैं, जो बालों का झड़ना, स्किन बर्न और कैंसर तक का खतरा बढ़ा सकते हैं!रंगों के हेल्थ इफेक्ट्स : केमिकल रंग स्किन का नेचुरल ऑयल खींच लेते हैं, जिससे ड्रायनेस और खुजली बढ़ जाती है। कुछ रंगों में ऐसे केमिकल होते हैं, जो स्किन को जलन, दाने और सूजन दे सकते हैं। हेयर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, केमिकल बेस्ड रंगों में मौजूद अमोनिया और सल्फेट्स बालों की जड़ों को कमजोर कर देते हैं। हवा में उड़ने वाले रंगों में ऐसे तत्व हो सकते हैं, जो अस्थमा पेशेंट्स के लिए खतरनाक साबित होते हैं। होली के रंगों में मौजूद केमिकल्स अगर सांस के जरिए अंदर चले जाएं, तो गले में खराश, जलन और खांसी हो सकती है। होली के बाद स्किन और बालों को ठीक करने का फॉर्मूला : बेसन और दही का पैक होली के बाद स्किन से केमिकल हटाने और टैनिंग कम करने के लिए।एलोवेरा जेल और गुलाब जल – स्किन को शांत और हाइड्रेट करने के लिए। नारियल तेल से मसाज – ड्रायनेस हटाने और स्किन को पोषण देने के लिए। गुनगुने तेल से मसाज जिससे बालों में नमी बनी रहे। दही और अंडे का मास्क – बालों की रूखापन और डैमेज कम करने के लिए। सिंपल हर्बल शैम्पू का इस्तेमाल करें – जिससे केमिकल रिएक्शन न हो।