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Breaking News 15 January 2025

1.) ये पाकिस्तानी गैंग मासूम बच्चियों को बनता है अपना शिकार  

 

ब्रिटेन में लगातार ग्रूमिंग गैंग्स के बढ़ते मामले दुनियाभर में डिबेट का विषय बने हुए हैं। इंग्लैंड के विभिन्न हिस्सों में ग्रूमिंग गैंग्स का शिकार हो रहीं मासूम बच्चियों के मुद्दे को लेकर अब सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। ब्रिटेन में पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा संचालित "ग्रूमिंग गैंग्स" के मामले में ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर की एक टिप्पणी की जमकर आलोचना हो रही है। ब्रिटिश पीएम ने मासूम बच्चियों के साथ हो रहे यौन शोषण के मामलों के संदर्भ में 'एशियाई' शब्द का इस्तेमाल किया जिस पर आपत्ति जताई जा रही है। भारत की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर कहा कि ब्रिटेन में बढ़ रहे ग्रूमिंग गैंग्स के लिए पूरे 'एशिया' को दोषी ठहराना गलत है, बल्कि एक खतरनाक और नापाक देश पाकिस्तान को इसका जिम्मेदार माना जा सकता है, इस पर टेस्ला के मालिक और अरबपति बिजनेसमैन एलन मस्क ने भी उनका समर्थन किया। ब्रिटेन में पाकिस्तानी 'ग्रूमिंग गैंग्स' के बढ़ते मामले को बीजेपी भी मुद्दा बना रही है। बीजेपी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने ब्रिटैन में उठते 'ग्रूमिंग गैंग्स' की चर्चा के बीच भारत में चल रहे 'लव जिहाद' को याद दिलाया और कहा लव जिहाद की समस्‍या को अब तक सिरे से नकारने वाले अंध धार्मिक वामपंथी अभिजात्‍य वर्ग ब्रिटेन में पाकिस्‍तानी ग्रूमिंग गैंग्‍स की कड़वी सच्‍चाई को स्‍वीकार करने लगे हैं।

क्या हैं ग्रूमिंग गैंग्स और कैसे ऑपरेट करता है?

 

ग्रूमिंग गैंग्स का मतलब उन लोगों से है, जो छोटी बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं और उनका शारीरिक, मानसिक शोषण करते हैं। इस गैंग में ज्यादातर पाकिस्तानी मूल के नागरिक होते हैं, जो झुंड बनाकर निकलते थे और 11 से 16 साल की टीनऐज मासूम बच्चियों को अपना शिकार बनाते थे। इन भेड़ियों का शिकार बच्चियां अक्सर गरीब घरों से होती थीं, भोली और नासमझ। ग्रूमिंग गैंग्स के ये भेड़िये बच्चियों के दोस्त बनकर पहले उनका विश्वास जीतते हैं और फिर इस विश्वास का फायदा उठाकर उनका शारीरिक और मानसिक शोषण करते हैं। आरोप है कि इन ग्रूमिंग गैंग्स से जुड़े लोग बच्चियों को पार्टियों में ले जाकर उन्हें ड्रग्स दिया करते थे और उन्हें नशे का आदी बनाते थे, नशे की लत लगने पर बच्चियों का यौन शोषण किया जाता और उन्हें अन्य लोगों से भी संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता था। कई लड़कियों को देह व्यापार में धकेल दिया जाता था और इस दौरान कई लड़कियां मानव तस्करी की भी शिकार हुईं। यौन शोषण का शिकार हुईं कई लड़कियों ने बच्चों को जन्म भी दिया, जिनके पिता के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। ग्रूमिंग गैंग्स के ये भेड़िये नाबालिग लड़कियों को फंसाकर उनसे पैसों की उगाही भी करते थे, साथ ही कई लड़कियों के अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल भी किया करते थे। ब्रिटैन के रॉदरहैम शहर में तो इन भेड़ियों का गढ़ बन चुका था। वहां इन गैंग का ऐसा दबदबा था की एक पुलिसवाले ने पुलिस स्टेशन रिपोर्ट करवाने आए एक मजबूर बाप से कहा कि अगर ये बात फैल गई कि पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग बच्चियों का रेप कर रहे हैं, तो शहर में दंगे भड़क जाएंगे। मैनचेस्टर में तो पुलिसवालों को साफ-साफ आर्डर थे कि पाकिस्तानी नागरिकों को छोड़कर बाकी सब पर ध्यान दो। इससे ये तो स्पस्ट था की वहां के मेयर और देश की सरकार को बच्चियों की सुरक्षा से ज्यादा अपनी छवि की चिंता थी। 

ग्रूमिंग गैंग को लेकर क्या है विवाद?

विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी ने इंग्लैंड में मासूम बच्चियों के खिलाफ दशकों पुराने यौन अपराधों के लिए एक राष्ट्रीय जांच की मांग की है। इस पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का कहना है कि क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (CPS) से ऐसे मामलों की फिर से जांच करवाई जानी चाहिए। बता दें, उन्होंने हाल ही में अपने एक बयान में 'एशियाई ग्रूमिंग गैंग' शब्द का उपयोग किया था, जिसपर वहां के लोगों ने 'एशियाई' शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि इन यौन शोषण कृत्यों के पीछे सिर्फ एक देश यानी पाकिस्तानी मूल के लोग हैं तो फिर पीएम ने 'एशिया' शब्द का इस्तेमाल क्यों किया? इन विवादों के बीच टेस्ला के CEO एलन मस्क ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर पर यौन शोषण करने वाले गिरोहों के खतरे को रोकने में अफसल होने का आरोप लगाया और ब्रिटिश पीएम पर कई हमले किए। इस मामले में नए सिरे से जांच की मांग कई वर्षों से लोगों द्वारा की जा रही है, जिसका मकसद पाकिस्तानी मूल के पुरुषों द्वारा श्वेत ब्रिटिश लड़कियों के यौन शोषण पर केंद्रित है। बता दें, कीर स्टार्मर ने इन मांगों को खारिज करते हुए कहा था कि प्राथमिकता पिछले सात साल की जांच की सिफारिशों को लागू करने पर होनी चाहिए, जिसमें इस मुद्दे से निपटने के लिए लगभग दो दर्जन सुझाव दिए गए थे।

सरकार ग्रूमिंग गैंग पर क्या कर रही थी?

साल 2010 में वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस की एक रिपोर्ट आई, जिसमें साफ शब्दों में लिखा था कि ये ग्रूमिंग गैंग्स स्कूल के बाहर बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं। मगर उस समय इस रिपोर्ट को दबा दिया गया, लेकिन पांच साल बाद, जब RTI के द्वारा ये रिपोर्ट बाहर आई, तो सबके होश उड़ गए। सरकार ने तो ग्रूमिंग गैंग्स पर अपनी रिसर्च रिपोर्ट तक जारी नहीं की और जब मजबूरी में जारी करना पड़ा, तो उसमें इतनी लीपापोती की गई, जैसे सरकार जानबूझकर ये छिपाना चाहती थी कि इन सबमें धर्म का कोई लेना-देना नहीं है। जब मीडिया ने इस मुद्दे को उठाना चाहा, तो उसकी आवाज पर भी ताला लगा दिया गया। साल 2004 में एक मीडिया चैनल ने इस घिनौने खेल पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई, मगर पुलिस ने उसे रुकवा दिया, क्योंकि पुलिस को डर था कि इससे "धार्मिक तनाव" बढ़ जाएगा। मतलब साफ था बच्चियों की चीखें भले अनसुनी रह जाएं, पर तनाव नहीं होना चाहिए। रॉशडेल शहर में 15 साल की एक बच्ची विक्टोरिया अगोग्लिया, जिसकी 50 साल के मोहम्मद याकूब नाम के वहशी भेड़िये ने हेरोइन का इंजेक्शन लगाकर हत्या कर दी थी। बता दें, मरने से पहले विक्टोरिया ने पुलिस को बताया था कि उसके साथ यौन शोषण हो रहा है, उसका बलात्कार किया जा रहा है, मगर किसी ने उसकी नहीं सुनी। पूरे रॉशडेल में 12 साल तक की बच्चियों का गैंगरेप होता रहा और सरकार-पुलिस इसे अनदेखा करती रही। अकेले रॉदरहैम में साल 1997 से 2013 के बीच, कम से कम 1,400 बच्चियों का यौन शोषण हुआ। बता दें, ये तो सिर्फ वो मामले हैं जो सामने आए, न जाने कितनी बच्चियां तो चुपचाप ये ज़ुल्म सहती रहीं।

इंसाफ के नाम पर पुलिस-प्रशासन ने किया मजाक?

एक जांच में सामने आया कि ग्रूमिंग गैंग की शिकार बच्चियों का मामला पूरे ब्रिटेन में हजारों में है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब ये सब हो रहा था, तो पुलिस-प्रशासन, ये सब कहाँ थे, सो रहे थे? तो जवाब है नहीं, ये सब जानते थे, मगर इन्होंने जानबूझकर अपनी आंखें बंद कर रखी थीं। टेलफोर्ड में तो पुलिस वाले कुछ इलाकों में घुसने से भी डरते थे, क्योंकि वहां ज्यादातर पाकिस्तानी मूल के मुस्लिम लोग रहते थे। बाद में एक जांच में पता चला कि पुलिस शहर के कुछ हिस्सों को "नो-गो एरिया" मानती थी। पुलिस को डर था कि कहीं कोई उन्हें "इस्लामोफोबिक" न कह दे, इसलिए उन्होंने बच्चियों की सुरक्षा को दांव पर लगाकर अपनी कुर्सी बचाना जड़ा जरुरी समझा। बता दें, रॉदरहैम कांड में "ऑपरेशन स्टोववुड" के तहत साल 2024 में महज सात लोगों को सजा सुनाई गई, इनके नाम हैं- मोहम्मद अमर (42 साल), मोहम्मद सियाब (44 साल), यासिर अजैबी (39 साल), मोहम्मद जमीर सादिक (49 साल), आबिद सादिक (43 साल), ताहिर यासीन (38 साल) और रामिन बारी (37 साल), लेकिन इस करवाई को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं, जैसे- ये सजा बहुत देर से मिली और बहुत कम लोगों को मिली, ये घटनाएँ 2000 के दशक की हैं और सजा मिली है 2024 में, क्या ये इंसाफ है या मामले को दबाने के लिए की गई लीपापोती। ब्रिटैन में ये पूरा मुद्दा एकबार फिर गरमा है। एलन मस्‍क ने इस मामले में सीधे ब्रिटेन के मौजूदा प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है, जो साल 2008 से 2013 तक CPS यानी क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस के हेड थे। एलन मस्‍क ने तो टॉमी रॉबिन्‍सन को रिहा करने की भी मांग की है। टॉमी वही पत्रकार है जिसने "ग्रूमिंग गैंग्स" की सच्चाई दुनिया के सामने लाने की कोशिश की थी और आज जेल में है।

 

2.) गर्भपात करने को लेकर क्यों अहम है हाईकोर्ट का फैसला?

 

एक महिला याचिकाकर्ता ने कोर्ट में अपील कर 18 हफ्ते का गर्भ गिराने की अनुमति मांगी थी। बता दें, ये महिला दहेज प्रताड़ना की वजह से अपने पति से अलग रह रही है। महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि डाइवोर्स लिए बिना अपने पति से अलग रह रही महिला पति की सहमति के बिना भी अपना गर्भ समाप्त कर सकती है। महिला ने कोर्ट से अपने पति की सहमति के बिना अपना 18 हफ्ते का गर्भ समाप्त करने के मोहाली के फोर्टिस अस्पताल को निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि गर्भपात के लिए निर्धारित अवधि से अधिक का गर्भ नहीं होने के कारण उसकी गर्भावस्था चिकित्सकीय रूप से समाप्त की जा सकती है। कोर्ट के फैसले पर याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि महिला को कम दहेज लाने के कारण उसके ससुराल वालों द्वारा क्रूरता का सामना करना पड़ा और उसके पति ने भी उसके साथ दुर्व्यवहार किया। महिला के वकील के अनुसार उसके पति ने अपनी पत्नी के साथ के निजी क्षणों को गुप्त रूप से रिकॉर्ड करने के लिए दो बार अपने बेडरूम में एक पोर्टेबल कैमरा भी लगाया। कथित क्रूरता के कारण महिला अलग रहने लगी और अब उसका कहना है की उसे इस अनचाही गर्भावस्था को जारी रखने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होगा।

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को पाया घरेलू हिंसा का शिकार

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता घरेलू हिंसा के कारण अपने पति से अलग रह रही है, लेकिन कानूनी रूप से दोनों के बीच डाइवोर्स नहीं हुआ है। कोर्ट ने कहा, इन परिस्थितियों के बावजूद फिर भी महिला याचिकाकर्ता वैवाहिक जीवन में हुए परिवर्तन के आधार पर अपने पति की सहमति के बिना गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए पात्र है। हाईकोर्ट ने कहा कि अनचाहे गर्भधारण के लिए मजबूर की गई एक महिला को महत्वपूर्ण शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और भविष्य में बच्चे के जन्म के बाद भी ऐसी गर्भावस्था के परिणामों से निपटना याचिकाकर्ता पर अतिरिक्त बोझ डालता है। इससे उसके जीवन में अन्य अवसरों जैसे कि रोजगार और अपने परिवार की आय में योगदान करने की उसकी क्षमता प्रभावित होती है। उपरोक्त बातों को संज्ञान में लेते हुए न्यायालय ने याचिका को स्वीकार कर लिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि आदेश से तीन दिनों के भीतर संबंधित अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से संपर्क करे। यद्यपि याचिकाकर्ता विधवा या तलाकशुदा के दायरे में नहीं आती है, तथापि, चूंकि उसने कानूनी रूप से तलाक लिए बिना अपने पति से अलग रहने का निर्णय लिया है, इसलिए वह गर्भ समाप्त करने के लिए पात्र है।

 

3.) दिल्ली चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल जायेंगे जेल?

 

दिल्ली में हुए शराब घोटाले मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आम आदमी पार्टी के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। बता दें, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है। इससे पहले बीते साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जनता के प्रतिनिधि के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्राधिकरण से मंजूरी लेनी होगी। शराब घोटाले से जुड़े मामले में ED ने केजरीवाल को मास्टरमाइंड और किंगपिन बताया था। सूत्रों के हवाले से आ रही जानकारी के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ED को शराब घोटाला मामले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग में कथित संलिप्तता के लिए दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मुकदमा चलाने के लिए अधिकृत मंजूरी दे दिया है। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को मंजूरी दे दी है। बता दें, केंद्रीय एजेंसी ने केजरीवाल को पिछले साल मार्च में गिरफ्तार करने के बाद विशेष PMLA अदालत के समक्ष उनके खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया था।

चुनाव से ठीक पहले जारी आदेश के क्या है मायने?

एक्साइज पॉलिसी दिल्ली सरकार की आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और उसके क्रियान्वयन में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस नीति को पहले ही रद्द किया जा चुका है। दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने दिल्ली सरकार के एक्साइज पॉलिसी में कथित अनियमितताओं की जाँच केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) से कराने की सिफारिश की थी और इसके बाद ED ने भी अनियमितताओं को लेकर PMLA के तहत मामला दर्ज किया। CBI द्वारा 17 अगस्त, 2022 को दर्ज प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए ED ने अनियमितताओं की जांच के लिए 22 अगस्त, 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। ED ने कहा था कि केजरीवाल अपराध के समय आम आदमी पार्टी के प्रभारी होने के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे, इसलिए उन्हें और उनकी पार्टी को धन शोधन रोकथाम कानून (PMLA) के तहत अपराधों का दोषी माना जाएगा और उन पर मुकदमा चलाते हुए उन्हें दंडित भी किया जाएगा। अब जब 5 फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, तब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए अधिकृत मंजूरी दे दिया है। केजरीवाल को उस समय सरकार का मुखिया होने के साथ पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी आरोपी बनाया गया है। आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सरकार के मंत्री, पार्टी के नेताओं और अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करते हुए इस काम को अंजाम दिया। ED पूर्व मुख्यमंत्री को दिल्ली शराब घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बता चूका है।

 

4.) कैलिफोर्निया में तबाही की कहानी

 

कहते हैं, आग कभी मौसम नहीं देखती, और जब यह लगती है, तो सब कुछ जलाकर राख कर देती है। दक्षिण कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस की पहाड़ियों में फैली आग ने इस कहावत को एक बार फिर सच कर दिखाया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार यह तबाही गर्मियों में नहीं, बल्कि सर्दियों के बीच हुई है।गर्मियों में जंगलों में आग लगना कैलिफोर्निया के लिए आम बात है, लेकिन सर्दियों की सूखी हवाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण हालात अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुके हैं। आइए समझते हैं इस तबाही की पूरी कहानी, इसके पीछे छुपे कारण, और इसका असर। 

तबाही का मंजर

इस आग में अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 16 से ज्यादा लोग लापता हैं। 1,00,000 से अधिक लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है। पैसिफिक पैलिसेड्स इलाके में आग सबसे ज्यादा फैली, जहां 23,654 एकड़ जमीन जलकर राख हो गई। यहां करीब 5,300 इमारतें खाक हो चुकी हैं। दूसरी ओर, ईटन आग ने 14,000 एकड़ जमीन को तबाह कर दिया और 7,000 इमारतों को नष्ट कर दिया। तीसरी बड़ी आग हर्स्ट इलाके में फैली, जहां 799 एकड़ का इलाका प्रभावित हुआ। इसके अलावा, केनेथ, आर्चर और सनसेट जैसी छोटी आगों पर काबू पाया जा चुका है, लेकिन इन सबका कुल नुकसान अब तक के इतिहास में सबसे अधिक है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस आग से लगभग 150 अरब डॉलर (करीब 13 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है, जो अमेरिकी इतिहास में आर्थिक दृष्टि से सबसे महंगी आग हो सकती है।

सर्दियों में आग कैसे लगी?

इस साल लॉस एंजेलिस की सर्दियां असामान्य रूप से सूखी रहीं। बारिश की कमी ने जंगलों और झाड़ियों को इतना सूखा बना दिया कि वे ज्वलनशील हो गए। नासा के मुताबिक, यह 1944 के बाद की सबसे सूखी सर्दी है। 2024-25 की सर्दियों में बारिश न होने के कारण पौधों की नमी खत्म हो गई और वे आग पकड़ने के लिए तैयार हो गए। इसके अलावा सैंटा एना हवाएं आग फैलाने में एक बड़ी भूमिका निभा रही हैं। ये हवाएं ग्रेट बेसिन से निकलती हैं और पहाड़ों से होकर गुजरती हैं, जिससे इनकी नमी खत्म हो जाती है। जब ये हवाएं दक्षिणी कैलिफोर्निया पहुंचती हैं, तो यह गर्म और शुष्क हो जाती हैं। इस स्थिति में ये हवा जंगलों में आग फैलाने के लिए आदर्श माहौल तैयार करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन ने आग की घटनाओं को और गंभीर बना दिया है। पिछले कुछ वर्षों में कैलिफोर्निया में आग का मौसम लंबा खिंचता जा रहा है। जहां पहले यह जुलाई और अगस्त तक सीमित रहता था, वहीं अब यह अक्टूबर से जनवरी तक खिंच रहा है। बढ़ता तापमान और लगातार बदलता मौसम आग को और भी खतरनाक बना रहा है। इस आग में हॉलीवुड के कई सेलिब्रिटीज जैसे मेल गिब्सन, लेटन मीस्टर और पेरिस हिल्टन के घर भी तबाह हो गए हैं। लॉस एंजेलिस की यह घटना बताती है कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ भविष्य की चिंता नहीं है, बल्कि वर्तमान की सच्चाई है। "आग केवल लकड़ी और झाड़ियों में नहीं लगती, यह उन नीतियों में भी लगती है जो इसे रोकने में नाकाम होती हैं।"

 

5.)  हल्दीराम का बड़ा फैसला ?  

 

भारत के सबसे बड़े स्नैक्स दिग्गज हल्दीराम और वैश्विक फूड कंपनी पेप्सिको के बीच एक ऐसी Partnership की खबरें आ रही हैं, जिसने भारतीय फूड मार्केट को सस्पेंस में डाल दिया है। पेप्सिको, जो पहले से ही भारतीय बाजार में अपने Lay’s और Kurkure जैसे बड़े ब्रांड्स के जरिए मजबूती से मौजूद है, अब हल्दीराम के साथ मिलकर एथनिक स्नैक्स के सेगमेंट में अपना प्रभाव और भी बढ़ाने की योजना बना रही है। लेकिन यह सौदा इतना आसान भी नहीं है। हलाकि सवाल यह उठता है कि पेप्सिको को हल्दीराम से क्या मिल सकता है? हल्दीराम, जिसका मूल्यांकन 85,000-90,000 करोड़ रुपये के बीच है, भारत की सबसे बड़ी और महंगी फूड कंपनियों में से एक है। हल्दीराम के पास एक ऐसा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है, जो न केवल शहरी बाजारों तक बल्कि ग्रामीण इलाकों तक भी आसानी से पहुंच सकता है। लेकिन इस डील के पीछे क्या राज़ छिपा है? पेप्सिको के अलावा, सिंगापुर की कंपनी टेमासेक और अल्फा वेव ग्लोबल जैसे बड़े निवेशकों ने भी हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने के लिए अपनी रुचि दिखाई है। तीन बाइंडिंग ऑफर्स में से हल्दीराम की 10-15% हिस्सेदारी के लिए पेप्सिको की बातचीत सबसे दिलचस्प हो सकती है। क्या यह साझेदारी सच में तय हो पाएगी, या यह सिर्फ एक ‘कभी कभी’ की कहानी बन कर रह जाएगी? फिलहाल यह बातचीत बेहद शुरुआती दौर में है। हालांकि पेप्सिको के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय से हल्दीराम के अग्रवाल परिवार के साथ माइनोरिटी स्टेक खरीदने की बात चल रही है। भारतीय स्नैक्स बाजार में क्या होने वाला है, इसे लेकर कुछ बड़े बदलाव हो सकते हैं। खासकर तब, जब बीकानेरवाला, बालाजी, बीकाजी फूड्स और गोपाल स्नैक्स जैसे स्थानीय ब्रांड्स पेप्सिको के खिलाफ तेजी से मजबूत हो रहे हैं। यह कहानी अब तक एक रहस्य बनी हुई है, लेकिन जिस तरह से डील के लिए पेप्सिको और अन्य निवेशक जोश में हैं, उससे लगता है कि भारतीय फूड मार्केट में जल्द ही एक नई क्रांति आ सकती है। तो क्या होगा इस साझेदारी का अंत? वक्त ही बताएगा।

पेप्सिको और हल्दीराम का इतिहास 

पेप्सिको एक मल्टीनेशनल कंपनी है, जो अमेरिका से आई है, जबकि हल्दीराम एक भारतीय कंपनी है, जो भारतीय स्वादों को प्रमोट करती है और पूरी दुनिया में अपने उत्पादों को पहुंचाती है। पेप्सिको ने बड़े पैमाने पर विज्ञापन और मार्केटिंग रणनीतियों का उपयोग किया है, जबकि हल्दीराम की सफलता में अधिकतर गुणवत्ता और पारंपरिक भारतीय स्वाद की प्रमुख भूमिका है। हल्दीराम की शुरुआत 1937 में हल्दीराम अग्रवाल ने राजस्थान के बीकानेर में की थी। वहीँ पेप्सिको की शुरुआत 1898 में कैलब ब्रैडहम द्वारा अमेरिका में की गई थी। पहले इसे "Brad's Drink" कहा जाता था, जिसे बाद में पेप्सी-कोला नाम से जाना गया। 1965 में पेप्सिको की स्थापना हुई थी। पेप्सिको ने विश्वभर में अपनी उपस्थिति दर्ज की और भारत में 1989 में अपनी शुरुआत की।

 

6.) कौन है मायावती के दाईं ओर खड़ा लड़का जिसे लेकर हो रही है चर्चा?  

 

बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आज अपना 69वां जन्मदिन मनाया। मायावती के जन्मदिन पर एक खास चेहरा भी नजर आया, वह कोई और नहीं बल्कि उनके दूसरे भतीजे ईशान थे। अपने जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने पहली बार अपने परिवार के एक अन्य सदस्य को भी लॉन्च किया। दरअसल, मायावती अपने जन्मदिन के मौके पर अपने छोटे भतीजे ईशान आनंद के साथ पार्टी मुख्यालय पहुंची, इस दौरान उनके साथ उनके बड़े भतीजे आकाश आनंद भी मंच पर मौजूद रहे। मायावती ने इस मौके पर बसपा में अपने संघर्षों के दिनों पर आधारित ब्लू बुक को जारी किया और चिरपरिचित अंदाज में बीजेपी, सपा और कांग्रेस को दलितों से जुड़े मुद्दों पर घेरा। उनके जन्मदिन के इस अवसर पर आकर्षण का केंद्र रहे मायावती के दोनों भतीजे। आकाश पहले से ही पिछले कुछ सालों से बसपा में सक्रिय थे, पर उनके दूसरे भतीजे ईशान पहली बार सार्वजनिक तौर पर बसपा के मंच पर दिखाई दिए। अपने जन्मदिन के अवसर पर उन्होंने कार्यकर्ताओं का जन्मदिवस मनाने पर आभार भी जताया। जन्मदिन के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल 'X' के माध्यम से मायावती को जन्मदिन की बधाई। सीएम योगी ने लिखा, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई। प्रभु श्रीराम से आपके लिए दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की कामना है। वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हुए लिखा, सुश्री मायावती जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनायें।

मायावती ने शुरू किया मिशन-2027 अभियान

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती का जन्मदिन आज धूमधाम से मनाया गया और इसी के साथ उत्तर प्रदेश में बसपा ने अपने मिशन-2027 शुरुवात कर दी है। शुरुआती चरण में पार्टी के पुराने चेहरों की तलाश और उनकी वापसी के साथ उन्हें सक्रिय राजनीती में एक बार फिर ऐक्टिव करने की कवायद की जाएगी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के द्वारा बताया जा रहा है कि बसपा अगले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से जुट गई है और मार्च का महीना आते-आते अभियान और तेज किया जायेगा। बता दें, मायावती अपने जन्मदिन के मौके पर अपने दोनों भतीजे आकाश और ईशान आनंद के साथ पहुंची और अब माना जा रहा है कि मायावती आकाश के साथ ईशान को भी सक्रिय राजनीति में लाने की तैयारी कर रही हैं, ताकि पार्टी की कमान युवा नेतृत्व के हाथों में दी जा सके और 2027 के चुनाव के पहले पार्टी यूपी में फिर से नई जान पूकी जा सके। बसपा अध्यक्ष मायावती ने ईशान को अपने पास बुला कर मीडिया के सामने फोटो सेशन भी करवाया। बता दें कि अबतक पार्टी में उनके बड़े भतीजे आकाश आनंद को ही सबसे ताकतवर नेता माना जाता था और अब यह पहली बार है कि आकाश के छोटे भाई ईशान सार्वजनिक मंच पर सामने आए हैं। ईशान हाल में ही लंदन से कानून की पढ़ाई कर लौटे हैं। एक समय मायावती ने कहा था कि वो राजनीति में अपने परिवार से किसी को लेकर नहीं आएंगी और उनके बाद कोई दलित ही उनका उत्तराधिकारी बनेगा पर पार्टी में लगातार परिवार के लोगों की एंट्री  ही कहानी बयान कर रही है।