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Breaking News 11 November 2025

1 .)  दिल्ली ब्लास्ट: लाल क़िले की दीवारें कांपीं, देश के ज़हन में डर की लहर

 शाम के 7 बज चुके थे। पुरानी दिल्ली का इलाका ट्रैफिक, मेट्रो और भीड़ की आवाज़ों से गूंज रहा था। लाल क़िले के पास, मेट्रो स्टेशन के बाहर अचानक एक Hyundai i20 कार के अंदर जोरदार धमाका हुआ  ऐसा धमाका कि कुछ सेकेंड के लिए लगा जैसे इतिहास खुद दोहर गया हो।  धुआं, चीखें और सायरनों की आवाज़ ने कुछ ही मिनटों में दिल्ली को थाम लिया। सीसीटीवी फुटेज में दिखा कार ट्रैफिक सिग्नल पर धीरे-धीरे आती है, कुछ सेकंड रुकती है, और फिर विस्फोट!  आठ लोग मौके पर मारे गए, बीस से ज्यादा घायल, और राजधानी के सुरक्षा तंत्र की पोल खुल गई। जांच की शुरुआती लाइन यही कहती है कि ये कोई साधारण विस्फोट नहीं, बल्कि एक प्लान्ड टेरर ऑपरेशन था।  Delhi Police ने इसे  (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत दर्ज किया है  यानी, आतंक की गंध पक्की मानी जा रही है। अब तक की जांच में खुलासा: कार का मालिक निकला डॉ. मोहम्मद उमर, मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला। उसने कुछ महीने पहले ये गाड़ी फरीदाबाद में खरीदी थी।
और दिलचस्प बात ये उमर अल-फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद से मेडिकल की पढ़ाई कर चुका है।
फरीदाबाद से कुछ घंटे पहले 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री, जिसमें अमोनियम नाइट्रेट शामिल था, जब्त किया गया। जांच एजेंसियों को शक है कि यही नेटवर्क दिल्ली ब्लास्ट में सक्रिय था। अब जरा सोचो  3 टन विस्फोटक दिल्ली की सीमा पर पकड़ा गया और उसी दिन राजधानी में धमाका। क्या ये महज़ इत्तेफ़ाक़ है? या फिर किसी बड़ी प्लानिंग का नतीजा? खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस नेटवर्क के तार जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, और यूपी तक फैले हो सकते हैं।  ATS और NIA को संदेह है कि “जैश-ए-मोहम्मद” के स्लीपर सेल से जुड़ा मॉड्यूल दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय था।  पुलिस ने कई जगह छापेमारी की सहारनपुर, लखनऊ और फरीदाबाद में कुछ संदिग्धों से पूछताछ चल रही है। एक सूत्र ने बताया कि फरीदाबाद के एक फ्लैट में डॉ. शाकिल नाम के शख्स के कमरे से “केमिकल फॉर्मूले, टाइमर सर्किट, और GPS ट्रैकर” मिले हैं।  हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन अगर यह सही है तो यह कोई “सोलो अटैक” नहीं, बल्कि नेटवर्क्ड टेरर हिट था।

 सवाल उठ रहे हैं  ये सब चुनाव के बीच ही क्यों?

देश चुनावी माहौल में है। हर गली में रैली, हर स्क्रीन पर प्रचार।  और उसी दौरान राजधानी के दिल में धमाका!  क्या ये महज़ टाइमिंग है, या किसी को राजनीतिक स्थिरता हिलानी थी? सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि “अक्सर आतंकी संगठन चुनावी समय में वार करते हैं ताकि मीडिया का फोकस शिफ्ट हो जाए और पब्लिक के मन में डर बैठ जाए।”  दिल्ली पुलिस और NIA की टीम अब “राजनीतिक इंटरफेरेंस” से हटकर नेटवर्क की फंडिंग और विदेशी सपोर्ट की दिशा में भी जांच कर रही  ...फुटेज में धमाके से पहले एक युवक कार से कुछ निकालता हुआ दिखा।  चेहरा आंशिक रूप से ढका हुआ, उम्र लगभग 28 से 32 साल के बीच।  उसके कुछ मिनट बाद कार में विस्फोट और अब पुलिस का दावा है कि वो मोहम्मद उमर ही था।  लेकिन सवाल यह है कि अगर वह डॉक्टर था, तो कौन सी “सोच” ने उसे हथियारबंद डॉक्टर बना दिया? दिल्ली की सबसे हाई-सेक्योरिटी ज़ोन में कैसे फटी?  ये सवाल अब दिल्ली पुलिस के साथ-साथ NSG और NIA के सामने भी खड़े हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया: “सिस्टम में या तो अंदर से मदद मिली है या किसी ने जानबूझकर आंखें मूंदी हैं।” लाल क़िले का इलाका अब बंद है, मेट्रो की लाइनें जांच में हैं, और शहर के हर प्रवेश बिंदु पर चेकिंग बढ़ा दी गई है।