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Breaking News 14 January 2025

शेयर बाजार का Black Monday !

 

नए हफ्ते की शुरुआत शेयर बाजार के लिए बेहद खराब रही। सोमवार को बाजार ने ऐसी गिरावट देखी कि निवेशक घबराकर अपने पोर्टफोलियो को देखते ही रह गए। सेंसेक्स ने 1.36% यानी 1,048 अंक की बड़ी गिरावट दर्ज की और 76,330 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी भी 1.47% यानी 345.55 अंक टूटकर 23,085.95 के स्तर पर आ गया। सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में से 26 के शेयर लाल निशान में बंद हुए। इनमें जोमैटो ने सबसे बड़ी गिरावट झेली, जिसका शेयर 6.52% टूट गया। बाकी कंपनियों में भी हालत खस्ता रही। सिर्फ 4 कंपनियां बढ़त के साथ बंद हुईं, लेकिन उनकी रफ्तार इतनी धीमी थी कि ये गिरावट के असर को कम नहीं कर सकीं।

ग्लोबल मार्केट में क्यों मचा है बवाल?

इस गिरावट की वजह ग्लोबल मार्केट से मिल रही खराब खबरें हैं। शुक्रवार को अमेरिका का शेयर बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ, जिसने एशियाई बाजारों में भी नकारात्मक असर डाला। वहीँ जापानी बाजार छुट्टी के कारण बंद थे, लेकिन दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.4% और कोस्डैक 0.3% गिर गया। हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स भी कमजोर शुरुआत के संकेत दे रहा है। इसके अलावा रूस के ऊर्जा उद्योग पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया। ब्रेंट क्रूड 81.47 डॉलर और डब्ल्यूटीआई क्रूड 78.30 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। इससे बाजार पर और दबाव बढ़ा।

घरेलू मोर्चे पर क्या है ?

घरेलू बाजार में भी कई बड़े फैक्टर्स काम कर रहे हैं जैसे तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी। विदेशी निवेशकों (FII) का रुख। और घरेलू और वैश्विक आर्थिक आंकड़े। इन सबके कारण निवेशकों का भरोसा डगमगाता दिख रहा है। इस हफ्ते निवेशकों की नजर कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर होगी। कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजों से उनके प्रदर्शन का संकेत मिलेगा, जो बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही, अमेरिका और अन्य वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़े भी महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि इससे विदेशी निवेश प्रवाह और बाजार पर असर पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और डॉलर-रुपया के मुकाबले रुपये की स्थिति भी निवेशकों के फैसलों को प्रभावित करेगी। इन सभी पहलुओं का सही विश्लेषण निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने में मदद करेगा। हलाकि भारत के कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने घरेलू बाजार को और प्रभावित किया है। सरकार के लिए यह स्थिति कठिन हो सकती है क्योंकि महंगे तेल का आयात देश की विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डाल सकता है।

 

 

2 ) महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर मुख्यमंत्री योगी का बड़ा बयान !

 

महाकुंभ पर चल रहा ये तूफान कुछ कम नहीं है! महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर हो रहा विवाद आजकल हर टीवी चैनल पर हेडलाइन बन चुका है। जैसे ही आपने अपने टीवी की स्क्रीन को ऑन किया, सबसे पहले यही देखा, "महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर विवाद, क्या ये भारतीयता के खिलाफ है?" अब बात करते हैं भारत की सेक्युलर छवि की। ये देश किसी एक धर्म का नहीं, यहाँ हर धर्म और संस्कृतियों का समागम है। महाकुंभ, जो भारतीय संस्कृति और धर्म का असली प्रतीक है, जो लोग महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर सवाल उठा रहे हैं, वे इसे सनातन धर्म की शुद्धता से जोड़ते हैं। यह विवाद एक राजनीतिक और धार्मिक विचारधारा का परिणाम है, जिसमें कुछ लोग यह मानते हैं कि महाकुंभ को पूरी तरह से हिंदू धर्म के रंग में रंगा जाना चाहिए। खैर, इस विवाद को एक हल्के अंदाज में देखा जाए तो ये सच में एक "राजनीतिक और धार्मिक कॉकटेल" है! और जब कॉकटेल मिलती है तो कभी तीखा, कभी मीठा, कभी खट्टा! मगर असल में महाकुंभ का संदेश यही है विविधता में एकता। तो अगर हम इस समारोह को अपनी समृद्ध संस्कृति का हिस्सा मानते हैं, तो क्यों न हम सबको इस समागम का हिस्सा बनने का मौका दें? हालांकि इस विवादित मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि "जो लोग भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा के प्रति श्रद्धा रखते हैं, वो यहाँ अवश्य आएं।"  मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि महाकुंभ ऐसा स्थल है जहां जाति और पंथ की कोई दीवार नहीं होती, और यह वसुधैव कुटुम्बकम का प्रतीक है। मुख्यमंत्री योगी ने ये भी कहा कि "जो लोग अपने आपको भारतीय मानते हैं और सनातन परंपराओं में श्रद्धा रखते हैं, उनमें कई ऐसे लोग हैं जिनके पूर्वजों ने किसी समय दबाव के कारण इस्लाम अपनाया था, लेकिन आज भी वे भारतीय संस्कृति और परंपरा पर गर्व करते हैं। वे अपने गौत्र को भारत के ऋषियों से जोड़कर देखते हैं और पर्व-त्योहारों में पूरी श्रद्धा से भाग लेते हैं। यदि वे परंपरागत रूप से संगम में स्नान करने आते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उनका स्वागत है, उन्हें आने दिया जाए, कोई समस्या नहीं है।" हालांकि योगी जी का यह बयान आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी के हालिया बयान के संदर्भ में आया था। बरेलवी ने महाकुंभ मेले की जमीन को वक्फ बोर्ड की बताया था, साथ ही यह भी कहा था कि मुसलमानों ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। हालांकि, अखाड़ा परिषद ने महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर रोक लगाने की मांग की थी, जो अब एक विवाद का विषय बन गया है।