दिल्ली के लाल किले के पास हुए हालिया विस्फोट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वो सिर्फ एक घटना का सच नहीं खोल रही बल्कि एक ऐसी साजिश का नक़्शा सामने ला रही है, जिसे जानकर किसी भी लोकतंत्र की रग में सिहरन दौड़ जाए। जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि यह हमला किसी एक दिन, एक स्थान या एक उद्देश्य का मामला नहीं था। बल्कि ये बहु-स्तरीय, महीनों से चल रही ऐसी आतंकी प्लानिंग थी, जिसे अगर समय पर पकड़ा न जाता, तो 6 दिसंबर के दिन दिल्ली–NCR नक्शे पर एक खतरनाक लाल दाग बन जाता। यह वह दिन है जो 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वंस से जुड़ा है। और यही वजह थी कि इस दिन को जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े मॉड्यूल ने “बदला” लेने की तारीख के रूप में चुना था। पूछताछ ने जो परतें खोलीं, वो भारत में आतंकवाद के बदलते स्वरूप की एक चिंता भी सामने लाती हैं। जांचकर्ताओं ने पाया कि इस मॉड्यूल ने दिल्ली–NCR पर हमला करने के लिए: दिल्ली की भीड़भाड़ वाली जगहों की गुप्त रेकी की
हाई प्रोफाइल इलाकों का डिजिटल मैपिंग किया, मेडिकल विशेषज्ञता का इस्तेमाल करके मॉडर्न इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस तैयार किए और हमले को कई हिस्सों में बांटकर सीरियल ब्लास्ट की रणनीति तैयार की ये कोई सड़क छाप मॉड्यूल नहीं था यह एक उच्च शिक्षित, योजनाबद्ध, लो-प्रोफाइल और हाई-इम्पैक्ट मॉड्यूल था, जिसे भारत की राजधानी में आतंक का तूफान खड़ा करने के लिए तैयार किया गया था।
शुरुआती जांच में सामने आया कि ये मॉड्यूल अगस्त 2025 में हमला करने की तैयारी में था। सबकुछ तैयार भी था। लेकिन बाहरी संपर्क, फंडिंग, और लॉजिस्टिक में देरी के कारण प्लान आगे खिसक गया। फिर एक नई तारीख चुनी गई 6 दिसंबर।
क्योंकि जैश ने वर्षों से अयोध्या और बाबरी मस्जिद का नाम लेकर जो जहर फैलाया है, उसकी जड़ें इसी तारीख में छिपी हैं। मसूद अज़हर अक्सर अपने आतंकी भाषणों में, अपने लेखों में, अपनी पत्रिकाओं में हर जगह अयोध्या का नाम लेकर भारत को धमकाता रहा है। ये हमला उसी लंबे-चौड़े एजेंडे का हिस्सा था एक ऐसा एजेंडा जिसमें प्रतीक, तारीख, और टारगेट—तीनों का आतंकियों के लिए विशिष्ट महत्व होता है। सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि दिल्ली NCR में करीब 200 बम फोड़ने की तैयारी थी। ये संख्या सिर्फ एक आंकड़ा नहीं ये दिल्ली की सड़कों, स्कूलों, मॉल, बाजारों, मेट्रो स्टेशनों और भीड़भाड़ वाले इलाकों की संभावित बर्बादी का एक काला अनुमान है।
जांचकर्ताओं का कहना है कि 200 बमों की प्लेसमेंट ज़ोनिंग हो चुकी थी कई जगहों पर वीडियो रेकी हो चुकी थी GPS आधारित सिंकिंग सॉफ्टवेयर मिले और ब्लास्ट को एक ही समय या चरणों में ट्रिगर करने का सिस्टम तैयार था ये मॉडल भारत के इतिहास में हुए किसी भी आतंकी हमले से बड़ा हो सकता था यहां तक कि 26/11 से भी व्यापक और विनाशकारी। ये सिर्फ दिल्ली को दहलाने की साजिश नहीं थी ये भारत की आत्मा को घायल करने का प्रयास था। जांच एजेंसियों ने साफ कहा है कि यह पूरी साजिश पाकिस्तान की शह पर चल रही थी। जिन डॉक्टरों को जिहादी विचारधारा से भर दिया गया, उन्हें सोशल मीडिया, एन्क्रिप्टेड चैट, और क्लाउड बेस्ड फाइलिंग के जरिए ट्रेनिंग दी गई। रेकी के लिए विदेशी नंबर, वीपीएन, प्रॉक्सी सर्वर और क्रिप्टो ट्रांजैक्शन की मदद ली जा रही थी। यह मॉड्यूल अपने आप में इतना हाई-टेक था कि एजेंसियों ने इसे “अर्बन टेररिज़्म का नया मॉडल” कहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस हमले को आधिकारिक रूप से आतंकी घटना घोषित किया। इसके बाद एक प्रस्ताव पास करते हुए कहा गया कि यह राष्ट्र विरोधी ताकतों की कायराना हरकत है।
कैबिनेट ने दोहराया “भारत आतंकवाद पर Zero Tolerance की नीति को फिर से दोहराता है और दोषियों को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाएगा।” जो प्लान 6 दिसंबर को दिल्ली को दहला सकता था, वह रोक लिया गया। लेकिन इस पूरी घटना में एक पैगाम छिपा है कि भारत का दुश्मन अब बदल चुका है।
उसकी रणनीति बदल चुकी है। उसका चेहरा ‘सरहद पार’ नहीं, हमारे आसपास की भीड़ में भी छिप सकता है।