बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना आज जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई महत्वपूर्ण सीटों पर तस्वीर लगभग साफ़ होती जा रही है। दरभंगा जिले की चर्चित Alinagar सीट पर पहली बार मैदान में उतरीं मैथिली ठाकुर लगातार बढ़ती हुई लीड के साथ आगे हैं शुरुआती राउंड से ही उन्होंने रफ्तार पकड़ी और हजारों वोटों का अंतर बनाकर यह संदेश दे दिया कि इस सीट पर मुकाबला नाम भर का था। सीमांचल की रणनीतिक रूप से अहम Kishanganj सीट पर भी स्वीटी सिंह मजबूत लय में दिखाई दे रही हैं। मतगणना के बीचोंबीच ही उनका वोट अंतर 19 हजार के करीब पहुँच गया, जो बता रहा है कि इस इलाक़े में माहौल एकतरफ़ा झुका है और मतदाता बदलते समीकरणों में स्थिरता खोज रहे हैं। इन दोनों सीटों का पैटर्न यह संकेत देता है कि राज्यभर में जारी लहर सिर्फ रुझान नहीं, बल्कि एक स्पष्ट सत्ता-पक्ष की ओर झुकाव का नतीजा है। पूरे राज्य की 243 सीटों में से बहुमत की 122 सीटों को पार करने की होड़ में एक गठबंधन ने शुरुआती दौर से ही बढ़त पकड़ ली, और दोपहर होते-होते यह बढ़त एक बड़े अंतर में बदलने लगी। रुझानों और मतगणना की मौजूदा स्थिति में सत्ता पक्ष का गठबंधन निर्णायक बढ़त बनाए हुए है। सीटों का आंकड़ा लगातार 170 से 190 के बीच घूमता दिख रहा है जो न केवल बहुमत से ऊपर है, बल्कि एक आरामदायक, स्थिर सरकार बनाने लायक संख्या है। रिपोर्ट्स और रुझानों के पैटर्न बताते हैं कि इस बार महिला वोट बैंक ने चुनाव का पासा पलटने में बड़ी भूमिका निभाई है।
जिन योजनाओं का लाभ सीधे इनके घरों तक पहुँचा, वे अब वोटों में बदलकर सत्ता पक्ष को साफ़ बढ़त दे रही हैं।
दूसरी तरफ़ विपक्ष, जिसका दावा था कि इस बार बदलाव की बयार चलेगी, मतों के बोझ तले दबता दिखाई दे रहा है। कई सीटों पर उनके बड़े चेहरे ट्रेलिंग में हैं और जिन इलाकों को मजबूत माना जाता था, वहां भी तस्वीर उम्मीद के मुताबिक नहीं है।
इधर सारण की चर्चित Chapra सीट, जो हर बार चुनावी ड्रामा और रणनीति का केंद्र रही है, इस बार भी चर्चाओं में है, लेकिन रुझानों ने यहाँ भी धीरे-धीरे स्थिर दिशा पकड़ ली है। शुरुआती राउंड्स में जहां टक्कर बराबर की दिख रही थी, वहीं दोपहर तक आते-आते बढ़त एक उम्मीदवार के पक्ष में टिकने लगी, जिससे यह साफ हुआ कि जब पूरे राज्य की हवा एक ही दिशा में बह रही हो, तो पारंपरिक रूप से कड़े मुकाबले वाली सीटें भी बहाव का हिस्सा बन जाती हैं। अंतिम परिणाम अभी आने बाकी हैं, लेकिन रुझानों की दिशा इतनी मजबूत है कि तस्वीर में बदलाव की गुंजाइश बेहद कम दिखती है। मतदान जिस तरफ़ झुका है, भाजपा और उसके सहयोगी दल उस बहाव के केंद्र में खड़े दिख रहे हैं।