आख़िर ऐसा क्या हुआ कि एक देश का राष्ट्रपति आधी रात को देश छोड़कर चला गया? जनता सड़कों पर है, सेना ने बगावत कर दी है, और सत्ता की कुर्सी अब खाली पड़ी है। मेडागास्कर की इस खबर में है डर, धोखा, और लोकतंत्र पर सबसे बड़ा सवाल क्या जनता की ताकत ने राष्ट्रपति को हरा दिया?मेडागास्कर एक अफ्रीकी देश, जो आम तौर पर अपनी जैव विविधता और सुंदर द्वीपों के लिए जाना जाता है हालांकि विवाद शुरू हुआ सितंबर के आख़िरी हफ्ते से, जब राजधानी में बिजली और पानी की लगातार कटौती ने लोगों को सड़कों पर ला दिया। सोशल मीडिया पर “Gen Z Madagascar” नाम का एक युवा समूह आंदोलन का चेहरा बन गया। उनकी माँग साफ थी “राष्ट्रपति राजोएलिना, अब बस करो!” लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा, प्रदर्शन बढ़ते गए, और प्रशासन टूटता गया। 29 सितंबर को प्रधानमंत्री की सरकार भंग कर दी गई लेकिन इससे हालात सुधरे नहीं, बल्कि और बिगड़ गए। 12 अक्टूबर को तो माहौल पूरी तरह पलट गया, जब सेना की एक खास यूनिट CAPSAT ने बगावत का ऐलान कर दिया। सैनिकों ने राष्ट्रपति के आदेशों को मानने से इंकार कर दिया और राजधानी की सुरक्षा पर नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। यही वो पल था, जब सत्ताधारी महल की दीवारें हिल गईं।
अगली खबर आई राष्ट्रपति गायब हैं। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि उन्हें फ्रांसीसी सेना के विमान से बाहर भेजा गया। कुछ का कहना है कि वे देश के अंदर ही “सुरक्षित स्थान” पर हैं। राजोएलिना ने खुद बयान जारी किया “मैंने देश नहीं छोड़ा, लेकिन मेरी जान को खतरा था।” पर सवाल यह है कि अगर सब ठीक है, तो राष्ट्रपति जनता के बीच क्यों नहीं दिख रहे? वहीं, दूसरी तरफ जनरल डेमोस्तेन पिकुलास को CAPSAT ने अपना नया सैन्य प्रमुख घोषित कर दिया। संसद के अध्यक्ष रिचर्ड रवलोमनाना को हटा दिया गया, और राजधानी में यह संदेश फैल गया कि अब असली सत्ता सेना के पास है। देश में फिलहाल जनता, सेना और सत्ता तीनों के बीच एक खुला संघर्ष चल रहा है। सड़कों पर नारे हैं, सोशल मीडिया पर वीडियो हैं, और सरकारी इमारतों के बाहर बंदूकें तनी हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हैं। फ्रांस ने राजोएलिना को सुरक्षित निकासी देने में भूमिका निभाई या नहीं इस पर अभी बहस जारी है, लेकिन जो तस्वीर सामने आ रही है, वो यही बताती है कि मेडागास्कर की सत्ता अब लोकतंत्र के हाथ में नहीं, बल्कि वर्दी के हवाले है। राजोएलिना कह रहे हैं कि ये “अवैध सत्ता कब्ज़ा” है, लेकिन जनता का कहना है “अब बहुत हुआ, माफ़ नहीं करेंगे।” एक तरफ राष्ट्रपति अपने ‘सुरक्षित ठिकाने’ से वीडियो संदेश जारी कर रहे हैं, दूसरी तरफ राजधानी के चौकों पर युवाओं की भीड़ यह नारा लगा रही है “हमने जिसे चुना था, वही हमें छोड़कर भाग गया!” अफवाहें उड़ रही हैं कि कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियाँ भी इस बगावत के पीछे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा। जो साफ़ है, वो यह कि मेडागास्कर आज एक राजनीतिक ज्वालामुखी के मुहाने पर खड़ा है जहाँ से या तो लोकतंत्र फूटेगा, या फिर तानाशाही की राख बचेगी। और इस पूरे हंगामे के बीच, सबसे बड़ा सवाल यही है “क्या एंड्री राजोएलिना दोबारा लौटेंगे, या मेडागास्कर अब नया राष्ट्रपति देखेगा?” ऐसे ही लेटेस्ट खबरों को देखने के लिए सब्सक्राइब करें ग्रेट पोस्ट न्यूज़।