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Breaking News 12 August 2025

1.)  लोकतंत्र का मार्च ? राहुल-अखिलेश हिरासत में

कल दिल्ली का मौसम कुछ ज्यादा ही सियासी था। संसद भवन का मकर द्वार सुबह से ही गहमागहमी में था। INDIA ब्लॉक के नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, शरद पवार सब कतार में, कंधे से कंधा मिलाकर निकले। मंज़िल: चुनाव आयोग का दफ़्तर। मुद्दा SIR प्रक्रिया और राहुल गांधी के मुताबिक ‘वोट चोरी’ के खिलाफ़ सियासी लड़ाई। राहुल गांधी आगे-आगे, बाकी नेता पीछे-पीछे। हाथों में प्लेकार्ड, ज़ुबान पर नारे "एक वोट, एक अधिकार", "संविधान बचाओ"। राहुल गांधी ने मार्च से पहले ही ऐलान कर दिया था “ये लड़ाई राजनीतिक नहीं है, ये संविधान की लड़ाई है। हम एक साफ-सुथरी वोटर लिस्ट चाहते हैं।” संसद से चुनाव आयोग का रास्ता लंबा नहीं है, लेकिन कल ये सफ़र ‘छोटा’ होते-होते पुलिस बैरिकेड्स पर आकर रुक गया। पुलिस ने रास्ता ब्लॉक कर दिया।
अखिलेश यादव ने यहां भी यूपी वाला तेवर दिखा दिया—सीधे बैरिकेड पर चढ़ गए। तस्वीरें खिंचीं, वीडियो बने और सोशल मीडिया पर छा गए। प्रियंका गांधी भी पीछे नहीं रहीं पुलिस के सामने खड़े होकर नारेबाज़ी करती रहीं। बाक़ी सांसद भी माहौल गरमाते रहे। पुलिस का कहना था "औपचारिक अनुमति नहीं ली, इसलिए मार्च यहीं खत्म"। विपक्ष का आरोप था "लोकतंत्र में विरोध जताने के लिए अब भी NOC लेनी पड़ती है क्या?" नतीजा मार्च पूरा होने से पहले ही नेताओं को VIP बस सर्विस दे दी गई। दो बसों में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी समेत कई नेताओं को पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने ले जाया गया। कुछ देर हिरासत में रखकर सभी को छोड़ दिया गया। खड़गे और पवार का तंज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोले “अगर सरकार हमें चुनाव आयोग तक भी नहीं जाने देती, तो डर किस बात का है?” शरद पवार का कहना था "ये तो बस शुरुआत है, असली लड़ाई आगे है।" दिल्ली पुलिस की तरफ़ से कहा गया"सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम थे, अनुमति नहीं थी, इसलिए रोका गया"। विपक्ष का कहना है "जनता के मुद्दे उठाने के लिए अब सरकार की इजाज़त भी लेनी होगी?" कल का ये मार्च न तो पूरी तरह संसद से चुनाव आयोग तक पहुंच पाया, और न ही विपक्ष के इरादे ठंडे पड़े। सियासत के मैदान में ये सिर्फ़ एक राउंड था अगले राउंड में विपक्ष क्या करेगा, ये देखना बाकी है। लेकिन इतना तय है कि कल की दिल्ली में लोकतंत्र पैदल चला, और पुलिस की बस में बैठकर थाने पहुंचा।

 

2 ) रूस-यूक्रेन: शांति की मेज़ से पहले बारूद की गंध

अलास्का में अभी बर्फ़ पिघलने का मौसम नहीं आया, लेकिन कूटनीति की मेज़ पर जल्द ही डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने बैठने वाले हैं। दुनिया इस मुलाक़ात को ‘शांति की उम्मीद’ कह रही है, लेकिन कीव से आती आवाज़ बिल्कुल अलग तस्वीर खींच रही है। राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने 12 अगस्त को साफ कहा “रूस बातचीत की तैयारी नहीं कर रहा, वह नए हमलों के लिए मोर्चा बना रहा है।” यह चेतावनी सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि खुफिया रिपोर्ट्स पर टिकी है, जो बता रही हैं कि रूसी सेना मोर्चों पर अपने पत्ते फिर से सजाने में लगी है।

ज़ेलेंस्की जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन ही उनके लिए सबसे बड़ा हथियार है। शायद यही वजह है कि 11 अगस्त को उन्होंने एक दिन में दो अहम फोन कॉल किए। पहला भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जहां उन्होंने कूटनीतिक हल की ज़रूरत और रूस के आर्थिक संसाधनों, ख़ासकर तेल निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय दबाव की बात रखी। दूसरा सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को तेल राजनीति की उस कुंजी को घुमाने के लिए, जिससे युद्ध की मशीन को ईंधन मिलता है।

यूरोप का रुख भी अब और स्पष्ट हो चुका है। 26 में से 25 यूरोपीय संघ देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन को अपने भविष्य का फैसला करने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए। यह बयान हंगरी की अनुपस्थिति के बावजूद एक मज़बूत संदेश है: “यूक्रेन को दरकिनार कर बनाई गई शांति, असल में एक और संघर्ष का बीज होगी।” पुतिन-ट्रम्प वार्ता से पहले यह पश्चिमी देशों का सामूहिक अल्टीमेटम जैसा है।

मैदान पर हालात अब भी उथल-पुथल से भरे हैं। सुमी क्षेत्र में यूक्रेनी सेना ने कुछ गांवों पर दोबारा नियंत्रण पाया है, वहीं रूस के भीतर ड्रोन हमलों की खबरें भी आई हैं। ये छोटे-छोटे मोर्चे शायद नक्शे पर बड़ी लकीर न खींचें, लेकिन यह साबित करते हैं कि जंग अब भी “फ्रंट लाइन” पर ज़िंदा है और किसी भी वक्त भड़क सकती है।

अब सबकी निगाहें अलास्का पर टिक गई हैं। सवाल सीधा है  क्या पुतिन और ट्रम्प के बीच होने वाली यह मुलाक़ात इतिहास के पन्नों में शांति का अध्याय जोड़ेगी, या फिर यह सिर्फ एक और फोटो-ऑप बनकर रह जाएगी? ज़ेलेंस्की के हालिया शब्द इस सवाल के जवाब में एक सर्द हवा छोड़ते हैं: “रूस की चालों में सन्नाटा नहीं, गूंज है अगली लड़ाई की।”