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Breaking News 12 September 2025

1.) चुनाव हारा… और अब सलाखों के पीछे ब्राज़ील का राष्ट्रपति

ब्राज़ील की सुप्रीम कोर्ट से निकला फैसला पूरी दुनिया के लोकतंत्रों के लिए एक चेतावनी है। देश का पूर्व राष्ट्रपति, जिसने चार साल तक सत्ता संभाली, वही सत्ता छोड़ने को तैयार नहीं हुआ। जनता ने वोट दिया, नतीजा साफ़ था, लेकिन नेता को हार मंज़ूर नहीं थी। उसने सत्ता पर कब्ज़ा बनाए रखने के लिए लोकतंत्र के ही खिलाफ़ युद्ध छेड़ दिया। और अब उसी नेता को अदालत ने ठहराया दोषी और सुना दी 27 साल 3 महीने की सज़ा। नाम है  जायर बोल्सोनारो।

बोल्सोनारो: कौन और क्यों इतना विवादित?

जायर बोल्सोनारो 2018 में सत्ता में आए। सेना के पृष्ठभूमि से निकलकर राजनीति में आए इस नेता ने खुद को Strongman के तौर पर पेश किया। कानून-व्यवस्था की सख्ती, मीडिया पर तीखे हमले, पर्यावरण पर ढीली नीतियां और अमेज़न को लेकर विवाद ये सब उनके शासनकाल की पहचान बने। समर्थकों के बीच वे “राष्ट्रवादी” कहे गए, आलोचकों के लिए वे लोकतंत्र के लिए खतरा। 2022 में चुनाव हुए। बोल्सोनारो उम्मीद कर रहे थे कि उनकी लोकप्रियता उन्हें फिर से सत्ता दिला देगी। लेकिन जनता ने फैसला दिया और चुना लुइज़ इनासियो लुला दा सिल्वा को। लुला पहले भी राष्ट्रपति रह चुके थे, भ्रष्टाचार के आरोप झेल चुके थे, जेल भी गए थे, लेकिन जनता ने उन्हें मौका दिया। 1 जनवरी 2023 को लुला ने शपथ ली। बोल्सोनारो ने नतीजा मानने की बजाय कहा  “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भरोसे लायक नहीं, चुनाव धांधली वाला है।” यानी सीधे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल। लुला के शपथ लेने के सिर्फ आठ दिन बाद ब्राज़ील की राजधानी ब्रासीलिया में लोकतंत्र पर हमला हुआ। बोल्सोनारो समर्थकों की भीड़ संसद, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुस गई। कुर्सियां पलटीं, खिड़कियाँ टूटीं, दस्तावेज़ फाड़े गए, राष्ट्रीय धरोहर को नुकसान हुआ। यह दृश्य पूरी दुनिया ने टीवी स्क्रीन और मोबाइल पर देखा। यह सिर्फ़ विरोध नहीं था, बल्कि सत्ता पलटने की कोशिश थी। यह ब्राज़ील का “6 जनवरी” था  अमेरिका में ट्रंप समर्थकों द्वारा कैपिटल हिल पर हमले की तरह। जांच शुरू हुई और सामने आया कि यह सब अचानक नहीं हुआ। इसके पीछे सुनियोजित साजिश थी। नाम आया Operation Tempus Veritatis। इस जांच में सामने आया कि बोल्सोनारो और उनके करीबी मंत्री व सैन्य अधिकारी चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे। बैठकों के रिकॉर्ड, चैट मैसेज, वीडियो फुटेज और गवाहों ने बताया कि योजना साफ़ थी चुनाव हारने के बाद भी सत्ता पर कब्ज़ा बनाए रखना। 11 सितंबर 2025 को सुप्रीम फेडरल कोर्ट की पाँच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया। चार जजों ने बोला बोल्सोनारो दोषी हैं। एक जज ने कहा हत्या की साजिश का सबूत पूरा नहीं है। लेकिन बाकी आरोप साबित हुए। अदालत ने कहा: बोल्सोनारो ने लोकतंत्र को हिंसा से खत्म करने की कोशिश की।
उन्होंने तख़्तापलट की साजिश रची। उन्होंने आपराधिक संगठन बनाया। उन्होंने सार्वजनिक और संरक्षित सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। और इस सबके लिए उन्हें मिली 27 साल 3 महीने की सज़ा। बोल्सोनारो का दावा है “यह सब राजनीतिक बदला है। मैंने सीधे तौर पर कभी हिंसा का आदेश नहीं दिया।” उनके समर्थक कहते हैं कि अदालत विपक्षी दबाव में है। लेकिन अभियोजन पक्ष ने सबूतों का पहाड़ पेश किया। उन्होंने दिखाया कि कैसे बोल्सोनारो ने हार मानने से इनकार किया, जनता को भड़काया और लोकतंत्र को ही खतरे में डाल दिया। अदालत ने अभियोजन की दलीलें सही मानी। आज ब्राज़ील के राष्ट्रपति हैं लुइज़ इनासियो लुला दा सिल्वा। बोल्सोनारो फिलहाल घर में नजरबंद हैं और अपील की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन यह लगभग तय है कि आने वाले कई सालों तक वह चुनावी राजनीति से बाहर रहेंगे। ब्राज़ील का समाज दो हिस्सों में बंटा हुआ है। आधे कहते हैं कि अदालत ने लोकतंत्र बचाया। आधे कहते हैं कि यह राजनीतिक साज़िश है। इस फैसले पर दुनिया भर में नजर है। अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई देशों ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया। लेकिन कुछ देशों ने सवाल उठाए कि क्या न्यायपालिका इतनी सख्ती से किसी पूर्व राष्ट्रपति को सज़ा दे सकती है। फिर भी, यह पहला मौका है जब ब्राज़ील के किसी पूर्व राष्ट्रपति को इतनी बड़ी सज़ा मिली है। इतिहास गवाह है कि लैटिन अमेरिका में तख़्तापलट और सैन्य हस्तक्षेप कोई नई बात नहीं है। 20वीं सदी में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, चिली और पेरू जैसे देशों ने बार-बार सैन्य शासन झेला। 1964 में ब्राज़ील में भी सेना ने लोकतांत्रिक सरकार गिराकर 21 साल तक तानाशाही चलाई थी। लेकिन फर्क ये है कि उस दौर में तख़्तापलट सेना करती थी, और 2023 में यह कोशिश देश के निर्वाचित राष्ट्रपति और उनके समर्थकों ने की। यही वजह है कि बोल्सोनारो की सज़ा ऐतिहासिक बन गई यह दिखाता है कि अब समाज और अदालतें लोकतंत्र के खिलाफ़ किसी भी चाल को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे ही लेटेस्ट खबरों के लिए हमसे जुड़े रहे और सब्सक्राइब करे ग्रेट पोस्ट न्यूज़।