प्रयागराज के पवित्र संगम तट पर महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है! 13 जनवरी की पौष पूर्णिमा पर जब सूरज की पहली किरण गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन को चूम रही थी, तब तक लाखों श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाकर अपने पाप धो चुके थे। सुबह 9 बजे तक लगभग 60 लाख लोग इस महाआयोजन का हिस्सा बन चुके है। यकीन मानिए, यह सिर्फ एक स्नान नहीं, बल्कि भारतीय आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का महासंगम है। अब जरा गौर कीजिए, ये कोई आम मेला नहीं। कुंभ हर 12 साल में आता है, लेकिन इसे महाकुंभ बनने में 144 साल लगते हैं। यानी 12 कुंभ के बाद एक महाकुंभ होता है, और वो सिर्फ प्रयागराज के संगम पर। ये मौका इतना खास है कि दुनिया भर से लोग यहां आते हैं कुछ मोक्ष पाने, कुछ पाप धोने और कुछ बस इस अद्भुत नजारे का गवाह बनने।
पौराणिक कथा सुनने का मन है? चलिए, आपको अमृत कलश की कहानी सुनाते हैं। जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, तब अमृत से भरा कलश निकला। बस, फिर क्या था देवता भागे, असुर उनके पीछे, और इस दौड़-भाग में चार जगह अमृत की बूंदें गिरीं, प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। यही वजह है कि इन चार जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ की असली शान है शाही स्नान। नागा बाबाओं का डैशिंग अंदाज, गंगा में छलांग लगाते हुए उनका अद्भुत्त नज़ारा, और ढोल-नगाड़ों के साथ उनका रूप ऐसा है, जो जिंदगी में एक बार जरूर देखना चाहिए। नियम ये है कि पहले नागा साधु स्नान करते हैं, और उनके बाद श्रद्धालुओं की बारी आती है। इस बार शाही स्नान के खास दिन 13 जनवरी पौष पूर्णिमा को है फिर 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन है फिर 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन है इसके बाद 3 फरवरी वसंत पंचमी को फिर 12 फरवरी माघी पूर्णिमा को है और अंतिम 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन है। अब ये जान लीजिए कि स्नान का सही टाइमिंग क्या है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 से 6:21, विजय मुहूर्त दोपहर 2:15 से 2:57, गोधूलि मुहूर्त शाम 5:42 से 6:09, निशिता मुहूर्त रात 12:03 से 12:57 बजे तक। महाकुंभ में सिर्फ स्नान नहीं होता, यह भारत की विविधता और समरसता का उत्सव भी है। लोग यहां आते हैं किसी का हाथ पकड़कर, किसी का आशीर्वाद लेकर।
अगर इस बार महाकुंभ मिस कर दिया, तो अगला कुंभ 2028 में उज्जैन के क्षिप्रा नदी पर होगा। उज्जैन में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकालेश्वर भी है, जिसे देखना और वहां स्नान करना किसी वरदान से कम नहीं। तो, क्यों है महाकुंभ इतना खास? क्योंकि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय आस्था, अध्यात्म, और संस्कृति का सबसे बड़ा महोत्सव है। यहां हर बूढ़ा, बच्चा, साधु-संत, और हर कोने से आया श्रद्धालु बस एक बात मानता है "संगम में डुबकी लगाई नहीं, तो क्या किया।