Bitcoin से बनिए करोड़पति, बिटकॉइन ने सबको चौंकाया
बिटकॉइन आल टाइम हाई पर
बिटकॉइन की बात सुनते ही दिलों में सनसनी मच जाती है! और हो भी क्यों न? इसकी कीमत करीब $89,683 (मतलब यहाँ के हिसाब से 75 लाख रुपये से ऊपर) हो गयी है | अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद बिटकॉइन की कीमत में 27% की उछाल आयी है | बिटकॉइन अपने आल टाइम हाई पर है इसने आज फिर साबित कर दिया कि ये डिजिटल गोल्ड है और दुनिया के निवेशकों का दिल और दिमाग इस पर फिदा है। अब देखिए, पहले बिटकॉइन को लोग बस शौक से देखते थे, लेकिन अब यह एक असली खेल बन चुका है। बड़े-बड़े निवेशक, जैसे Wisconsin Investment Board, बिटकॉइन में करोड़ों रुपये डाल रहे हैं। कुछ समय पहले तक जिन बैंकों और सरकारों ने इसे नकारा था, वही अब इसे अपनाने पर विचार कर रहे हैं।बिटकॉइन और क्रिप्टो दुनिया का नया फ्यूचर हो सकते हैं। इसकी असली ताकत को समझना होगा! यह उछाल मुख्य रूप से बिटकॉइन ETF में Rising Investment Sentiment और इंस्टीटूशनल इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी से हुआ है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिटकॉइन की मांग में बढ़ोतरी ने इसे इस लेवल तक पहुँचाया है।
शुरुआत यानि 2010 से लेकर 2012 तक इसका भाव कुछ डॉलर ही था,पहली बार लोगो का ध्यान तब गया जब बिटकॉइन ने 2013 में 1000 डॉलर का आंकड़ा पार किया, फिर 2017 आते आते इसकी कीमत 2000 डॉलर हो गयी लोगो को ये थोड़ा हैरान करने लगा, उसके बाद 2019 में बिटकॉइन 3000 डॉलर से 4000 तक मूव करने लगा, असली खेल तब शुरू हुआ जब Covid की महामारी आयी बिटकॉइन ने रफ़्तार पकड़ी और 30000 डॉलर तक इसका रेट पहुंच गया, फिर 2021 में इसने 60000 डॉलर का आंकड़ा छुआ | आंकड़ों की माने तो क्रिप्टोकरेंसी के एक्सपर्ट्स ने कहा है की 2025 में बिटकॉइन 1 लाख डॉलर तक पहुंच जायेगा, कुछ तो मानते है की 2025 के खत्म होने तक ये 2 लाख डॉलर तक पहुंच जायेगा | सोचने वाली बात ये है कि बिटकॉइन और क्रिप्टो सिर्फ एक सट्टा नहीं रह गए। ये उस फ्यूचर का हिस्सा बन रहे हैं, जहाँ मुद्रा और बैंक के बीच की सीमाएँ धुंधली हो जाएंगी। और अगर आज बिटकॉइन की माँग इतनी है कि कीमत आसमान छू रही है, तो सोचिए जब दुनिया इसे मुद्रा के रूप में अपना लेगी, तब क्या होगा! क्रिप्टो की सबसे बड़ी खूबी है कि ये किसी एक देश की सरकार पर निर्भर नहीं। इसका मतलब है कि आप इसे दुनिया के किसी भी कोने में भेज सकते हैं, बिना किसी बैंक या बिचौलिए की दखल के। दिल्ली की गलियों से लेकर न्यूयॉर्क की सड़कों तक, हर जगह ये एक नई किस्म का आर्थिक आजादी ला सकता है।
बाल दिवस, युवाओं का दिन नेहरू जी की याद में
चाचा नेहरू, देश के पहले प्रधानमंत्री
आज पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन है, वो हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री थे, जिनकी वजह से भारत को एक नई दिशा मिली। उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था,वो हमेशा बच्चों से बेहद प्यार करते थे और बच्चे उन्हें हमेशा चाचा कह के पुकारते थे,उनका मानना था कि बच्चों का विकास ही देश का विकास है। इसी वजह से बाल दिवस 14 नवंबर को ही मनाया जाता है | सबसे बड़ी बात ये थी कि उन्होंने भारत में औद्योगिकीकरण यानी उद्योग और विज्ञान में बहुत तेजी से सुधार करने की कोशिश की। यही कारण था कि उन्होंने IITs, AIIMS जैसी बड़ी संस्थाएं बनाई, जो आज भी दुनिया भर में मशहूर हैं। वैसे तो नेहरू जी का राजनीतिक करियर काफी लंबा था, लेकिन उनका योगदान सिर्फ राजनीति तक ही सीमित नहीं था। जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया, तो नेहरू जी ने बिना देर किए भारतीय सेना भेजी और कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाने के लिए संघर्ष किया। नेहरू जी के फैसले हमेशा सबको नहीं पचते थे, लेकिन उनका मकसद कभी गलत नहीं था। वो हमेशा चाहते थे कि भारत आत्मनिर्भर बने और दुनिया में अपनी पहचान बनाए।
अब एक और अहम मुद्दा है, जो आज के बाल दिवस पर हमें जरूर उठाना चाहिए। दिल्ली जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे गाँवों तक में आज भी कई जगह बच्चों पर जुल्म हो रहे हैं। बच्चों का शोषण, उनकी मेहनत का गलत तरीके से फायदा उठाना, उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न, ये सारी चीजें आज भी हमारे समाज में हो रही हैं। क्या ये सही है? क्या हम सच में बच्चों को वो माहौल दे रहे हैं, जिसके वो हकदार हैं? यहां तक कि कई बच्चों को शिक्षा तक नहीं मिल पाती, और उन्हें छोटी-छोटी उम्र से काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। उनके बचपन को लूट लिया जाता है, और इसका असर उनके मानसिक विकास पर पड़ता है। क्या हम ऐसा भविष्य चाहेंगे? क्या हम इस दिशा में कुछ नहीं कर सकते?बाल दिवस का मतलब केवल बच्चों के लिए अच्छा सोचने का नहीं है, बल्कि उनका सही तरीके से पालन-पोषण और देखभाल करने का भी है। हमें ये सोचने की जरूरत है कि क्या हम बच्चों के लिए वो सब कर रहे हैं, जो उनका हक है? क्या हम उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य पर उतना ध्यान दे रहे हैं, जितना देना चाहिए? बच्चों को उनके हक दिलाने के लिए हमें सरकार, समाज और परिवार, तीनों को एकजुट होकर काम करना होगा।
1950-60 के दशक में जब पूरी दुनिया में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी में विकास हो रहा था, तब नेहरू जी ने यह महसूस किया कि भारत को भी इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनानी चाहिए। नेहरू जी के समय में भारत ने स्पेस रिसर्च और तकनीकी क्षेत्र में पहला कदम रखा। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना के लिए समर्थन दिया, हालांकि ISRO की स्थापना 1969 में डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में हुई। लेकिन इसका आधार और पहला कदम नेहरू जी के समय में पड़ा था। उनके समय में थुम्बा लॉन्चिंग स्टेशन (जो आज के केरल में स्थित है) की स्थापना की गई थी, जहां से भारत ने अपनी पहली सैटेलाइट रॉकेट लॉन्च किया था। यह कदम भारत के अंतरिक्ष मिशनों की शुरुआत था। नेहरू जी ने सबसे पहली बार 1921 में जेल की सजा काटी थी। इसके बाद, उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया। खासतौर पर 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया। जेल में रहते हुए उन्होंने "Discovery of India" नाम की किताब लिखी, जो उनके सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण लेखन में से एक मानी जाती है। यह किताब 1942 से 1946 के बीच उन्होंने आर्थर रोड जेल (मुंबई) में लिखी थी। इस किताब में नेहरू जी ने भारत की प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम को बहुत ही गहरे और व्यापक तरीके से समझाया है।
14 नवंबर, बाल दिवस का दिन हमें ये याद दिलाता है कि बच्चों का भविष्य सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज और देश के लिए बेहद अहम है। हमें पंडित नेहरू जी की तरह बच्चों को प्यार और देखभाल देने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी को एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य मिल सके। और हां, बच्चों के खिलाफ होने वाले किसी भी जुल्म को नजरअंदाज न करें, क्योंकि उनका हक और उनका बचपन बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
कंगना के खिलाफ आगरा की न्यायलय में केस दर्ज
साल 2024 में हिमाचल प्रदेश के मंडी से बीजेपी की टिकट पर जीत दर्ज करने वाली फिल्म अभिनेत्री से सांसद बनी कंगना रनौत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बता दें, उत्तरा प्रदेश के आगरा न्यायालय में कंगना रनौत के खिलाफ दर्ज एक केस में मामला कोर्ट के सामने विचाराधीन है। इस मामले में मंगलवार, 12 नवंबर को कोर्ट में सुनवाई और बहस भी हुई। आगरा न्यायालय में अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने कंगना रनौत के बयानों को लेकर केस दाखिल किया है, जो फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है। अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने बताया कि सांसद कंगना रनौत के जरिये देश के किसानों के प्रति की गई अमर्यादित टिप्पणी के विरुद्ध स्पेशल MP-MLA स्पेशल कोर्ट में विचाराधीन मामले में आज सुनवाई और बहस हुई। अधिवक्ता रमाशंकर ने बताया की उनके खिलाफ राष्ट्र द्रोह एवं किसानों के अपमान के मामले में कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया जा चूका है। किसान आंदोलन और महात्मा गांधी को लेकर दिए गए बयान के मामले में आगरा के स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट की तरफ से कंगना रनौत को नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है, जिसमें कोर्ट ने नोटिस के माध्यम से कंगना रनौत से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि कंगना रनौत अपना पक्ष कोर्ट में आकर रखें और इसके लिए न्यायाधीश ने उन्हें नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले को लेकर एडवोकेट रमाशंकर शर्मा ने कहा, मैंने 27 अगस्त को उनका एक बयान पढ़ा, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन से लेकर बांग्लादेश के हालात पर अपनी बात कही, उन्होंने एक और बयान दिया जो 17 नवंबर, 2021 को अखबारों में छपा, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी का अपमान किया और उनके इन्हीं बयानों को लेकर मैंने भाजपा सांसद कंगना रनौत के खिलाफ MP-MLA स्पेशल कोर्ट में मामला दर्ज कराया था।
मंडी से सांसद कंगना रनौत के एक पुराने बयान का जिक्र करते हुए अधिवक्ता रमाशंकर ने कहा, साल 2021 में कंगना ने महात्मा गांधी के विरुद्ध बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि गाल पर चांटा खाने से भीख मिलती है आजादी नहीं, 1947 में जो आजादी मिली थी वह भीख में मिली थी। अधिवक्ता ने कहा, कंगना ने इससे पहले कहा था कि देश को असली आजादी साल 2014 मिली है, जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई। अब उनके इन्हीं बयानों पर अधिवक्ता का कहना है कि इन बयानों के जरिये कंगना रनौत ने महात्मा गांधी के साथ-साथ देश के 140 करोड़ लोगों की भावनाओं का अपमान किया है, साथ ही अधिवक्ता ने अभिनेत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने किसानों के साथ महात्मा गांधी का अपमान कर देश को शर्मसार किया है। कंगना के बयान पर उन्हें आपत्ति है और उनको भावनात्मक ठेस पहुंची है। वहीं अभिनेत्री से संसाद बानी कंगना के समर्थन में भी अब लोग सवाल उठने लगे हैं। लोगों का कहना है की कंगना के एक बयान को आधार बना कर मामला दर्ज करने और करवाने वाले खुद को एक्सपोज कर रहें क्यूंकि इस देश में एक इकोसिस्टम है जो हर दिन यूनिवर्सिटी कैम्पसों में "भारत माता के टुकड़े" करनी की बात करता है, खुलेआम भारत के दो हिस्सों को जोड़ने वाले 'चिकेन नैक' को ब्लॉक कर के पूर्वोत्तर राज्यों को अलग करने की बात करता है और तो और एक विशेष समुदाय के लोग तो खुलेआम देश की सड़कों पर बहुसंखक समाज के विरुद्ध "सर तन से जुदा" जैसे नारे देते हैं, जिसके बाद राजस्थान से लेकर महाराष्ट्र और बेंगलुरु में लोगों के सर काट दिए जाते हैं। लोगों का सवाल है कि क्या देश में बस इस इकोसिस्टम के पास अभिवक्ति की स्वतंत्रता है, लोग पूछ रहें हैं कंगना की फ्रीडम ऑफ स्पीच का क्या?
कंगना रनौत के खिलाफ आगरा के सीनियर एडवोकेट राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमाशंकर शर्मा ने 11 सितंबर 2024 को एक मामला दायर किया था। दायर मामले में कहा गया कि 27 अगस्त, 2024 को कंगना रनौत ने एक बयान जो अखबारों में छपा था पढ़ा, जिसमें कंगना ने कहा कि अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक जब किसान दिल्ली बॉर्डर पर तीन कृषि कानूनों के विरोध में धरने पर बैठे थे, तब वहां हत्या और बलात्कार जैसे जगंह अपराध हुए और अगर उस समय देश का नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो कुछ लोग विदेशी फंडिंग के दम पर देश में बांग्लादेश जैसे हालात पैदा कर देते। कंगना रनौत पर वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने आरोप लगाया है कि कंगना रनौत ने देश के करोड़ों किसानों का अपमान किया है। साथ ही किसान आंदोलन को लेकर कहा था कि कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन में खालिस्तानी आतंकी शामिल है। इन दोनों ही बयानों के बाद कंगना का जबरदस्त विरोध भी हुआ था। अधिवक्ता रमाशंकर रामशंकर द्वारा कंगना के विरुद्ध दायरा मामले के बाद लोग सोशल मीडिया पर अधिवक्ता की जमकर निंदा कर रहें हैं और उन्हें 'फ्रीडम ऑफ़ स्पीच' का हवाला भी दे रहें हैं। लोगों का ये भी कहना है कि कंगना जैसी मशहूर अभिनेत्री के विरुद्ध मामला दर्ज कर अधिवक्ता बस मीडिया में नाम कमाना और खुद को फेमस करना चाहते है। लोगों का ये भी कहना है की कोर्ट को ऐसे किसी भी मामले का संज्ञान नहीं लेना चाहिए क्यूंकि इससे कोर्ट का बहुमूल्य समय नष्ट होता है। आपको बता दें, देश की न्यायपालिका पर पहले से बहुत भोझ है, अदालतों में लाखों केस पेंडिंग हैं और ऐसे में इन बेफिजूल मामलों से कोर्ट का कीमती समय नस्ट करना कितना उचित है?
Title -त्योहारों के बाद बहुत तेज़ी से गिर रहा है सोना
लगन में Gold हुआ सस्ता
Gold के बाजार में अभी उथल-पुथल है। भारत में सोने की कीमत काफी गिरावट से गुजर रही है, जो Global Economic Conditions और अमेरिकी डॉलर की मजबूती का रिजल्ट है। इंटरनेशनल लेवल पर ब्याज रेट में बदलाव और महंगाई दर के चलते सोना घाट रहा है | एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पॉलिसीस पर भी सोने की कीमतों में असर हो सकता है।इस समय देश भर में लगन का माहौल है दिवाली और छठ के त्यौहार के बाद सोना धड़ाम से जमीन पर गिरा है | दिल्ली में , 14 नवंबर 2024 को, सोने का रेट 24 कैरेट के लिए लगभग 77,013 रुपये प्रति 10 ग्राम है, जबकि 22 कैरेट सोना 70,613 रुपये प्रति 10 ग्राम पर मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों में सोने की कीमत में हल्का उतार-चढ़ाव देखा गया है। उदाहरण के लिए, 8 नवंबर को 24 कैरेट सोना 77,313 रुपये प्रति 10 ग्राम पर था, जो 10 नवंबर तक बढ़कर 77,293 रुपये तक गया, और फिर धीरे-धीरे इसमें गिरावट आई है।
सोने की कीमतें डॉलर के मुकाबले गिर रही हैं क्योंकि डॉलर की मजबूती बढ़ रही है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो सोना महंगा हो जाता है और इसके निवेश में गिरावट आती है। इसके कारण निवेशक सोने की ओर कम रुख कर रहे हैं। सोने की कीमतों पर ग्लोबल इकनोमिक कंडीशन का भी इफ़ेक्ट है। अमेरिकी Inflation और Upcoming Economic Reports की वजह से इन्वेस्टर्स अधिक लाभ की तलाश में हैं इसीलिए वो सोने से बाहर निकल रहे हैं।हालांकि
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज रेट में कोई कमी नहीं करने की संभावना के चलते निवेशकों ने सोने को अधिक सेफ ऑप्शन नहीं मान रहे है और सोने को बेच रहे है |